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क्रोमियम का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास क्या है , Chromium in hindi , मैंगनीज (Manganese) किसे कहते हैं

क्रोमियम का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास क्या है , Chromium in hindi , मैंगनीज (Manganese) किसे कहते हैं ?

क्रोमियम (Chromium), Z= 24, 1s2 2s2 2p6 3s2 p6d54s1

VIB वर्ग की धातुओं में से भूपर्पटी में क्रोमियम सर्वाधिक मात्रा में पाया जाता है। क्रोमाइट (chromite), FeCr204 इसका मुख्य खनिज है। क्रोमियम की ऑक्सीकरण के प्रति बहुत अधिक बंधुकता पाई जाती है जिस कारण से Cr2O3 का अपचयन कार्बन द्वारा नहीं किया जा सकता है। Cr203 से धातु प्राप्त करने के लिए ऑक्साइड को ऐलुमिनियम के साथ गर्म किया जाता है :

Cr2O3 + 2Al →2Cr+Al2O3

क्रोमियम चमकदार चाँदी जैसी धातु है। पूर्व में वर्णित धातुओं की भांति क्रोमियम का उच्चतापसह गुण तथा विभिन्न ऑक्सीकरण अवस्था का स्थायित्व यह मानकर समझाया जा सकता है कि क्रोमियम से 3d इलेक्ट्रॉन क्रोड के अन्दर प्रवेश करने लगते हैं जिसके कारण ये बंधन हेतु कम संख्या में उपलब्ध होते हैं। यही कारण है कि क्रोमियम के लिए स्थाई ऑक्सीकरण अवस्था +3 होती है जबकि उच्चतम ऑक्सीकरण अवस्था (+6) में यौगिक प्रबल ऑक्सीकारक एवं अस्थाई हैं ।

Cr2O72- +14H+ + 6e  à 2Cr3+ + 7H2O

सामान्य ताप पर वायु व नमी से क्रोमियम अप्रभावित रहता है। इसी कारण से अन्य धातुओं की सुरक्षा हेतु उनके ऊपर इसका लेपन कर दिया जाता है। श्रृंखला की पूर्ववर्ती धातुओं की भांति उच्च ताप पर यह अधातुओं से अभिक्रिया करके अन्तराकाशी एवं नानस्टाइकियोमीट्री यौगिक बनाता है। यह HCI तथा H2SO4 में विलेय है लेकिन HNO3 तथा ऐक्वारेजिया इसे निष्क्रिय (passive) बना देते हैं । क्रोमियम के डाइफ्लुओराइड से हेक्साफ्लुओराइड तक के सभी यौगिक ज्ञात हैं। अन्य हैलोजनों के साथ CrX2, CrX3 तथा CrX4 प्रकार के यौगिक की जानकारी मिलती है। अपेक्षानुसार क्रोमियम ट्राइहेलाइड सर्वाधिक स्थाई

हैं।

वैनेडियम (V) की भांति क्षारीय माध्यम में ऑक्सी आयन CrO4 2 – (क्रोमेट) के रूप में रहता है लेकिन PH घटाने पर धातु परमाणु Cr-O-Cr बंध बनाते हैं हुए संयुक्त होने लगते हैं । तथापि, इस प्रकार की श्रृंखला लम्बी नहीं होती हैं; Cr3O 10 2- तथा Cr4O 132- की पहचान की जा चुकी है। Cr(V) के बहुत कम यौगिक ज्ञात हैं। ये तेजी से Cr (VI) तथा Cr(III) में परिवर्तित हो जाते हैं। Cr(IV) यौगिक भी असामान्य हैं। CrO2. CrF4 तथा CrOF2 इस प्रकार के उदाहरण हैं। त्रिधनीय ऑक्सीकरण अवस्था क्रोमियम की सर्वाधिक स्थाई तथा अत्यधिक सामान्य अवस्था है। इस अवस्था से यह Cr2O3 ऑक्साइड का निर्माण करता है जिसका उपयोग वर्णक (pigment) के रूप में किया जाता है। क्रोमियम के लिए +3 ऑक्सीकरण अवस्था से हजारों स्थाई यौगिक बनाये जा चुके हैं। उच्चतर ऑक्सीकरण अवस्थाओं से यौगिक तो ज्ञात हैं लेकिन वे संख्या में बहुत कम हैं तथा उनका स्थायित्व भी बहुत कम होता है। लगभग सभी Cr(III) उपसहसंयोजन यौगिक अष्टफलकीय हैं तथा जलीय माध्यम से आसानी से बनाये जा सकते

हैं। विन्यास के कारण बहुत से d d स्थानान्तरण सम्भव है जिससे रंगीन यौगिक बनते हैं – रंग अभिक्रिया की परिस्थिति पर निर्भर करता है। सभी संकुलों में तीनों इलेक्ट्रॉन अयुग्मित रहते हैं। ये संकुल स्थाई होते हैं तथा इनमें प्रतिस्थापित (substitution) की बहुत कम प्रवृत्ति पाई जाती है। क्रियाशील उपसहसंयोजित यौगिकों के प्रतिस्थापन का मार्ग SN2 कार्यविधि द्वारा समझाया जा सकता है। Cr(II) अवस्था के यौगिक प्रबल अपचाक होते हैं। संकुलों की ज्यामिती अष्टफलकीय होती है। आयन का विन्यास होने के कारण यह उच्च तथा निम्न चक्रण दोनों ही प्रकार के यौगिकों का निर्माण करता है।

  1. मैंगनीज (Manganese), Z = 25, 1s2 2s2 p° 3s p6 d5 4s2

मैंगनीज प्रकृति में तीसरा बहुतायत से पाया जाने वाला संक्रमण तत्व है। ऑक्साइड के रूप में पायरोलुसाइट (pyrolusite), MnO2 इसका मुख्य खनिज है। 95% मैंगनीज धातु का उपयोग स्टील उद्योग में होता है। शुद्ध धातु MnSO4 के जलीय विलयन के विद्युत विश्लेषण से प्राप्त किया जाता है लेकिन स्टील उद्योग हेतु आयरन अयस्क के साथ पायरोलुसाइट को मिश्रित कर कार्बन द्वारा अपचयित पर कर लिया जाता है।

इस तत्व के लिए +2 अवस्था सर्वाधिक स्थाई एवं अति सामान्य ऑक्सीकरण अवस्था है। +7 अवस्था या में मैंगनीज प्रबल ऑक्सीकारक होता है जिसकी ऑक्सीकरण क्षमता Cr(VI) से भी अधिक होती है। सात संयोजी इलेक्ट्रॉन (d5 s 2 ) होने के कारण प्रथम संक्रमण श्रृंखला में मैंगनीज की सर्वाधिक ऑक्सीकरण अवस्थायें ज्ञात हैं। +2 तथा +7 के मध्य कुछ ऑक्सीकरण अवस्थायें ऐसी भी हैं जो अत्यधिक अस्थाई हैं तथा जिनका तेजी से अन्य अवस्थाओं में असमानुपात हो जाता है।

आर्वतसारणी में अपने पड़ोसियों की तुलना में Mn अधिक विद्युतधनीय तथा अधिक क्रियाशील है । उच्चताप पर यह लगभग सभी अधातुओं से क्रिया कर लेता है। उदाहरण के लिए 1200°C पर N2 के साथ Mn3N2 तथा Cl2 के साथ MnCl2 बनाता है। उच्च ताप पर ऑक्सीजन के साथ Mn3 O4 बनता है। यह जल से हाइड्रोजन निकालता है तथा तनु जलीय अम्लों पर तेजी से घुलकर Mn (II) यौगिकों का निर्माण करता है

Mn(VII) प्रबल ऑक्सीकारक है। KMnO4 इस अवस्था से अति सामान्य यौगिक है जो अम्लीय तथा क्षारीय माध्यम में भिन्न-भिन्न उत्पाद देता है :

MnO4 + 8H+ + 5e → Mn2+ + 4H2O

MnO4 + 2H2O + 3e → MnO2 + 4OH

Mn(VI) के लिए मैंगनेट आयन, MnO4 2- एकमात्र प्रतिनिधि है जो गहरे रंग का होता है। इसी भी प्रकार, +5 ऑक्सीकरण अवस्था भी अत्यधिक असामान्य है तथा MnOCI3 इसका ज्ञात उदाहरण है स्था चतुअवस्था से भी बहुत अधिक यौगिक ज्ञात नहीं है। MnO2 इस अवस्था से एक बहुपरिचित यौगिक है। +3 अवस्था से Mn2O3 तथा MnF3 ज्ञात हैं । उच्च ताप पर पाया जाने वाला ऑक्साइड MO वास्तव में Mn(II) तथा Mn(III) ऑक्साइडों का मिश्रण है: Mn”. OMn2 O3 विलयन में Mn(III) अस्थाई है तथा इसका निम्न प्रकार असमानुपातन हो जाता है :

2Mn3+ + 2H2O à Mn2+ + MnO2 + 4H+

उपर्युक्त अस्थाई ऑक्सीकरण अवस्थाओं की तुलना में मैंगनीज की +2 ऑक्सीकरण अवस्था सर्वाधिक स्थाई तथा सामान्य ऑक्सीकरण अवस्था है। इस अवस्था के स्थायित्व का सम्बन्ध अर्धपूर्ण

विन्यास d5 से जोड़ा जाता है। अधिकांश यौगिकों में पांचों इलेक्ट्रॉन अयुग्मित रहते हैं। संकुल भी चक्रण अवस्था में होते हैं—मात्र कुछ रसायनों तथा इसी प्रकार के अन्य यौगिक, जैसे (Mn(CN)6]4- तथा [Mn(CN)5 NO] 3 – ज्ञात हैं जिनमें निम्न चक्रण होता है, अर्थात् केवल एक अयुग्मित इलेक्ट्रॉन पर द्वारा: जाता है। सभी उच्च चक्रण संकुल अत्यधिक स्थाई हैं तथा अत्यन्त शक्तिशाली ऑक्सीकारकों उनका ऑक्सीकरण सम्भव है। इनमें d d इलेक्ट्रॉन स्थानान्तरण काफी कमजोर पाये जाते हैं जिस कारण इनके रंग काफी हल्के होते हैं। उदाहरण के लिए [ Mn (H2O)] 2+ हलका गुलाबी है। उच्च चक्रण यौगिकों की तुलना में निम्न चक्रण यौगिक अधिक क्रियाशील है तथा तेजी ऑक्सीकृत हो जाते हैं, उदाहरण के लिए,

[Mn(CN)6]4 → [Mn(CN)6]3-

Mn(II) के अधिकांश यौगिक अष्टफलकीय हैं। उदाहरणार्थ, [Mn (NH3) 6] 2+ तथा EDTA, ऑक्सलेर • एथिलीनडाइऐमीन एवं थायोसायनेट के साथ बने संकुलों की ज्यामिति अष्टफलकीय होती है। मैंगनी (II) के कुछ चतुष्फलकीय यौगिक भी हैं। हैलाइड इस ज्यामिति के अतिसामान्य उदाहरण हैं ज [MnX4]2- यौगिकों का निर्माण करते हैं। ये चतुष्फलकीय यौगिक जल या अन्य दाता विलायक के उपस्थिति में अस्थाई हैं तथा अष्टफलकीय यौगिक बना देते हैं।

मैंगनीज में भी अन्तराकाशी यौगिक बनाने की प्रवृत्ति पाई जाती है। लेकिन इसकी त्रिज्या इतन कम होती है कि अन्तराकाशों में कार्बन परमाणुओं के समावेश से संरचना में विकृति आ जाती है। इसक फलस्वरूप यह ऐसे बहुत से जटिल संरचनाओं के कार्बाइड बनाता है जो तेजी से जलअपघटित हो जाते हैं। इसके Mn2O7, MnO2. Mn2O3, Mn3O4 तथा MnO ऑक्साइड ज्ञात हैं। यह MnX2 की प्रका के हैलाइड बनाता है, यद्यपि MnF3 तथा MnF4 भी ज्ञात हैं।

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