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छछूंदर के सर पर चमेली का तेल मुहावरे का अर्थ बताइए chachundar ke sar par chameli ka tel

chachundar ke sar par chameli ka tel in hindi छछूंदर के सर पर चमेली का तेल मुहावरे का अर्थ बताइए , वाक्य प्रयोग क्या होगा लिखिए |

61. छछूंदर के सिर में चमेली का तेल = अनमेल बात ।
प्रयोग- काले-कलूटे और बेकार रमेश को बी. ए. पास सुन्दर पत्नी क्या मिली कि लोगों ने कहा-छछंदर के सिर में चमेली का तेल।
62. छोटे मुँह बड़ी बात = अपनी स्थिति से बढ़कर घोषणा करना।
प्रयोग-विपक्षी पार्टी के साधारण कार्यकर्ता ने जब मुख्यमन्त्री को चुनाव में हरा देने की बात कही तो लोगों ने इसे छोटे मुँह बड़ी बात कहा।
63. जल में रहकर मगर से बैर = स्वामी से शत्रुता नहीं कर करते।
प्रयोग-यदि कालेज में नौकरी करनी है तो प्रबंधक की बात तो माननी ही पड़ेगी, क्योंकि जल में रहकर मगर से बैर नहीं कर सकते।
64. जाके पाँव न फटी बिवाई सो का जाने पीर पराई = भुक्त भोगी ही वास्तविकता को समझ सकता है।
प्रयोग-तुमने लड़की का विवाह तो किया नहीं इसलिए तुम्हें क्या पता कि सही वर ढूँढने में कितनी परेशानी होती है। सच कहा है जाके पाँव न फटी बिवाई सो का जाने पीर पराई।
65. जस दूल्हा तस बनी बराता = जैसा मनुष्य वैसे उसके साथी।
प्रयोग-अयोग्य अधिकारी अपने अधीनस्थ कर्मचारियों को भी अयोग्य बना देता है। सच है, जस दूल्हा तस बनी बराता ।
66. जिसकी लाठी उसकी भैंस = बलशाली की चलती है।
प्रयोग-आजकल आपाधापी मच रही है। सभी लूट रहे हैं, कोई देखने वाला नहीं हैय जिसकी लाठी उसकी भैंस वाली कहावत सर्वत्र चरितार्थ हो रही है।
67. झूठ के पैर नहीं होते = झूठ अधिक दिन तक नहीं छिपता।
प्रयोग-सुरेन्द्र कहते हैं कि वे जिला अदालत में क्लर्क हैं। आज गाँव के एक आदमी के वहाँ जाने पर पता चल ही गया कि वे वहाँ चपरासी हैं। झूठ के कहीं पैर होते हैं।
68. टाट की गोन में पाट की थे गली = मूल्यहीन लोगों के साथ मूल्यवान का होना।
प्रयोग-लाल सिंह ने अपनी बी. ए. पास पुत्री अनपढ़ परिवार में ब्याह कर टाट की गोन में पाट की थेगली लगायी है।
69. तीन बुलाये तेरह आये = थोड़े लोगों के बुलाने पर बहुतों का पहुँचना।
प्रयोग-पण्डित परशुराम की पुत्री राधा की गोद भरने पाँच आदमी बुलाये गये थे, पर आये पचास लोग। राधा के पिता को कहना पड़ा कि ‘तीन बुलाये तेरह आयेश् की परम्परा अभी चल रही है।
70. तेते पाय पसारिये जेती लॉबी सौर = अपनी सामर्थ्य के अनुसार ही काम करना चाहिए।
प्रयोग-आज की महँगाई में सुख से वही रह सकता है जो ‘तेते पाँय पसारिये जेती लांबी सौर‘ के सिद्धान्त पर चलता हो।
71. तीन कनौजिया तेरह चूल्हे = अत्यधिक पवित्रता का दिखाना । प्रयोग-वहाँ चार प्राणी हैं पर हरेक अपना खाना स्वयं पका रहा था। यह देखकर किसी ने टिप्पणी की कि यहाँ तो तीन कनौजिया तेरह चूल्हे वाली मिसाल है।
72. तन पर नहीं लत्ता, पान खांय अलबत्ता = व्यर्थ का प्रदर्शन।
प्रयोग-घर में भुनी भांग नहीं पर दोस्तों के साथ ऐश करने में कोई कमी नहीं है। यह देखकर किसी ने टिप्पणी की कि भाई यहाँ तो तन पर नहीं लत्ता, पान खांय अलवत्ता वाली स्थिति है।
73. तबेले की बला बंदर के सिर = दोष किसी का पर दोषारोपण किसी अन्य पर।
प्रयोग-गुरु जी, नकल वह लड़का कर रहा था, पर आपने पकड़ मुझे लिया। यह तो वही बात हुई कि तबेले की बला बंदर के सिर।
74. थोथा चना बाजे घना = सारहीन (व्यक्ति) बहुत आवाज करता है। ओछे व्यक्ति बहुत बढ़-चढ़कर बातें करते हैं।
प्रयोग-आजकल अनेक नेता थोथा चना बाजे घना वाली कहावत चरितार्थ कर रहे हैं, क्योंकि वे पार्टी को बहुमत दिलाने की बात तो करते हैं पर स्वयं अपनी सीट भी नहीं निकाल सकते।
75. दूर के ढोल सुहावने = दूर की चीजें अच्छी लगती हैं।
प्रयोग-संस्थान की बड़ी प्रशंसा सुनी थी, पर वहाँ रहकर देखा, तब सच्चाई ज्ञात हुई, कि दूर के ढोल सुहावने होते हैं।
76. देसी मुर्गी विलायती बोली = असंगत और बेढंगा कार्य।
प्रयोग- आज की भारतीय युवतियाँ फैशन की ऐसी दीवानी हैं कि उन्हें देखकर कभी-कभी कहना पड़ता है कि देसी मुर्गी विलायती बोली बोल रही है।
77. दूसरे के कन्धे पर रखकर बन्दूक चलाना = दूसरे के सहारे कार्य सम्पादित करना।
प्रयोग-दूसरे के कन्धे पर रखकर बन्दूक क्या चला रहे हो, दम है तो सामने आकर प्रहार करो।
78. देशी घोड़ी लाल लगाम = बेमतलब का फैशन करना।
प्रयोग-मैं बूढ़ी हो गई अब तुम मेरे लिए लिपिस्टिक लाए हो । यदि मैं इस उम्र में लिपिस्टिक लगाऊँगी तो लोग कहेंगे- देसी घोड़ी लाल लगाम।
79. दाम लगाए लगोटिया यार = व्यक्ति अपनों से ही धोखा खाता है।
80. प्रयोग-तुम्हारे कारण मुझे कलंकित होना पड़ा क्योंकि तुम मेरे लंगोटिया यार हो वरना आज तक मेरे ऊपर कोई उंगली तक नहीं उठा सका। सच है – दाम लगाए लंगोटिया यार।
81. दिन दूनी रात चैगुनी = अत्यधिक उन्नति करना।
प्रयोग-आजकल युद्ध में व्यापारी वर्ग दिन दूनी और रात चैगुनी तरक्की कर रहा है।
82. दाँत से कौड़ी पकड़ना = कंजूस होना ।
प्रयोग-वह सूदखोर है अतः लड़के के ब्याह में भी कुछ खर्च न करेगा यह देखकर कोई बोला अरे भाई वह तो दांत से कौड़ी पकड़ता है।
83. दाँत कुरेदने को तिनका तक न होना = बहुत अधिक दयनीय स्थिति में का आ जाना।
प्रयोग-उनके घर लड़की दे रहे हो, क्या तुम्हें पता नहीं आजकल वहाँ दाँत कुरेदने को तिनका तक नहीं है।
84. न नौ मन तेल होगा न राधा नाचेगी = न इतने अधिक साधन होंगे और न काम होगा।
प्रयोग-रमेश ने गोपाल से कुछ ऐसी शर्त लगाई, जो पूरी न हो सके। इस पर गोपाल ने कहा कि ’न नौ मन तेल होगा, न राधा नाचेगी।’
85. नाच न जाने आँगन टेढ़ा = अपना दोष दूसरों पर मढ़ना।
प्रयोग-रमा को गाना नहीं आता, पर बहाना बनाती है, हारमोनियम खराब होने का । इसी को कहते हैं-नाच न जाने, आँगन टेढ़ा।
86. नौ दिन चले अढ़ाई कोस = आलस्य के कारण बहुत धीरे काम करना ।
प्रयोग-रघुवर को मैदान की सफाई करने के लिए कहा था, परन्तु उसने तो सात दिन में भी यह कार्य पूरा नहीं किया। यह देखकर किसी ने कहा-नौ दिन चले अढ़ाई कोस वाली कहावत चरितार्थ कर रहे हो।
87. मँगनी के बैल के दाँत नहीं देखे जाते = मुफ्त में मिलने वाली वस्तु के गुण-अवगुण नहीं देखे जाते।
प्रयोग-संस्कार कराकर लौटे पण्डितजी के हाथ में खद्दर भण्डार की तौलिया देखकर मुहल्ले के चैधरी ने कहा, “पण्डितजी किस कंजूस जजमान के यहाँ गये थे?’’ सुनते ही पण्डितजी ने चैधरी साहब से कहा, ‘‘मँगनी के बैल के दाँत नहीं देखे जाते।’’
88. मन चंगा तो कठौती में गंगा = पवित्र हृदय वाले का घर तीर्थ है।
प्रयोग-शुद्ध आचरण करने वाले व्यक्ति को हर स्थान पर ईश्वर सुलभ है। सच है, मन चंगा तो कठौती में गंगा।
89. मान न मान मैं तेरा मेहमान = किसी के न चाहने पर भी उससे सम्बन्ध जोड़ना।
प्रयोग-नेताजी को प्रान्त की राजधानी में कोई नहीं पूछता, पर वे सभी से घनिष्ठ सम्बन्ध बताकर वहीं जमे रहते हैं। इसी को मान न मान मैं तेरा मेहमान कहते हैं।
90. मुँह में राम बगल में छुरी = कथनी में अच्छी बात, लेकिन आचरण में ठीक उसके विपरीत बुरा काम करना।
प्रयोग-आज भारतीय नेताओं का चरित्र तो मुँह में राम बगल में छुरी जैसा ही है। कहते कुछ हैं, करते कुछ और हैं।
91. मुद्दई सुस्त गवाह चुस्त = जिसे आवश्यकता है, वही सुस्त (उदासीन) है और सहायक चुस्त।
प्रयोग- आज भारतीय विश्वविद्यालयों में अध्ययन-अध्यापन को देखकर यही कहना पड़ता है कि मुद्दई सुस्त और गवाह चुस्त, क्योंकि छात्र पढ़ने नहीं आते, जबकि अध्यापक नियमित कक्षा में बैठे रहते हैं।
92. मुल्ला की दौड़ मस्जिद तक = व्यक्ति अपने सम्बन्धियों की ही सहायता लेता है। (अपनी सीमाओं में रहकर काम करना)
प्रयोग-प्रधानजी पुलिस के दलाल हैं। उनके घर चोरी हुई तो थानेदार के ही पास जायेंगे। मुल्ला की दौड़ मस्जिद तक होती है।
93. मेढकी को भी जुकाम हुआ है = छोटे आदमी का अपनी औकात से अधिक शान दिखाना, या अपनी हैसियत भूलना।
प्रयोग-सुखिया को चमकीली रेशमी साड़ी पहने देखकर पंडिताइन ने कहा-अहा ! अब तो मेढकी को भी जुकाम हुआ है।
94. मानो तो शंकर नहीं तो पत्थर = जैसा मान लो वही है।
प्रयोग-गंगा किनारे पड़ी इस बटिया को उठा लाए हो क्या यह भगवान है। यह पूछने पर मैंने कहा- मानो तो शंकर नहीं तो पत्थर तो है ही।
95. रोज कुआँ खोदना रोज पानी पीना = प्रतिदिन कमाना ।
प्रयोग-रामसिंह बेचारा मेले में जाकर क्या करेगा? उसे तो रोज कुआँ खोदना और रोज पानी पीना है।

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