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Categories: indianrajasthanworld

भारत में कोयले के वितरण का वर्णन कीजिए कोयला कहां पाया जाता है उत्पादक राज्य coal producing states in india in hindi

coal producing states in india in hindi भारत में कोयले के वितरण का वर्णन कीजिए कोयला कहां पाया जाता है उत्पादक राज्य which is largest coal production state in india ?

कोयले का निर्माण ( Formation of Coal)
विद्वानों का विचार है कि कोयला प्राचीन वनस्पति का परिवर्तित रूप है। कोयले के निर्माण का कार्य आज से 25 करोड़ वर्ष पूर्व कार्बोनीफेरस युग (Carboniferous Period) में हुआ। उस समय पृथ्वी की जलवायु अत्यन्त उष्ण तथा आई थी और अधिकांश क्षेत्रों में दलदल पाए जाते थे, जिनमें घने वन उगे हुऐ थे। यह वनस्पति उस दलदल में गल-सड़ कर मिल जाती थी। इस प्रकार इन क्षेत्रों में लगातार वनस्पति जमा होती रही और नीचे की वनस्पति ऊपर की दलदल तथा वनस्पति से दबती रही। इस दबाव के कारण वनस्पति में से पानी निकल गया और उसमें कार्बन उत्पन्न हो गया। पृथ्वी की आन्तरिक गर्मी में इस दबी हई वनस्पति में कई रासायनिक परिवर्तन हुए और फिर उसने कोयले का रूप धारण कर लिया। यह वनस्पति जितनी अधिक अवधि तक दबी रही, उतना ही बढ़िया कोयला बना क्योंकि उसमें उतनी ही कार्बन की मात्रा अधिक होती है। कार्बन की मात्रा पर ही कोयले की जलने की शक्ति निर्भर करती है। कार्वांनीफेरस युग के बाद कोयले का निर्माण जुरासिक (Jurassic) यग क्रिटेशियस (Cretaceous) युग तथा टर्शियरी (Tertiary) युग में भी हुआ।
कोयले की संचित राशि (Reserves of Coal)
कोयले की संचित राशि की दृष्टि से भारत विश्व का सातवाँ बड़ा देश है। भारतीय भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण विभाग के अनुसार 1 जनवरी, 2008 तक भारत में कोयले की संचित राशि 264545.06 मिलियन टन थी। इसका वितरण तालिका 2.19 में दिखाया गया है।
भू-वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भारत के कोयला क्षेत्रों को दो वर्गों में बाँटा जाता हैः
1. गोंडवाना कोयला क्षेत्रः भारत में कोयले की कुल संचित राशि का 98% तथा कुल उत्पादन का 99% गोंडवाना कोयला क्षेत्रों से प्राप्त होता है। भारत के कुल 113 कोयला क्षेत्रों में से 80 गोंडवाना क्षेत्र में हैं। ये 77,700 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पर फैले हुए हैं। इस समय भारत में 553 कोयला खाने तथा चार लिगनाइट खाने कार्यरत हैं। ये क्षेत्र झारखंड, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ. तथा महाराष्ट्र राज्यों में वितरित हैं। इन राज्यों में यह कोयला मुख्यतः नदी-घटियों में पाया जाता है। इस दृष्टि से झारखण्ड व पश्चिम बंगाल में दामोदर घाटी, मध्य प्रदेश व झारखण्ड में सोन घाटी, छत्तीसगढ़ व उड़ीसा में महानदी घाटी तथा महाराष्ट्र व आंध्र प्रदेश में गोदावरी व वार्धा घाटी प्रसिद्ध हैं।
2. टरशियरी कोयला क्षेत्रः इस श्रेणी का कोयला मुख्यतः असम, मेघालय, नागालैण्ड, अरुणाचल प्रदेश तथा जम्मू-कश्मीर में मिलता है। संचित राशि, उत्पादन तथा गणवत्ता की दृष्टि से इसका कोई विशेष महत्व नहीं है। इस श्रेणी की संचित राशि भारत में केवल 2% तथा उत्पादन केवल 1% है। यह मुख्यतः लिग्नाइट कोयला होता है।
उत्पादनः भारत में कोयले का उत्पादन सन् 1774 में शुरू हुआ जब पश्चिम बंगाल के रानीगंज में भारत की पहली खान खोदी गई। कोयला उत्पादन में सन् 1900 तक कोई विशेष वृद्धि नहीं हुई। इसके पश्चात् भारत में कोयले के उत्पादन में तेजी से वृद्धि होने लगी। सन् 1900 में कोयले का उत्पादन केवल 60 लाख टन था जो 1914 में बढ़कर 160 लाख टन हो गया। द्वितीय महायुद्ध के बाद कोयले की माँग बढ़ी और उत्पादन में और भी वृद्धि हो गई। सन् 1945 में 290 लाख टन कोयले का उत्पादन हुआ। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारत में कोयले के उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
1972 में कोयले के राष्ट्रीयकरण से इसके उत्पादन को विशेष प्रोत्साहन मिला। सन् 2008-09 में कोयले तथा लिग्नाइट का उत्पादन क्रमशः 492.76 मिलियन टन तथा 32.42 मिलियन टन था।
वितरणः भारत में कोयले का वितरण बहुत ही असमान है।
अधिकांश कोयला क्षेत्र प्रायद्वीपीय पठार के उत्तर-पूर्वी भाग में केन्द्रित है। उत्तरी विशाल मैदान कोयला भंडारों से लगभग पूर्णतया वंचित है। झारखंड, छत्तीसगढ़, उड़ीसा तथा मध्य प्रदेश मिलकर देश का दो-तिहाई से भी अधिक कोयला पैदा करते हैं।
झारखंडः कोयले के भंडार तथा उत्पादन की दृष्टि से झारखंड अग्रणीय है। इस राज्य में कोयले के 75460.14 करोड़ टन सुरक्षित भण्डार हैं, जो भारत के कुल कोयला भण्डारों का लगभग 29 प्रतिशत भाग है। यहां 2005-06 में 85167 हजार टन कोयला पैदा किया गया जो भारत के कुल कोयला उत्पादन के 20 प्रतिशत से भी अधिक है। मुख्य कोयला क्षेत्र निम्नलिखित हैंः
झरिया कोयला क्षेत्र (Jharia Coalfield )ः उत्पादन तथा सुरक्षित भण्डारों की दृष्टि से यह भारत का सबसे बड़ा कोयला उत्पादक क्षेत्र है। यद्यपि इसका विस्तार केवल 440 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पर ही है, तो भी इस क्षेत्र में 1,862 करोड़ टन कोयले के सुरक्षित भण्डार हैं। यहाँ उच्च कोटि का बिटुमिनस कोयला मिलता है, जिससे कोकर कोयला बनाया जाता है। भारत का 99ः कोकर कोयला झरिया से ही प्राप्त होता है। यह सारे का सारा क्षेत्र धनबाद जिले में है।
बोकारो कोयला क्षेत्र (Bokaro Coalfield )ः झरिया के बाद यह झारखण्ड का दूसरा बड़ा उत्पादक क्षेत्र है। यहाँ 1,004 करोड़ टन कोयले के सुरक्षित भण्डार हैं और यह देश का लगभग 6ः कोयला पैदा करता है। यह क्षेत्र झारखण्ड के हजारीबाग जिले में स्थित है। यहाँ का कोयला राउरकेला लोहा-इस्पात केन्द्र को भेजा जाता है।
रामगढ़ कोयला क्षेत्र (Ramgarh Coalfield )ः यह दामोदर घाटी के ऊपरी भाग में स्थित है। यह लगभग 100 वर्ग किमी. में फैला हुआ है, और यहाँ 2,000 लाख टन कोयले के भण्डार सुरक्षित हैं। यह त्रिभुजाकार क्षेत्र है और झारखण्ड के हजारीबाग जिले में स्थित है।
कर्णपुरा कोयला क्षेत्र (Karanpura Coalfield )ः यह कोयला क्षेत्र झारखण्ड के हजारीबाग, राँची तथा पलामू जिलों के 1,560 वर्ग किमी. में फैला हुआ है। यहाँ 1,075 करोड़ टन कोयले के सुरक्षित भण्डार हैं। यह भारत का लगभग 6% कोयला उत्पन्न करता है।
गिरडीहः यह कोयला क्षेत्र गिरडीह कस्बे के दक्षिण-पश्चिम में 28.5 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है। यहाँ पर 7.3 करोड़ टन कोयले के भण्डार है। इस क्षेत्र से प्राप्त होने वाला कोयला उत्तम जाति का होता है।
छत्तीसगढ़ः कोयले के भंडारों की दृष्टि से छत्तीसगढ़ की तीसरा स्थान है परन्तु उत्पादन की दृष्टि से यह भारत का दम बडा उत्पादक राज्य है। यहाँ देश के लगभग 16.7 प्रतिशत समित भंडार हैं और यह राज्य भारत का 18 प्रतिशत से अधिक कोयला पैदा करता है। अधिकांश कोयला क्षेत्र इस राज्य के उत्तरी भाग में स्थित है। कोरबा कोयला क्षेत्र 500 वर्ग किमी. क्षेत्र पर फैला हुआ है और यहाँ 36.5 करोड़ टन कोयले के भण्डार हैं। पिछले कुछ वर्षों से इस कोयला क्षेत्र का महत्व बढ़ गया है क्योंकि यहाँ से भिलाई लोहा-इस्पात केन्द्र को कोयला और जाता है। यहाँ से कोरबा ताप-विद्युत केन्द्र को भी बड़ी मात्रा में कोयला भेजा जाता है। सरगुजा जिले के बिसरामपुर, तातापानी झगारखण्ड, झिलमिली, रवरसिया, सोनहट तथा कोरियागढ़ में कोयले की प्रमुख खाने हैं। रामपुरा महत्वपूर्ण खान है।
उड़ीसा: यहाँ पर भारत के लगभग एक-चैथाई कोयले की संचित राशि है यद्यपि यह राज्य भारत का लगभग 17.27% कोयला ही पैदा करता है। उड़ीसा के अधिकांश कोयला भण्डार धनकनाल, सम्बलपुर तथा सुन्दरगढ़ जिलों में हैं। ढेंकनाल जिले का तलचर कोयला क्षेत्र बहुत महत्वपूर्ण है। कोयले की संचित राशि की दृष्टि से यह रानीगंज तथा झरिया के बाद भारत का तीसरा बड़ा कोयला क्षेत्र है। अनुमान है कि यहाँ कोयले की संचित राशि 1861 करोड़ टन है। यह कोयला क्षेत्र 390 वर्ग किमी. पर विस्तृत है। यहाँ का कोयला भाप व गैस बनाने के लिए उपयुक्त है। तलचर के ताप-विद्युत केन्द्र तथा उर्वरक कारखाने को यहीं से कोयला प्राप्त होता है। इस राज्य के दूसरे कोयला क्षेत्र का नाम रामपुर हिमगीर है, जो सम्बलपुर तथा सुन्दरगढ़ जिलों में स्थित है। यह 520 वर्ग किमी. क्षेत्र पर फैला हुआ है और यहाँ 106 करोड़ टन कोयले के भण्डार हैं।
मध्य प्रदेश: मध्य प्रदेश में देश के 7.8 प्रतिशत कोयला भंडार हैं और यह राज्य भारत का लगभग 13.6 प्रतिशत कोयला पैदा करता है। शहडोल तथा सिधी जिलों में सिंगरौली कोयला क्षेत्र स्थित है। इसका विस्तार लगभग 300 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पर है और यहाँ पर 832 करोड़ टन कोयले के भण्डार हैं। मध्य प्रदेश का दूसरा महत्वपूर्ण कोयला क्षेत्र सोहागपुर है, जो शहडोल जिले में स्थित है। छिंदवाडा जिले में पेंच घाटी तथा इसके निकटवर्ती भागों में बड़ी मात्रा में कोयले के भण्डार हैं। यहाँ से लगभग 30 लाख टन कोयला प्रति वर्ष प्राप्त किया जाता है। बेतूल जिले में पत्थरखेड़ा कोयला क्षेत्र में घटिया कोयला मिलता है। यहाँ से पत्थरखेड़ा ताप-विद्युत केन्द्र को कोयला भेजा जाता है।
आंध्र प्रदेश: आंध्र प्रदेश में लगभग 18696.6 करोड टन कोयले के लिए के भण्डार हैं, जो भारत के कुल कोयला भण्डारों का लगभग 7ः भाग है। यहाँ प्रतिवर्ष 361 लाख टन कोयले का खनन किया जाता है जो भारत के कुल उत्पादन के लगभग 8.8% से अधिक है। इस राज्य का अधिकांश कोयला गोदावरी नदी की घाटी में पाया जाता है। आदिलाबाद, करीमनगर, वारगल, खम्माम तथा पश्चिमी गोदावरी मुख्य उत्पादक जिले हैं। इस समय सिंगरेनी, कान्यपाली, कोठगूडम तथा तन्दूर की खानों से कोयला निकाला जाता है। यहाँ का कोयला कोठगूडम, रामगडम, नेल्लोर, एर्शजादा, तथा हसैन सागर ताप-विद्युत केन्द्रों को भेजा जाता है। रामगूडम के उर्वरक कारखानों को भी यहीं से कोयला प्राप्त होता है।
महाराष्ट्रः महाराष्ट्र में भारत के 3.7% कोयला भण्डार हैं और यहाँ पर भारत का लगभग 8.8% कोयला पैदा किया जाता है। महाराष्ट्र का अधिकांश कोयला वार्धा घाटी में पाया जाता है। यहाँ पर चन्द्रपुर प्रमुख उत्पादक जिला है। इस जिले के प्रमुख कोयला क्षेत्रों के नाम चन्द्रपुर, घुघुस, बल्लारपुर तथा वरोरा हैं। यवतमाल जिले के वुन क्षेत्र तथा नागपुर जिले के काम्पटी क्षेत्र में भाप व गैस बनाने वाला कोयला मिलता है। महाराष्ट्र का लगभग समस्त कोयला रेलवे द्वारा ढोया जाता है और ट्राम्बे, चोला (कल्याण) खापरखेड़ा, पारस, भुसावल, बल्लारशाह, नासिक तथा कोरादी स्थानों पर स्थित ताप-विद्युत केन्द्रों द्वारा प्रयोग किया जाता है।
पश्चिम बंगालः यहाँ भारत के लगभग 11ः कोयला भण्डार पाए जाते हैं और यह राज्य देश के लगभग 6% कोयले का उत्पादन करता है। इस राज्य का सबसे महत्वपूर्ण कोयला क्षेत्र रानीगंज है। यह पश्चिम बंगाल का सबसे बड़ा तथा भारत का दूसरा बड़ा (झारखण्ड के झरिया कोयला क्षेत्र के बाद) कोयला क्षेत्र है। यह बर्दवान, पुरुलिया तथा बांकुरा जिलों में विस्तृत है।
रानीगंज भारत के कोयला उत्पादन का जन्म-स्थान है। यहाँ से सौ वर्षों से भी अधिक समय से कोयला निकाला जा रहा है और फिर भी यह भारत का महत्वपूर्ण कोयला उत्पादक क्षेत्र है। यह कोयला क्षेत्र 1500 वर्ग किमी. क्षेत्रफल में फैला हुआ है और यहां कोयले के 13,290 लाख टन सुरक्षित भण्डार हैं। यहाँ से उत्तम किस्म का कोयला मिलता है। यह कोयला क्षेत्र गोंडवाना बेसिन के पूर्वी भाग में स्थित है। अधिकांश खाने दामोदर नदी के उत्तर में हैं। इसका अधिकांश भाग पश्चिम बंगाल में है, जबकि इसका थोड़ा-सा भाग झारखण्ड के धनबाद जिले में है। यहाँ का कोयला बिटुमिनस और अर्ध-बिटुमिनस होता है। रानीगंज से उत्तम जाति का भाप और गैस बनाने वाला कोयला भी प्राप्त होता है। कहीं-कहीं कोकिंग कोयला भी मिलता है। पश्चिम बंगाल के उत्तरी भाग में स्थित दार्जिलिंग तथा जलपाईगुड़ी में घटिया किस्म का लिग्नाइट कोयला मिलता है।
उत्तर प्रदेश: उत्तर प्रदेश का अधिकांश भाग नदियों की निक्षेप क्रिया से बना है जहाँ कोयले के भंडार नहीं मिलते परन्तु मध्य प्रदेश के कोयला क्षेत्रों के कुछ भाग उत्तर प्रदेश में स्थित हैं। मध्य प्रदेश के सिंगरौली क्षेत्र का कुछ भाग उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले में है। कोटाह के निकट उच्च को का कोयला मिलता है।
असम, मेघालय, तथा अरुणाचल प्रदेश, नागालैण्ड तथा जम्मू कश्मीर में टरशियरी कोयला मिलता है। असम, अरुणाचल प्रदेश, नागालैण्ड तथा मेघालय के गिरिपद तथा पहाडी क्षेत्रों में कोयले के 82 करोड़ टन भण्डार हैं। असम के लखीमपुर तथा शिवसागर जिलों में कोयला पाया जाता है। मुख्य क्षेत्र नामचिक-नामफुक, माकूम, मिकीर, नामबोर, लोंगाई आदि हैं। अरुणाचल प्रदेश में नजीरा, जाँजी तथा दिसाई क्षेत्रों में कोयला मिलता है। मेघालय की गारो, खासी तथा जयन्तिया पहाड़ियों में कोयले के भण्डार मिलते हैं।
लिग्नाइटः 1 अप्रैल, 2007 को देश में लगभग 38,756 करोड़ टन लिग्नाइट के भंडार होने का अनुमान है। तालिका 2.20 से स्पष्ट होता है कि भारत ने लिग्नाइट के उत्पादन में बड़ी तीव्र गति से उन्नति की है। सन् 1970-71 तथा 2008-09 के बीच लिग्नाइट के उत्पादन में लगभग दस गुना वृद्धि हुई यद्यपि लिग्नाइट के भण्डार तमिलनाडु, गुजरात, जम्मू-कश्मीर, केरल, राजस्थान, पश्चिम बंगाल तथा पुदुचेरी में मिलते हैं तथापि तमिलनाडु लिग्नाइट के भंडार तथा उत्पादन की दृष्टि से अग्रणीय है।
तमिलनाडु: देश के कुल 3,875.6 करोड़ टन लिग्नाइट भंडारों में से तमिलनाडु के कुड्डालोर जिले में स्थित नेवेली क्षेत्र मे ं415.0 करोड़ टन लिग्नाइट के भंडार उपलब्ध हैं। इनमें से 236 करोड़ टन की उपस्थिति सिद्ध हो गई है। भूगर्भ-शास्त्रीय अनुमानों के अनुसार तमिलनाडु के त्रिची जिले में जयम्कोंडाचोलापुरम में लगभग 116.8 करोड़ टन लिग्नाइट का भंडार ढूंढा गया है। मन्नारगुडी तथा वीरानाम के पूर्वी क्षेत्र में क्रमशः 230.09 करोड़ टन तथा 134.2 करोड़ टन लिग्नाइट के भंडार होने का अनुमान है। कुड्डालोर जिले का नेवेली क्षेत्र सबसे अधिक महत्वपूर्ण उत्पादक है। यह गडालुरू से 38 किमी. तथा चेन्नई से 216 किमी. दूर है। नेवेली कोयला क्षेत्र लिग्नाइट कोयला के उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ लिग्नाइट का खनन सन् 1956 में नेवेली लिग्नाइट निगम द्वारा शुरू किया गया है। नेवेली के आस-पास 256 वर्ग किमी. क्षेत्र में लिग्नाइट कोयले की खानें मिलती हैं। नेवेली कोयला क्षेत्र के कारण दक्षिणी भारत में उद्योगों को बहुत प्रोत्साहन मिला है वर्ष 2005-06 में तमिलनाडु ने 204.37 लाख टन लिग्नाइट पैदा किया।

राजस्थान में 34.8 करोड़ टन लिग्नाइट के भण्डार हैं। यहाँ बीकानेर जिले में पालना नामक स्थान पर लिग्नाइट जाति का घटिया कोयला मिलता है। इस जिले में मढ़, चनेरी, गंगा सरोवर तथा खारी क्षेत्रों में भी लिग्नाइट कोयला मिला है। इसके अतिरिक्त जोधपुर तथा जयपुर जिलों में भी लिग्नाइट के भण्डार पाए जाते हैं।
गुजरात: गुजरात में 18.16 करोड़ टन लिग्नाइट के भंडार हैं। अधिकांश लिग्नाइट कच्छ तथा भरूच जिलों में मिलता है। 2005-06 में गुजरात ने 8932 हजार टन लिग्नाइट पैदा किया था।
जम्मू-कश्मीर की टरशियरी चट्टानों में लगभग 128 करोड़ टन लिग्नाइट के भण्डार हैं। यहाँ कोयले की खाने पुंछ, थीरपुर, रियासी तथा ऊधमपुर जिलों में मिलती हैं। यहाँ पर घटिया किस्म का कोयला मिलता है, जिसमें कार्बन की मात्रा कम तथा वाष्प की मात्रा अधिक होती है। कालाकोट से लिग्नाइट प्राप्त होता है।
केरल: इस राज्य में 108 करोड़ टन लिग्नाइट के भंडार हैं। मुख्य उत्पादक जिले अलारपुजा, तिरुवनंतपुरम्, कोल्लम तथा कोझीकोड हैं।

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