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बौ़द्ध धर्म में बोधिसत्व क्या होता है | bodhisattva in buddhism in hindi , थेरावाद , वज्रयान
थेरावाद , वज्रयान bodhisattva in buddhism in hindi बौ़द्ध धर्म में बोधिसत्व क्या होता है ?
बौ़द्ध धर्म में बोधिसत्व
बोधिसत्व वह है, जिसने सभी संवेदनशील प्राणियों के लाभ के प्रयोजन से बुद्धत्व प्राप्त करने हेतु बोधचित्त (एक सहज इच्छा और करुणामय मन) विकसित कर लिया है। महायान बौद्ध धर्म के अंतर्गत सार्वभौमिक मुक्ति की अवधारणा में विश्वास किया जाता है।
जातक कथाओं के अनुसार बुद्ध अपने पूर्व जन्मों में बोधिसत्व थे और कथाओं में दर्शाया गया है कि त्याग और नैतिकता जैसे गुणों को अपनाने के लिए बोधिसत्व ने अनेकों प्रयास किये थे।
थेरावाद बौद्धवाद में एक व्यक्ति, जिसका उद्देश्य पूर्णतः प्रबुद्ध बनने का है, उसे भी जन्म, रोग, मृत्यु, दुःख अशुद्धता और भ्रमों से गुजरना पड़ता है।
बुद्ध बनने के मार्ग पर बोधिसत्व को दस धराओं या भूमियों से गुजरना पड़ता है, जिनके नाम हैं-घोर प्रसन्नता, निर्मलता, प्रकाश, दीप्ति, अति कठिन प्रशिक्षण, स्पष्ट रूप से उत्कृष्ट, बहुत दूर जाना, अचल, अच्छे विवेक वाली बुद्धिमता और धर्म रूपी बादल।
इन 10 भूमियों को पार कर वह प्रबुद्ध बन पाता है।
बौद्ध धर्म के अंतर्गत प्रमुख बोधिसत्वों में निम्नलिखित सम्मलित हैं
1. अवलोकितेश्वरः यह बुद्ध के इर्दगिर्द तीन सुरक्षात्मक देवताओं में से एक हैं। इन्हें कमल का फूल पकड़े हुए वर्णित किया जाता है उन्हें पद्मपाणी के नाम से भी जाना जाता है। ऐसी चित्रकारी अजन्ता की गुपफाओं में भी देखी जा सकती है। सभी बोधिसत्वों में से इन्हें सर्वाधिक मान्यता प्राप्त है। करुणा के बोधिसत्व, संसार की चीत्कार को सुनने वाला, जो कुशल माध्यमों के उपयोग से उनकी सहायता करते हैं। कम्बोडिया के थेरावाद बौद्ध धर्म में वे अनौपचारिक रूप से लोकेश्वर के नाम से प्रकट होते हैं। उन्हें एक महिला के रूप में भी चित्रित किया गया है और उन्हें पवित्र दलाई लामा के रूप में अवतरित हुआ माना जाता है।
2. वज्रपाणीः यह भी बुद्ध के चारों ओर तीन सुरक्षात्मक देवताओं में से एक हैं, इन्हें अजन्ता की गुपफाओं में भी चित्रित किया गया है। वज्रपाणी में बुद्ध की सभी शक्तियों के साथ वैरोकन, अक्षोभ्य, अमिताभ, रत्नसम्भव और अमोघसिद्धि नामक सभी पांचों तथागतों की शक्तियाँ भी समहित हैं।
3. मंजूश्रीः बुद्ध के चारों ओर तीन सुरक्षात्मक देवताओं में से एक हैं, जिन्हें अजन्ता की गुफाओं में चित्रित किया गया है। वे बुद्ध की बुद्धिमता से सम्बन्धित हैं और एक पुरुष बोधिसत्व हैं जिन्हें हाथ में तलवार लिए हुआ दिखाया जाता है।
निष्कर्ष यह कहा जा सकता है कि अवलोकितेश्वर बुद्ध की करुणा व्यक्त करते हैं, वज्रपाणि बुद्ध की शक्ति व्यक्त करते हैं और मंजूश्री बुद्ध के ज्ञान को व्यक्त करते है।
4. सामन्तभद्रः ध्यान और आचरण से सम्बद्ध हैं। बुद्ध और मंजूश्री के साथ मिलकर वे बौद्ध धर्म में शाक्यमुनि त्रिमूर्ति की रचना करते हैं।
5. क्षितिगर्भः इन्हें एक ऐसे बौद्ध भिक्षु के रूप में दिखाया जाता है जिन्होंने तब तक बुद्धत्व प्राप्त करने की शपथ ली थी जब तक कि नर्क पूरी तरह से खाली न हो जाये।
6. मैत्रेयः भविष्य के बुद्ध जो भविष्य में पृथ्वी पर आयेंगे, पूर्ण ज्ञान प्राप्त करेंगे और शुद्ध धर्म की शिक्षा देंगे। हंसते हुए बुद्ध (लाफिंग बुद्ध) को मैत्रेय का अवतार माना जाता है।
7. आकाशगर्भः आकाश तत्व से जुड़े हैं।
8. ताराः यह केवल वज्रयान बौद्ध संप्रदाय से जुड़े हैं और कार्यों एवं उपलब्धियों में सपफलता के गुणों का प्रतिनिधित्व करते हैं।
9. वसुधराः धन, समृद्धि और विपुलता से सम्बन्धित हैं। नेपाल में लोकप्रिय हैं।
10. स्कंदः विहारों और बुद्ध की शिक्षा के रक्षक हैं।
11. सीतातपात्रः वह आलौकिक खतरों के विरुद्ध रक्षा करती हैं और उनकी महायान और वज्रयान ोनों ही सम्प्रदायों में पूजा की जाती हैं।
थेरावाद बौद्ध धर्म
ऽ यह वयस्क भिक्षुओं को संदर्भित करता है।
ऽ यह सम्प्रदाय पाली सिद्धांत (अस्तित्व में एकमात्रा पूर्ण बौद्ध सिद्धांत) में सरंक्षित बुद्ध के उपदेशों को अपने सिद्धांत के मर्म के रूप में मानता है।
ऽ थेरावाद में अंतिम लक्ष्य क्लेशों की समाप्ति और निर्वाण की उत्कृष्ट स्थिति (अवस्था) को प्राप्त करना है अर्थात् पुनर्जन्म एवं दुःख के चक्र से निकलने हेतु सर्वोत्तम आठ-सूत्री मार्ग का अभ्यास किया जाता है। क्लेशों में मानसिक स्थितियाँ सम्मलित हैं जैसे, चिंता, भय, क्रोध, इर्ष्या, लालसा, अवसाद आदि।
ऽ थेरावाद परम्परा के अनुसार, समता और विपसना बुद्ध के द्वारा वर्णित आठ-सूत्री श्रेष्ठ मार्ग के अभिन्न अंग हैं। समता मन को शांत करती है और विपसना का अर्थ है अस्तित्व के तीन गुणों की अंतर्कृष्टिः अस्थायित्व, दुःख और गैर-आत्मा की अनुभूति।
ऽ थेरावाद विभाज्जवाद अर्थात ‘‘विश्लेषण का शिक्षण’’ की अवधारणा में विश्वास करता है।
ऽ विशुद्धिमग्ग (शुद्धिकरण का मार्ग) बौद्ध धर्म की थेरावाद शाखा का सबसे बड़ा ग्रन्थ है। इसकी रचना बुद्धघोष ने पांचवी शताब्दी में श्रीलंका में की थी।
ऽ इसमें शुद्धिकरण के सात चरणों (सन-विशुद्धि) की चर्चा की गयी है। थेरावाद के अंतर्गत निर्वाण प्राप्ति हेतु इनका पालन करना पड़ता है।
ऽ थेरावाद बौद्ध धर्म के लिए पाली पवित्रा भाषा है।
ऽ थेरावाद को हीनयान सम्प्रदाय का परवर्ती माना जाता है।
ऽ विश्व के लगभग 35.8 प्रतिशत बौद्ध थेरावाद परम्परा से संबंधित हैं।
ऽ इसे मानने वाले अन्य देशों में श्रीलंका, कम्बोडिया, लाओस, थाईलैंड, म्यांमार आदि हैं।
वज्रयान बौद्ध धर्म (तांत्रिक बौद्ध धर्म)
ऽ विद्वानों का यह मानना है कि वज्रयान सम्प्रदाय का विकास शाही दरबारों द्वारा बौद्ध धर्म और शैववाद दोनों ही को सरंक्षण देने से हुआ अर्थात् उनका कहना है कि यह हिन्दू धर्म से प्रभावित है।
ऽ उनकी प्रमुख देवता तारा (एक महिला) हैं।
ऽ इसमें बौद्ध दर्शन के साथ ब्राहमणवादी (वेद आधारित) अनुष्ठान भी सम्मलित होते हैं।
ऽ वज्रयान बौद्ध दर्शन के महायान पर आधारित है।
ऽ यह सम्प्रदाय तांत्रिक अनुष्ठानों सम्मिलित कई कुशल उपायों को मुक्ति के तीव्र साधन होने के कारण तन्त्रा, मन्त्रा और यंत्रों की श्रेष्ठता को मानता है ।
ऽ इस सम्प्रदाय के अनुसार, महायान की छः पूर्णता या पारमिता की तुलना में मन्त्र बुद्धत्व प्राप्त करने का एक सरल उपाय है।
ऽ विश्व की 5.7 प्रतिशत बौद्ध जनसंख्या इससे सम्बन्धित है।
ऽ अन्य देश जहाँ इसके अनुयायी हैं उनमें तिब्बत, भूटान, मंगोलिया, कल्मकिया आदि सम्मलित हैं।
बुद्ध द्वारा भ्रमण किये गये स्थल
बुद्ध ने जिन राज्यों और साम्राज्यों का भ्रमण किया वे कोशल और मगध द्वारा शासित थे। इन दोनों राज्यों के अंतर्गत आने वाले स्थानों में कपिलावस्तु, राजगृह, वैशाली, गया, बोध गया, सारनाथ, कौशाम्बी, श्रावस्ती ;कोशल की राजधानीद्ध, कुशीनगर, नालंदा, मथुरा, वाराणसी, साकेत, चम्पापुरी आदि थे।
प्राचीन काल में बुद्ध के प्रमुख शिष्य
1. सारिपुत्त . मुख्य शिष्य
2. महामोग्गलन . मुख्य शिष्य
3. आनंद दृ बुद्ध की शिक्षाओं का सबसे अधिक श्रवण किया।
4. महाकश्यप
5. पूर्ण मैत्राी-पुत्रा
6. अनुराधा
7. राहुल
8. कात्यायन
9. उपाली
10. अनंतपिंडक
11. सुभूति
12. जीवक
बौद्ध धर्म से सम्बन्धित अन्य प्रमुख व्यक्तित्व
ऽ नागसेनः उन्होंने मिनान्दर . प् ;या मिलिंदद्ध भारत-यूनानी राजा द्वारा बौद्ध धर्म पर पूछे गये प्रश्नों के उत्तर दिए, और यह वार्तालाप मिलिंद पन्हो नामक पुस्तक में 150 शताब्दी के आसपास दर्ज की गयी थी।
ऽ नागार्जुनः 150 से 250 शताब्दी के लगभग जीवनकाल रहा और महायान बौद्ध धर्म के माध्यमक सम्प्रदाय के संस्थापक थे।
ऽ वसुबन्धुः चैथी-पांचवीं शताब्दी में गांधार से महायान बौद्ध धर्म के उन्नायक थे और उन्होंने सर्वस्तिवाद और सौत्रांतिक विचारधारा के दृष्टिकोण से लिखा था।
ऽ बोधिधर्मः जीवनकाल पांचवी या छठी शताब्दी के आसपास। उन्होंने बौद्ध धर्म का चीन में प्रसार किया था।
ऽ बुद्धघोषः पांचवी शताब्दी के भारतीय थेरावादी बौ( टीकाकार और अपने विद्वतापूर्ण पुस्तक विशुद्धिमग्ग (शुद्धिकरण का मार्गद्ध के लिए विख्यात हुए।
ऽ पद्मसम्भवः आठवीं शताब्दी के भिक्षु, जिन्हें तिब्बत, नेपाल, भूटान और हिमालय-स्थित राज्यों में ‘दूसरे बुद्ध’ के रूप में जाना जाता है।
ऽ अतिशः एक बंगाली बौद्धधर्म गुरु और प्रमुख व्यक्तित्व थे। उन्होंने ग्याहरवीं शताब्दी में एशिया में तिब्बत से सुमात्रा तक महायान एवं वज्रयान संबंधी बौद्ध विचारों को प्रेरणा दी।
ऽ दलाई लामाः ये तिब्बती बौद्ध धर्म के पीली टोपी वाली शाखा के आधुनिक आध्यात्मिक गुरू हैं।
नवयान बौद्ध धर्म
नवयान विचारधारा (शाखाद्ध को डाॅ. बी. आर. अम्बेडकर द्वारा प्रतिपादित बौद्ध धर्म की नयी शाखा माना जाता है। यह थेरावाद, महायान और वज्रयान की मान्यता प्राप्त पारम्परिक प्रथाओं से भिन्न है और उन्हें अस्वीकार करता है। यह बौद्ध परम्पराओं का आधार माने जाने वाली प्रथाओं और उपदेशों, जैसे परित्याग करने वाले भिक्षु और मठ व्यवस्था, कर्म, मृत्यु के पश्चात पुनर्जन्म, संसार, ध्यान, प्रबुद्धता और चार श्रेष्ठ सत्य को नकारता है। यह कठोरता से बौद्ध धर्म की मूल शिक्षाओं की व्याख्या वर्ग संघर्ष और सामाजिक समानता के रूप में करता है।
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