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जीव विज्ञान नोट्स कक्षा 11 इन हिन्दी biology notes in hindi 11th class , ncert , mp board

biology notes in hindi 11th class 11 कक्षा जीव विज्ञान नोट्स इन हिन्दी ncert , BOSER , राजस्थान बोर्ड , mp board ,  chapter wise , unit wise , topic wise सभी पाठ के नोट्स पढ़े बिल्कुल फ्री बिना लॉग इन किये | यहाँ जीव विज्ञान के टॉपिक के लिंक दिए गए है आपको जो भी नोट्स पढने हो उस पर क्लिक करके पढ़ ले | एनसीईआरटी biology (बायोलॉजी) नोट्स कक्षा 11 वीं 2018 – 2019 हिन्दी में , NCERT biology notes of class 11th in hindi language for all lessons in hindi font

जब आप 10th पास करके 11th कक्षा में प्रवेश करते है और बायोलॉजी या जिव विज्ञान को अपनी पसंदीद विषय में लेते है तो आपको इस विषय के प्रति बहुत एक्टिव रहने की आश्यकता होती है , इस विषय में आप हमारे चारों ओर पर्यावरण में पाए जाने वाले विभिन्न प्रकार के जन्तुओं या जीवों और उनके जीवन , दैनिक क्रिया आदि का अध्ययन करते है |

इस विषय में आप जितनी अधिक रूचि लेते है यह विषय आपको उतनी ही बेहतर लगती है और उतनी ही अधिक गहनता से आप इस विषय को पढने लगते है , अगर आप इस विषय में बहुत अधिक अच्छे मार्क्स लाना चाहते है तो चीजो को बार बार पढ़े क्यूंकि इसमें शुरू में नामों को याद करने में परेशानी हो सकती है लेकिन जब आपको ये याद होने लगते है तब यह विषय बहुत ही सरल लगने लगती है |

इसी विषय को अधिक स्ट्रोंग करके आप मेडिकल में लगने वाली विभिन्न प्रतियोगी परीक्षा जैसे NEET , AIIMS या किसी उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए अच्छे विश्वविद्यालय में प्रवेश के लिए आपका मूल बहुत स्ट्रोंग होना जरुरी है , इसके लिए आप निम्न नोट्स को पढ़े और किसी भी प्रकार की कोई त्रुटी मिलने पर हमें कमेंट में बताएं हम उसे ठीक करने का प्रयास करेंगे |

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

  • दृष्टि दोष , नेत्र या आँख के रोग , कर्ण – श्रवणों – संतुलन संवेदांग के कार्य , क्रियाविधि , संरचना defects of vision
  • प्राचीन भारत में जीव विज्ञान : हमारे वेदों और उपनिषदो में जीवों के वर्गीकरण के बारे में जानकारी मिलती है। हमारे वैदिक साहित्य में लगभग 740 प्रकार के पेड़ पौधों का वर्णन किया गया है इसके साथ ही इसमें लगभग 250 प्रकार के जंतुओं का वर्णन किया गया है।हमारे पुराने साहित्य में उपलब्ध जानकारी निम्न प्रकार है –

    1. सुश्रुत संहिता :  इसमें जीवो को निम्न दो भागों में वर्गीकृत किया गया है –

    • स्थावर : इस श्रेणी में पेड़ पौधों के समान स्थिर जीवों को रखा गया है अर्थात इस श्रेणी में उन जीवों को रखा गया है जो पेड़ पौधों की तरह अगतिशील रहते है।
    • जंगम : इस श्रेणी में जंतुओं के समान गतिशील जीवों को रखा गया है , अर्थात इस श्रेणी में उन जीवो को रखा गया है जो जन्तुओं की तरह गति कर सकते है।
    2. छांद्योग्य उपनिषद : इस उपनिषद में जंतुओं को तीन भागो में बाँटा गया है –
    • जीवज : इस श्रेणी में स्तनधारियों को रखा गया है।
    • अंडज : इसमें पक्षी , सरीसृप , कीट एवं कृमि
    • उद्भिज : इसमें छोटे छोटे जीवों या जंतुओं को रखा गया है।
    प्राचीन भारत में चिकित्सा विज्ञान :  धन्वन्तरि को चिकित्सा का भगवान कहा जाता है तथा सुश्रुत को सर्जरी का जनक कहते है। वैदिक काल के दौरान अश्विनी कुमार द्वारा चिकित्सकीय अभ्यास किया गया।
    प्राचीन भारत में चिकित्सा विज्ञान के कुछ महत्वपूर्ण सन्दर्भ निम्नलिखित है –
    सुश्रुत ने मृत शरीर पर मानव शारीरिकी का अध्ययन किया।
    सुश्रुत ने मानव नाक पर प्लास्टिक सर्जरी की।
    सुश्रुत के द्वारा मानव की आँख की सर्जरी का तरीका बताया गया जिसे ओप्थेल्मिक सर्जरी कहा जाता है जैसे : कैटरेक्ट का निस्सारण।
    सुश्रुत ने ऑपरेशन करने के बाद हो रहे रक्त के स्त्राव को रोकने के लिए अर्थात रक्त का धक्का बनाने के लिए विषरहित जोंक का उपयोग किया
    आगे चलकर यह वैज्ञानिक रूप से स्पष्ट हुआ कि जोंक की लार के साथ हिरुडीन स्त्रावित होता है जो कि इस प्रकार का प्रभाव उत्पन्न करता है अर्थात रक्त का धक्का बनाता है।
    चरक संहिता : अत्रेय के मार्गदर्शन में अग्निवासा द्वारा लिखा गया था। इस ग्रन्थ में पाचन , उपापचय और प्रतिरक्षा के सिद्धांतो के बारे में सबसे पहले वर्णन किया गया।
    तैतिरीय उपनिषद : इस उपनिषद में उदविकास की प्रक्रियाओ के बारे में उपयोगी अवलोकनों का वर्णन किया गया है , इस उपनिषद के अनुसार जीवन की उत्पत्ति अन्तरिक्ष में हुई।
    मनु संहिता या मनुस्मृति : इस ग्रन्थ में उद्विकास के बारे में विस्तार से वर्णन किया गया है , यह संस्कृत भाषा में लिखा गया है।
    विज्ञान और तकनिकी विज्ञान : वैज्ञानिको की नयी नयी खोजे मानव के लिए व्यवहारिक हो सकती है , जब नयी नयी तकनीकी का आविष्कार होता है वैसे वैसे नयी शाखाओ का विस्तार होता है साथ वैसे कार्य व खोजे होती है जो पहले संभव नहीं थी।
    जैसे रेडियोएक्टिव आइसोटोप (समस्थानिक) की खोज से उपापचयी मार्ग का पता लगना संभव हो पाया।
     सूक्ष्मदर्शी की खोज के बाद इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी के विकास ने जीव विज्ञान में काफी विकास संभव हो पाया , यह उपकरण जीव विज्ञान में एक उपयोगी यंत्र साबित हुआ।
    इसके द्वारा डीएनए की संरचना , प्रोटीन आदि कई जैविक अणुओं का अध्ययन किया जाता है।
    जैव प्रोद्योगिकी और आनुवांशिक अभियन्त्रिकी विभिन्न स्रोतों से ज्ञान एकत्रित करने के कारण लाभदायक है।  यह सही है कि आधारभूत अनुसंधानों का क्षेत्र परिपूर्ण होता है। व्यवहारिक अनुसंधानों के परिणाम आधारभूत अनुसन्धानों के क्षेत्र का अन्वेक्षण और विस्तृत करने में योगदान देते है।

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