हिंदी माध्यम नोट्स
carnot refrigerator in hindi कार्नो रेफ्रिजरेटर क्या है सिद्धांत किसे कहते हैं परिभाषा लिखिए
कार्नो रेफ्रिजरेटर क्या है सिद्धांत किसे कहते हैं परिभाषा लिखिए carnot refrigerator in hindi ?
कार्नो रेफ्रिजरेटर (Carnot’s Refrigerator)
कार्नो चक्र पूर्णतया उत्क्रमणीय है। यदि इस चक्र को इंजन के समान माना जाता है तो पूर्व में बताये अनुसार यह गर्म स्रोत (T2) से q2 ऊष्मा अवशोषित करता है, कुछ ऊष्मा कार्य w में परिवर्तित करता है और बची ऊष्मा q1 ठण्डे सिंक (T1) को स्थानान्तरित कर देता है ।
यदि इंजन प्रतीप दिशा में कार्य करे तो कार्नो चक्र की प्रक्रियाऐं विपरीत क्रम में करनी होंगी। इस प्रकार इंजन ठण्डे सिंक (T1) से q1 ऊष्मा अवशोषित करेगा इंजन पर बाह्य कार्य w करना होगा, तथा यह गर्म स्रोत (T2) को q2 ऊष्मा स्थानान्तरित करेगा। अतः प्रतीप दिशा में यह इंजन रेफ्रिजरेटर के समान कार्य करेगा। अर्थात् यह ऊष्मा ठण्डे सिंक से लेकर गर्म स्रोत को स्थान्तरित करेगा। इंजन तथा रेफ्रिजरेटर के प्रक्रम चित्र 2.4 में दिखाये गये हैं।
(b) कार्नोरेफ्रिजरेटर
रेफ्रिजरेटर का कार्य गुणांक (Coefficient of Performance of Refrigerator)-
इंजन पर किये गये कार्य व निम्न ताप के सिंक से अवशोषित ऊष्मा का अनुपात रेफ्रिजरेटर का कार्य गुणांक कहलाता है। यदि कार्य गुणांक को ६ से व्यक्त किया जाये तो
समीकरण (20) से स्पष्ट है कि यदि सिंक का ताप घटता है तो कार्य गुणांक का मान तेजी से घटता
ताप का ऊष्मागतिकी अथवा केल्विन मापक्रम (Thermodynamic or Kelvin Scale of Temperature)
सामान्य आनुभविक ताप मापक्रम कार्यकारी पदार्थ तथा उसके गुणों पर निर्भर करता है। अर्थात् ताप के बढ़ने पर पारे में प्रसार, प्लेटीनम के प्रतिरोध में परिवर्तन आदि।
लेकिन कार्नो सिद्धान्त के अनुसार स्रोत तथा सिंक के समान तापों के दो नियम तापों के मध्य कार्य करने वाले उत्क्रमणीय इंजनों की दक्षता समान होती है। कार्यकारी पदार्थ कोई भी लिया जाए। अर्थात् समान ताप सीमाओं के बीच चक्रों में प्रचलित सभी उत्क्रमणीय इंजनों की दक्षता बराबर होती है।
इस आधार पर 1848 में लार्ड केल्विन ने ऊष्मा गतिकीय मापक्रम का सुझाव दिया उसके अनुसार भण्डार (Reservoir) का ताप उत्क्रमणीय चक्र में ऊष्मा की मात्रा जो इसे दी जाती है या इसमें से निकाली जाती है के समानुपाती होता है।
माना कि उच्च ताप 02 पर अवशोषित ऊष्मा की मात्राq2 है तथा निम्न ताप 01, पर दी गई ऊष्मा की मात्रा q1 है। यहीं 01 तथा 02, स्वेच्छ मापन (arbitrary scale) पर ताप का मापन है। इस प्रकार दक्षता (n)
जहाँ f किसी स्वेच्छ मापक्रम पर निम्न व उच्च ताप का फलन है
जहाँ F.01 02 के लिए के अलावा दूसरा फलन है।
कार्नोट इंजन जो तापक्रम (01.02) (02, 03) के मध्य अच्छी तरह से कार्य करता है तो इस ताप पर ऊष्मा का विरचन (Heat transfer) क्रमशःq1,q2. तथा q3 हो तब
समीकरण (28) के दाँयी ओर 02 नहीं जबकि बाँयी ओर है। बाँयी और 02 को हटाने के लिए फल F को निम्न प्रकार लिखने पर तथा
फलन (0) को केल्विन ने कार्यकारी पदार्थ के ताप को प्रदर्शित करने के लिय चुना अतः (0) को ऊष्मागतिक मापक्रम पर T से प्रदर्शित करने पर
जहाँ T1 व T2 ऊष्मागतिकी मापक्रम पर या केल्विन मापक्रम पर ताप है। ये पदार्थ की प्रकृति पर निर्भर नहीं करते हैं। केल्विन मापक्रम में किन्ही दो ताप का अनुपात इन दो ताप के मध्य कार्य करने वाले उत्क्रमणीय ईंजन द्वारा अवशोषित ऊष्मा व निकाली गई ऊष्मा के अनुपात के बराबर होता है।
यदि T = 0 हो तो किसी भी प्रक्रम की दक्षता एक हो जाती है। ताप जिस पर दक्षता इकाई हो अर्थात् ईंजिन पूर्णतया कार्य योग्य (Perfectly efficient) तथा T, = 0 तब n = 1
इस प्रकार परम मापक्रम का शून्य सिंक का ताप है जिस पर कोई ऊष्मा नहीं दी जाती तथा स्त्रोत से सभी ली गई ऊष्मा उत्क्रमणीय ईंजन द्वारा पूर्णतः कार्य में परिवर्तित हो जाती है। अतः शून्य को शून्य कहते हैं।
परम शून्य से नीचे के ताप पर ऊष्मा से अधिक ऊष्मा ऊर्जा का मान ऋणात्मक होता है जो सम्भव नहीं है। अर्थात् अवशोषित ऊष्मा से अधिक ऊष्मा कार्य में परिणित हो रही है जो ऊष्मा गतिकी के द्वितीय नियम के अनुरूप नहीं है। अतः आदर्श गैस मापक्रम का शून्य व ऊष्मागतिकी मापक्रम शून्य समान है। वर्तमान में ऊष्मागतिकी मापक्रम जल के त्रिक बिन्दू (Triple point) पर आधारित है। त्रिक बिन्दु उस ताप को प्रदर्शित करता है जिस पर बर्फ, जल तथा वाष्प तीनों साम्यवस्था में हो। यह ताप 273.16 केल्विन है। माना कि यह ताप T2 है । और उस ताप पर विनिमय ऊष्मा q273.16 है। अन्य ताप T2 और उस पर विनियम ऊष्मा q2 को समीकरण (32) के अनुसार व्यक्त किया जा सकता है।
Recent Posts
मालकाना का युद्ध malkhana ka yudh kab hua tha in hindi
malkhana ka yudh kab hua tha in hindi मालकाना का युद्ध ? मालकाना के युद्ध…
कान्हड़देव तथा अलाउद्दीन खिलजी के संबंधों पर प्रकाश डालिए
राणा रतन सिंह चित्तौड़ ( 1302 ई. - 1303 ) राजस्थान के इतिहास में गुहिलवंशी…
हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ? hammir dev chauhan history in hindi explained
hammir dev chauhan history in hindi explained हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ?…
तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच हुआ द्वितीय युद्ध Tarain battle in hindi first and second
Tarain battle in hindi first and second तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच…
चौहानों की उत्पत्ति कैसे हुई थी ? chahamana dynasty ki utpatti kahan se hui in hindi
chahamana dynasty ki utpatti kahan se hui in hindi चौहानों की उत्पत्ति कैसे हुई थी…
भारत पर पहला तुर्क आक्रमण किसने किया कब हुआ first turk invaders who attacked india in hindi
first turk invaders who attacked india in hindi भारत पर पहला तुर्क आक्रमण किसने किया…