JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now

हिंदी माध्यम नोट्स

Categories: Uncategorized

नागरिक घोषणा पत्र क्या है | नागरिक घोषणा पत्र की विशेषताएं , महत्व अधिकार पत्र के मूल तत्व citizen charter in india in hindi

citizen charter in india in hindi नागरिक घोषणा पत्र क्या है | नागरिक घोषणा पत्र की विशेषताएं , महत्व अधिकार पत्र के मूल तत्व ?

नागरिक घोषणा-पत्र
(Citizen’s Charter)
’’’ (इस खंड का संबंध सिविल सेवा (मुख्य परीक्षा) के पाठ्यक्रम के प्रश्नपत्र-2 के टॉपिक-6 से है। दृष्टि द्वारा वर्गीकृत पाठ्यक्रम के 15 खंडों में से इसका संबंध भाग-5 से है।

नागरिक घोषणा-पत्र नागरिकों के अधिकार संबंधी एक ऐसा दस्तावेज है जिसका उद्देश्य मूलरूप से किसी भी संगठन को पारदर्शी, जवाबदेह एवं नागरिक उन्मुख बनाना है। इस घोषणा-पत्र द्वारा संचालित कार्यक्रमों के माध्यम से अच्छी सेवा उपलब्ध कराने का प्रयास किया जाता है एवं आमजनों से सुधार संबंधी सुझाव आमंत्रित किए जाते हैं। वास्तव में एक स्वस्थ लोकतंत्र की सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि सेवा प्रदाता एवं सेवा प्राप्त करने वाले अधिक से अधिक संतुष्ट हों।
सामान्यतः नागरिक घोषणा-पत्र जनसेवाओं से संबंधित विभागों के लिए जारी किए जाते हैं एवं इनका उद्देश्य जनसेवाओं को त्वरित एवं जनोन्मुखी बनाना है। अतः सामान्य अर्थों में नागरिक घोषणा-पत्र का आशय किसी संगठन द्वारा जनहित में जारी किए गए वैसे संक्षिप्त दस्तावेज से है जिसमें प्रशासनिक पारदर्शिता, कार्यकुशलता, संवेदनशीलता एवं जवाबदेहिता जैसे निर्धारित लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु संगठन की कार्यप्रणाली, कार्य की प्रक्रिया, कार्य निष्पादन की निश्चित अवधि के साथ जनता के अधिकारों सहित उनकी शिकायत निवारण की प्रणाली वर्णित कर दी जाती है।
सत्ता एवं आम जनता के बीच सौहार्दपूर्ण स्थिति को बढ़ावा देने लोक कल्याण उन्मुखी पहल आदि जैसे आवश्यक तत्त्वों को ध्यान में रखते हुए विश्वभर में प्रशासनिक तंत्र को जनता के प्रति संवेदनशील बनाने हेतु विगत दो दशकों में तीव्रता से प्रयास हुए हैं। 1991 में सर्वप्रथम ब्रिटेन के तत्कालीन प्रधानमंत्री जॉन मेजर ने नागरिक अधिकार पत्रों की शुरुआत की। इन अधिकार संगठन (प्रशासनिक कार्यालय) के उन सभी नियमों, कानूनों, प्रक्रियाओं एवं अधिकारों का वर्णन होता है जो जनता के हितों का संवर्द्धन करते हैं। इतना ही नहीं, इन अधिकार पत्रों के द्वारा जनता को प्रशासन के प्रति जागरूक करने एवं प्रशासन में पारदर्शिता भी सुनिश्चित करने की महत्त्व दिया जाता है। नागरिक घोषणा पत्र की स्थापना के पश्चात् ब्रिटेन में प्रगति के नए आयाम उभरकर सामने आए, वह यह कि यहाँ प्रधानमंत्री द्वारा प्रतिवर्ष संसद के समक्ष विभिन्न मंत्रालयों द्वारा स्थापित घोषणा-पत्र की रिपोर्ट को प्रस्तुत किया जाता है। यह नागरिक घोषणा-पत्र राज्य के नागरिकों के लिए सेवा संगठनों का ऐच्छिक वायदा है। कार्यालय के प्रत्येक मेज पर शिकायतों के लिए शिकायत पुस्तिका की व्यवस्था होती है एवं इन शिकायतों की सनवाई विभाग के बाहर के अधिकारी द्वारा की जाती की जाती हैं। अतः हम कह सकतें है कि ब्रिटेन में नागरिक घोषणा पत्र काफी लोकप्रिय है।
भारत के संबंध में अगर हमें नागरिक घोषणा-पत्र की पृष्ठिभूमि पर विचार करे तो यहँ पाएंगे कि भारत को नौकरशाही व्यवस्था में जनता को लोक सेवा की ईमानदारी निष्ठा एव जवाबदेही के प्रति विश्वास नही रहा है। अतः इस स्थिति में जनता का प्रशासन की निष्पक्षता में विश्वास बढ़ाने के लिए 1996 में मुख्य सचिवों के सम्मेलन आयोजन किया गया था। यह आयोजन मूलरूप से लोक सेवा को अधिक कार्यकुशल, जवाबदेह, पारदर्शी एवं लोक उन्मूख बनाने के उद्देश्य से किया गया था। अतः नागरिक घोषणा-पत्र आंदोलन की शुरुआत प्रशासन के प्रति उत्तरदायित्व की भावना से हुई। यद्यपि भारत में सरकार एवं ऐच्छिक संस्थाओं द्वारा नागरिक घोषणा-पत्र स्थापित कर जनता को विभिन्न प्रकार की सेवाएं प्रदान की जा रही हैं, जिसमें कतिपय सुधार अपेक्षित हैं जैसे- यह घोषणा-पत्र एक सहभागितापूर्ण प्रक्रिया है। अतः यहाँ सहभागिता में वृद्धि करने हेतु प्रयास आवश्यक हैं।

नागरिक घोषणा-पत्र की विशेषताएँ (Features of citizen Charter)
नागरिक घोषणा-पत्र सुशासन की अवधारणा को मूर्त रूप प्रदान करने का एक सबल माध्यम है। यह 20वीं शताब्दी के अंतिम दशक में प्रचलित हई नवीन अवधारणा है जो किसी संगठन के कार्यों में पारदर्शिता, संवेदनशीलता कार्यकुशलता एवं जन संतुष्टि की दिशा में अग्रसर होती है। अतः इसके माध्यम से प्रशासनिक संगठन की सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार अपेक्षित हैं। .
नागरिक घोषणा-पत्र में निम्नलिखित बिन्दु शामिल होते हैं-
नागरिक घोषणा-पत्र के प्रारंभिक भाग में कतिपय संगठन नागरिक घोषणा-पत्र जारी किए जाने की पृष्ठभूमि तथा इसकी उपयोगिता का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत करते हैं। इसके अंतर्गत संगठन की कार्यप्रणाली में पारदर्शिता तथा जवाबदेहिता लाना, भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाना, कार्य निष्पादन में सुधार करना, प्राप्त होने वाले सुझावों का विश्लेषण कर उसमें आवश्यक सुधार द्वारा उसका संगठन के हित में उपयोग करना एवं लोकतांत्रिक प्रशासनिक मूल्यों की स्थापना करना आदि वर्णित होते हैं।
नागरिक घोषणा-पत्र के तीसरे भाग में उस संगठन के कार्यक्षेत्र, लक्षित वर्ग आदि का वर्णन होता है जिससे यह ज्ञात होता है कि नागरिक घोषणा-पत्र किन सेवाओं एवं किन वर्गों के लिए है।
नागरिक घोषणा-पत्र के चैधे भाग में यह वर्णन रहता है कि संगठन की सेवाएँ प्राप्त करने वाले आमजनों के क्या-क्या अधिकार हैं और सुविधाएँ एवं अधिकार की प्रकृति क्या है।
नागरिक घोषणा-पत्र के पाँचवें भाग में यह वर्णित होता है कि प्रशासन की कौन-सी शाखा किस कार्य को निष्पादित करती हैं एवं उस शाखा से संबंधित सभी कार्यों को पूरा करने हेतु समयावधि निश्चित कर दी जाती है। भारत में अधिकांश विभागों में नागरिक घोषणा-पत्र में प्रायः यह समायावधि वर्णित होती है। भारतीय लोकतंत्र एवं आमजनों के हितों में इस भाग का विशिष्ट महत्त्व है। इससे जनता को समय पर किसी भी काम पर लाभ मिल जाता है।
नागरिक घोषणा-पत्र के अंतिम भाग में यह वर्णित होता है कि यदि शासन/प्रशासन के किसी स्तर पर कोई कमी नियत अवधि में संपन्न न हो पाए तो उस स्थिति में आमजन की शिकायत का स्थान क्या हो। अर्थात् आम जनता अपने कार्यों के लिए नियत अधिकारी के विरुद्ध शिकायत दर्ज करेंगे। अतः इस स्थिति में नागरिक घोषणा-पत्र प्रशासनिक कार्यों में पारदर्शिता, जवाबदेहिता एवं जनता की अधिकतम संतुष्टि के माध्यम के रूप में सामने आता है।
भारत में ‘सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005‘ लागू होने के बाद कुछ प्रशासनिक संगठनों ने अपने नागरिक घोषणा-पत्र में इस अधिकार का विवरण देना भी शुरू किया है। भारत सरकार के अनेक मंत्रालयों एवं विभागों में नागरिक घोषणा-पत्र निर्मित किए गए और आम जनता के लिए जारी किए गए हैं।

नागरिक घोषणा-पत्र विधेयक (citizen Charter Bill)
नागरिक घोषणा-पत्र विधेयक, 2011 को मार्च, 2013 में केंद्रीय मंत्रीमंडल द्वारा स्वीकृति मिल गई। इस विधेयक में आमजनों को एक तय समय सीमा के भीतर सेवा पाने का अधिकार होगा। ऐसा नहीं होने की स्थिति में जिम्मेदार सरकारी कर्मचारियों पर जुर्माना लगाने से लेकर कड़ी कार्रवाई किए जाने का प्रावधान है। तय समय सीमा के भीतर सेवा न प्रदान करने वाले कर्मचारियों को प्रतिदिन के हिसाब से 250 रुपये जुर्माना लगाने का फिलहाल प्रस्ताव है, परंतु जुर्माने की राशि 50000 रुपये से अधिक नहीं हो सकती है। यह जुर्माने की राशि उनय कर्मचारियों के वेतन से काटी जाएगी।
‘सूचना का अधिकार‘ कानून की तर्ज पर यह विधेयक पूरे देश में लागू होगा। इसके तहत् आने वाली सेवाओं को राज्यों को अपने नागरिक घोषणा-पत्र में शामिल करना होगा। इस विधेयक में नागरिक घोषणा पत्र के अंतर्गत सरकार से सहायता प्राप्त गैरसरकारी संगठन भी शामिल होंगे। इस विधेयक में कई नागरिक केंद्रित सेवाओं का समावेश किया गया है जैसे- आयकर रिटर्न, पेंशन, जाति प्रमाणपत्र, जन्म-मृत्यु प्रमाणपत्र, पासपोर्ट आदि। यद्यपि दिल्ली, बिहार एवं मध्य प्रदेश समेत देश के 10 राज्यों में नागरिक घोषणा-पत्र कानून पहले से ही लागू है, लेकिन इस केंद्रीय नागरिक घोषणा पत्र से संपूर्ण देश में इसकी स्थापना का मार्ग प्रशस्त होगा।
इस नागरिक घोषणा पत्र विषयक के मुताबिक सरकारी विभागों को एक नागरिक घोषणा पत्र तैयार कर उसें प्रकाशित करना होगा। घोषणा-पत्र में संबंधित विभाग की तरफ से दी जाने वाली सभी सेवाओं का उल्लेख होगा। इन सेवाओं के लिए निश्चित समय सीमा होगी। प्रत्येक काम के लिए एक जिम्मेदार अधिकारी का नाम एवं पद भी प्रकाशित किए जाएंगे। इस घोषणा पत्र विधेयक में इस बात का भी प्रावधान किया गया है, कि एक केंद्रीय शिकायत निवारण आयोग होगा। इस आयोग का मुख्य कार्य समय सीमा में कार्य नहीं होने की स्थिति में लोगों की शिकायतें सुनने का होगा। इस आयोग में शिकायतों के निपटारे हेतु विशेष अधिकारी नियुक्त होंगे। यह अधिकारी शिकायत दर्ज करने में जनता की मदद करेंगे। इसके अंतर्गत की गई कार्यवाही को भारतीय दंड संहिता के तहत न्यायिक कार्यवाही माना जाएगा।
अंततः इस आधार पर हम कह सकते हैं कि यह नागरिक घोषणा-पत्र विधेयक देश के प्रत्येक व्यक्ति को यह अधिकार सुनिश्चित करेगा कि उसे कोई भी सेवा उचित एवं तय समय सीमा में मिल सके।
इसके तहत पंचायत स्तर से लेकर केन्द्रीय कार्यालयों में शिकायत निवारण अधिकारियों की नियुक्ति का प्रावधान किया गया है। साथ ही नागरिकों की शिकायतों के निवारण के लिए केन्द्रीय लोक शिकायत निवारण आयोग की स्थापना की व्यवस्था भी की गई है।
नागरिक घोषणा-पत्र विधेयक को कैबिनेट ने मंजरी देकर बेवजह काम लटकाने वाले सरकारी कर्मचारियों को चेतावनी दे दी है। इस विधेयक के दायरे में सरकार से सहायता प्राप्त एनजीओ भी होंगे। इस बिल के पास होने पर देश के हर व्यक्ति का यह अधिकार होगा कि उसे कोई भी सेवा एक उचित और तय समय सीमा में मिले। इसके अलावा यदि उसे संबंधित सेवा से कोई शिकायत है तो उसका निपटारा भी एक निश्चित समय सीमा में हो जाए।
केंद्रीय कैबिनेट द्वारा मंजूर इस नागरिक घोषणा-पत्र विधेयक में आयकर रिटर्न, पेंशन, जन्म, जाति प्रमाणपत्र, पासपोर्ट, व मृत्यु प्रमाणपत्र से संबंधित महत्त्वपूर्ण सेवाओं को शामिल किया गया है। इसके तहत तय समय सीमा के भीतर काम न होने पर प्रतिदिन 250 रुपये से लेकर अधिकतम 50 हजार रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान रखा गया है। इसकी रिकवरी के स्रोत का इसमें उल्लेख नहीं है। मध्य प्रदेश तथा दिल्ली समेत देश के अनेक राज्यों में ये कानून पहले से ही लागू हैं।

नागरिक घोषणा-पत्र के उद्देश्यों को प्रभावी रूप से प्राप्त करने में विभिन्न बाधाएँ
(Various Obstructions in effectively Achieving the Objectives of citizen Charter)
ऽ भ्रष्टाचार की वजह से प्रतिकूल असर पड़ा जैसे कि निष्पादन और निष्पक्षता तथा सेवाओं के मानदण्डों पर।
ऽ सिविल सेवाओं में परंपरागत शासक वर्ग की मानसिकता उचित रूप से नहीं बदली जा सकी। इसके लिए ज्यादा सेवा दृष्टिकोण चाहिए।
ऽ भले ही सूचना के अधिकार का कानून लाया गया हो, फिर भी पर्याप्त रूप से पारदर्शिता की कार्य संस्कृति को नहीं लाया जा सका।
ऽ कर्मियों में जनसंपर्क पक्ष या कार्मिक विकास के अन्य मुद्दों में अभी भी कमियाँ हैं।
ऽ लोक सेवाओं में नागरिक घोषणा-पत्र की आवश्यकतानुसार कई मूल्यों का उचित निर्माण नहीं किया जा सका।
ऽ सांगठनिक आधुनिकीकरण और संचार सुधार इत्यादि से बजट और वित्त की उपलब्धता में जो कमियाँ रहीं, उसका प्रतिकूल असर पड़ा।
ऽ उच्चस्थ अधीनस्थ संबंधों की दृढ़ता की वजह से टीम भावना पर प्रतिकूल असर पड़ा।
ऽ विकासशील देशों में उपभोक्ता जागरूकता या चेतना में कामया का प्रतिकूल असर पड़ा।

नागरिक घोषणा-पत्र को बेहतर रूप से लागू करने हेतू सूझाव
(Suggestions to Implement Preferably the citizen Charter)
ऽ नागरिक घोषणा पत्र सूचना का अधिकार और जनसंपर्क के मुद्दों पर प्रशिक्षण व जागरूकता बढ़ायी जायें।
ऽ भर्ती प्रक्रिया में वैज्ञानिक और सेवा दृष्टिकोण के कार्मिकों के आधार को बढ़ाया जाये।
ऽ शासन और नागरिक घोषणा-पत्र की आवश्कताओं को देखते हूए महत्वपूर्ण विषयों को सिविल सेवा आचार संहिताआंे में डाला जाना चाहिए।
ऽ संगठनों/विभागों के वार्षिक निष्पादन लक्ष्यों को नागरिक घोषणा पत्र के मिशन से जोड़ा जाना चाहिए।
ऽ पदसोपानिक दृढ़ता को कम किया जाना चाहिए और टीम कार्य संस्कृति को बढ़ाया जायें।
ऽ नागरिक घोषणा-पत्र के श्रेष्ठ अनूभवों की सूचनाओं का बेहतर रख-रखाव और ज्यादा अच्छा तूलनात्मक विश्लेषण किया जायें।
ऽ संगठनों के निष्पादन मूल्यांकन में संभव स्तर तक संबधित सेवा वगों की भागीदारी को ध्यान में रखा जाना चाहिए।
ऽ लोक प्रशासन में उत्कृष्टता के लिए दिए जाने वाले प्रधानमंत्री पुरस्कारों को बेहतर रूप से लागू किया जाए।
ऽ निजी क्षेत्र के कुछ निष्पादन मूल्यांकन अनुभवों को लोकतंत्र में उपयोग किए जाने का प्रयास करना चाहिए।

Sbistudy

Recent Posts

मालकाना का युद्ध malkhana ka yudh kab hua tha in hindi

malkhana ka yudh kab hua tha in hindi मालकाना का युद्ध ? मालकाना के युद्ध…

4 weeks ago

कान्हड़देव तथा अलाउद्दीन खिलजी के संबंधों पर प्रकाश डालिए

राणा रतन सिंह चित्तौड़ ( 1302 ई. - 1303 ) राजस्थान के इतिहास में गुहिलवंशी…

4 weeks ago

हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ? hammir dev chauhan history in hindi explained

hammir dev chauhan history in hindi explained हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ?…

4 weeks ago

तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच हुआ द्वितीय युद्ध Tarain battle in hindi first and second

Tarain battle in hindi first and second तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच…

4 weeks ago

चौहानों की उत्पत्ति कैसे हुई थी ? chahamana dynasty ki utpatti kahan se hui in hindi

chahamana dynasty ki utpatti kahan se hui in hindi चौहानों की उत्पत्ति कैसे हुई थी…

1 month ago

भारत पर पहला तुर्क आक्रमण किसने किया कब हुआ first turk invaders who attacked india in hindi

first turk invaders who attacked india in hindi भारत पर पहला तुर्क आक्रमण किसने किया…

1 month ago
All Rights ReservedView Non-AMP Version
X

Headline

You can control the ways in which we improve and personalize your experience. Please choose whether you wish to allow the following:

Privacy Settings
JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now