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कोलाइड और कोलाइडी विलयन की परिभाषा क्या है , अंतर , उदाहरण , प्रकार वर्गीकरण , कोलाइड एवं कोलाइडी
(colloid and colloidal solution in hindi) कोलाइड और कोलाइडी विलयन की परिभाषा क्या है , अंतर , उदाहरण , प्रकार वर्गीकरण , कोलाइड एवं कोलाइडी : याद रखिये कि कोलाइड कोई पदार्थ नहीं है बल्कि यह पदार्थ की एक अवस्था है जो कणों के आकार पर निर्भर करता है।
रसायन विज्ञान में कोलाइड एक दो पदार्थों का मिश्रण होता है जिसमें एक पदार्थ के कण बहुत ही सूक्ष्म कणों के रूप में विभाजित रहते है , इन कणों का आकार लगभग 1 नैनो मीटर से लेकर 1000 नैनोमीटर तक हो सकता है , ये सूक्ष्म कण वाला पदार्थ दुसरे पदार्थ के साथ मिश्रित रहता है।
यहाँ विलायक को परिक्षेपण माध्यम कहते है और विलेय को परिक्षिप्त प्रावस्था कहते है।
कोलाइड कणों का आकार इतना सूक्ष्म होता है कि इन कणों को नग्न आँखों से नहीं देखा जा सकता है , इन कणों को देखने के लिए अतिसूक्ष्मदर्शी का उपयोग किया जाता है।
अत: कोलाइड कोई पदार्थ या कण नहीं जबकि यह कणों की एक अवस्था होती है अर्थात कणों का आकार लगभग 1 नैनो मीटर से लेकर 1000 नैनोमीटर के मध्य हो तो इन्हें कोलाइड कहते है। अर्थात कोलाइड बहुत ही छोटे कण होते है जिनका आकार बहुत ही सूक्ष्म होता है ये कण किसी भी पदार्थ के हो सकते है अर्थात यदि किसी पदार्थ के कणों का आकार 1 नैनो मीटर से लेकर 1000 नैनोमीटर के बीच होता है तो इन कणों को कोलाइड कहते है।
कोलाइड विलयन : यह एक विषमांगी मिश्रण होता है जिसमे विलेय बहुत ही सूक्ष्म अवस्था मे उपस्थित रहता है अर्थात इसमें विलेय के कणों का आकार कोलाइड होता है या इसमें विलेय कोलाइड अवस्था में होते है।
विलेय के ये कोलाइडी कण किसी विलायक में परिक्षिप्त रहते है।
यहाँ विलायक को परिक्षेपण माध्यम और विलेय को परिक्षिप्त प्रावस्था कहते है।
कोलाइड विलयन के प्रकार
कोलाइडी विलयन को निम्न के आधार पर बांटा गया है –
1. परिक्षिप्त प्रावस्था और परिक्षेपण के आधार पर
2. परिक्षिप्त प्रावस्था एवं परिक्षेपण के मध्य अन्योन्य क्रिया के आधार पर
3. परिक्षिप्त प्रावस्था के कणों के आकार के आधार पर
अब हम यहाँ इनके वर्गीकरण के बारे में विस्तार से अध्ययन करते है।
1. परिक्षिप्त प्रावस्था और परिक्षेपण के आधार पर
किसी विलयन में परिक्षिप्त पदार्थ अर्थात विलेय पदार्थ तथा परिक्षेपण माध्यम या विलायक किस अवस्था में उपस्थित है अर्थात द्रव , ठोस ,गैस। इस आधार पर जब कोलाइडी विलयन को जब वर्गीकृत करते है तो इसे परिक्षिप्त प्रावस्था और परिक्षेपण के आधार पर वर्गीकरण कहा जाता है जो निम्न प्रकार का होता है –
- एरोसोल या वायुसॉल : जब परिक्षिप्त प्रावस्था ठोस हो और परिक्षेपण माध्यम गैस हो।
- सॉल : जब परिक्षिप्त प्रावस्था ठोस और परिक्षेपण माध्यम द्रव हो।
- पायस या इमल्सन : जब परिक्षिप्त प्रावस्था द्रव और परिक्षेपण माध्यम भी द्रव हो।
- जेल : जब परिक्षिप्त प्रावस्था द्रव और परिक्षेपण माध्यम ठोस अवस्था में।
- झाग या फोम : जब परिक्षिप्त प्रावस्था गैस अवस्था में हो और परिक्षेपण द्रव अवस्था में
- ठोस सॉल : जब परिक्षिप्त प्रावस्था ठोस या गैस में हो और परिक्षेपण माध्यम ठोस अवस्था में उपस्थित हो तो ऐसी विलयन को ठोस सॉल कहते है।
2. परिक्षिप्त प्रावस्था एवं परिक्षेपण के मध्य अन्योन्य क्रिया के आधार पर
इस आधार पर कोलाइडी विलयन को दो भागों में बाँटा गया है जो निम्न प्रकार है –
- द्रवस्नेही कोलाइड अथवा द्रवरागी कोलाइड
- द्रव विरोधी कोलाइड या द्रव विरागी कोलाइडी विलयन
अब हम इन दोनों प्रकार के कोलाइडी विलयन के प्रकारों को विस्तार से अध्ययन करते है।
द्रवस्नेही कोलाइड अथवा द्रवरागी कोलाइड : वह कोलाइड विलयन जिसमें उपस्थित परिक्षिप्त प्रावस्था और परिक्षेपण माध्यम के मध्य तीव्र आकर्षण बल पाया जाता हो तो ऐसे कोलाइड विलयन को द्रव स्नेही या द्रव रागी कोलाइड कहते है।
उदाहरण : स्टार्च , जिलेटिन आदि।
द्रव विरोधी कोलाइड या द्रव विरागी कोलाइडी विलयन : ऐसा कोलाइड विलयन जिसके परिक्षिप्त प्रावस्था और परिक्षेपण माध्यम के मध्य आकर्षण का बल अनुपस्थित हो या बहुत निम्न हो या प्रतिकर्षण बल पाया जाता हो तो ऐसे कोलाइड विलयन को द्रवविरोधी अथवा द्रव विरागी कोलाइड विलयन कहते है।
उदाहरण : अघुलनशील लवणों के कोलाइड विलयन आदि।
3. परिक्षिप्त प्रावस्था के कणों के आकार के आधार पर
कोलाइड विलयन के इस प्रकार में कोलाइड विलयनों को उनके कोलाइड कणों के आकार के आधार पर बाँटा गया है यह निम्न तीन प्रकार का हो सकता है –
- बहु आण्विक कोलाइडी विलयन
- वृहद् आणविक कोलाइड विलयन
- संगुणित कोलाइड
बहु आण्विक कोलाइडी विलयन : जब कोलाइड पदार्थ के कणों का आकार 1 नैनो मीटर से कम होता है लेकिन वे एक झुण्ड या ग्रुप में एक दुसरे से जुड़कर कोलाइड कण का निर्माण करते है , ऐसे कणों से मिलकर जो विलयन बनता है उसे बहु आण्विक कोलाइडी विलयन कहा जा सकता है।
वृहद् आणविक कोलाइड विलयन : वे विलयन जिसमें कोलाइड कणों का आकार अपेक्षाकृत कुछ बड़ा होता है लेकिन इन कणों के आकार की रेंज 1 नैनो मीटर से 1000 नैनो मीटर के मध्य होती है , ऐसे कणों से मिलकर बने विलयन को वृहद् आणविक कोलाइड विलयन कहते है।
संगुणित कोलाइड : ये वो कोलाइड होते है जो कम सांद्रता पर विद्युत अपघट्य की तरह व्यवहार करते है लेकिन उच्च सांद्रता पर संगुणित हो जाते है और कोलाइड विलयन की तरह व्यवहार करने लग जाते है।
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