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Categories: Physicsphysics

विभवमापी द्वारा दो प्राथमिक सेलों के वि.वा. बलों की तुलना करना calculating electromotive force of a cells using potentiometer in hindi

calculating electromotive force of a cells using potentiometer in hindi विभवमापी द्वारा दो प्राथमिक सेलों के वि.वा. बलों की तुलना करना ?

प्रयोग सख्या –
Experiment No. –
उद्देश्य (Object):
विभवमापी द्वारा दो प्राथमिक सेलों के वि.वा. बलों की तुलना करना।
उपकरण (Apparatus) :
विभवमापी, संचायक सेल, डेनियल सेल, लेक्लांशी सेल, धारामापी, संयोजक तार, कुजी, द्विमार्गी कुंजी व धार नियन्त्रक आदि। परिपथ चित्र (Circuit Diagram):
सिद्धान्त (Theory):
यदि विभवप्रवणता x वोल्ट/सेमी. है तथा सेल E1 के लिए संतुलन लम्बाई l1 सेमी एवं E2 के लिए संतुलित लम्बाई l2 सेमी. है, तो E1 = x l1 तथा E2 = x l2
अतः E1 / E2 = l1 / l2
यहाँ E1 = लेक्लाशी सेल का वि.वा. बल (Volt में)
E2, = डेनियल सेल का वि.वा. बल (Volt में)
l1 = लेक्लांशी सेल के लिए विभवमापी तार पर सन्तुलित लम्बाई (cm में,
l2 = डेनियल सेल के लिए विभवमापी तार पर सन्तुलित लम्बाई (cm. ने)
विधि (Method):
1. प्रदर्शित चित्र अनुसार परिपथ बनाते हैं।
2. संचायक बैटरी के धनात्मक ध्रुव को विभवमापी के सिरे A पर एवं ऋणात्मक ध्रुव को कुंजी K एवं निम्न प्रतिरोध वाले
धारा-नियंत्रक Rh से विभवमापी तार के दूसरे सिरे B से जोड़ते हैं। यह प्राथमिक परिपथ है।
लेक्लांशी सेल E1 एवं डेनियल सेल E2 के धनात्मक ध्रुवों को विभवमापी के सिरे A से जोड़ते हैं। ऋणात्मक धु्रवों को द्विमार्गी (दो डॉट की) कुंजी के टर्मिनल X र्व से जोड़ते हैं। द्विमार्गी कुंजी के उभयनिष्ठ टर्मिनल को धारामापी से एक विसी कुंजी श्र से जोड़ते हैं। यह द्वितीयक परिपथ है। टेबल पर प्राथमिक एवं द्वितीयक दोनों परिपथों को अलग-अलग रखते हैं।
3. प्राथमिक परिपथ में कुंजी K में डॉट लगाते हैं एवं द्विमार्गी कुंजी के X एवं Y टर्मिनलों के बीच डाट लगाते हैं। विसर्पी कुंजी J को विभवमापी के प्रथम तार पर A सिरे के पास दबाते हैं एवं धारामापी में विक्षेप नोट करते हैं। अब विसी कुंजी को विभवमापी के अंतिम तार पर B सिरे के पास ले जाकर दबाते हैं एवं धारामापी में विक्षेप नोट करते हैं। यदि दोनों स्थितियों में धारामापी में विक्षेप विपरीत दिशा में है तो परिपथ में संयोजन सही है।
यदि उपर्युक्त दोनों स्थितियों में धारामापी में विक्षेप एक ही दिशा में है तो प्राथमिक परिपथ में धारा-नियंत्रक की सहायता से धारा को इतना बढ़ाते हैं कि विसर्पी कुंजी J को विभवमापी के अंतिम तार पर B सिरे पर दबाने पर विक्षेप विपरीत दिशा में आ जाए। यदि ऐसा करके और संयोजन सही होने पर विक्षेप ठीक दिशा में नहीं आए तो प्राथमिक परिपथ में संचायक बैटरी को बदल देते हैं। बैटरी का वि. वा. बल प्राथमिक सेल के वि. वा. बल से अधिक होना आवश्यक है।
4. संयोजन के सही होने के पश्चात् विसी कुंजी J को विभवमापी तार के A सिरे से दूसरे सिरे B की ओर ले जाकर वह बिन्दु ज्ञात करते हैं जहाँ पर धारामापी में विक्षेप शून्य हो। अविक्षेप बिन्दु की सही स्थिति ज्ञात करते हैं। अविक्षेप बिन्दु की A सिरे से दूरी l1 नोट कर लेते हैं।
5. अब X एवं Y टर्मिनलों के मध्य से डाट हटा देते हैं अर्थात् सेल E1 का परिपथ से सम्बन्ध विच्छेद हो गया है। इसके पश्चात् Y एर्वं टर्मिनलों के मध्य डॉट लगा देते हैं जिससे सेल E2 का परिपथ से संबंध हो जाए। विसर्पी कुंजी J की सहायता से धारामापी में अविक्षेप के लिए विभवमापी तार पर शून्य विक्षेप स्थिति ज्ञात करते हैं। धारामापी में अविक्षेप के लिए संगत लम्बाई l2 ज्ञात कर लेते हैं।
6. l1 एवं l2 का मापन करके उनका अनुपात स1 ,/ स2 ज्ञात करके म्1ध् म्2 का मान ज्ञात करते हैं। इस प्रथम सेट के लिए परिपथ में धारा नियत रखते हैं अर्थात धारा नियंत्रक में प्रतिरोध का मान समान रखते हैं।
7. इसके पश्चात् दूसरे सेट के लिए धारा नियन्त्रक को विस्थापित करके परिपथ में प्रवाहित धारा को परिवर्तित करते है और पहले ग् ल् कुंजी जोड़ कर E1 सेल के लिए संतुलन लम्बाई l1 एवं बाद में YZ. कुंजी जोड का E2 सेल के लिए संतुलन लम्बाई l2 ज्ञात करके E1 व E2 का अनुपात ज्ञात करत है।
8. इस प्रकार धारा नियंत्रक की भिन्न-भिन्न स्थितियों अर्थात भिन्न-भिन्न धारा के लिए पाँच प्रेक्षण सेट द्वारा E1 व E2 का अनुपात ज्ञात करते हैं।
9. सभी पाँचों सेट से प्राप्त E1/ E2 द्वारा माध्य E1/ E2 का मान ज्ञात करते है।
प्रेक्षण सारणी (Observation Table):
क्रम
संख्या विभवमापी तार पर
लेक्लांशी सेल E1 के
लिए सन्तुलित लम्बाई
l1 (सेमी.) में
विभवमापी तार पर
डेनियल सेल E2 के
लिए सन्तुलित लम्बाई
l2 (सेमी.) में
E1/ E2 = l1/ l2
(मात्रकहीन) माध्य
E1/ E2
(मात्रकहीन)
1.
2.
3.
4.
5.

गणना (Calculations):
प्रथम प्रेक्षण सेट के लिए
l1 = ……… cm l2 = ……… cm
E1/ E2 = …………..मात्रकहीन
इसी प्रकार पाँचों सेट के लिए अलग-अलग E1/ E2 का मान ज्ञात करके माध्य E1/ E2 ज्ञात करते हैं।
परिणाम (Result):
दिये गये दो सेलों के वि.वा. बल का अनुपात E1/ E2 = ………(मात्रकहीन) प्राप्त होता है।
सावधानियाँ (Precautions):
(1) दोनों प्राथमिक सेलों (डेनियल एवं लेक्लाशी सेल) के सिरे विभवमापी तार के धनात्मक सिरे से जुड़े होने चाहिए।
(2) प्राथमिक परिपथ में प्रयुक्त संचायक बैटरी का वि.वा.बल प्राथमिक सेलों के वि.वा. बल से अधिक होना। चाहिए।
(3) दोनों सेलों के लिए एक प्रेक्षण सेट लेने की स्थिति में धारा का मान अपरिवर्तित रहना चाहिए।
(4) प्रेक्षण लेने की स्थिति में ही परिपथ में धारा का प्रवाह करना चाहिए। अन्यथा अविक्षेप बिन्दु की स्थिति परिवर्तित होती रहती है।
(5) प्रयुक्त धारा नियन्त्रक कम प्रतिरोध का होना चाहिए।
(6) अविक्षेप बिन्दु जहाँ तक संभव हो, अन्तिम तारों पर प्राप्त करने का प्रयास करना चाहिए ताकि विभव प्रवणता कम हो।
(7) प्राथमिक परिपथ में प्रतिरोध बॉक्स को प्रयुक्त नहीं करना चाहिए।
(8) विभवमापी तार का अनुपस्थ काट सभी स्थानों पर एक समान होना चाहिए।
(9) सभी सम्बन्ध कसे हुए होने चाहिये।
(10) जौकी को विभवमापी के तार पर रगड़ना नहीं चाहिये।
(11) प्रयोग के दौरान प्राथमिक सेलों को हिलाना नहीं चाहिये।
विवेचना
दो प्राथमिक सेलों के वि.वा, बलों की तुलना करने की यह एक यथार्थ विधि है। अविक्षेप स्थिति में धारामापी कोई विक्षेप प्रदर्शित नहीं करता है अतः इस स्थिति में प्रायोगिक सेल से किसी प्रकार की धारा नहीं ली जाती है।

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