JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now

हिंदी माध्यम नोट्स

Categories: sociology

बुर्जुआवादी किसे कहते है | बुर्जुआ शोध ग्रंथ की परिभाषा क्या है बुजुर्वा वर्ग bourgeoisie in hindi by karl marx

bourgeoisie in hindi by karl marx definition meaning बुर्जुआवादी किसे कहते है | बुर्जुआ शोध ग्रंथ की परिभाषा क्या है बुजुर्वा वर्ग ?

बूर्जुआवादी
मार्क्स की तुलना में अधिक सूक्ष्म दृष्टि से विषम समाज को देखने वाले अनेक आधुनिक समाजशास्त्रियों जैसे क्लार्क केर, जेस्सी बर्नार्ड तथा 50 के और 60 के दशक के अनेक विद्वानों ने मार्क्स की विचारधारा के मुकाबले में बुर्जुआ शोध ग्रंथ प्रस्तुत किए। उनके अनुसार हाथ से कार्य न करने वाले श्रमिकों की बढ़ती संख्या के कारण वे या मध्य वर्ग हाथ से कार्य करने वाले श्रमिकों अथवा मध्य वर्गों में संचलन करेंगे क्योंकि पूँजीवादी समाजों की संख्या में वृद्धि होगी। (बड़े पार्श्व वर्ग का समर्थन) लेकिन बुर्जुआ शोध ग्रंथों के विद्वानों के अनुसार औद्योगिक समाजों में एक ऐसी प्रक्रिया आरंभ हो रही थी जिसमें हाथ से कार्य करने वाले श्रमिकों की बढ़ती संख्या मध्य रतर में प्रवेश कर रही थी। एक मध्य वर्ग बन रहा था। यह प्रक्रिया दूसरे विश्व युद्ध के बाद प्रौद्योगिकी में उन्नति और औद्योगिक अर्थव्यवस्था की प्रकृति के कारण आम तौर पर सम्पन्नता में वृद्धि होने से और स्पष्ट हो गई। इससे हाथ से कार्य करने वाले श्रमिकों की आमदनी में वृद्धि हुई और वह हाथ से कार्य न करने वाले सफेदपोश लोगों के वेतन के बराबर हो गए। अनेक लेखकों के अनुसार इन श्रमिकों को प्रभावशाली श्रमिक माना जाने लगा। इन्होंने मध्यवर्गीय स्तर को प्राप्त किया तथा व्यापक रूप से मध्य वर्ग के नियमों, मूल्यों तथा दृष्टिकोणों को अपनाने लगे। अब इस प्रक्रिया से यह विश्वास होने लगा कि स्तरीकरण प्रणाली का रूप भी बदल रहा है। तर्क दिया गया कि स्तरीकरण व्यवस्था की पिरामिड वाली संरचना में अधिकतर आबादी निर्धन श्रमिकों की सबसे नीचे तथा एक छोटा धनाढ्य समूह सबसे ऊपर था। वह संरचना अब स्तरीकरण व्यवस्था का डायमंड (हीरा) वाला रूप ले रही थी जिसमें अधितम आबादी मध्य वर्ग में आ गई। इससे श्विस्तृत मध्य समाजश् की परिभाषा अनुकूल लगने लगी।
.
अभ्यास 1
भारतीय समाज के लिए बुर्जुआवादी शोध प्रबंध किस प्रकार उपयुक्त हैं? कुछ सप्ताह तक समाचार-पत्रों एवं पत्रिकाओं का अध्ययन करते हुए समुचित स्थिति की जानकारी प्राप्त करें और उन्हें अपनी नोटबुक में लिखें। इसके बाद अध्ययन केंद्र के अन्य विद्यार्थियों से इस विषय पर चर्चा करें।

बुर्जुआवादी शोध को व्यापक समर्थन मिलने के बावजूद गोल्डथोपे, लॉकवुड बेछोफर तथा प्लॉट द्वारा दक्षिण-पूर्व इंगलैंड के समृद्ध क्षेत्र-लूटोन में प्रभावशाली श्रमिकों में अनुसंधान किए गए। इस अनुसंधान के निष्कर्षों द्वारा इसका खंडन किया गया। इस क्षेत्र को बुर्जुआवादी संकल्पना की पुष्टि के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता था। यदि सबसे अनुकूल ढाँचे में बूर्जुआवादी प्रक्रिया प्रामाणिक नहीं रही तो इस संकल्पना का खंडन होने लगा।

इस क्षेत्र में सफेदपोश श्रमिकों के वेतन से अधिक वेतन लेने वाले श्रमिक उनसे चार मानदंडों में भी मुकाबला करते थे-कार्य के प्रति दृष्टिकोण, समुदाय में परस्पर मेलजोल का ढंग, महत्वाकांक्षा तथा सामाजिक महत्व एवं राजनीतिक विचार। इन सभी चार आधारों पर प्रभावशाली श्रमिक सफेदपोश श्रमिकों से महत्वपूर्ण रूप से भिन्न थे। इसके अतिरिक्त, वे सामुदायिक रूप से परस्पर मेलजोल के तरीके में, महत्वाकांक्षा और हाथ से कार्य करने वाले पारंपरिक श्रमिकों के सामाजिक महत्व के स्तर पर भी भिन्न थे। इसके अतिरिक्त, वे उपर्युक्त वर्णित चारों मानदंडों के संदर्भ में हाथ से कार्य करने वाले पारंपरिक श्रमिकों से अपने उद्देश्यों में भी अंतर रखते थे। इसलिए लोकवुड के मत को समर्थन मिला तथा उन्नत औद्योगिक अर्थव्यवस्था वाले समाजों में नए श्रमिक वर्ग के आविर्भाव के गोल्डथोर्प के निष्कर्षों को भी समर्थन मिला। इसलिए बूर्जुआवादी विचारधारा वास्तविक अनुभव पर आधारित निष्कर्षों की अपेक्षा प्रभावशाली परिणामों पर आधारित एक परिकल्पना रह गई।

 श्रमिक वर्ग की विषमता
तकनीकी उन्नति के साथ श्रमिक वर्ग की समरूपता में वृद्धि होने की मार्क्स की भविष्यवाणी से भिन्न कुछ समाजशास्त्रियों को निश्चित रूप से कुछ विपरीत रुख दिखाई दिया। उन्नत एवं उन्नतिशील औद्योगिक समाजों में विज्ञान और प्रौद्योगिकी की प्रगति के कारण उद्योगों में इसके कार्यान्वयन से श्रमिक वर्ग का प्रत्येक सदस्य और विषय प्रभावित हो रहा था।

गल्फ डैहरेंडरफ के अनुसार श्रमिक वर्ग में विषमताएँ या असमानता बढ़ रही थी। प्रौद्योगिकी में परिवर्तन के कारण जटिल मशीनें लगाई जा रही थीं जिनपर अच्छी तहर प्रशिक्षित एवं योग्य श्रमिक ही कार्य कर सकते थे ताकि वे आवश्यकतानुसार मशीनों की देखभाल और मरम्मत कर सकें। इसलिए पुरानी मशीनों पर साधारण कार्य करने वाले साधारण व्यक्तियों की अपेक्षा तकनीकी रूप से प्रशिक्षित उच्च दक्षता प्राप्त व्यक्तियों की आवश्यकता थी। (मौसम की स्थितियों के बावजूद अब कृषि भी कठिन और कमरतोड़ कार्य नहीं रह गया था। कृषि में बढ़ते यंत्रीकरण ने इसका रूप तथा कार्य प्रकृति को बदल दिया था। अब इसे समाज की अर्थव्यवस्था बनाने वाले एक उद्योग के रूप में माना जाने लगा।) गल्फ डैहरेंडरफ के अनुसार विभिन्न उद्योगों में कार्य प्रकृति के अनुसार वांछित श्रमिकों को तीन विशिष्ट श्रेणियों में बाँटा जा सकता है अकुशल, अर्ध-कुशल तथा कुशल श्रमिक। श्रमिकों का यह वर्गीकरण आर्थिक आमदनी (वेतन) में अंतर तथा उसके अनुसार प्रत्येक की स्थिति के अनुसार था। इस प्रकार, कुशल श्रमिकों को अधिक वेतन, अधिक भत्ते, अधिक नौकरीसुरक्षा मिलती थी। इस प्रकार, अन्य दो श्रेणियों के श्रमिकों की तुलना में उनकी बेहतर स्थिति हैसियत थी। डैहरेंडरफ का विश्वास है कि बीसवीं शताब्दी में श्रमिकों की गतिशीलता के कारण श्रमिक वर्ग की बात करना अर्थहीन है। अपितु उनका उपरोक्त विभिन्न श्रेणियों में विभाजन हो गया।

के.रॉबर्ट्स, एफ.एम.मार्टिन तथा कुछ अन्य समाजशास्त्रियों ने आज के औद्योगिक समाजों में सामाजिक गतिशीलता के परिणामों के कारण उपरोक्त श्रमिक वर्ग की विषमता के विचार का खंडन किया है। इसकी अपेक्षा उन्होंने विभिन्न अनुसंधानों के निष्कर्षों के माध्यम से प्रस्ताव किया कि हाथ से कार्य करने वाले श्रमिकों को एक जैसी बाजारू-स्थिति एवं जीवन अवसरों का हिस्सा मिलता है। अपने वर्ग के सामान्य हितों के कारण श्रमिकों को अपनी साझी पहचान का पता होता है। इस प्रकार, समाज में अपनी विशिष्ट उप-संस्कृति के कारण वर्गों से उनमें भिन्नता होती है। अतः श्रमिक वर्ग की विषमता को सामाजिक गतिशीलता का प्रभाव कहना सही नहीं है। श्रमिक वर्ग भी एक सामाजिक वर्ग का निर्माण करता है और उसे विशिष्ट श्रेणियों में विभाजित नहीं किया जाना चाहिए।

 विस्तृत एवं विघटित मध्य वर्ग
यद्यपि मध्य वर्ग अपने मूल रूप में समाज से कभी सम्बद्ध नहीं रहा तो भी यह इतना छोटा समूह था कि समाज के आर्थिक और शासन-व्यवस्था में उसकी मजबूत उपस्थिति का अनुभव नहीं हुआ। आरंभिक दिनों में इसमें राज्य के निम्नतम कर्मचारी, छोटे-छोटे व्यवसायी तथा अपवादस्वरूप मुफ्त में जमीन पाने वाले कुछ किसान शामिल थे। लेकिन 19वीं शताब्दी में विभिन्न राष्ट्रों के हितों में विस्तार हुआ और शासन में राज्य की सक्रिय भूमिका की वृद्धि के कारण ऐसे शिक्षित एवं तकनीकी रूप से प्रशिक्षित व्यक्तियों की माँग में वृद्धि हुई जो भौतिक रूप से तथा महत्वाकांक्षा के कारण गतिशील हो सके। इस प्रकार, उन्नीसवीं शताब्दी के मध्य से मध्य वर्ग के विस्तार ने एक बार फिर मार्क्स की उस भविष्यवाणी को गलत सिद्ध कर दिया कि मध्य स्तर समाप्त हो जाएगा (एक व्यापक पार्श्व बन जाएगा)। इसके अतिरिक्त, मैक्स वेबर, ए.गिड्डन्स, फ्रेंक पार्किन आदि ने मध्य वर्ग की उत्पत्ति तथा उसके विस्तार को देखा है जो औद्योगिक अर्थव्यवस्था का युक्तिसंगत सहज उत्पत्ति है। प्रत्येक विद्वान ने वर्गों का श्रेणीकरण किया है। वेबर के अनुसार सफेदपोश मध्य वर्ग संकुचित होने की अपेक्षा विस्तृत हुआ है क्योंकि पूँजीवाद का विकास हुआ है और पूँजीवादी प्रतिष्ठानों तथा आधुनिक राष्ट्रों के प्रशासनिक संगठनों को व्यापक संख्या में प्रशासनिक कर्मचारियों की आवश्यकता महसूस हुई। पूँजीवाद की उन्नति के साथ-साथ प्रतिष्ठानों में व्यापक परिवर्तन हो रहे थे। स्वामित्व और नियंत्रण में अलग होने से प्रबंधकों और प्रशासकों की भूमिका में विस्तार हो रहा था। इसलिए वेबर के अनुसार, मध्य वर्ग में ऐसे सम्पत्तिविहीन सफेदपोश श्रमिक शामिल हो जाते हैं जिनकी सामाजिक स्थिति और जीवन-शैली उनके द्वारा प्रदान किए गए शिल्प और सेवाओं पर निर्भर करती। दूसरे छोटे-छोटे बूर्जुआ अर्थात् छोटे-छोटे मालिक बड़े पूंजीपतियों से प्रतियोगिता के कारण सफेदपोश कार्यों में लग जाते हैं। एंटोनी गिड्डन्स विकसित पूँजीवादी समाज में तीन बड़े वर्ग मानता है जिसमें मध्य वर्ग अपनी शैक्षणिक एवं तकनीकी योग्याताओं पर आधारित है।

इस मध्य वर्ग को तकनीकी और शैक्षणिक योग्यताओं के आधार पर प्रत्येक को भिन्न-भिन्न पारिश्रमिक मिलता है जिसके अनुसार इसे अन्य उप-वर्गों में विभाजित किया जा सकता है। इसलिए आधुनिक समाज में स्वयं मध्य वर्ग में प्रायः निम्नलिखित उप-वर्ग हैं।

ऽ उच्च व्यवसायी, प्रबंधात्मक तथा प्रशासनिक वर्ग, जिसमें न्यायाधीश, कानूनविद, वकील, चिकित्सक, वास्तुविद, योजनाकार, विश्वविद्यालय के व्याख्याता, लेखाकार, वैज्ञानिक एवं अभियन्ता शामिल हैं।
ऽ निम्न व्यवसायी, प्रबंधात्मक तथा प्रशासनिक वर्ग, जिसमें अध्यापक, नर्से, सामाजिक कार्यकर्ता, तथा पुस्तकालयाध्यक्ष आदि शामिल हैं।
ऽ आम सफेदपोश तथा लघु पर्यवेक्षक वर्ग, जिसमें लिपिक, फोरमैन आदि शामिल हैं।

प्रत्येक उप-विभाजन की न केवल व्यावसायिक पारिश्रमिक व्यवस्था में भिन्न स्थिति है अपितु किसी समाज-विशेष में सामाजिक मानदंड के अनुरूप भिन्न-भिन्न हैसियत और स्थिति होती है।

इन लोगों की न केवल भिन्न-भिन्न हैसियत तथा स्थिति होती है अपितु वे अपनी असमान मार्किट स्थिति तथा जीवन अवसर को भी जानते हैं। इसलिए श्वर्ग हैसियतश् के अध्ययन में रॉबर्ट्स, कूक, क्लार्क तथा सेमनोफ इस निष्कर्ष पर पहुँचे कि मध्य वर्ग स्वयं बढ़ते हुए अनेक विभिन्न स्तरों में विभाजित हो जाता है जिसका स्तरीकरण व्यवस्था में अपनी स्थिति के बारे में एक विशिष्ट दृष्टिकोण होता है। अतः मध्य-सफेदपोश वर्ग की सामान्य श्रेणी की चर्चा करें तो दूसरे मध्य वर्ग को गिनने की आवश्यकता नहीं। सफेदपोश समूह में विविध वर्ग हैसियत, मार्किट स्थितियाँ, जीवन अवसर तथा हित – यह आभास देते हैं कि मध्य वर्ग तेजी से विघटित हो रहा है (केनिथ रॉबर्ट्स) अतः मध्य वर्ग के रूप में एक ही सामाजिक वर्ग की बात विवाद का विषय है। इससे अच्छा तो इसे अनेक मध्य वर्गों के रूप में मान्यता देना अधिक सार्थक है।

Sbistudy

Recent Posts

सती रासो किसकी रचना है , sati raso ke rachnakar kaun hai in hindi , सती रासो के लेखक कौन है

सती रासो के लेखक कौन है सती रासो किसकी रचना है , sati raso ke…

18 hours ago

मारवाड़ रा परगना री विगत किसकी रचना है , marwar ra pargana ri vigat ke lekhak kaun the

marwar ra pargana ri vigat ke lekhak kaun the मारवाड़ रा परगना री विगत किसकी…

18 hours ago

राजस्थान के इतिहास के पुरातात्विक स्रोतों की विवेचना कीजिए sources of rajasthan history in hindi

sources of rajasthan history in hindi राजस्थान के इतिहास के पुरातात्विक स्रोतों की विवेचना कीजिए…

2 days ago

गुर्जरात्रा प्रदेश राजस्थान कौनसा है , किसे कहते है ? gurjaratra pradesh in rajasthan in hindi

gurjaratra pradesh in rajasthan in hindi गुर्जरात्रा प्रदेश राजस्थान कौनसा है , किसे कहते है…

2 days ago

Weston Standard Cell in hindi वेस्टन मानक सेल क्या है इससे सेल विभव (वि.वा.बल) का मापन

वेस्टन मानक सेल क्या है इससे सेल विभव (वि.वा.बल) का मापन Weston Standard Cell in…

3 months ago

polity notes pdf in hindi for upsc prelims and mains exam , SSC , RAS political science hindi medium handwritten

get all types and chapters polity notes pdf in hindi for upsc , SSC ,…

3 months ago
All Rights ReservedView Non-AMP Version
X

Headline

You can control the ways in which we improve and personalize your experience. Please choose whether you wish to allow the following:

Privacy Settings
JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now