हिंदी माध्यम नोट्स
भक्ति क्या है | भक्ति की परिभाषा उदाहरण सहित दीजिये bhakti in hindi meaning
bhakti in hindi meaning and definition भक्ति किसे कहते है | भक्ति की परिभाषा क्या है उदाहरण सहित दीजिये ?
परिभाषा :
भक्ति (Bhakti) ः भक्ति के मायने हैं समर्पण का एक भाव जिसमें व्यक्ति इष्टदेव की उपासना के अलावा हर चीज को भुला देता है।
बोध प्रश्न 1
प) हिन्दू धर्म की वे कौन सी बुनियादी शिक्षाएँ थी जिनका भक्ति परंपरा ने विरोध किया? 5-10 पंक्तियों में उत्तर दीजिये।
2) भक्ति क्या है ? यह किस तरह से प्रचलित धार्मिक रुझान का एक विकल्प बनी? 5-10 पंक्तियों में उत्तर दीजिये।
3) विरह, सगुण तथा निर्गुण, अर्थात इन तीनों प्रकार की भक्तियों का संक्षेप में वर्णन कीजिए। अपना उत्तर दस पंक्तियों में दीजिए।
बोध प्रश्न 1 उत्तर
1) वह बुनियाद शिक्षा जिसके विरुद्ध भक्ति परंपरा ने प्रतिरोध किया, समाज को असमान प्रकृति वाले अनेक सामाजिक समूहों में बाँट देने संबंधी हिन्दू धारणा थी जिसने जाति प्रथा को जन्म दिया। इस असमानता के मायने यह थे कि ये लोग ईश्वर की निगाह में असमान थे और अन्य लोगों की तरह उन्हें पूजा करने की इजाजत नहीं थी। इसने हिन्दू धर्म की रूढ़िवादिता बहुईश्वरवादी प्रकृति के खिलाफ भी आवाज उठाई।
2) भक्ति किसी खास दैवीय शक्ति के प्रति समर्पण अथवा पूजा के उस कृत्य से संबंधित है जिसमें स्वयं अपने तथा किसी अन्य देवता के बारे में कोई विचार मन में नहीं लाया जाता। यह माना जाता है कि व्यक्ति को चुने गये देवता की पूजा में पूरी तरह खो जाना चाहिये । भारत में यह मध्यकाल के दौरान एक आन्दोलन के रूप में विकसित हुई। भगवान कृष्ण तथा शिव मुख्यतः ऐसे देवता थे जिनके इर्द-गिर्द भक्ति परंपरा का उदय हुआ। सूफी आन्दोलन ने हिन्दूधर्म की रूढ़िवाद प्रकृति का एक विकल्प प्रस्तुत किया। इसने खासतौर पर ईश्वर की नजर में सभी लोगों बराबरी के विचार पर जोर दिया तथा जाति-प्रथा के पक्षपाती रवैये को स्वीकार किया।
3) तीन प्रकार की भक्ति की व्याख्या इस प्रकार हैंः
प) विरहः विरह शब्द के मायने हैं अलग हो जाना। विरह भक्ति का प्रमुख पहलू है। इसलिये, देवता की अनुपस्थिति अथवा ईश्वर के कहीं दूर चले जाने पर पैदा होने वाली कसक तथा उससे उमड़ पड़ने वाला समर्पण भाव रखते हुए भक्त द्वारा ईश्वर के प्रति समर्पित हो जाना है। इसे विरह भक्ति इसलिये कहा जाता है क्योंकि यह उस गहन समपर्ण की एक खास अवस्था है जो कि किसी की अनुपस्थिति में पैदा हो जाता है।
पप) सगुणः यह ऐसी भक्ति है जिसमें अनुशासित अमल के जरिये भक्त ईश्वर की आराधना भक्त से अलग तथा ऊँची हस्ती के तौर पर करता है। यहां ऐसी किसी निजी दैवीय शक्ति अथवा इष्टदेव की पूजा के जरिये ही संभव है। यह स्वरूप अक्सर दक्षिण भारत में देखा जा सकता है।
पपप) निर्गुणः यह ऐसी भक्ति है जिसका उद्देश्य उस दैवीय शक्ति के साथ एकाकार हो जाना है जिसकी व्यक्ति आराधना कर रहा है। पुनः यह भी वर्षों तक भक्ति एवं समर्पण के जरिये ही संभव है। यह माना जाता है कि दैवीय शक्ति इस समर्पण भाव से इतनी प्रसन्न हो जाती हैं वह भक्त का अपने शरीर में विलय कर लेती है। उदाहरण के लिये, कथाओं में जैसा कि बताया गया है कि मीराबाई का कृष्ण विलय । भक्ति का यह रूप अधिकतर उत्तर भारत में मिलता है।
उद्देश्य
इस इकाई का अध्ययन करने के बाद, आपः
ऽ दो धार्मिक आन्दोलनों को समझ सकेंगे जो कि मध्यकाल के दौरान भारत में प्रचलित थे,
ऽ एक सामान्य नजरिए से हिन्दू धर्म और इसके बुनियादी सिद्धांत को समझ सकेंगे,
ऽ भक्ति तथा सूफी परंपराएँ तथा उन्होंने क्या आहवान किया, इसकी जानकारी प्राप्त कर सकेंगे, और
ऽ सूफीवाद तथा भक्ति परंपरा के बीच की अंतःक्रिया एवं अंतःपरिवर्तन के बारे में जान सकेंगे।
प्रस्तावना
हमने पिछले खंड 5 में अपनी धार्मिक विविधता पर केन्द्रित इकाइयों में विभिन्न धर्मों की जाँच की है। इन इकाइयों में हमने हिन्दू धर्म (इकाई 19) तथा इस्लाम (इकाई 22) को भी शामिल किया है। ये इकाइयाँ भक्ति तथा सूफीवाद की हमारी इस इकाई को समझने के लिये अनिवार्य रूप से आधार का काम करेंगी, जो कि मध्यकालीन धार्मिक आन्दोलन हैं।
हम इकाई की रूपरेखा को प्रस्तुत करते हुए तथा भक्ति व सूफीवाद के विकास की पृष्ठभूमियों की व्याख्या करते हुए हम शुरुआत करते हैं । इसके बाद हम भक्ति परंपरा की जाँच करेंगे जिसमें भक्ति के तीन मार्ग तथा भक्ति के दो स्तंभ शामिल हैं। उसके बाद हम दक्षिण में भक्ति परंपरा पर विचार करेंगे, साथ ही उत्तर में भक्ति परंपरा की जाँच करेंगे। हमारे अगले अनुभाग (24.4) में सूफीवाद तथा भक्ति के बीच तुलना की गई है।
इस अनुभाग में मध्यकालीन रहस्यवाद का विकास, सूफी-भक्ति परंपरा तथा भक्ति-सूफी शिक्षाएँ शामिल हैं। इस तरह से हमने मध्यकाल में भक्ति व सूफी आन्दोलनों की पर्याप्त तस्वीर प्रदान की है।
आइये, अब हम इन मध्यकालीन धार्मिक आन्दोलनों की आवश्यक पृष्ठभूमि को भी प्रस्तुत करें। इस तरह भक्ति एक ही ईश्वर के प्रति व्यक्तिगत समर्पण भाव पर बल देती है। यह इंगित किया जा सकता है कि दक्षिण भारत के अलवर भक्ति संतों ने 5वीं तथा 9वीं शताब्दी के बीच अपनी भक्ति कविताओं की रचना की थी। वे कृष्ण के भक्त थे। उन्होंने उनकी आराधनाय माता-पिता, प्रेमी, मित्र तथा भक्ति के रुखों पर आधारित प्रेम के साथ की। आचार्यों ने, जिन्होंने अलवरों का अनुसरण किया, उनमें एक बौद्धिक दृष्टिकोण मौजूद था, उन्होंने ईश्वर पर निर्भरता को भावनात्मक की बजाय तार्किक तौर पर लिया ।
16वीं शताब्दी में वल्लभ ने श्री कृष्ण-राधा पर आधारित एक पंथ की स्थापना की। कृष्ण की भक्ति पर श्री चैतन्य (1485-1533 ई.) ने भी काफी ध्यान दिया, जो कि वल्लभ के समकालीन थे। किन्तु श्री चैतन्य की आराधना परमानन्ददायक किस्म की तथा आध्यात्मिक मुक्ति के मार्ग के रूप में हरि (श्री कृष्ण) का जाप किये जाने को लोकप्रिय बनाने की थी। नामदेव (14वीं शताब्दी के अंत में) तथा रामानन्द के शिष्यों ने लोकप्रिय बनाया, जिन्होंने अपने संदेशों के लिये स्थानीय भाषा का इस्तेमाल किया । मीराबाई को भी रामानन्द के एक शिष्य रविदास ने दीक्षा दी थी।
आइये, अब हम सूफीवाद पर विचार करें जो कि एक ऐसा शास्त्र है, जो ईश्वर के साथ एकता के व्यक्तिगत अनुभव का उद्देश्य लेकर चलता है। सूफीवाद की शुरुआत 8वीं शताब्दी के आसपास हजरत हबीब, आजमी (738 ई.) जैसे संतों की प्रेरणा से हुई। कुछ विद्वानों का यह मानना है कि सूफीवाद इस्लामी नियमों के विरुद्ध नहीं है दरअसल सूफीवाद की प्रक्रिया इस्लामी नियमों के साथ घनिष्ठ रूप से जुड़ी हुई है। सूफी की व्याख्या कुरान में पाये जाने वाले तीन बुनियादी धार्मिक नजरियों से की जा सकती है। ये हैं इस्लाम, ईमान तथा अहसान के रुख ।
इस्लाम का रुख यह है कि अल्लाह तथा कुरान की शिक्षाओं को अंगीकार किया जाये। ईमान धर्म में पुनरू डूब जाने तथा इसकी शिक्षाओं में गहरी आस्था की माँग करता है । अहसान आध्यात्मिक परमानन्द की सर्वोच्च अवस्था है। ये इस्लाम में धार्मिकता की तीन अवस्थाएँ हैं।
हम अपनी प्रस्तावना में यह इंगित करना चाहते हैं कि सूफी तथा भक्ति आन्दोलनों ने अनेक क्षेत्रों में परस्पर समन्वय किया था। आइये पहले हम भक्ति परंपरा पर विचार कर लें।
Recent Posts
सती रासो किसकी रचना है , sati raso ke rachnakar kaun hai in hindi , सती रासो के लेखक कौन है
सती रासो के लेखक कौन है सती रासो किसकी रचना है , sati raso ke…
मारवाड़ रा परगना री विगत किसकी रचना है , marwar ra pargana ri vigat ke lekhak kaun the
marwar ra pargana ri vigat ke lekhak kaun the मारवाड़ रा परगना री विगत किसकी…
राजस्थान के इतिहास के पुरातात्विक स्रोतों की विवेचना कीजिए sources of rajasthan history in hindi
sources of rajasthan history in hindi राजस्थान के इतिहास के पुरातात्विक स्रोतों की विवेचना कीजिए…
गुर्जरात्रा प्रदेश राजस्थान कौनसा है , किसे कहते है ? gurjaratra pradesh in rajasthan in hindi
gurjaratra pradesh in rajasthan in hindi गुर्जरात्रा प्रदेश राजस्थान कौनसा है , किसे कहते है…
Weston Standard Cell in hindi वेस्टन मानक सेल क्या है इससे सेल विभव (वि.वा.बल) का मापन
वेस्टन मानक सेल क्या है इससे सेल विभव (वि.वा.बल) का मापन Weston Standard Cell in…
polity notes pdf in hindi for upsc prelims and mains exam , SSC , RAS political science hindi medium handwritten
get all types and chapters polity notes pdf in hindi for upsc , SSC ,…