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बरनौली का प्रमेय क्या है , बरनॉली सिद्धांत , उदाहरण सत्यापित करें (bernoulli’s theorem in hindi)
(bernoulli’s theorem class 11 in hindi) बरनौली का प्रमेय क्या है , बरनॉली सिद्धांत , उदाहरण सत्यापित करें : स्विस के महान गणितज्ञ डैनियल बर्नौली ने 1738 में सबसे पहले इस सिद्धांत को प्रतिपादित किया था। इस प्रमेय में बताया कि जब कोई असम्पीडय और अश्यान द्रव किसी एक एक स्थान से दुसरे स्थान तक रेखीय प्रवाह निश्चित गति करता है तो इस द्रव के मार्ग में प्रत्येक बिंदु पर इसके एकांक आयतन या एकांक द्रव्यमान की कुल ऊर्जा का मान स्थिर रहता है।
अर्थात बरनौली प्रमेय किसी निश्चित वेग से गतिशील असम्पीडय और अश्यान तरल के लिए दाब ऊर्जा , स्थितिज ऊर्जा और गतिज ऊर्जा के मध्य एक सम्बन्ध स्थापित करता है क्यूंकि बहते तरल की ऊर्जा का मान इन तीनो के योग के बराबर होती है।
अत: हम कह सकते है की बरनॉली सिद्धांत आदर्श तरल का सिद्धांत है जबकि तरल नियत और रेखीय प्रवाह से गतिशील हो।
बरनौली प्रमेय के अनुसार ही जब कोई तरल किसी क्षैतिज स्थित किसी पाइप से होकर बह रहा हो जबकि इसकी गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा में कोई परिवर्तन न हो तो तरल दाब कम करने पर तरल का वेग बढ़ता है।
यही कारण है कि जब नली का अनुप्रस्थ क्षेत्रफल कम होता है तो तरल का वेग बढ़ जाता है , इस स्थान पर स्थितिज ऊर्जा का मान कम हो जाता है और इस स्थान पर दाब में कमी आती है।
अर्थात बरनौली प्रमेय किसी निश्चित वेग से गतिशील असम्पीडय और अश्यान तरल के लिए दाब ऊर्जा , स्थितिज ऊर्जा और गतिज ऊर्जा के मध्य एक सम्बन्ध स्थापित करता है क्यूंकि बहते तरल की ऊर्जा का मान इन तीनो के योग के बराबर होती है।
अत: हम कह सकते है की बरनॉली सिद्धांत आदर्श तरल का सिद्धांत है जबकि तरल नियत और रेखीय प्रवाह से गतिशील हो।
बरनौली प्रमेय के अनुसार ही जब कोई तरल किसी क्षैतिज स्थित किसी पाइप से होकर बह रहा हो जबकि इसकी गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा में कोई परिवर्तन न हो तो तरल दाब कम करने पर तरल का वेग बढ़ता है।
यही कारण है कि जब नली का अनुप्रस्थ क्षेत्रफल कम होता है तो तरल का वेग बढ़ जाता है , इस स्थान पर स्थितिज ऊर्जा का मान कम हो जाता है और इस स्थान पर दाब में कमी आती है।
बरनौली का प्रमेय सूत्र
जैसा हमने प्रमेय में पढ़ा कि तरल के मार्ग के हर बिंदु पर प्रति एकांक आयतन या द्रव्यमान की कुल ऊर्जा अर्थात दाब , स्थितिज और गतिज ऊर्जा का योग नियत रहता है अत: इसे निम्न सूत्र द्वारा प्रदर्शित किया जाता है –
यहाँ p = प्रति एकांक आयतन दाब की ऊर्जा = p
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