जीव जगत का वर्गीकरण नोट्स पीडीएफ अध्याय 2 कक्षा 11 biological classification class 11 notes in hindi
biological classification class 11 notes in hindi जीव जगत का वर्गीकरण नोट्स पीडीएफ अध्याय 2 कक्षा 11 ?
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जीव जगत को विभिन्न वर्गों में वर्गीकृत किया जाता है ताकि हम उन्हें समझें और अध्ययन करें। जीव जगत का वर्गीकरण उनकी संरचना, गुण, और अन्य विशेषताओं के आधार पर किया जाता है।
जीव जगत का वर्गीकरण प्रमुखतः निम्नलिखित वर्गों में किया जाता है:
1. विषाणुजीव (Virus): अणुस्त्रीय रचना वाले अनुकरणात्मक जीव होते हैं जो अन्य कोशिकाओं में पराजीवी तरीके से विकसित होते हैं।
2. जीवों के बाहरी संरचनात्मक कोशिकाएं (Prokaryotes): इसमें बैक्टीरिया और आर्किया शामिल होते हैं। इनमें सदृश कोशिकाएं और कोशिकीय नियंत्रण के बारे में गुण होते हैं।
3. एककोशीय ईकोजिया (Protista): ये एक कोशिका या संगठित कोशिकाएं रखने वाले जीव होते हैं जिनमें एकता और विविधता होती है।
4. अवपक कवक (Fungi): ये एककोशिय जीव होते हैं जो वनस्पतियों से अपने आहार को प्राप्त करते हैं। इनमें मशरूम्स, कवक, और येस्ट शामिल होते हैं।
5. वनस्पतियाँ (Plantae): इस वर्ग में वनस्पतियाँ, यानी पौधे, आते हैं। ये जीवों के रूप में शामिल होते हैं जो सूर्य के प्रकाश को ऊर्जा में बदलते हैं और ऑक्सीजन का उत्पादन करते हैं।
6. जन्तुजीव (Animalia): इस वर्ग में जन्तुओं, यानी पशुओं, को सम्मिलित किया जाता है। ये जीवों के रूप में शामिल होते हैं जिनमें शारीरिक गतिविधियाँ होती हैं और जो आहार को प्राप्त करने और संजीवनी करने के लिए अपने आसपास के पर्यावरण का उपयोग करते हैं।
यह वर्गीकरण प्रमुख वर्गों को संक्षेप में दर्शाता है, लेकिन वास्तविकता में जीव जगत बहुत अधिक विविधता और उपवर्गों में विभाजित है। कई अन्य उपवर्ग और वर्गों का अध्ययन भी किया जाता है जो जीव जगत की और विस्तारित छवि प्रदान करते हैं।
एननमेलिया
एननमेलिया (Annelida) एक प्रमुख जीव जगत का फाइलम (Phylum) है। यह फाइलम भूमि, समुद्र, और मीठे पानी के संरचित भागों में पाया जाता है।
एननमेलिया के सदस्यों को “जोंडा की जीवों” के रूप में भी जाना जाता है, क्योंकि उनके शरीर का ढंग रंगीन तारों या जोंडों की तरह होता है। इस जीव जगत में अनेक प्रकार के जीव पाए जाते हैं, जैसे की कीचड़ जीव, सूखी जमीन जीव, और समुद्री जीवों की लारवा।
एननमेलिया के सदस्यों के शरीर को कई खंडों में बांटा जाता है, जिन्हें सेगमेंट्स या रेखांश कहा जाता है। हर एक सेगमेंट में मांसपेशियाँ, पांचतंतु रेखाएं, और पक्षीय नसें होती हैं। यह सेगमेंट्स उनके शरीर को मोटा, लंबा और नागरिकरणीय बनाते हैं, जिससे उन्हें गतिशीलता और संवेदनशीलता मिलती है।
एननमेलिया के प्रमुख प्रतिनिधि जीवों में सिलीग्नाथस, पोलिकेट, लीच, और कच्छप शामिल होते हैं। ये जीव जल और स्थलीय पर्यावरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और खाद्य जंतुओं, जलजीव, और मृत वस्तुओं को खा सकते हैं।
प्लांटी
“प्लांटी” शब्द एक संक्षेप में वनस्पतियों (Plants) को संदर्भित करता है। वनस्पति जीव जगत का एक विशाल और विस्तृत वर्ग है। वनस्पतियाँ सृजनात्मक और स्थायी होती हैं और भूमि, जल, और हवा में बसने के लिए अपनी विशेषताओं का उपयोग करती हैं।
वनस्पतियों की कुछ मुख्य विशेषताएं शामिल हैं:
1. सब्जीय शरीर: वनस्पतियों के शरीर का आदान-प्रदान चोटी, डंठल, और खुरी जैसी अंगों के द्वारा होता है। इनके माध्यम से वनस्पतियाँ ऊर्जा और पोषक तत्वों को प्राप्त करती हैं।
2. कोशिकाएं: वनस्पतियों के शरीर में कोशिकाएं होती हैं जो उनके संरचनात्मक और कार्यात्मक इकाई होती हैं। इनमें क्लोरोप्लास्ट होते हैं, जो प्रकाश से ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए जिम्मेदार होते हैं।
3. फोटोसिंथेसिस: वनस्पतियाँ सूर्य के प्रकाश का उपयोग करके फोटोसिंथेसिस नामक प्रक्रिया के द्वारा अपना खाद्य बनाती हैं। इस प्रक्रिया में, वनस्पतियाँ कार्बन डाइऑक्साइड को सूर्य की ऊर्जा के साथ उपयोग करके ऑक्सीजन और प्राणियों के लिए पोषक पदार्थ जैसे शर्करा उत्पन्न करती हैं।
4. जीवाश्म: वनस्पतियाँ शून्य वनस्पति जीवाश्म (बचे हुए भाग) को भी प्रदान करती हैं। इन जीवाश्मों से नए पौधों का उद्भव होता है और इसके माध्यम से प्रजनन और अद्यावधिकता संभव होती है।
वनस्पतियाँ पृथ्वी पर विविधता के साथ पाई जाती हैं, जैसे की पेड़, गहरे जड़ीबूटी, घास, फूल, और फल। इनके माध्यम से प्रकृति के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दिया जाता है, साथ ही इनके द्वारा हमें ऑक्सीजन, आहार, और अन्य उपयोगी पदार्थ मिलते हैं।
जीवन की तीन विमाएँ
जीवन की तीन मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:
1. जन्म (उत्पत्ति): जीवन की पहली विमा है जन्म या उत्पत्ति। जीवित जीव की शुरुआत उत्पन्न होने से होती है। यह उस समय होता है जब एक जीव अपनी मात्रा में अविकारी रूप से बनता है और अपने विशिष्ट संरचना और विशेषताओं के साथ विकसित होता है।
2. विकास (प्रगति): जीवन की दूसरी विमा है विकास या प्रगति। यह जीवन की प्रक्रिया है जिसमें जीव अपने जीवनकाल में बदलता है और विकसित होता है। इसमें शारीरिक, मानसिक और सामाजिक परिवर्तन होते हैं जो जीव को अधिक प्रगति, सामरिकता और समर्पणता की ओर ले जाते हैं। विकास के दौरान जीव में संगठन, ग्रोथ, वृद्धि और विकसित अंग तथा विशेषताएँ विकसित होती हैं।
3. मृत्यु (नष्टि): जीवन की तीसरी विमा है मृत्यु या नष्टि। यह वह समय होता है जब जीव अपनी जीवनशक्ति खो देता है और जीवनकाल का अंत होता है। इसमें जीव के शरीर में आयु या जीवनशक्ति की क्षीणता होती है जिससे शारीरिक क्रियाओं का संक्षिप्त होने लगता है और अंतिम रूप से जीव अपनी जीवन प्रक्रियाओं को समाप्त कर देता है।
मोनेरा (Monera) जीव जगत का एक वर्ग है, जो पुराने टैक्सोनोमिक व्यवस्था में प्रायः एक समान रूप से वर्गीकृत किया जाता था। हालांकि, आधुनिक जैव विज्ञान में इसका उपयोग अधिकांश दृष्टियों से छोटे जीवों के लिए किया जाता है, जिन्हें प्रोकैरियोट (prokaryote) कहा जाता है।
मोनेरा वर्ग में प्रोकैरियोटिक जीवों को सम्मिलित किया जाता है, जो सरल संरचना और एकावर्ती शरीर वाले होते हैं। इनकी कोशिकाओं में संवर्धन या नभिज कोशिका (nucleoid) पाया जाता है, जो उनकी जीवन क्रियाओं के लिए आवश्यक जीनेटिक सामग्री (DNA) को संचित करता है।
मोनेरा का वर्गीकरण दो उपवर्गों में हो सकता है:
1. बैक्टीरिया (Bacteria): यह उपवर्ग बैक्टीरिया या कीटाणु (बैक्टीरिया) को सम्मिलित करता है, जो सबसे छोटे प्रोकैरियोटिक जीव होते हैं। ये एककोशीय होते हैं और समूहों में व्यवस्थित होते हैं जिन्हें कोलोनी या जीवालय कहा जाता है। बैक्टीरिया विविधतापूर्ण प्रकृति के साथ वातावरण में पाए जाते हैं और अन्नप्राणियों, मानव और पर्यावरण के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
2. आर्केया (Archaea): आर्केया उपवर्ग में वह प्रोकैरियोटिक जीव सम्मिलित होते हैं जो विशेष प्रकृतिक परिवेशों में पाए जाते हैं, जैसे कि एकट्रिम हाइलोफाइल, उष्णकटिबंधीय जलाशय, हाइपरथर्मल स्प्रिंग्स आदि। आर्केया विविधतापूर्ण प्रकार के संबंधित जीवों को सम्मिलित करता है, जिन्हें जल वायुदाली, जल धातुदाली और आयरन धातुदाली जैसे आवासीय स्थलों में पाया जाता है।
इस प्रकार, मोनेरा वर्ग में एकजीवियों को सम्मिलित किया जाता है जो सरल संरचना, एकावर्ती शरीर और विभिन्न पर्यावरणीय अनुकूलताओं में पाए जाते हैं।
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