JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now

हिंदी माध्यम नोट्स

Categories: 12th geography

पर्यावरणीय समस्याएँ व समाधान , पर्यावरण , प्रदुषण क्या है ? , वायु प्रदूषण , ग्रीन हाउस प्रभाव (हरित गृह) 

पर्यावरणीय समस्याएँ व समाधान :

पर्यावरण = परि + आवरण = चारो ओर

पर्यावरण (Biophysical environment) : हमारे आस-पास का भौतिक प्राकृतिक व सामाजिक आवरण को ही पर्यावरण कहते है।

प्रश्न  : प्रदुषण क्या है ?

उत्तर : प्रदूषण प्रदूषको से फैलता है जीवो के आस-पास जो घटक रहते है , उनमे कमी या वृद्धि होने को ही प्रदुषण में आता है या उसे प्रदूषण कहते है।

प्रदूषण चार प्रकारों में होता है –

  1. वायु प्रदूषण
  2. जल प्रदुषण
  3. मृदा प्रदूषण
  4. ध्वनी प्रदूषण
वायु प्रदूषण :
  • क्या है ?
  • कारण
  • समस्याएं
  • समाधान
वायु प्रदूषण : वायु ,मंडल में जो गैसे होती है उनमे सिमित मात्रा होती है। अगर उनमे थोड़ी भी वृद्धि या कमी आती है तो वायु प्रदुषण होता है।
कारण :
1. कृषि
(i) प्राथमिक क्रियाकलाप :
  • वनों की कटाई
  • रासायनिक उर्वरक
  • खेतो में अवशिष्ट पदार्थो को जलाने से प्रदूषण
2. खनन : खनन क्रिया से जो भी गैसे पृथ्वी या स्थल भाग से ऊपर आ जाती है जैसे – वातावरण में CH4 मेथेन की मात्रा में वृद्धि।
3. पशुपालन : पशुओ के कारण पेड़ पौधों की कमी।
4. वानिकी : वनों में दावाअगनी का फैलना।
ii. द्वितीय क्रियाकलाप :
उद्योग : ऊर्जा उत्पादन के साथ ही गैसों में वृद्धि।
तृतीय क्रियाकलाप :
परिवहन
सभी साधनों का अत्यधिक दोहन होना।

ग्रीन हाउस प्रभाव (हरित गृह)

सूर्य की तुलना कर के इन सभी रेखाओ व अक्षांशो का निश्चिय किया है।
सूर्य की किरणें विधि पड़ती है उसे उष्णकटिबंधीय क्षेत्र कहते है।
ेल्सियस १८०सतापमान सूर्य की किरणों तिरछी पड़ती है उसे शीतोष्ण क्षेत्र कहते है।
सूर्य की किरणों जहाँ नहीं पहुँच पाते है उसे शीत क्षेत्र कहते है।
ग्रीन हाउस गैसे : CO2 , CH4 , CF6 , CEC , NO2 जलवाष्प , इन सभी गैसों के कारण ही वैश्विक तापन कहलाता है।
वैश्विक तापन : ग्रीन हाउस गैसों के कारण पृथ्वी का तापमान पड़ता है उसे ही वैश्विक तापन होता।
परिणाम :
  1. हिमानी व बर्फ का पिघलना
  2. समुद्री जल स्तर का बढ़ना
  3. सदावाहनी नदी की कमी
  4. दिपिय राष्ट जलमग्न का हो जाना
  5. तटीय किनारे स्थित जलोद मृदा का जलमग्न हो जाएगी जिस कारण से उत्पादन में अत्यधिक कमी आयेगी।
  6. मूंगा ऐसा जीव होता है जिस पर समुद्र की सम्पूर्ण आहार निर्भर करती है , अगर वैश्विक तापन जारी रहता है तो इस वैश्विक तापन के परिणाम स्वरूप समुद्र के तापमान में थोड़े से परिवर्त प्रवाल के हरे रंग के पीले रंग में बदल देता है जिसे प्रवाल बिरजन कहा जाता है।  ऐसी स्थिति में वह अपना खाना खुद नहीं बना सकते , इसके कारण वह नष्ट हो जाते है। जिससे समुद्र के पूरी आहार व्यवस्था नष्ट हो जाती है उससे कई मछलियाँ मर जाती है और फिर मनुष्य अपना भोजन प्राप्त करने में असमय होता है।
  7. वैश्विक तापन के कारण जलवायु परिवर्तन की स्थिति उत्पन्न होती है।  इस कारण से ऐसी हिमानी जो नदिये का स्रोत है , वह बर्फ पिघलने से पहले तो बाढ़ होती है बाद में वह सुख जाती है।

ओजोन परत का क्षय

क्षोभमंडल को परिवर्तन मंडल भी कहा जाता है और मौसमी घटनाएं भी इस में होती है।
ओजोन परत : ओजोन परत सूर्य से आने वाली हानि कारक किरणों को रोकती है।
CFC कार्बन है , वह पृथ्वी व वायुमण्डल का तापमान बढ़ता है इससे लगातार ओजोन परत में छेद हो रहे है।
ओजोन परत को क्षय करने वाली गैसे : कफ्स, क्लोरिन , ब्रोमिन , मिथाइल क्लोरोफार्म , कार्बन , कार्बन टेट्रा क्लोराइड।
अम्लीय वर्षा : सल्फ्यूरिक अम्ल H2SO4 व नाइट्रिक अम्ल का संयुक्त SO2 व NO2 की वायुमंडल में उपस्थिति होने के कारण वर्षा के सम्पर्क में आने से अम्ल के रूप में परिवर्तन होता है , इस वायुमण्डल में SO2 व NO2 की प्राप्ति उद्योगिकरण के फलस्वरूप प्राप्त होती है।

अम्लीय वर्षा के कारण नुकसान

  1. भारत में स्थित प्राचीन इमारत , स्मारकों व हवेलियों में अम्लीय वर्षा से रासायनिक अभिक्रिया के द्वारा रूप परिवर्तन हो जाता है जिससे उनकी चमक फीकी पड़ जाती है और ये जल्दी ही नष्ट हो जाते है।
  2. इससे भूमि की उर्वरकता में कमी आती है।
  3. अम्लीय वर्षा के कारण जो पिने का पानी दूषित हो जाता है।
  4. मानव में त्वचा व सांस की बीमारी हो जाती है व आँखों में जलन होने लगती है।
  5. अम्लीय वर्षा के कारण पत्ती पर एक अम्ल की परत बन जाती है जिसके कारण पत्ती अपनी वृद्धि जनन व वाष्पोउत्सर्जन जैसी किया नहीं कर पाती है।
  6. इससे कई क्षेत्रो में वनों के नष्ट हो जाते है।
  7. अम्लीयता के कारण तालाबो व झीलों जो पादप व जैविक समुदाय पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।
  8. अम्लीय वर्षा के कारण वायु फैलाव दूर दूर तक प्रदूषण बढ़ जाता है।

अम्लीय वर्षा के समाधान

कारण : SO2 व NO2
1. उद्योग
2. परिवहन के साधनों के उपयोग से।
3. जीवाश्म ईंधन का जलाने पर
समाधान :
1. उद्योग : उद्योगों के पास जौ SO2 व NO2 गैसों होते है व निकलती है उन्हें वही पर निर्मित किया जाना चाहिए।2. परिवहन : हमें पेट्रोल व डीजल की जगह सौर व पवन वाहनों का उपयोग करना चाहिए।
3. जीवाश्म ईंधन : जीवाश्म इंधनों के बजाय हमे विद्युत ऊर्जा का प्रयोग करना चाहिए।
जलाशयों में CaCO का प्रयोग करना चाहिए।
Sbistudy

Recent Posts

मालकाना का युद्ध malkhana ka yudh kab hua tha in hindi

malkhana ka yudh kab hua tha in hindi मालकाना का युद्ध ? मालकाना के युद्ध…

4 weeks ago

कान्हड़देव तथा अलाउद्दीन खिलजी के संबंधों पर प्रकाश डालिए

राणा रतन सिंह चित्तौड़ ( 1302 ई. - 1303 ) राजस्थान के इतिहास में गुहिलवंशी…

4 weeks ago

हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ? hammir dev chauhan history in hindi explained

hammir dev chauhan history in hindi explained हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ?…

4 weeks ago

तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच हुआ द्वितीय युद्ध Tarain battle in hindi first and second

Tarain battle in hindi first and second तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच…

4 weeks ago

चौहानों की उत्पत्ति कैसे हुई थी ? chahamana dynasty ki utpatti kahan se hui in hindi

chahamana dynasty ki utpatti kahan se hui in hindi चौहानों की उत्पत्ति कैसे हुई थी…

1 month ago

भारत पर पहला तुर्क आक्रमण किसने किया कब हुआ first turk invaders who attacked india in hindi

first turk invaders who attacked india in hindi भारत पर पहला तुर्क आक्रमण किसने किया…

1 month ago
All Rights ReservedView Non-AMP Version
X

Headline

You can control the ways in which we improve and personalize your experience. Please choose whether you wish to allow the following:

Privacy Settings
JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now