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common emitter configuration in hindi NPN and PNP of transistor उभयनिष्ठ उत्सर्जक विन्यास क्या है

उभयनिष्ठ उत्सर्जक विन्यास क्या है common emitter configuration in hindi NPN and PNP of transistor ?

(B) उभयनिष्ठ उत्सर्जक विन्यास (Common Emitter Configuration)

चित्र (4.6-6) में संधि ट्रॉजिस्टर NPN तथा PNP के उभयनिष्ठ उत्सर्जक विन्यास को दिखाया गया है। इस विन्यास में उत्सर्जक का टर्मिनल निवेश (input) तथा निर्गम (output) दोनों में उभयनिष्ठ होता है। इसे भूसम्पर्कित उत्सर्जक विन्यास (grounded emitter configuration) भी कहते हैं।

अभिलाक्षणिक-

निवेश अभिलाक्षणिक ( Input characteristics)- उभयनिष्ठ उत्सर्जक विन्यास में आधार धारा Ib निवेशी धारा, वोल्टता VBE निवेशी वोल्टता, संग्राहक धारा Icनिर्गत धारा तथा वोल्टता VCE निर्गत वोल्टता होती है। निवेश अभिलाक्षणिक VCE के नियत मान के लिये निवेशी धारा Ib तथा निवेशी वोल्टता VBE के मध्य में आलेख होते हैं। चित्र (4.6-7) में उभयनिष्ठ उत्सर्जक विन्यास के लिये सिलिकन NPN संधि ट्रॉजिस्टर के निवेश अभिलाक्षणिकों को प्रदर्शित किया गया है।

निवेश अभिलाक्षणिकों के अध्ययन से यह पता चलता है कि ये अभिलाक्षणिक अग्रदिशिक बायसित संधि डायोड के अभिलाक्षणिकों के समरूपी होते हैं। वोल्टता VBE के नियत मान के लिये वोल्टता VCE के मान को बढ़ाने पर आधार क्षेत्र की मोटाई कम हो जाती है जिससे पुन: संयोजन से प्राप्त आधार धारा IE का मान कम होता है। जरमेनियम ट्रॉजिस्टर के लिये भी इसी प्रकार के निवेश अभिलाक्षणिक प्राप्त होते हैं परन्तु शून्य आधार धारा VBE के लगभग 0.1 से 0.2 V के मध्य मान से प्राप्त होती है। इस अभिलाक्षणिक से ट्रॉजिस्टर के गतिक निवेश प्रतिरोध ( dynamic input resistance) का मान ज्ञात किया जा सकता है। वोल्टता VCE के किसी नियत मान के लिये निवेश अभिलाक्षणिक वक्र की प्रवणता का व्युत्क्रम (inverse of the slope ) निवेश प्रतिरोध होता है, अर्थात्

निर्गम अभिलाक्षणिक (Output characteristics)

उभयनिष्ठ उत्सर्जक विन्यास में संग्राहक धारा (I) निर्गत धारा तथा संग्राहक – उत्सर्जक वोल्टता VOE निर्गत वोल्टता होती है। आधार धारा IB, निवेशी धारा होती है। आधार धारा IB को स्थिर रखकर, संग्राहक धारा I तथा संग्राहक-उत्सर्जक वोल्टता VCE के बीच खींचे गये वक्र उभयनिष्ठ उत्सर्जक विन्यास के लिये संधि ट्रॉजिस्टर के निर्गत अभिलाक्षणिक होते हैं। चित्र (4.6- 8) में NPN संधि ट्रॉजिस्टर के उभयनिष्ठ उत्सर्जक विन्यास के लिये निर्गत अभिलाक्षणिकों के एक सेट को प्रदर्शित किया गया है। (ध्यान रहे कि NPN संधि ट्रॉजिस्टर के लिये धारा । तथा धनात्मक और वोल्टता Vor भी धनात्मक होती है।)

संधि ट्रॉजिस्टर के उभयनिष्ठ आधार विन्यास की तरह उभयनिष्ठ उत्सर्जक विन्यास के निर्गम अभिलाक्षणिकों को तीन क्षेत्रों (regions) में विभाजित किया जा सकता है-

(a) सक्रिय क्षेत्र ( Active region )

(b) अन्तक क्षेत्र (Cut off region)

(c) संतृप्त क्षेत्र (Saturation region)

(a) सक्रिय क्षेत्र (Active region)- इस क्षेत्र में संग्राहक – आधार संधि पश्चदिशिक बायसित तथा उत्सर्जक- आधार संधि अग्रदिशिक बायसित होती है। इस क्षेत्र के लिए VCE > कुछ दशांश वोल्ट तथा IB > 0 होती है। सक्रिय क्षेत्र में प्राप्त In के वक्र पूर्णतः अक्ष के समान्तर नहीं होते हैं जैसा कि उभयनिष्ठ आधार विन्यास में IE के वक्र होते हैं। इससे ज्ञात होते है कि संग्राहक-उत्सर्जक वोल्टता VCE का प्रभाव संग्राहक धारा I पर पड़ता है। अल्प Ig मान के लिये यदि आधार धारा IB में वृद्धि का अन्तराल समान हो तो निर्गम अभिलाक्षणिक वक्र सक्रिय क्षेत्र में एक दूसरे के समान्तर तथा समान अन्तराल पर होते हैं। इस प्रभाग में ट्रॉजिस्टर बिना विरूपण के प्रवर्धन प्रदान करता है। संधि ट्रॉजिस्टर के उभयनिष्ठ उत्सर्जक विन्यास का सक्रिय क्षेत्र वोल्टता, धारा या शक्ति प्रवर्धन के लिये उपयोग में लाया जा सकता है। क्योंकि इस क्षेत्र में ट्रॉजिस्टर को काम में लाने पर वह संकेतों का यथेष्ट आवर्धन करता है। निर्गम अभिलाक्षणिकों की प्रवणता के अध्ययन से स्पष्ट है कि उभयनिष्ठ उत्सर्जक विन्यास में निर्गम प्रतिरोध उभयनिष्ठ आधार विन्यास के अपेक्षाकृत कम होता है।

(b) अन्तक क्षेत्र ( Cut off region)- उभयनिष्ठ उत्सर्जक विन्यास के लिये अन्तक क्षेत्र (cut off region) अच्छी तरह से ज्ञात नहीं होता है क्योंकि निर्गम अभिलाक्षणिक वक्रों से ज्ञात होता है कि जब IB = 0 होता है तो भी Ic का मान शून्य नहीं होता है इसलिये अन्तक (cut off) स्थिति प्राप्त करने के लिये उत्सर्जक आधार संधि को थोड़ा सा (slightly) पश्चदिशिक बायसित करना आवश्यक होता है। जरमेनियम ट्रॉजिस्टर के लिये पश्चदिशिक बायस लगभग 0.1 V व सिलिकन ट्रॉजिस्टर के लिये शून्य के निकट होता है।

(c) संतृप्त क्षेत्र (Saturation region)- जब वोल्टता VCE का मान बहुत कम ( लगभग 0.2 V या 0.4 V ) होता है तो संग्राहक धारा I का मान वोल्टता VCE को कम करने पर तेजी से कम होता है। यह तब तक होता है जब तक कि VCE का मान वोल्टता VBE से कम नहीं हो जाता है। ऐसी स्थिति में संग्राहक – आधार संधि भी अग्रदिशिक बायसित हो जाती है अर्थात् ट्रॉजिस्टर इस अवस्था में संतृप्त क्षेत्र में कार्य करता है। संतृप्त क्षेत्र में संग्राहक धारा Lc का मान निवेशी धारा Ig पर निर्भर नहीं होता है। संतृप्त क्षेत्र, शून्य वोल्टता अक्ष के अति निकट का क्षेत्र होता है जैसा कि चित्र 4.6-8 में प्रदर्शित किया गया है।

(ii) धारा प्रवर्धन गुणांक (Current amplification factor)-

उभयनिष्ठ उत्सर्जक विन्यास में संधि ट्रॉजिस्टर के लिये उसके स्थिर संग्राहक – उत्सर्जक वोल्टता VCE के लिये संग्राहक धारा I तथा आधार धारा I के अनुपात को स्थैतिक धारा प्रवर्धन गुणांक या dc धारा लाभ कहते हैं। इसे Bdo से प्रदर्शित करते हैं।

(iii) B तथा aमें संबंध (Relation between B and a) स्थैतिक अवस्था के लिये या

चूंकि adc का मान 1 के निकट होता उदाहरणस्वरूप गतिक अवस्था के लिये या अत: Bdc का मान 1 से बहुत अधिक प्राप्त होता है।

संधि ट्रॉजिस्टर के उभयनिष्ठ उत्सर्जक विन्यास में यह पाया गया है कि जब आधार खुले परिपथ में होता है तथा संग्राहक उत्सर्जक के सापेक्ष विपरीत दिशा में बायसित होता है तो अत्यल्प मात्र की संग्राहक धारा उत्सर्जक से संग्राहक की ओर प्रवाहित होती है जैसा कि चित्र (4.6-9) में दर्शाया गया है। इस धारा को Ig = 00 – संग्राहक – उत्सर्जक क्षरण धारा (collector to emitter leakage current) कहते हैं। इसे ICEO से प्रदर्शित करते हैं। ICEO में अक्षर CE, संग्राहक – उत्सर्जक धारा को तथा अक्षर O यह प्रदर्शित करता है कि शेष इलेक्ट्रोड (आधार B) में धारा शून्य होती है। यह धारा ताप तथा संग्राहक-उत्सर्जक वोल्टता Vip पर निर्भर होती है।

समीकरण (7) में Ib = 0 रखने पर

………………………………(8)

अतः उभयनिष्ठ उत्सर्जक विन्यास में संधि ट्रॉजिस्टर के लिये समी. (7) से

(v) उभयनिष्ठ उत्सर्जक विन्यास में ट्रांजिस्टर के अभिलाक्षणिकों का प्रयोग द्वारा आलेखन – उभयनिष्ठ उत्सर्जक विन्यास में प्रयोग के द्वारा ट्रॉजिस्टर NPN तथा PNP के अभिलाक्षणिक वक्रों को खींचने के लिये निम्न परिपथों (चित्र 4.6-10) तथा चित्र (4.6-11 ) का उपयोग किया जाता है।

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