JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now

हिंदी माध्यम नोट्स

Class 6

Hindi social science science maths English

Class 7

Hindi social science science maths English

Class 8

Hindi social science science maths English

Class 9

Hindi social science science Maths English

Class 10

Hindi Social science science Maths English

Class 11

Hindi sociology physics physical education maths english economics geography History

chemistry business studies biology accountancy political science

Class 12

Hindi physics physical education maths english economics

chemistry business studies biology accountancy Political science History sociology

Home science Geography

English medium Notes

Class 6

Hindi social science science maths English

Class 7

Hindi social science science maths English

Class 8

Hindi social science science maths English

Class 9

Hindi social science science Maths English

Class 10

Hindi Social science science Maths English

Class 11

Hindi physics physical education maths entrepreneurship english economics

chemistry business studies biology accountancy

Class 12

Hindi physics physical education maths entrepreneurship english economics

chemistry business studies biology accountancy

Categories: history

बिजोलिया शिलालेख के रचयिता कौन है | बिजोलिया शिलालेख किसने लिखा कहाँ स्थित है bijolia inscription was written by whom

bijolia inscription was written by whom in hindi where and language बिजोलिया शिलालेख के रचयिता कौन है | बिजोलिया शिलालेख किसने लिखा कहाँ स्थित है ?

प्रश्न : बिजौलिया शिलालेख के बारे में जानकारी दीजिये ?

उत्तर : गुणभद्र द्वारा 12 वीं सदी में संस्कृत भाषा में रचित अभिलेख जिसमें शाकम्भरी के चौहानों का इतिहास और तत्कालीन सामाजिक , धार्मिक और राजनितिक दशा का वर्णन किया गया है।
इस अभिलेख के अनुसार चौहानों के आदि पुरुष वासुदेव चहमन वत्सगोत्रीय ब्राह्मण था जिसने शाकम्भरी में चौहान राज्य की स्थापना की। उसे सांभर झील का निर्माता भी कहा गया है। इसमें प्राचीन स्थानों के नामों की जानकारी भी मिल जाती है जैसे – जालौर (जाबालिपुर) , सांभर (शाकम्भरी) , भीनमाल (श्रीमाल) , नागौर (अहिच्छत्रपुर) आदि। लेखक ने प्रशस्ति में अपनी विद्वता का परिचय अनुप्रास , श्लेष तथा विरोधाभास के प्रयोग के द्वारा दिया है।
प्रश्न : चीरवा अभिलेख क्या है ?
उत्तर : चिरवा शिलालेख 1273 ईस्वीं का है। 36 पंक्तियों और देवनागरी लिपी में और संस्कृत भाषा में लिपिबद्ध 51 श्लोकों का शिलालेख मेवाड़ के गुहिलवंशी राणाओं की समरसिंह के काल तक की जानकारी प्रदान करता है। उस काल की प्रशासनिक व्यवस्था में तलारक्षों का कार्य और धार्मिक तथा सामाजिक प्रथाओं (जैसे सती प्रथा के प्रचलन) के बारे में जानकारी देता है। लेख में एकलिंगजी के अधिष्ठाता पाशुपात योगियों तथा मंदिर की व्यवस्था का भी उल्लेख है। भुवनसिंहसुरि के शिष्य रत्नप्रभसूरी ने चित्तोड़ में रहते हुए चीरवा शिलालेख की रचना की तथा उनके मुख्य शिष्य पाशर्वचंद ने , जो बड़े विद्वान थे , उसको सुन्दर लिपि में लिखा। पद्मसिंह के पुत्र केलिसिंह ने उसे खोदा तथा शिल्पी देल्हण ने उसे दीवार में लगाने का कार्य संपादन किया।
प्रश्न : बडवा यूप अभिलेख ?
उत्तर : मौखरी राजाओं का यह सबसे पुराना तथा पहला अभिलेख है। यह एक यूप पर खुदा है। यूप एक प्रकार का स्तम्भ है। इस अभिलेख में कृत सम्वत का उल्लेख किया गया है और इससे मौखरियों की एक नयी शाखा का पता लगता है। बडवा यूप मौखरी वंश से सम्बन्धित है। मौखरी राजाओं की कई शाखाएँ थी। बडवा यूप का प्रमुख व्यक्ति बल था , जो अन्य शाखाओं से अधिक पुरानी शाखा से सम्बन्ध रखता है। उसकी उपाधि महासेनापति होने से अर्थ निकलता है कि वह बहुत बलशाली था। यह प्रतीत होता है कि ये शक क्षत्रपों के अधीन रहे होंगे। बडवा यूप अभिलेख बडवा ग्राम कोटा में स्थित है। इसकी भाषा संस्कृति और लिपि ब्राह्मी उत्तरी है। इसमें कृत संवत का उल्लेख किया गया है। जिसमें कहा गया है कि कृत युग के 295 वर्ष व्यतीत होने पर मौखरी शासकों ने यज्ञ किये। इसमें प्रारंभिक मौखरियों की स्थिति (छठी सदी) के बारे में बताया गया है।
प्रश्न : ग्वालियर प्रशस्ति ?
उत्तर : गुर्जर प्रतिहारों के लेखों में सर्वाधिक उल्लेखनीय मिहिरभोज का ग्वालियर अभिलेख है जो एक प्रशस्ति के रूप में है। इसमें कोई तिथि अंकित नहीं है। यह प्रतिहार वंश के शासकों की राजनैतिक उपलब्धियों और उनकी वंशावली को ज्ञात करने का मुख्य साधन है।
(1) प्राप्त स्थल : भोज की ग्वालियर प्रशस्ति ग्वालियर नगर से एक किलोमीटर पश्चिम में स्थित सागर नामक स्थान से प्राप्त हुए है।
(2) तिथि : यद्यपि यह प्रशस्ति तिथिविहीन है लेकिन तत्कालीन नरेशों और राजनैतिक इतिहास के द्वारा इसकी तिथि 880 ईस्वीं के लगभग बैठती है।
(3) भाषा : लेख विशुद्ध संस्कृत में लिखा गया है।
(4) लिपि : ;लेख की लिपि उत्तरी ब्राह्मी लिपि है।
(5) लेखक : लेख का लेखक भट्टधनिक का पुत्र बालादित्य है।
(6) लेख का प्रकार : यह लेख एक प्रस्तर पर उत्कीर्ण है जो प्रशस्ति के रूप में है। लेख में 17 श्लोक है।
(7) लेख का उद्देश्य : ग्वालियर लेख का उद्देश्य गुर्जर प्रतिहार शासक भोज द्वारा विष्णु के मंदिर का निर्माण कराये जाने की जानकारी देना है साथ ही अपनी प्रशस्ति लिखवाना ताकि स्वयं को चिरस्थायी बना सके।
(8) अभिलेख का राजनैतिक महत्व : इस लेख की चौथी पंक्ति से प्रतिहार वंश की वंशावली के बारे में सूचना प्रारंभ होती है। लेख में राजाओं के नाम के साथ उनकी उपलब्धियों का भी वर्णन किया गया है।
प्रश्न : घोसुण्डी अभिलेख ?
उत्तर : डॉ. डी.आर. भण्डारकर द्वारा प्रकाशित घोसुण्डी शिलालेख राजस्थान में वैष्णव (भागवत) संप्रदाय से सम्बन्धित प्राचीनतम अभिलेख है जो प्रथम शती ईसा पूर्व का है। इसकी भाषा संस्कृत और लिपि ब्राह्मी है। इसमें गजवंश के शासक सर्वतात द्वारा अश्वमेध यज्ञ करने और विष्णु मंदिर की चारदिवारी बनवाने का उल्लेख है। इसमें भागवत की पूजा के निमित्त “शिला अश्वमेध” बनवाए जाने का वर्णन है। इससे सूचित होता है कि इस समय तक राजस्थान में भागवत धर्म लोकप्रिय हो चुका था। इस लेख का महत्व प्रथम शताब्दी ईसा पूर्व में भागवत धर्म का प्रचर , संकर्षण और वासुदेव की मान्यता तथा अश्वमेध यज्ञ के प्रचलन आदि में है। इसकी तीन प्रतियाँ प्राप्त होती है।
प्रश्न : राज प्रशस्ति / राजसिंह प्रशस्ति क्या है ?
उत्तर : रणछोड़ भट्ट द्वारा 17 वीं सदी में संस्कृत भाषा में रचित अभिलेख जिसमें औरंगजेब कालीन मुग़ल मेवाड़ सम्बन्धों का वर्णन है। इसमें बापा रावल से लेकर राजसिंह सिसोदिया तक की वंशावली , उपलब्धियाँ और राजसिंह द्वारा राजसमंद झील के निर्माण की चर्चा की है। यह विश्व की सबसे बड़ी प्रशस्ति है जो राजसमंद झील के किनारे पर 25 शिलाओं पर उत्कीर्ण की गयी है। यह उत्कृष्ट रचना की संज्ञा में आती है। लेखक ने काव्य सौरभ तथा पौराणिक शैली का अच्छा समन्वय किया है।
Sbistudy

Recent Posts

four potential in hindi 4-potential electrodynamics चतुर्विम विभव किसे कहते हैं

चतुर्विम विभव (Four-Potential) हम जानते हैं कि एक निर्देश तंत्र में विद्युत क्षेत्र इसके सापेक्ष…

3 days ago

Relativistic Electrodynamics in hindi आपेक्षिकीय विद्युतगतिकी नोट्स क्या है परिभाषा

आपेक्षिकीय विद्युतगतिकी नोट्स क्या है परिभाषा Relativistic Electrodynamics in hindi ? अध्याय : आपेक्षिकीय विद्युतगतिकी…

5 days ago

pair production in hindi formula definition युग्म उत्पादन किसे कहते हैं परिभाषा सूत्र क्या है लिखिए

युग्म उत्पादन किसे कहते हैं परिभाषा सूत्र क्या है लिखिए pair production in hindi formula…

1 week ago

THRESHOLD REACTION ENERGY in hindi देहली अभिक्रिया ऊर्जा किसे कहते हैं सूत्र क्या है परिभाषा

देहली अभिक्रिया ऊर्जा किसे कहते हैं सूत्र क्या है परिभाषा THRESHOLD REACTION ENERGY in hindi…

1 week ago

elastic collision of two particles in hindi definition formula दो कणों की अप्रत्यास्थ टक्कर क्या है

दो कणों की अप्रत्यास्थ टक्कर क्या है elastic collision of two particles in hindi definition…

1 week ago
All Rights ReservedView Non-AMP Version
X

Headline

You can control the ways in which we improve and personalize your experience. Please choose whether you wish to allow the following:

Privacy Settings
JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now