संचार व्यवस्था की परिभाषा क्या है , अवयव , महत्व , प्रेषित , ग्राही , संचरण माध्यम , संचार तंत्र Communications system in hindi :-
विद्युत चुम्बकीय तरंग का संचरण :
विधुत चुंबकीय तरंगो के संचरण की निम्न तीन विधियाँ है –
- भू तरंग या पृष्ठीय तरंग संचरण
- व्योम तरंग या आयन मण्डल तरंग संचरण
- अन्तरिक्ष तरंग या क्षोभमण्डल तरंग संचरण
- भू तरंग या पृष्ठीय तरंग संचरण: विद्युत चुम्बकीय तरंग के संचरण की वह विधि जिसमे विद्युत चुंबकीय तरंगों को एक स्थान से दूर स्थित दुसरे स्थान तक पृथ्वी के पृष्ठ के समान्तर प्रेक्षित करते है , भू तरंग संचरण कहलाता है।
भू तरंग संचरण में कुछ हर्ट्ज़ आवृति से दो मेगा हर्ट्ज़ आवृति की विद्युत चुम्बकीय तरंगो का संचरण किया जाता है। भू तरंग संचरण में प्रेक्षित विद्युत चुम्बकीय तरंग के कम्पन्न उर्ध्वाधर तल में होते है क्योंकि क्षैतिज तल के कम्पन्न अवरोधक के कारण एक स्थान से दूसरे स्थान तक प्रेक्षित नहीं होते है।
भू तरंग संचरण में दो मेगा हर्ट्ज़ से अधिक आवृति की विद्युत चुम्बकीय तरंगो को प्रेक्षित नहीं किया जा सकता क्योंकि विद्युत चुम्बकीय तरंग की आवृति अधिक होने पर लघु पतन की संभावना अधिक होती है।
भू तरंग संचरण में प्रेक्षित व ग्राही एंटीने की ऊंचाई कम होती है तथा भू तरंग संचरण द्वारा लगभग 1500 km (किलोमीटर) तक विद्युत चुम्बकीय तरंगो का संचरण किया जाता है।
- व्योम तरंग या आयन मण्डल तरंग संचरण: विद्युत चुम्बकीय तरंग के संचरण की वह विधि जिसमे विद्युत चुम्बकीय तरंगो को प्रेक्षित से दूर स्थित ग्राही तक आयन मंडल परावर्तित करके भेजा जाता है , आकाश तरंग या आयन मण्डल तरंग संचरण कहलाता है।
आकाश तरंग संचरण में 2 मेगा हर्ट्ज़ से 30 मेगा हर्टज़ आवृति की विद्युत चुम्बकीय तरंगों को प्रेक्षित किया जाता है।
आकाश तरंग संचरण में विद्युत चुम्बकीय तरंगो को आयन मंडल द्वारा परावर्तित करके ग्राही तक पहुँचाया जाता है।
आकाश तरंग संचरण में अलग अलग कोणों पर विद्युत चुम्बकीय तरंगो को प्रेक्षित करके अलग अलग दूरी तक भेजा जा सकता है।
आकाश तरंग संचरण विधि में 2 मेगा हर्ट्ज़ आवृति से कम आवृत्ति की विद्युत चुम्बकीय तरंगों को प्रेक्षित नहीं किया जा सकता क्योंकि यह तरंगे आयन मंडल द्वारा अवशोषित हो जाती है। तथा आकाश तरंग संचरण द्वारा 30 मेगा हर्ट्ज़ से अधिक आवृति की विद्युत चुम्बकीय तरंगो को भी प्रेक्षित नहीं किया जा सकता क्योंकि यह तरंगे आयन मण्डल को पार करके चली जाती है अर्थात आयन मण्डल द्वारा परावर्तित नहीं होती है .
- अंतरिक्ष तरंग या क्षोभ मंडल तरंग संचरण: विद्युत चुम्बकीय तरंग के संचरण की वह विधि जिसमे विद्युत चुम्बकीय तरंगो को प्रेक्षित से दूर स्थित ग्राही तक क्षोभमंडल द्वारा प्रेक्षित किया जाता है तो यह अन्तरिक्ष तरंग संचरण या क्षोभ मण्डल तरंग संचरण कहलाता है।
क्षोभ मण्डल तरंग संचरण में 100 मेगा हर्ट्ज़ से 200 मेगा हर्ट्ज़ व आवृति तक की विद्युत चुम्बकीय तरंगो का संचरण किया जाता है।
अन्तरिक्ष तरंग संचरण में विद्युत चुम्बकीय तरंगो का दृष्टि परास तक संचरण किया जाता है।
अन्तरिक्ष तरंग संचरण में प्रेक्षित एंटीना व ग्राही एंटीना की ऊंचाई अधिक होती है।
अन्तरिक्ष तरंग संचरण में विद्युत चुम्बकीय तरंगों को क्षोभमण्डल में सीधा प्रसारित किया जाता है [प्रेक्षित एंटीने से ग्राही एंटीने की ओर] तथा कभी कभी पृथ्वी से परावर्तित करके भी विद्युत चुम्बकीय तरंगों को प्रेक्षित एंटीने से ग्राही एंटीने तक भेजा जाता है।
प्रेक्षित एंटीने की ऊँचाई व दृष्टी परास
माना पृथ्वी की वक्रता त्रिज्या Re है तथा पृथ्वी की सतह पर स्थित प्रेक्षित एंटीने की ऊंचाई h है तथा प्रेक्षित एंटीने के आधार से विद्युत चुम्बकीय तरंगों की दृष्टि परास d है दूरी तक तो दृष्टि परास की गणना के लिए –
समकोण त्रिभुज △APO से
AO2 = AP2 + OP2 (पाइथोगोरस प्रमेय से )
(AB + BO)2 = AP2 + OP2
(h + Re)2 = AP2 + OP2
[(h + Re)2 = AP2 + Re2] समीकरण-1
समकोण त्रिभुज △APC से –
AP2 = PC2 + CA2
पृथ्वी की वक्रता बहुत कम होने के कारण AC = AB होगा।
AP2 = PC2 + AB2
[AP2 = d2 + h2] समीकरण-2
समीकरण-2 से मान समीकरण-1 में –
(h + Re)2 = d2 + h2 + Re2
h2 + Re2 + 2hRe = d2 + h2 + Re2
d2= 2hRe
अत: प्रेषि एंटीने की दृष्टि परास –
d= √2hRe
प्रेषि एंटीना का प्रभावी अधिग्रहण क्षेत्र –
A = πd2
A = π(2hRe)
A = 2πhRe
संचार तंत्र (communication system in hindi)
जब किसी मूल संकेत या सन्देश को एक स्थान से दूर स्थित दूसरे स्थान तक किसी माध्यम द्वारा विश्वसनीय तरीके से भेजा जाता है तो इसे संचार तंत्र कहते है।
संचार तंत्र के मुख्य तीन अवयव है –
- प्रेषित: प्रेषित सन्देश वाहक से प्राप्त मूल संकेतों को विद्युत संकेतो में परिवर्तित करके संचरण माध्यम तक भेजता है।
प्रेषित में कोडिंग व मोडुलेशन का कार्य सम्मलित है।
- संचरण माध्यम: संचरण माध्यम प्रेषित द्वारा प्राप्त विद्युत संकेतो को एक स्थान से दूर स्थित दूसरे स्थान पर उपस्थित ग्राही को भेजता है।
संचरण माध्यम के रूप में केबल , उपग्रह संचार , भू तरंग संचरण इत्यादि शामिल है।
- ग्राही: ग्राही संचरण माध्यम द्वारा प्राप्त विद्युत संकेतो को मूल संकेतो में परिवर्तित करके उपभोग कर्ता तक भेजने का कार्य करता है।
ग्राही में डीकोडिंग , प्रवर्धन , विमोडुलेशन इत्यादि सम्मिलित है।