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बूलियन बीजगणित परिभाषा क्या है , बुलियन अलजेब्रा नियम (boolean algebra in hindi)
(boolean algebra in hindi) बूलियन बीजगणित परिभाषा क्या है , बुलियन अलजेब्रा नियम : जैसा की हम जानते है कि किसी डिजिटल सिग्नल के लिए इनपुट और आउटपुट के लिए 0 और 1 का उपयोग किया जाता है , 0 और 1 को किसी परिपथ के लिए खुला या बंद आदि के लिए भी प्रयोग कर सकते है। किसी भी डिजिटल परिपथ को डिजाईन करने के लिए या किसी जटिल डिजिटल परिपथ को सरलीकृत रूप देने या हल करने के लिए बुलियन बीजगणित का उपयोग किया जाता है। किसी डिजिटल परिपथ का निर्माण करने के लिए आवश्यक तार्किक गेट की संख्या को बूलियन बीजगणित द्वारा कम कर दिया जाता है अर्थात परिपथ को आसान बना दिया जाता है और इसके लिए इसमें कई नियमों और प्रमेयों की सहायता ली जाती है इन नियमों को बूलियन बीजगणित के नियम कहते है।
बूलियन बीजगणित एक प्रकार की गणित है जिसकी सहायता से हम किसी डिजिटल परिपथ का या तार्किक गेट का विश्लेषण करते है , और जिस प्रकार गणित में कुछ नियम और प्रमेय होती है जिससे हम जटिल गणनाओं को भी आसानी से हल कर सकते है ठीक इसी प्रकार बूलियन बीजगणित में भी कुछ नियम और प्रमेय होती है जिनकी सहायता से हम किसी जटिल डिजिटल परिपथ को आसान बना देते है या उपयोग में आने वाले तार्किक गेट की संख्या को समान परिणाम के लिए कम और आसान कर देते है जिससे हमारा डिजिटल परिपथ सरल और आसान हो जाता है।
अत: बूलियन बीजगणित एक गणितीय सिस्टम है जो तर्क पर आधारित होती है और जिसके खुद के नियम होते है जिनकी सहायता से किसी बूलियन गणितीय गणनाओं को आसानी से हल किया जाता है या उन्हें आसान बनाया जाता है और याद रखे की बूलियन गणित के आउटपुट के अनुसार परिपथ में आउटपुट लेने के लिए इस बूलियन गणित को परिपथ का रूप दिया जाता है अत: डिजिटल परिपथों में बूलियन बीजगणित अत्यधिक आवश्यक है।
बूलियन बीजगणित में दो चरों का उपयोग किया जाता है जिन्हें तर्क ‘0’ तथा तर्क ‘1’ कहा जाता है।
बूलियन बीजगणित के नियम और क़ानून निम्न है –
1. बूलियन बीजगणित में किसी चर की दो अवस्था या दो मान संभव है जिन्हें तर्क ‘0’ तथा तर्क ‘1’ कहते है। यहाँ 0 = low (निम्न) और 1 = high (उच्च) को दर्शाता है |
2. OR संक्रिया या योग संक्रिया : इसे + द्वारा प्रदर्शित किया जाता है , इसमें यदि दोनों इनपुट में से एक भी 1 हो तो आउटपुट 1 ही प्राप्त होता है।
आउटपुट = इनपुट पहला + इनपुट दूसरा
Y = A + B
3. AND संक्रिया अथवा गुणा संक्रिया : इसे बिंदु अर्थात डॉट (.) से प्रदर्शित किया जाता है , इसमें 1 आउटपुट तभी आता है जब सभी इनपुट 1 हो अन्यथा 0 आउटपुट आता है।
Y = A.B
4. NOT संक्रिया : इसे बार (-) द्वारा प्रदर्शित किया जाता है , इसमें इनपुट का बिलकुल उल्टा आउटपुट प्राप्त होता है अर्थात यदि इनपुट 1 है तो आउटपुट 0 मिलता है और यदि इनपुट 0 है तो आउटपुट 1 प्राप्त होता है।
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