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धात्विक छड़ो का संयोजन , combination of metallic rods , श्रेणी , समान्तर क्रम
(combination of metallic rods in hindi) धात्विक छड़ो का संयोजन : जैसा की हमने धातु की छड द्वारा ऊष्मा संचरण के चालन में पढ़ा की जब किसी धातु की छड के एक सिरे को गर्म किया जाता है तो ऊष्मा गर्म सिरे से ठंडे सिरे की ओर ऊष्मा चालन विधि द्वारा गति करती है।
अब अध्ययन करते है जब विभिन्न गुण वाली छड़ो को परस्पर आपस में जोड़ा जाता है अर्थात संयोजित किया जाता है , तो संयोजित परिणामी छड में ऊष्मा का चालन किस प्रकार प्रभावित होता है या इसके लिए ऊष्मा चालन के लिए क्या सूत्र होता है।
1. धातु छड का श्रेणी संयोजन (series combination of metallic rods) : माना n छड़े है जो परस्पर श्रेणी क्रम में जुडी हुई है , प्रत्येक छड का अनुप्रस्थ क्षेत्रफल समान A है , तथा छड़ो की लम्बाई क्रमशः l1
, l2 , l3 , l4 …….ln है , तथा इन छड़ो की ऊष्मा चालकता गुणांक का मान क्रमशः K1
, K2 , K3 , K4 …….Kn है , छड़ो के पृष्ठों के ताप Θ1
, Θ2 , Θ3 , Θ4 …….Θn है।
, l2 , l3 , l4 …….ln है , तथा इन छड़ो की ऊष्मा चालकता गुणांक का मान क्रमशः K1
, K2 , K3 , K4 …….Kn है , छड़ो के पृष्ठों के ताप Θ1
, Θ2 , Θ3 , Θ4 …….Θn है।
इस प्रकार की छड़े आपस में श्रेणी क्रम में निम्न प्रकार जुडी हुई है –
१. उष्मीय प्रतिरोध का मान : श्रेणी क्रम में संयोजित छड का तुल्य उष्मीय प्रतिरोध का मान सभी छड़ो के उष्मीय प्रतिरोध के मान के योग के बराबर होता है –
तुल्य उष्मीय प्रतिरोध R = R1
+ R2 + R3 + ………+ Rn
+ R2 + R3 + ………+ Rn
२. ऊष्मा चालकता : सभी छड़ो में ऊष्मा प्रवाह का मान समान होगा अत: ऊष्मा प्रवाह की दर अर्थात सभी छड में ऊष्मा धारा का मान समान होगा।
Q/t =
H1 = H2 = H3 …. = Hn
H1 = H2 = H3 …. = Hn
३. श्रेणी क्रम में संयोजित धात्विक छड के लिए तुल्य ऊष्मा चालकता का मान निम्न होगा –
2. धातु छड़ो का समान्तर क्रम (parallel combination of metallic rods) : अब मान लेते है कि n छड़े परस्पर समान्तर क्रम में चित्रानुसार जुडी हुई है , चूँकि छड़े समांतर क्रम में जुडी हुई है अत: प्रत्येक छड की लम्बाई l तो समान समान होगी लेकिन छड़ो के चालकता गुणांक माना K1 , K2 , K3 , K4 …….Kn है , तथा प्रत्येक छड का अनुप्रस्थ क्षेत्रफल भी अलग अलग है , माना प्रत्येक छड का अनुप्रस्थ क्षेत्रफल A1 , A2 , A3 , A4 …….An है।
अत: तुल्य उष्मीय प्रतिरोध 1/R = 1/R1 + 1/R2 + 1/R3 + ………+ 1/Rn
चूँकि छड़े समांतर क्रम में जुडी है अत: प्रत्येक छड में ऊष्मा प्रवाह अलग अलग होगा , यदि तुल्य प्रवाह की दर का मान H माना जाए तो इसका मान सभी छड़ो के ऊष्मा प्रवाह के योग के बराबर होगा –
तुल्य ऊष्मा प्रवाह की दर H = H1 + H2 + H3 + H4 …+….Hn
तुल्य ऊष्मा चालकता के मान को निम्न सूत्र द्वारा ज्ञात किया जाता है –
अत: तुल्य उष्मीय प्रतिरोध 1/R = 1/R1 + 1/R2 + 1/R3 + ………+ 1/Rn
चूँकि छड़े समांतर क्रम में जुडी है अत: प्रत्येक छड में ऊष्मा प्रवाह अलग अलग होगा , यदि तुल्य प्रवाह की दर का मान H माना जाए तो इसका मान सभी छड़ो के ऊष्मा प्रवाह के योग के बराबर होगा –
तुल्य ऊष्मा प्रवाह की दर H = H1 + H2 + H3 + H4 …+….Hn
तुल्य ऊष्मा चालकता के मान को निम्न सूत्र द्वारा ज्ञात किया जाता है –
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