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Categories: chemistry

chemistry in daily life , साबुन (soap) , अपमार्जक (detergent) , साबुनीकरण (saponification)

chemistry in daily life :

शोधक रसायन (cleaning agent) : वे रासायनिक पदार्थ जिनका उपयोग त्वचा व कपड़ो पर से धुल व चिकनाई हटाने के लिए किया जाता है , शोधक रसायन कहलाते है।

यह निम्न प्रकार के होते है –

  1. साबुन (soap)
  2. अपमार्जक (detergent)
  3. साबुन (soap): उच्च वसा अम्लो के बने सोडियम व पोटेशियम लवण साबुन कहलाते है।

उदाहरण : (C17H35COONa+) सोडियम स्टियरेट

साबुनीकरण (saponification) : उच्च वसा अम्लो में NaOH क्षार मिलाकर कोलाइडी विलयन बनाते है।  जिसमे NaCl डालकर साबुन अवक्षेपित करते है।  इस क्रिया को साबुनिकरण कहते है।

KOH से बने साबुन का उपयोग त्वचा पर किया जाता है।

NaOH से बने साबुन का उपयोग कपड़ो पर किया जाता है।

निम्न वसा अम्लो का उपयोग साबुन निर्माण में किया जाता है।

उदाहरण :

C15H31-COOH (palmitic acid)

C17H25-COOH (lenolenic acid)

C17H31-COOH (lenoleic acid)

C17H33-COOH (oleic acid)

C17H35-COOH (stearic acid)

प्रश्न 1 : साबुन निर्माण की क्रिया को अभिक्रिया सहित समझाइये।

उत्तर : ग्लिसरोल की अभिक्रिया स्टेरिक अम्ल के साथ करवाने पर ग्लिसरोल ट्राई स्टियरेट बनता है जो क्षार के साथ क्रिया कर सोडियम स्टियरेट बनाता है जिसे साबुन कहते है।

प्रश्न 2 : कठोर साबुन व मृदु /नर्म साबुन किसे कहते है ?

उत्तर : संतृप्त वसा अम्लो के बने साबुन कठोर साबुन कहलाते है।

असंतृप्त वसा अम्लो के बने साबुन नर्म या मृदु साबुन कहलाते है।

प्रश्न 3 : साबुन , कठोर जल में कार्य नहीं करते क्यों ?

उत्तर : कठोर जल में Ca2+ व Mg2+ क्लोराइड , सल्फेट या नाइट्रेट के रूप में पाए जाते है जो साबुन के अधिकांश भाग के साथ क्रिया कर अविलेय कैल्सियम स्टेरेट बना देते है।  इस कारण साबुन कठोर जल में कार्य नहीं करता है।

साबुन की अपमार्जन क्रिया (cleaning action of soap) :साबुन में बड़ा हाइड्रोकार्बन भाग द्रव विरोधी होता है जिस पुच्छ भाग कहते है।

इसमें छोटा आयनिक भाग द्रव स्नेही होता है जो जल के साथ जुड़ता है , इसे सिर भाग या head भाग कहते है।

साबुन को जल में घोलने पर यह जल के साथ मिलकर मिसेल का निर्माण करता है तथा कपड़े पर से धुल व चिकनाई हटाने का कार्य करता है।

अपमार्जक (detergent)

उच्च हाइड्रोकार्बन श्रृंखला युक्त यौगिको के बने सल्फेट व सल्फोनेट यौगिक अपमार्जक कहलाते है।

अपमार्जक , साबुन नहीं होते , फिर भी यह साबुन के समान कार्य करते है इसलिए इन्हें साबुन रहित साबुन के नाम से भी जाना जाता है।

CH3-(CH2)x-SO3ONa+

Sodium P-n alkyl benzene sulphonate

इनमे बड़ा हाइड्रोकार्बन भाग द्रव विरोधी होता है व छोटा आयनीकरण भाग द्रव स्नेही होता है।

अपमार्जक के प्रकार (classification of detergent) : इन्हें निम्न भाग में बांटा गया है –

  1. ऋणायनिक डिटर्जेंट (anionic detergent)
  2. धनयानी डिटर्जेंट (cationic detergent)
  3. अनआयनिक अपमार्जक (non ionic detergent)
  4. ऋणायनिक डिटर्जेंट (anionic detergent): वे अपमार्जक जो लम्बे हाइड्रोकार्बन श्रृंखला के बने सल्फेट व सल्फोनिक होते है , ऋणायनिक अपमार्जक कहलाते है।

इसमें बड़ा भाग ऋणायन होता है इसलिए इनको ऋणायनिक अपमार्जक के नाम से जाना जाता है।

इनका उपयोग दन्त मंजन (टूथपेस्ट) में किया जाता है।

उदाहरण : sodium lauryl sulphate (व्यापारिक नाम = ड्रेफ्ट)

  1. धनयानी डिटर्जेंट (cationic detergent): वे अपमार्जक जो चतुष्क अमोनियम लवणों के बने एसिटेट , क्लोराइड या ब्रोमाइड होते है , धनायनी अपमार्जक कहलाते है।

इनमे बड़ा हाइड्रोकार्बन भाग धनायन युक्त होता है इसलिए इसे धनायनी अपमार्जक कहते है।

इन्हें प्रतिप साबुन (invert soap) भी कहते है क्योंकि साबुन में बड़ा भाग ऋणायन होता है तथा इसमें बड़ा भाग धनायन होता है जो उसके विपरीत है।

यह महंगे अपमार्जक होता है।

इनमे जर्मीनाशी का गुण पाया जाता है।

इनका उपयोग हॉस्पिटल में भी किया जाता है।

इनके द्वारा मुख्य रूप से शेम्पू बनाया जाता है।

उदाहरण : cetyltrimethylammonium bromide

  1. अनआयनिक अपमार्जक (non ionic detergent): वे अपमार्जक जो पोली-हाइड्रोक्सी एस्टर यौगिको के बने होते है , अन-आयनिक अपमार्जक कहलाते है।

इनमे कोई आयनिक भाग नहीं होता है , इसलिए इन्हें अन आयनिक अपमार्जक के नाम से जाना जाता है। यह सह संयोजक प्रवृति के होते है। यह तरल अवस्था में पाए जाते है।

इनका उपयोग बर्तन धोने में किया जाता है।

उदाहरण : pentaerythrityl monostearate

नोट :

  • शाखित अपमार्जक प्रदुषण के कारक होते है।
  • अशाखित अपमार्जक प्रदूषण नहीं करते इसलिए आजतक इसी प्रकार के अपमार्जक बनाये जाते है।

प्रश्न : साबुन व अपमार्जक में चार अंतर दीजिये।

उत्तर : साबुन और अपमार्जक में निम्न अंतर पाए जाते है –

साबुन अपमार्जक
1. यह उच्च वसा अम्लो के बने सोडियम पोटेशियम लवण होते है। यह उच्च हाइड्रोकार्बन श्रृंखला यौगिको के बने सल्फेट व सल्फोनेट यौगिक होते है।
2. यह दुर्बल अम्ल व प्रबल क्षार से मिलकर बने होते है। यह प्रबल अम्ल व प्रबल क्षार से मिलकर बने होते है।
3. इनका जलीय विलयन क्षारीय प्रकृति का होता है। इनका जलीय विलयन उदासीन प्रकृति का होता है।
4. यह कठोर जल में कार्य नहीं करता है। यह सभी प्रकार के जल में कार्य करता है।
5. इन्हें ऊनी वस्त्रो पर उपयोग नहीं किया जाता है। इन्हें ऊनि वस्त्रो पर प्रयुक्त किया जाता है।
उदाहरण : स्टीयरेट सोडियम ओलरील सल्फेट
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