JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now

हिंदी माध्यम नोट्स

क्लोरो फ्लोरो कार्बन गैस क्या है ? cfc in hindi क्लोरो फ्लोरो कार्बन का रासायनिक सूत्र क्या है , नामकरण

(cfc in hindi) क्लोरो फ्लोरो कार्बन गैस क्या है ? क्लोरो फ्लोरो कार्बन का रासायनिक सूत्र क्या है , नामकरण ओजोन परत के क्षय इसके कारण किस प्रकार होता है समझाइये ? cfc full form chlorofluorocarbon ka rasayanik sutra kya hota hai ?

क्लोरोफ्लोरो कार्बन (CFC) : 1950 में डी.आर.बेट्स तथा एम.निकोलेट ने इस बात की ओर ध्यान दिलाया कि पराबैंगनी प्रकाश से वातावरण में मौजूद जलवाष्प के विघटन से जो रसायन बनते है , ओजोन परत क्षय में उनकी भूमिका भी महत्वपूर्ण है। जलवाष्प के प्रकाश विघटन होने से हाइड्रोजन परमाणु , हाइड्रोक्सिल मूलक तथा परोक्साइड मूलक बनते है।

वर्तमान अध्ययनों के आधार पर ओजोन क्षति का सारा दोष क्लोरोफ्लोरो कार्बन (CFC) ब्रोमिन के यौगिकों और नाइट्रोजन तथा सल्फर के ऑक्साइडो पर लगाया जा रहा है (मुख्यतया तो CFC पर)

1930 में अमेरिकी वैज्ञानिक डॉ. थॉमस मिजले ने अमरीकी कैमिकल सोसायटी के समक्ष CFC का पहला संश्लेषण प्रस्तुत किया। उस समय इसकी उपयोगिता ने सारे विश्व में तहलमा मचा दिया।

यह रंगहीन , गंधहीन , विषहीन , अग्निरोधी , निष्क्रिय , लम्बे समय तक स्थायी रहने वाला और सस्ता पदार्थ शीतलीकरण उद्योग पर छा गया। तब तक शीतलीकरण अमोनिया तथा गंधक पर निर्भर था। सी.एफ.सी. के आविष्कार के समय से ये पदार्थ शीतलक के रूप में अमोनिया तथा सल्फर डाइऑक्साइड के विकल्प के रूप में सामने आये। तब से CFC के उपयोगों की सूचि बढती रही है। ये पदार्थ वाष्पशील , अज्वलनशील , अविस्फोटक , कम विषैली और रासायनिक रूप से अक्रिय होते है , अत: इनके साथ काम करना काफी निरापद होता है। फोम बनाने , अग्निरोधी पदार्थों , औद्योगिक पदार्थो औद्योगिक विलायकों तथा बिजली उद्योग आदि में भी इसका जमकर उपयोग होता आया है।

लेकिन पर्यावरण विशेषज्ञों का ध्यान आकर्षित हुआ सन 1974 में जब दूसरे अमेरिकी वैज्ञानिक एफ. शेरवुड रॉलैण्ड ने यह स्पष्ट कर दिया कि ध्रुवों पर ओजोन परत में छेद होने के लिए मुख्यतः CFC जिम्मेदार है लेकिन जिस अक्रियशीलता की बदौलत ये पदार्थ औद्योगिक दृष्टि से इतने उपयोगी होते है , उसी अक्रियता की वजह से ही ये पृथ्वी के वायुमण्डल में लम्बे समय तक टिके भी रहते है। सीएफसी वास्तव में एक किस्म के पदार्थों का सामान्य नाम है। ओजोन क्षति की दृष्टि से इसके अहम पदार्थ सीएफसी-11 ,सीएफसी-12 , सीएफसी-13 तथा कार्बन टेट्राक्लोराइड।

(ii) अन्य क्लोरोनीकृत रसायन (other chlorinated chemicals)

कार्बन टेट्राक्लोराइड क्लोरोफोर्म जैसे रसायन भी समताप मण्डल में क्लोरिन बढाते है। इन यौगिकों की यह विशेषता है कि ये 100 वर्षो से अधिक समय तक अपना अस्तित्व बनाये रखते है। हवा से भी हल्के होने के कारण ये ऊपर उठते चले जाते है तथा समताप मंडल में पहुँच कर पराबैंगनी किरणों की मदद से क्लोरिन और ब्रोमिन के स्वतंत्र परमाणु पैदा करते है। ये स्वतंत्र परमाणु ओजोन को तोड़ने का चक्र आरम्भ कर देते है। CFC से मुक्त हुआ क्लोरिन का एक परमाणु ओजोन के 10 हजार अणुओं को तोड़ने की सामर्थ्य रखता है।

वायुमंडल में ओजोन परत के नष्ट होने के प्रमुख कारणों में CFC रसायन के प्रयोग के अलावा अन्य कई कारणों को भी महत्वपूर्ण समझा गया है। इनमे वृक्षों की अंधाधुंध कटाई भी एक है। इस कटाई से पर्यावरण में ऑक्सीजन की मात्रा कम होने लगती है जिससे ओजोन गैस के अणुओं का निर्माण भी कम हो जाता है।

CFC किस प्रकार ओजोन का हास करता है ?

समतापमण्डल में क्लोरिन की 8% से अधिक मात्रा के विस्तार के लिए CFC जिम्मेदार है। CFC कुछ रासायनिक क्रियाओं में मुक्त फ़्लोरिन परमाणु उत्पन्न करता है। क्लोरिन , ब्रोमिन और फ़्लोरिन के मुक्त परमाणु ओजोन से क्रिया कर उसे ऑक्सीजन गैस के अणु तथा ऑक्सीजन परमाणु (अत्यंत क्रियाशील नवजात ऑक्सीजन) में तोड़ देते है। इसलिए वे यौगिक ओजोन परत के लिए घातक माने जाते है जो क्लोरिन , ब्रोमीन आदि के मुक्त परमाणु उत्पन्न करते है।

रोलेंड मोलिना परिकल्पना : इसके अनुसार सूर्य के प्रकाश के पराबैंगनी विकिरण के द्वारा सी.एफ.सी. का विघटन होकर परमाण्विक क्लोरिन (परमाण्विक क्लोरिन का अर्थ है क्लोरिन का एक स्वतंत्र परमाणु) बनती है। यह परमाण्विक क्लोरिन रासायनिक क्रियाओं की एक ऐसी श्रृंखला की शुरुआत करती है जिससे ओजोन की काफी क्षति होती है। सामान्यतया क्लोरिन गैस के एक अणु में क्लोरिन के दो परमाणु आपस में जुड़े होते है।

(i) रॉलेंड और मोलिना ने पाया कि रासायनिक रूप से अक्रिय सी.एफ.सी. स्ट्रेटोस्फीयर में पहुँच कर पराबैंगनी किरणों के द्वारा विघटित होकर परमाण्विक क्लोरिन उत्पन्न कर सकता है।

विघटन के बाद अधिकांश क्लोरिन हाइड्रोक्लोरिक अम्ल अर्थात नमक के अम्ल के रूप में अथवा क्लोरिन नाइट्रेट के रूप में बदल जाती है। ये पदार्थ भण्डारण पदार्थ कहलाते है।

(ii) दूसरी तरफ कुछ क्लोरिन परमाणु सीधे ओजोन हास की क्रिया में भाग ले सकते है तथा यह भागीदारी कुछ इस तरह होती है कि एक ही परमाणु कई बार ऐसी क्रिया में भाग ले सकता है।

(iii) ब्रोमिन के सन्दर्भ में तो यह क्रिया और भी घातक होती है। ब्रोमिन का कोई भण्डारण पदार्थ भी नहीं होता। इसलिए जितनी ब्रोमिन होती है , वह पूरी की पूरी ओजोन विनाश में खपती है।

(iv) इस सन्दर्भ में फ़्लोरिन कम घातक है क्योंकि अधिकतर फ़्लोरिन हाइड्रोजन फ्लोराइड के रूप में परिवर्तित हो जाती है जो कि काफी स्थिर पदार्थ है।

अन्य कारणों में ही वायुमण्डल में विद्यमान नाइट्रोजन और क्लोरिन के ऑक्साइड्स भी एक कारण समझे जाते है , जो कि विभिन्न स्रोतों से वायुमंडल में प्रवेश कर जाते है। नाइट्रोजन के 5 ऑक्साइड होते है। इनमे से नाइट्रस ऑक्साइड (N2O) का स्रोत मुख्यतः समुद्र , जीवाश्म ईंधनों का जलना , उर्वरकयुक्त खेत और जंगल आदि है। नाइट्रस ऑक्साइड ट्रोपोस्फीयर में से ऊपर स्ट्रेटोस्फीयर तक पहुँचकर नाइट्रिक ऑक्साइड में तब्दील हो जाती है। नाइट्रिक ऑक्साइड ओजोन से क्रिया करती है तथा ओजोन की क्षति होती है। ऐसा माना जाता है कि नाइट्रिक ऑक्साइड अत्यन्त घातक गैस है क्योंकि यह भी फ्रियान-11 तथा फ्रियान-12 के ही समान ओजोन अणुओं को ऑक्सीजन में परिवर्तित कर सकती है।

क्रुटजेन ने पता लगाया कि नाइट्रोजन की रासायनिक क्रियाएँ ही है जो वायुमण्डल के ओजोन क्षति की व्याख्या में मददगार है। नाइट्रोजन की ये रासायनिक क्रियाएं ख़ास तौर से 25 किलोमीटर से ऊपर के वायुमंडल में होती है। मसलन नाइट्रिक ऑक्साइड जब ओजोन से क्रिया करती है तो नाइट्रोजन डाइऑक्साइड बनती है ,नाइट्रोजन डाइऑक्साइड फिर ऑक्सीजन फिर ऑक्सीजन मूलक से क्रिया करके नाइट्रिक ऑक्साइड तथा ऑक्सीजन बना लेती है। इसने आगे के अनुसन्धान को प्रेरित किया। नाइट्रिक ऑक्साइड का वायुमण्डल में निम्नलिखित संभावित विधियों से निर्माण होता है –

(1) वायुमण्डल में उपस्थित नाइट्रोजन और ऑक्सीजन के अणु बिजली चमकने से उत्पन्न उच्च ताप तथा दाब पर आपस में संयोग करके नाइट्रिक ऑक्साइड का निर्माण करते है।

(2) हवाई जहाज , रॉकेटों आदि के संचालन से उत्पन्न उच्च ताप के कारण भी नाइट्रोजन और ऑक्सीजन के संयोग से नाइट्रिक ऑक्साइड का निर्माण होता है।

(3) परमाणु बमों के विस्फोट से भी उच्च ताप निर्मित होता है जो नाइट्रिक ऑक्साइड बनाने में सहायक होता है।

कुछ वैज्ञानिक वायुमण्डल की ओजोन की मात्रा में कमी होने का कारण पर्यावरण में होने वाली विभिन्न रासायनिक क्रियाएँ भी मानते है जो प्राकृतिक रूप से होती रहती है।

Sbistudy

Recent Posts

सती रासो किसकी रचना है , sati raso ke rachnakar kaun hai in hindi , सती रासो के लेखक कौन है

सती रासो के लेखक कौन है सती रासो किसकी रचना है , sati raso ke…

22 hours ago

मारवाड़ रा परगना री विगत किसकी रचना है , marwar ra pargana ri vigat ke lekhak kaun the

marwar ra pargana ri vigat ke lekhak kaun the मारवाड़ रा परगना री विगत किसकी…

22 hours ago

राजस्थान के इतिहास के पुरातात्विक स्रोतों की विवेचना कीजिए sources of rajasthan history in hindi

sources of rajasthan history in hindi राजस्थान के इतिहास के पुरातात्विक स्रोतों की विवेचना कीजिए…

3 days ago

गुर्जरात्रा प्रदेश राजस्थान कौनसा है , किसे कहते है ? gurjaratra pradesh in rajasthan in hindi

gurjaratra pradesh in rajasthan in hindi गुर्जरात्रा प्रदेश राजस्थान कौनसा है , किसे कहते है…

3 days ago

Weston Standard Cell in hindi वेस्टन मानक सेल क्या है इससे सेल विभव (वि.वा.बल) का मापन

वेस्टन मानक सेल क्या है इससे सेल विभव (वि.वा.बल) का मापन Weston Standard Cell in…

3 months ago

polity notes pdf in hindi for upsc prelims and mains exam , SSC , RAS political science hindi medium handwritten

get all types and chapters polity notes pdf in hindi for upsc , SSC ,…

3 months ago
All Rights ReservedView Non-AMP Version
X

Headline

You can control the ways in which we improve and personalize your experience. Please choose whether you wish to allow the following:

Privacy Settings
JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now