हिंदी माध्यम नोट्स
बोधिसत्व क्या होता है , बोधिसत्व किसे कहते हैं और परिभाषा क्या होती है Bodhisattva in hindi अर्थ
Bodhisattva in hindi अर्थ बोधिसत्व क्या होता है , बोधिसत्व किसे कहते हैं और परिभाषा क्या होती है ?
2.
प्राचीन एवं मध्यकालीन भारत के धार्मिक आंदोलन और धर्म दर्शन
प्राचीन भारत के धार्मिक आंदोलन और धर्म दर्शन।
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्नोत्तर
प्रश्न: बोधिसत्व
उत्तर: बुद्ध के जन्मों के लिए प्रयुक्त, वह जो विश्व कल्याण के लिए कार्य करता है तथा जिसने स्वेच्छापूर्वक जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति का त्याग कर दिया हो।
प्रश्न: ऋग्वैदिक देवमण्डल में इंद्र का स्थान निर्धारित कीजिये।
उत्तर: ऋग्वैदिक देवमण्डल में इंद्र का सर्वोच्च स्थान था जो समस्त संसार का स्वामी, पुरंदर, विजय दिलाने वाला और वर्षा करने वाला था।
प्रश्न: चार सोम यज्ञों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर: अग्निष्ठोम, अत्यग्निष्ठोम, अतिरात्र, राजसूय चार सोम यज्ञ थे।
प्रश्न: ऋग्वैदिक धर्म की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर: ऋग्वैदिक धर्म की लौकिकता सूर्य, वरूण, उषा, अग्नि, इंद्र, ऋत् आदि देवताओं और देवियों के महत्व से निसृत होती है। जो प्राकृतिक शक्तियों का रूपान्तरण है। देवियों का महत्व कम था। यज्ञ ईश्वर के प्रति समर्पण की भौतिकाभिव्यक्ति था। दार्शनिकता की दृष्टि से ऋग्वैदिक की पारलौकिक विशेषता थी।
प्रश्न: अर्हत
उत्तर: बौद्ध एवं जैन धर्मों के अनुसार, कोई व्यक्ति जो पर्याप्त पुण्य अर्जित करके आध्यात्मिक परिपूर्णता या आत्मशुद्धि की विशेष स्थिति में पहुँच जाता है, वह अर्हत प्राप्त कर लेता है।
प्रश्न: ध्यानी बुद्ध
उत्तर: तांत्रिक बौद्ध सम्प्रदाय के देवता, इनकी संख्या पाँच है जो पंच स्कन्धों के मूर्त रूप माने जाते हैं। इनमें अमिताभ, अक्षोम्य. वैरोचन, अमोघ सिद्धि एवं रत्न सम्भव हैं।
प्रश्न: सहजयान
उत्तर: बौद्ध, वज्रयान सम्प्रदाय की शाखा जो मानव शरीर को सहज सुख सहित मानवीय अनुभवों का केन्द्र बिन्द मानता है।
प्रश्न: साधनमाता
उत्तर: बौद्ध प्रतिमाओं के विज्ञान पर आधारित ग्रन्थ जो विभिन्न बौद्ध देवी-देवताओं के बारे में महत्त्वपूर्ण सूचना प्रदान करता है।
प्रश्न: चीन पहुँचने वाले प्रमुख बौद्ध प्रचारक कौन थे ?
उत्तर: धर्मरत्न, कश्यपमातंग, धर्मक्षेय, गुणभद्र, धर्मगुप्त, बुद्धजीव, विमलक्ष, धर्ममित्र आदि चीन पहुंचने वाले प्रमुख बौद्ध प्रचारक थे।
प्रश्न: कालामुख
उत्तर: शैवधर्म की एक शाखा कालामुख थी। ये अतिमार्गी थे तथा नरमुण्ड में भोजन करते थे, सुरापान करते, शरीर पर नर भस्म का लेपन करते व अघोरी जैसा जीवन जीते थे।
प्रश्न: लिंगायत संप्रदाय
उत्तर: मुनि बासव लिंगायत सम्प्रदाय के प्रवर्तक थे, इन्हें वीर शैव भी कहा गया। यह दक्षिण भारत का शैव संप्रदाय था।
प्रश्न: कोरिया में बौद्ध धर्म का प्रसार कैसे हुआ?
उत्तर: प्राचीन कोरिया में भारतीय संस्कृति का प्रसार बौद्ध धर्म के माध्यम से हुआ। मालानन्द ने कोरिया में बौद्ध धर्म का प्रचार किया। वहां के अधिकांश अनुयायियों ने बौद्ध धर्म को अपनाया। वहां के साहित्य, धर्म, कला और संस्कृति पर इसका व्यापक प्रभाव पड़ा।
प्रश्न: नाथ संप्रदाय
उत्तर: इसके संस्थापक नाथ मुनि थे बाद में महेन्दरनाथध्मत्स्येन्द्र नाथ एवं जालन्धर नाथ दो बड़े आचार्य हुये। महेन्दर नाथ वाले संप्रदाय में गोरखनाथ भथरी (भृर्तहरि), गोपीचंद आदि प्रसिद्ध नाथ हुये। भृर्तहरि ने नीति शतक व श्रृंगार शतक नामक प्रसिद्ध ग्रंथ लिखे जिनमें योग, साधना आदि का उल्लेख किया है।
प्रश्न: लोकायत
उत्तर: लोकायत केवल प्रत्यक्ष प्रमाण स्वीकार करता है। लोकायत दर्शन के प्रवर्तक चार्वाक थे। यह दर्शन किसी दिव्य या अलौकिक शक्ति का अस्तित्व नहीं मानता था। वह उन्हीं वस्तुओं की सत्ताध्यथार्थता स्वीकार करता था जिन्हें मानव की बुद्धि और इन्द्रियों द्वारा अनुभव किया जा सके।
प्रश्न: महायान बौद्ध धर्म के बारे में बताइए।
उत्तर: महायान बौद्ध धर्म का विकास कुषाण शासक कनिष्क के शासन काल में चैथी बौद्ध संगीति के दौरान हुआ। इस शाखा में गौतम बुद्ध की मूर्तियां बनाकर पूजा की जाने लगी तथा संस्कृत भाषा का प्रयोग किया जाने लगा। बोधिसत्व की अवधारणा भी महायान शाखा से ही संबंधित है।
लघूत्तरात्मक प्रश्नोत्तर
प्रश्न: सिंधु घाटी सभ्यता के निवासियों के धर्म के बारे में हमारे पास क्या जानकारी है ?
उत्तर: मोहनजोदड़ो एवं हड़प्पीय सीलों से मातादेवी की पूजा, बलि प्रथा, पद्मासन योगी की मूर्ति आदि से शिव, पशुपक्षियों की पूजा, देवदासी प्रथा आदि के बारे में जानकारी मिलती हैं। लोथल व कालीबंगा से अग्निवेदियों से अनुष्ठान, होम, उपासना क्रिया तथा अन्य सीलों से वृष पूजा, स्वास्तिक चिह्न का प्रयोग, एकश्रृंगी देवता, द्विमुख देवता, आदि के बारे में जानकारी मिलती हैं। देवियों की मूर्तियां अधिकांश संख्या में मिलने से अनुमान हैं कि सैंधववासी मातृदेवी सम्प्रदाय को अधिक मानते थे।
प्रश्न: यज्ञ के प्रति औपनिषदिक दार्शनिकों के दृष्टिकोण पर एक लघु लेख लिखिए।
उत्तर: यज्ञादि कर्म काण्डों में विधि-विधान के फेर में समय की बर्बादी निरर्थक है। मुण्डकोपनिषद में यज्ञ की तुलना टूटी नाव से की गयी है। उपनिषदों के अनुसार सृष्टिकर्म स्वयमेव एक यज्ञ है। जिसमें नित्य 5 अग्नियां धुलोक, इंद्र, पृथ्वी, मनुष्य और पत्नी प्रज्जवलित हैं और उनमें 5 आहुतियां – शृद्धा, चन्द्रमा, वर्षा, अन्न, बीज-डाली जाती हैं।
प्रश्न: बुद्धकालीन नवीन बौद्धिक क्रांति का उल्लेख कीजिए।
उत्तर: बुद्ध के समय छः नए बौद्धिक मत स्थापित हुए। जो निम्नलिखित थे –
अक्रियावादी ः पूर्ण कश्यप – कर्म के फल को नहीं मानते थे।
नियतिवादी ः मक्खली गोसाल (अहेतुवादी) – कर्म करना व्यर्थ हैं। सब कुछ सर्वथा नियत है।
अकतवादी ः पुगुद कच्छायन – किसी आध्यात्मिक सत्ता का अस्तित्व नहीं।
अनिश्चयवादी ः संजय वेट्ठ पुत्र – ये सन्देहवादी थे। इनका मानना था कि आध्यात्म तत्व के बारे में निश्चित नहीं कहा जा सकता।
चतुर्याम संवर ः निगठनापुत्र (महावीर) – जैन धर्म की व्याख्या की।
उच्छेदवादी ः अजीत केशकम्बली – (भौतिकवादी) मनुष्य भौतिक तत्वों से निर्मित है। मरने पर कुछ भी शेष नहीं बचता।
उपर्युक्त कारणों के तहत 6वीं शताब्दी ई.पू. में सामाजिक सधार की परिस्थितियां उत्पन्न हो गयी थी। इसी समय महावीर एवं बुद्ध नाम के दो महापुरुष हुए। जिन्होंने इसका लाभ उठाकर अपने-अपने मत स्थापित कर दिये।
प्रश्न: षड्दर्शन से आप क्या समझते हैं?
उत्तर: सांख्य दर्शन: प्रवर्तक ‘‘महर्षि कपिल‘‘ (सांख्यशास्त्र) है। इसमें कारणवाद व अनेकात्मावाद है। अन्य विद्वान ईश्वरकृष्ण, भिक्षु वाचस्पति हैं।
योग दर्शन: प्रवर्तक महर्षि पतंजलि है। इसके अनुसार आत्मा का परमात्मा के साथ मिलन यही योग है। अन्य विद्वान व्यास है।
न्याय दर्शन: प्रवर्तक गौतम है। यह विश्लेषणात्मक व तार्किक दर्शन है। अन्य विद्वान वात्स्यायन, उद्योतकार, उदयानाचार्य, जयन्त भट्ट हैं।
वैशेषिक: प्रवर्तक महर्षि कणाद है। इसमें परमाणुवाद का सिद्धांत है। अन्य विद्वान प्रशस्तवाद, केशवमिश्र, विश्वनाथ, अन्नभट्ट।
मीमांसा दर्शन: प्रवर्तक जैमिनी है। (मीमांसा सूत्र), वैदिक कर्मकाण्डों की दार्शनिक महत्ता। अन्य विद्वान शवर स्वामी, प्रभाकर, कुमारिल भट्ट हैं।
वेदांत दर्शन: ‘‘वादरायण‘‘ (वेदान्त सूत्र), अद्धैतवाद व द्वैतवाद का उल्लेख है। अन्य विद्वान शंकराचार्य, वाचस्पति, सदानन्द, रामानुज, मध्वाचार्य हैं।
प्रश्न: प्राचीन कोरिया एवं तिब्बत में बौद्ध धर्म के प्रसार का वर्णन कीजिए।
उत्तर: प्राचीन कोरिया में भारतीय संस्कृति का प्रसार बौद्ध धर्म के माध्यम से हुआ। मालानन्द ने कोरिया में बौद्ध धर्म का प्रचार किया। जिससे अधिकांश लोगों ने बौद्ध धर्म अपनाया और भारतीय संस्कृति को कोरिया में फैलाया। 7वीं शताब्दी में तिब्बत के शासक ओंग-सांग-गेम्पो ने चीन व नेपाल की बौद्ध राजकुमारियों के साथ विवाह करके तिब्बत में भारतीय धर्म फैलाया। पद्यसम्भव एवं वैरोचन ने इसका प्रचार किया तो दीपशंकर, श्रीज्ञान, आतिशा ने बौद्ध धर्म को लोकप्रिय बनाया एवं तिब्बती व संस्कृत में सैकड़ों ग्रंथों की रचना की।
प्रश्न: प्राचीन काल में इण्डोनेशिया में हिन्दू धर्म के प्रसार का वर्णन दीजिए।
उत्तर: यहां पौराणिक धर्म के देवी-देवता शिव, विष्णु, ब्रह्मा, इन्द्र, सूर्य, लक्ष्मी आदि की पूजा का प्रचलन था। समाज वर्णाश्रम धर्म पर आधारित था। जावा में बोरोबुदूर का विशाल स्तूप जिस पर बुद्ध की जीवन गाथाओं को चित्रित किया गया था। अनेक जगह से विष्णु आदि देवों की मूर्तियाँ मिली हैं जो कला पर भारतीय प्रभाव को दिखाती हैं। साहित्य में रामायण, महाभारत, कालिदास आदि के ग्रंथों का स्पष्ट प्रभाव है।
प्रश्न: भागवत धर्म
उत्तर: भागवत धर्म के नेता वासुदेव श्री कृष्ण थे। वासुदेव श्री कृष्ण वसुदेव और देवकी के पुत्र थे। इसका पहला उल्लेख छान्दोग्य उपनिषद में मिलता है। भागवत संप्रदाय को मानने वाले भागवत कहलाये। वासुदेव के साथ उसके पुत्रों व पौत्र की सामहिक पूजा की गई जिसे चतुव्यूह कहा गया। भागवत् धर्म में वासुदेव के अतिरिक्त सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण देवता संकर्षण (बलराम) को माना जाता है। अर्थशास्त्र में भी संकर्षण के उपासकों का उल्लेख है। वृष्णि वंश के पंचवीरों में कृष्ण एवं संकषर्ण के अतिरिक्त साम्ब कृष्ण के जाम्बवन्ती से उत्पन्न, प्रद्युम्न कृष्ण के रूक्मिणी से उत्पन्न पत्र थे तथा अनिरूद्ध प्रद्युम्न के पुत्र थे।
प्रश्न: पाँचरात्र सम्प्रदाय
उत्तर: पाँचरात्र सम्प्रदाय एक कर्मकाण्डीय वैष्णववाद है, जो भक्ति या ईश्वर के प्रति पूर्ण समर्पण पर जोर देता है। रात विश्वास है कि विष्ण स्वयं चार रूपों अर्थात् वासुदेव, संकर्षण, प्रद्युम्न एवं अनिरुद्ध के रूपों में प्रकट होते हैं। सर्वोच्चय देव अर्थात विष्ण में छः विशिष्ट शक्तियाँ निहित हैं। सम्पूर्ण पाँचरात्र सम्प्रदाय वासुदेव कृष्ण एवं उनके परिवार की आराधना पर आधारित है। इस मत के अनुसार समस्त सृष्टि का अस्तित्व भगवान वासुदेव में सिमटा है।
प्रश्न: अवतारवाद
उत्तर: पौराणिक काल में अवतारवाद का विकास हुआ। ब्रह्म की कल्पना ब्रह्मा के रूप में की गई। भक्ति का पूर्ण विकास हुआ। ब्रह्मा, विष्णु, महेश त्रिदेव के रूप में स्थापित हुए। मूर्ति पूजा का प्रचलन प्रारम्भ हुआ। गुप्तकाल में अवतारवाद का सम्पुष्टीकरण तथा विष्णु के अवतारों की पूजा भागवत् धर्म के लक्षण थे। गुप्त राजाओं के राजाश्रय से वैषण लोकप्रियता की चरम सीमा पर पहुंचा। इस काल में ब्राह्मण ग्रन्थ के अनुसार विष्णु के 39 अवतार हुए किन्त 10 अवतारों को आमतौर पर स्वीकार किया गया है। ये दस अवतार हैं: मत्स्य, कूर्म, वराह, नृसिंह, वामन, परशुराम, राम, कृष्ण, बुद्ध व कल्कि। इस समय अवतारवाद सामने आया जिसमें सबसे पहला मत्स्य अवतार व अंतिम कल्की अवतार (पकिनअवतार) है जो हाथ में तलवार लेकर श्वेत अश्व पर सवार होकर पृथ्वी पर अवतरित होगा।
Recent Posts
मालकाना का युद्ध malkhana ka yudh kab hua tha in hindi
malkhana ka yudh kab hua tha in hindi मालकाना का युद्ध ? मालकाना के युद्ध…
कान्हड़देव तथा अलाउद्दीन खिलजी के संबंधों पर प्रकाश डालिए
राणा रतन सिंह चित्तौड़ ( 1302 ई. - 1303 ) राजस्थान के इतिहास में गुहिलवंशी…
हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ? hammir dev chauhan history in hindi explained
hammir dev chauhan history in hindi explained हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ?…
तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच हुआ द्वितीय युद्ध Tarain battle in hindi first and second
Tarain battle in hindi first and second तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच…
चौहानों की उत्पत्ति कैसे हुई थी ? chahamana dynasty ki utpatti kahan se hui in hindi
chahamana dynasty ki utpatti kahan se hui in hindi चौहानों की उत्पत्ति कैसे हुई थी…
भारत पर पहला तुर्क आक्रमण किसने किया कब हुआ first turk invaders who attacked india in hindi
first turk invaders who attacked india in hindi भारत पर पहला तुर्क आक्रमण किसने किया…