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संधारित्र की परिभाषा क्या है capacitor in hindi , संधारित्र की धारिता किन दो बातों पर निर्भर करती है
संधारित्र की धारिता किन दो बातों पर निर्भर करती है , संधारित्र किसे कहते है ? चित्र , सूत्र what is capacitor in hindi संधारित्र की परिभाषा क्या है ? in english meaning ?
संधारित्र : हमने देखा था की चालक का आकार बढाकर उसकी धारिता (इलेक्ट्रॉन ग्रहण करने की क्षमता ) बढ़ाई जा सकती है , लेकिन किसी चालक की धारिता बढ़ाने के लिए उसके आकार में वृद्धि करना एक अच्छा उपाय नहीं है इसलिए संधारित्र का उपयोग हुआ।
संधारित्र और सिद्धांत : वह युक्ति जिसमे चालक के आकार को बिना बदले उसकी धारिता बढाई जा सकती है , संधारित्र कहलाती है।
किसी चालक को q आवेश देने पर यदि उसका विभव V हो जाता है तो उसकी धारिता –
C = q/V
स्पष्ट है कि यदि किसी प्रकार आवेश q के लिए विभव का मान V से कम हो जाए तो चालक की धारिता C बढ़ जाएगी। इसी विचार से संधारित्र की खोज की गयी।
संधारित्र का सिद्धांत निम्नलिखित तीन पदों में समझा जा सकता है –
1. माना किसी चालक A को q आवेश देने पर उसका विभव V हो जाता है तो उसकी धारिता –
C = q/V
2. अब यदि चालक A के पास इसी प्रकार का दूसरा अनावेशित चालक B लाया जाए तो प्रेरण द्वारा उसका आवेशन चित्र की तरह हो जाता है।
3. अब यदि चालक B को पृथ्वी से सम्बंधित कर दिया जाए तो उसका समस्त धनावेश पृथ्वी में चला जायेगा और नवीन स्थिति में यदि चालक A का विभव V’ हो तो A की धारिता –
C’ = q/V’
दोनों समीकरणों से –
C’/C = (q/V’)/(q/V) = V/V’
लेकिन V’ = चालक A के आवेश के कारण विभव + चालक B के आवेश के कारण उत्पन्न विभव
V’ = V – V”
इस समीकरण से स्पष्ट है कि –
V > V’
चूँकि C’ > C
अर्थात जब एक आवेशित चालक के पास दूसरा अनावेशित और पृथ्वी से सम्बंधित चालक लाया जाता है तो पहले चालक की धारिता बढ़ जाती है , यही संधारित्र का सिद्धांत है।
इस प्रकार उक्त सिद्धांत से स्पष्ट है कि संधारित्र में दो पृथक्कृत धात्वीय प्लेटे होती है जिसमे एक को आवेश दिया जाता है और दूसरी को पृथ्वी से समबन्धित कर देते है। जब प्लेटो के मध्य किसी परावैद्युत माध्यम की जगह वायु होती है तो उसे वायु संधारित्र कहते है।
संधारित्र किसे कहते है ?
- जब अनावेशित चालक को , आवेशित चालक के पास लाया जाता है तो चालकों पर आवेश समान रहता है लेकिन विभव में कमी हो जाती है। इसके परिणामस्वरूप धारिता में वृद्धि हो जाती है।
- किसी संधारित्र में चालकों पर आवेश समान लेकिन विपरीत प्रकृति का होता है।
- चालकों को संधारित्र की प्लेटें कहते है। संधारित्र की आकृति के आधार पर संधारित्र का नाम दिया जाता है।
- संधारित्र से सम्बंधित सूत्र –
- समान्तर प्लेट संधारित्र
- गोलीय संधारित्र
- बेलनाकार संधारित्र
- प्लेटों के क्षेत्रफल पर
- प्लेटो के मध्य की दूरी पर
- प्लेटों के मध्य माध्यम के पराविद्युतांक पर
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