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Colpitts oscillator in hindi कौल्पिट दोलित्र किसे कहते हैं विश्लेषण कीजिये कोल्पित क्या है परिभाषा दीजिये
कौल्पिट दोलित्र किसे कहते हैं विश्लेषण कीजिये कोल्पित क्या है परिभाषा दीजिये Colpitts oscillator in hindi ?
आधारभूत दोलित्र विश्लेषण (BASIC OSCILLATOR ANALYSIS)
अनुच्छेद (6.3) से यह ज्ञात होता है कि स्वत: उत्तेजन दोलित्र (self excited oscillator) में पुनर्निवेशन प्रेरक या संधारित्र द्वारा किया जा सकता है। इनसे बने परिपथ से पुनर्निवेशन धनात्मक होता है तथा बार्क हाउजन की स्वत: उत्तेजन की कसौटी को सन्तुष्ट करता है। इस प्रकार के निम्न मुख्य पुनर्निवेशी दोलित्रों का यहाँ हम विश्लेषण
कुण्डली
करेंगे,
(1) कौल्पिट दोलित्र (Colpitts Oscillator)
(2) क्लैप दोलित्र (Clapp Oscillator)
Opun (2) हार्टले दोलित्र (Hartley Oscillator)
(4) R-C कला विस्थापक दोलित्र (R-C Phase Shift Oscillator)
(5) वीन सेतु दोलित्र (Wien Bridge Oscillator)
(1) कॉल्पिट दोलित्र (Colpitts oscillator)
चित्र (6.4-1) में कॉल्पिट दोलित्र का मूलभूत परिपथ दर्शाया गया है। इसमें उभय उत्सर्जक प्रवर्धक परिपथ का उपयोग होता है। यह प्रवर्धक निर्गत वोल्टता में निवेशी वोल्टता के सापेक्ष 180° का कलान्तर उत्पन्न कर देता है। प्रतिरोध R1 R2, Rr तथा शक्ति प्रदायक (power supply) – Vcc द्वारा प्रवर्धक में दिष्ट धारा प्रचालन बिन्दु (dc operating point) का निर्धारण करते हैं। R1 R2, RE – CE के समान्तर समायोजन के द्वारा स्थायी स्वाभिनति ( stabilized self bias) प्रदान किया जाता है। CE उपमार्ग संधारित्र (bypass capacitor) का कार्य करता है। प्रचालन आवृत्ति (operating frequency) पर इसकी प्रतिबाधा नगण्य मानी जा सकती है। CB एक अवरोध संधारित्र (blocking capacitor) है। यह संग्राहक (collector) से दिष्टधारा प्रवाह को रोकता है। LC एक रेडियो आवृत्ति चोक ( radio frequency choke) है जो रेडियो आवृत्तियों पर उच्च प्रतिबाधा उत्पन्न कर दोलनी धारा को वोल्टता स्रोत Vcc से प्रवाहित होने से रोकती है। संधारित्र C1, C2 तथा प्रेरकत्व L से बना परिपथ दोलनी परिपथ होता है। इसके द्वारा विद्युत दोलन उत्पन्न होते हैं। इसी परिपथ के द्वारा पुनर्निवेश भी होता है।
यह दोलित्र उभय उत्सर्जक विधा में कार्य करता है जो निवेशी वोल्टता के सापेक्ष निर्गम वोल्टता में 180° कलान्तर उत्पन्न कर देता है। निर्गत वोल्टता के कुछ अंश का आधार पर C संधारित्र द्वारा पुनर्निवेश कर दिया जाता है और यह भी वोल्टता में 180° कलान्तर उत्पन्न कर देता है। इस प्रकार पुनर्निवेशित वोल्टता की कला निवेशी वोल्टता की कला के समान हो जाती है। अतः यह परिपथ स्वत: उत्तेजन की कला से सम्बद्ध प्रतिबन्ध पूरा करता है।
विश्लेषण – अभिनति प्रतिरोधों (bias resistors) R1 R2 तथा RE का मान बहुत अधिक होता है जिनका परिपथ के प्रत्यावर्ती धारा प्रचालन (ac operation) में कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। दोलित्र का तुल्य परिपथ चित्र (6.4-2) में दर्शाया गया है।
सामान्यतः ट्रॉजिस्टर के लिए अन्योय उत्क्रम वोल्टता अनुपात hre तथा निर्गम चालकता hoe का मान अत्यल्प होता है इसलिए इसे परिपथ के विश्लेषण के उपेक्षणीय माना जा सकता है। संशोधित तुल्य परिपथ चित्र (6.4-3) में दर्शाया गया है।
बार्कहाउजन कसौटी से प्रर्वधक- पुनर्निवेशी पाश में कुल कला विस्थापन शून्य होना चाहिये अतः AB का मान वास्तविक होगा जिसके लिये j युक्त पद शून्य होगा, अतः
अतः दोलित्र द्वारा उत्पन्न दोलनों की आवृत्ति L, C1 व C2 से बने दोलनी परिपथ की अनुनादी आवृत्ति होगी । समी. (8) में समी. (9) को प्रयुक्त
दोलनों के स्वत: उत्तेजन के लिये AB > 1 तथा दोलनों को पोषित रखने के लिये
AB = 1 अतः
सामान्यतः C2 व C1 लगभग बराबर लिये जाते हैं अतः उपरोक्त प्रतिबन्ध सदैव संतुष्ट रहता है।
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