JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now

हिंदी माध्यम नोट्स

Categories: Biology

जैव भार (Bio mass in hindi) , काष्ठ Wooden in hindi , काष्ठ ईंधन की विशेषताएं , जैव ऊर्जा नवीनीकृत ऊर्जा

जैव भार (Bio mass) :

  • जैव ऊर्जा का मूलतः स्रोत सूर्य से प्राप्त होने वाला प्रकाश तथा पृथ्वी पर पहुचने वाले कुल सौर ऊर्जा में से 0.2% ऊर्जा प्रकाश संश्लेषण के द्वारा जैव भार के रूप में संचित की जाती है।
  • वे सभी पदार्थ जो प्रकाश संश्लेषण के फलस्वरूप उत्पन्न होते है जैव भार कहलाते है तथा यह सभी पदार्थ नवीनीकृत ऊर्जा के स्रोत है। तथा इसके अंतर्गत सम्मिलित किये गए पदार्थ निम्न प्रकार है :-

(A) जलीय पादप जैसे – जलकुम्भी।

(B) पादपों से प्राप्त होने वाले कुछ अपशिष्ट पदार्थ जैसे खाद्य , कूड़ा करकट , फसलो के अवशेष जैसे चारा , निम्बू के छिलके , बचे हुए गन्ने के भाग , नारियल के रेशे , गुड , महुआ , फुल , पत्ती , गोबर आदि।

(C) कुछ लिग्नो सेल्युलोज युक्त पादप जैसे चिड , Euclyptus की कई प्रजाति , मक्का , गन्ना , चुकुन्दर , ल्युसीना आदि।

काष्ठ

  • काष्ठ सबसे सामान्य प्रकार का ईंधन स्रोत है जिसे परंपरागत रूप से मनुष्य के द्वारा इंधन के रूप में उपयोग किया जा रहा है।
  • भारत की लगभग 50% जनसंख्या इंधन के रूप में काष्ठ का उपयोग करती है तथा यह उपयोग , घरेलु कार्यो व सामान्यत: लघु उद्योगों में उपयोग की जाती है।
  • सम्पूर्ण विश्व में एशिया तथा अफ्रीका के अधिकतर देशो में ऊर्जा के स्रोत के रूप में काष्ठ का उपयोग किया जाता है।
  • काष्ठ का उपयोग हमारे देश में वन के विनाशो का तथा पर्यावरणीय प्रदुषण का एक प्रमुख कारण माना जाता है।

प्रश्न 1 : जैव ऊर्जा के रूप में उपयोग किये जाने वाले काष्ठ ईंधन की विशेषताएं बताइये।

उत्तर : काष्ठ इन्धन की प्रमुख विशेषताएँ निम्न प्रकार से है –

  • जैव ऊर्जा के यह स्रोत आसानी से उपलब्ध होता है , इसे प्राप्त करने हेतु किसी विशिष्ट तकनीक की आवश्यकता नहीं होती है।
  • काष्ट का नवीनीकरण या पुर्न:भरण होता रहता है।
  • शुद्ध काष्ठ का 99% भाग ज्वलनशील होता है।
  • अनेक पादप जातियों का काष्ठ ईंधन के रूप में उपयोग किया जाता है।
  • काष्ठ को घरेलु कार्यो से लेकर लघु उद्योगों तक प्रयुक्त किया जा सकता है।

प्रश्न 2 : ऊर्जा के स्रोत के रूप में उपयोग की जाने वाली उत्तम काष्ठ की विशेषतायें बताइये।

उत्तर : उत्तम काष्ठ की विशेषताएँ निम्न है –

  • ऐसी काष्ठ की उच्च दहन क्षमता होनी चाहिए।
  • जलाने पर उच्च कैलोरी की ऊर्जा प्राप्त होनी चाहिए।
  • जलाये जाने पर न ही फटनी चाहिए तथा न ही टुकडो में परिवर्तित होनी चाहिए , ऐसी काष्ठ में रेजिन तथा नमी की मात्रा कम होनी चाहिए ताकि ऐसी काष्ठ को आसानी से सुखाया जा सके।
  • ऐसी काष्ठ को जलाने पर कम धुआं उत्पन्न होनी चाहिए तथा उत्पन्न होने वाली धुंआ कम दुर्गन्ध वाली होनी चाहिए।

प्रश्न 3 : भारत में काष्ठ रूप में उपयोग की जाने वाली कुछ प्रमुख पादप प्रजातियों का नाम बताइये।

उत्तर : कुछ प्रमुख पादप प्रजातियाँ निम्न है –

देशी बबूल , कुमटा , शीशम , आम , जामुन , अंग्रेजी बबुल , खेजड़ी , शलाई , रोधडा तथा रोंज।

नोट 1 : सम्पूर्ण विश्व में प्रमुखत: जैव ऊर्जा के दो स्रोत पाए जाते है इन्हें जैव निम्नीकरण तथा अनिम्नीकरण स्रोत के नाम से जाना जाता है।  इन स्रोतों में से लगभग 80% जैव ऊर्जा के स्रोत अनवीनकरणीय होते है जबकि 20% स्रोत नवीनीकृत किये जा सकते है।

नोट 2 : अनवीनीकृत ऊर्जा का लगभग 76% जीवाश्मी ईंधन से प्राप्त होता है , वही शेष नाभिकीय ऊर्जा से प्राप्त होता है। नवीनीकृत ऊर्जा के स्रोतों में से 11% जैव भार से तथा शेष जल विद्युत भूगर्भीय ताप स्रोतों से तथा सौर व पवन ऊर्जा से प्राप्त होते है।

ऐसे ऊर्जा के स्रोत जिन्हें पुन: प्राप्त नहीं किया जा सकता , अनवीनीकृत स्रोत कहलाते है।

सभी जीवाश्मी ईंधन जैसे पेट्रोलियम , कोयला तथा नाभिकीय ऊर्जा के स्रोत जैसे युरेनियम-235 व युरेनियम-238 अनवीनीकृत ऊर्जा के स्रोत है।

ऊर्जा के वे स्रोत जिनका पुर्न: भरण किया जा सके या जिन्हें पुनः प्राप्त किया जा सके नवीनीकृत ऊर्जा के स्रोत कहलाते है।  विद्युत जल , पवन ऊर्जा , सौर ऊर्जा , ज्वारीय ऊर्जा , जैव भार आदि नवीनीकृत ऊर्जा के स्रोत हो सकते है।

प्रश्न 4 : जैव ऊर्जा नवीनीकृत ऊर्जा के स्रोत में अधिकतम उपयोग की जाने लगी है , क्यों ?

उत्तर : निम्न कारणों से इसका उपयोग अधिकतम किया जाने लगा है –

  • यह ऊर्जा के सबसे सस्ता , नवीनीकृत तथा स्थानीय स्तर पर उपलब्ध स्रोत है।
  • इसके उपयोग से कार्बन डाई ऑक्साइड तथा SO2 कम मात्रा में उत्पन्न होती है , जिसके कारण पर्यावरणीय प्रदुषण का खतरा कम होता है।
  • ऊर्जा के यह स्रोत कच्ची सामाग्री के रूप में आसानी से उपलब्ध रहते है तथा प्रयाप्त मात्रा में एकत्रित किये जा सकते है व इनके अपशिष्ट को भी उपयोगी पदार्थ के रूप में उपयोग किया जा सकता है।
  • ऊर्जा के इस स्रोत का नवीनीकृत या पुर्नभरण आसानी से हो सकता है अत: उर्जा के इस स्रोत का उपयोग शून्य नहीं हो सकता है।
Sbistudy

Recent Posts

सती रासो किसकी रचना है , sati raso ke rachnakar kaun hai in hindi , सती रासो के लेखक कौन है

सती रासो के लेखक कौन है सती रासो किसकी रचना है , sati raso ke…

15 hours ago

मारवाड़ रा परगना री विगत किसकी रचना है , marwar ra pargana ri vigat ke lekhak kaun the

marwar ra pargana ri vigat ke lekhak kaun the मारवाड़ रा परगना री विगत किसकी…

15 hours ago

राजस्थान के इतिहास के पुरातात्विक स्रोतों की विवेचना कीजिए sources of rajasthan history in hindi

sources of rajasthan history in hindi राजस्थान के इतिहास के पुरातात्विक स्रोतों की विवेचना कीजिए…

2 days ago

गुर्जरात्रा प्रदेश राजस्थान कौनसा है , किसे कहते है ? gurjaratra pradesh in rajasthan in hindi

gurjaratra pradesh in rajasthan in hindi गुर्जरात्रा प्रदेश राजस्थान कौनसा है , किसे कहते है…

2 days ago

Weston Standard Cell in hindi वेस्टन मानक सेल क्या है इससे सेल विभव (वि.वा.बल) का मापन

वेस्टन मानक सेल क्या है इससे सेल विभव (वि.वा.बल) का मापन Weston Standard Cell in…

3 months ago

polity notes pdf in hindi for upsc prelims and mains exam , SSC , RAS political science hindi medium handwritten

get all types and chapters polity notes pdf in hindi for upsc , SSC ,…

3 months ago
All Rights ReservedView Non-AMP Version
X

Headline

You can control the ways in which we improve and personalize your experience. Please choose whether you wish to allow the following:

Privacy Settings
JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now