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संकुलों का सूत्र लिखना complex compound formula writing in hindi how to write class 12

By   March 29, 2023

जाने संकुलों का सूत्र लिखना complex compound formula writing in hindi how to write class 12 ?

सूत्र लिखना (Formula writting)

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उपर्युक्त नियमों पढ़ लेने के पश्चात् हम इस स्थिति में है कि यदि किसी उपसहसंयोजन यौगिकका नाम बता दिया तो इसका सूत्र लिख सकें। संकुलों का सूत्र लिखना बहुत सरल है तथा मुख्यतः अभ्यास पर निर्भर करता है। सुविधा के लिए निम्न नियम दिए गए हैं-

  1. संकुल पदार्थ में पहले धनायन तथा बाद में ऋणायन का सूत्र लिखो ।

2.सरल आयन (अर्थात् जो संकुल आयन नहीं है), चाहे वे धनायन हैं या ऋणायन, साधारण अकार्बनिक लवणों से प्राप्त आयनों की तरह लिखे जाते हैं।

  1. एक संकुल आयन या अणु का सूत्र लिखते समय लिगण्ड तथा धातु आयनों को उल्टे क्रम में रखा जाता है, अर्थात् धातु का संकेत लिखने के पश्चात् लिगण्ड के सूत्र लिखते हैं। लिगण्डों के लिखते समय

(i) लिगण्डों को उनके दाता परमाणुओं के अंगेजी वर्णमाला के क्रम में लिखा जाता है।

उदाहरण के लिए, [CoCI(NH3)5]+ में Co2+ आयन के साथ Cl तथा NH3 लिगण्ड जुड़े हैं| वर्णमाला में Cl का C NH3 के N के पहले आता है इसलिए CI सूत्र NH3 से पहले आता है।

(ii) लिगण्ड में दाता परमाणु को पहले लिखते हैं जिससे यह जान पाना आसान हो जाता है कि वह लिगण्ड किस परमाणु के माध्यम से बंधित है तथा लिगण्ड को कोष्ठक में लिखा जाता है। उदाहरण के लिए, [Co (NH3) 3 (OH2)3 ]3+ में दाता परमाणु क्रमशः N तथा 0 हैं। वर्णक्रम के आधार पर NH3 का सूत्र पहले लिखा जायेगा उसके बाद H2O को OH2 लिखा जायेगा क्योंकि Co3+ आयन से जल (H2O) ऑक्सीजन द्वारा जुड़ा है।

  1. सम्पूर्ण संकुल आयन को एक वर्णाकार कोष्ठक में बन्द कर देते हैं ।
  2. धातु की ऑक्सीकरण अवस्था का सामान्यतः वर्णन नहीं किया जाता ।
  3. अब यह जानना आवश्यक है कि समन्वय प्रजाति उदासीन अणु है या आयनिक । जैसा कि पूर्व में बताया गया है, संकुल प्रजाति पर आवेश (x) का मान धातु की ऑक्सीकरण अवस्था तथा लिगण्डों के कुल आवेश के योग के समान होता है। आवेश का मान शून्य आने का मतलब यह है कि उपसहसंयोजक प्रजाति एक अणु है तथा प्राप्त सूत्र ही संकुल का सूत्र है

X = धातु की ऑक्सीकरण अवस्था + लिगण्डों का कुल आवेश

  1. उपसहसंयोजन प्रजाति आवेशित है तो प्राप्त सूत्र सकुल आयन का सूत्र प्रदर्शित करता है।’ यदि संकुल के नाम में विपरीत आवेशित आयन का नाम भी लिखा हुआ है तो कुल धनीय आवेश कुल ऋणीय आवेश के समान होना चाहिए। अतः धनायन तथा ऋणायनों को ऐसे स्थिरांको से गुणा किया जाता है, जिससे दोनों प्रकार के आवेश बराबर हो जाएँ। ये स्थिरांक प्रत्येक प्रकार के आयन की संख्या बतलाते हैं। दोनों आयनों को उनकी संख्या सहित लिखने पर संकुल का सूत्र प्राप्त होगा ।

उदाहरण 1. टेट्राऐम्मीनऐक्वाक्लोरिडोकोबाल्ट (III) क्लोराइड संकुल का सूत्र लिखो ।

ऋणायन  (सामान्य आयन) = Cl

धनायन (संकुल आयन) = [CoCl(NH3) 4 (OH2)x

जहाँ x संकुल आयन पर आवेश प्रदर्शित करता है।

नियम 6 से x = कोबाल्ट की ऑक्सीकरण अवस्था + लिगण्डों का कुल आवेश

=+3 + (-1 + 4 x 0 + 0) =+2

(NH3 तथा H2O उदासीन अणु हैं अतः इन पर कोई आवेश नहीं होता है। केवल क्लोरिडो समूह पर ही – 1 आवेश होता है।

एक CI- ऋणायन पर आवेश – 1 है जबकि संकुल धनायन पर आवेश = +2 है। स्पष्ट है कि दो ऋणायन मिलकर धनायन के आवेश को उदासीन बना सकेंगे। इसलिए दिए गए यौगिक का सूत्र [CoCI(NH3)4OH2]Cl2 होगा ।

उदाहरण 2. डाइऐम्मीनडाइऐक्वाडाइक्लोरिडोकोबाल्ट (III) सल्फेट का सूत्र लिखो ।

ऋणायन (असंकुलित सामान्य आयन) SO4 2- है तथा संकुल आयन धन आवेशित होगा जिसमें तीन तरह के लिगण्ड –NH3,CI- तथा H2O है। प्रत्येक प्रकार के लिगण्ड की संख्या दो-दो है । यदि धनायन पर आवेश x है तो

धनायन (संकुल आयन) = [CoCl2(NH3)2(OH2)2]x

x = +3 – 2 + 2 ×0 + 2 ×0

=+1

चूँकि धनायन पर +1 आवेश है, जबकि SO4 2 – ऋणायन पर -2 आवेश है, अतः उदासीन अणु में प्रति ऋणायन दो धनायन उपस्थित होंगे। अतः संकुल का सूत्र है

[CoCl2(NH3)2(OH2)2]2SO4

उदाहरण 3. Co(III),NH3CI और K+ के संयोग से सात उपसहसंयोजक यौगिक बनते हैं। जिनमें से एक [Co(NH3)6]C]3 है।

(i) इस श्रेणी के अन्य छः सदस्यों के सूत्र लिखिये ।

(ii) IUPAC पद्धति के अनुसार इन सब यौगिको के नाम लिखिये ।

(iii) उन संकुलों को बताइये जो ज्यामितीय समावयवी देंगे।

Combination fo Co(III), NH3 Cl and K+, result in the formation of seven c compounds.one of which is [Co(NH3)6]CI3

  • Write formulace of the other six members of the series.
  • Name all these compounds according to IUPAC system.

(iii) Indicate the complexes which will give geometrical isomers.

Solution श्रेणी के दिये गये सदस्य [Co(NH3)6 ]CI3 के अवलोकन से स्पष्ट है कि उपसहसयोजन यौगिक में केन्द्रीय आयन Co(lll) है जिसकी समन्वय संख्या 6 है। अन्य यौगिकों में भी कोबाल्ट की ऑक्सीकरण अवस्था एवं समन्वय संख्या अपेक्षित है। K’ में उपसहसंयोजन यौगिक बनाने की नगण्य प्रवृत्ति पाई जाती है। अतः जिन संकुलों में K उपस्थित होगा, उन सभी में यह एक सामान्य आयन के रूप में ही उपस्थित रहेगा।

(i) व (ii) NH3 लिगण्ड के रूप में प्रयुक्त होता है। हम जानते हैं कि ऋणायन CI एक सामान्य ऋणायन के साथ-साथ एक लिगण्ड के रूप में भी प्रयुक्त हो सकता है। दिये गये सकुल आयन में सभी 6 NH3 लिगण्ड Co की द्वितीयक संयोजकता से तथा तीनों CI समूह प्राथमिक संयोजकता से बंधित होंगे। वर्नर के सिद्धान्तानुसार जिन संकुलों में NH3 लिगण्डों की संख्या 6 से कम होगी उनमें सभी साथ द्वितीयक संयोजकताओं की संतुष्टि हेतु आवश्यकतानुसार CI- समन्वय मण्डल में प्रवेश कर जायेंगे। ही वे सभी संकुल अस्थायी होंगे जिनमें NH3 तथा CI- की कुल संख्या 6 से कम हो क्योंकि ऐसी स्थिति में कुछ द्वितीयक संयोजकतायें असन्तुष्ट रह जायेंगी। अतः श्रेणी के अन्य उपसहसंयोजन यौगिकों को [Co(NH3)6]+ आयन में क्रमवार NH3 के स्थान पर C1- रखकर प्राप्त किये जा सकते हैं। ये यौगिक निम्न हैं जिनके नाम उनके सम्मुख लिखे गये हैं–

[Co(NH3)6]Cl3    हेक्साऐम्मीनकोबाल्ट(III) क्लोराइड

[CoCI(NH3)5]Cl2    पेन्टाऐम्मीनक्लोरिडोकोबाल्ट (III) क्लोराइड

[CoC2(NH3)4]C]   टेट्राऐम्मीनडाइक्लोरिडोकोबाल्ट(III) क्लोराइड

[CoCl3(NH3)3]   ट्राईऐम्मीनट्राइक्लोरिडोकोबाल्ट (III)

K[CoCl4(NH3)2]  पोटैशियम डाइऐम्मीनटेट्राक्लोरिडोकोबाल्टेट (III)

K2Co[Cl5(NH3)]   पोटैशियम ऐम्मीनपेन्टाक्लोरिडोकोबाल्टेट (III)

K3[CoCl6] पोटैशियम हेक्साक्लोरिडोकोबाल्टेट (III)

  • Ma6 तथा Ma5b प्रकार के उपसहसंयोजन यौगिक अन्तराल में एक ही प्रकार की संरचना का निर्माण कर सकते हैं। अतः ये ज्यामितीय समावयवी प्रदर्शित नहीं करेंगे। इस प्रकार, [Co(NH3)6]3. [CoCl(NH3)5]2+. [CoCl5(NH3)]2, तथा [CoCl6]3- ज्यामितीय समावयवी नहीं देंगे। Ma4b2 तथा Ma3b3 प्रकार के यौगिक दो प्रकार की संरचनाओं का निर्माण कर सकते हैं अतः [CoCl2(NH3)4], तथा [CoCl4(NH3)2] सिस – व ट्रान्स समावयवी एवं [CoCl3 (NH3)3] fac- तथा mer- समावयवी बनाते हैं। जिनकी सरंचनाएँ आगे दी गयी हैं।

उदाहरण 4.K+, Cr(II), en तथा CI के संयोग से चार उपसहसंयोजन यौगिक बनते हैं। उनके अणुसूत्र व IUPAC नाम दीजिये

हम जानते हैं कि K+ तथा Cr (III) धातु आयनों में उपसहसंयोजन यौगिक बनाने की प्रवृत्ति K+ के लिए नगण्य तथा Cr(III) के लिए अत्यधिक पाई जाती है। अतः Cr(III) समन्वय मण्डल के अन्दर तथा K★ समन्वय मण्डल के बाहर पाया जायेगा | en (ऐथिलीनडाइऐमीन) एक उदासीन द्विदन्तुक लिगण्ड है। तथा CI- लिगण्ड एवं सामान्य आयन दोनों ही रूपों में कार्य करने में सक्षम है। पूर्णतः क्लोराइड लिगण्ड से बने उपसहसंयोजन यौगिक (i) से दो क्लोरो लिगण्डों को क्रमवार en द्वारा विस्थापित कर देने पर वांछित उपसहसंयोजन यौगिक (ii), (iii) व (iv) प्राप्त किए जा सकते हैं जो निम्न हैं-

(i) K3[CrCl6]   पोटैशियम हेक्साक्लोरिडोक्रोमेट (III)

(i) K[CrCl4 (en)]   पोटैशियम टेट्राक्लोरिडोएथिलीनडाइऐमीनक्रोमेट (III)

(i) [CrCl2(en)2]Cl   डाइक्लोरिडोंबिस(एथिलीनडाइऐमीन) क्रोमियम (III)

(iv) [Cr(en)3]Cl3   क्लोराइड ट्रिस (एथिलीनडाइऐमीन)क्रोमियम (III) क्लोराइड