JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now

हिंदी माध्यम नोट्स

Categories: history

तुंगा का युद्ध कब हुआ था | तुंगा का युद्ध कहां हुआ battle of tunga in hindi किस किस के बीच हुआ

battle of tunga in hindi किस किस के बीच हुआ तुंगा का युद्ध कब हुआ था | तुंगा का युद्ध कहां हुआ ?

प्रश्न : तुंगा का युद्ध ?

उत्तर : 28 जुलाई , 1787 को दौसा के पास तुंगा नामक स्थान पर मराठा सेनानायक महादजी सिंधिया तथा जयपुर के शासक सवाई प्रतापसिंह के मध्य तुंगा का युद्ध हुआ। जयपुर के साथ मारवाड़ के शासक विजयसिंह और मुग़ल सेना की एक टुकड़ी भी थी। युद्ध का प्रमुख कारण मराठा सेनानायक की धनपिपासा थी। धन की बकाया वसूली को लेकर जयपुर और मराठों के विवाद था। 1786 ईस्वी में जयपुर ने मराठों को 63 लाख रुपये देने का वादा किया था , लेकिन वह देना नहीं चाहता था अत: तुंगा नामक स्थान पर मराठो और जयपुर के बीच युद्ध हुआ , जिसमें मराठों को पीछे हटना पड़ा। महादजी सिंधिया के लिए यह एक बड़ी असफलता थी क्योंकि न तो वह राजपूतों से धनराशि वसूल सका तथा न ही वह उन्हें कुचल सका। युद्ध के परिणामस्वरूप प्रतापसिंह की प्रतिष्ठा में वृद्धि हुई। उसकी यह एक बड़ी सफलता थी कि वह सिंधिया की सेना को रोक सका। अजमेर पर जोधपुर के शासक विजयसिंह ने अधिकार कर लिया। 1787-89 ईस्वी के दौरान राजपूत शासकों की मराठा विरोधी महत्वकांक्षाएं बढ़ गयी।
प्रश्न : सवाई जयसिंह का जयपुर की स्थापत्य कला में योगदान बताइये ?
उत्तर : जयसिंह ने 1725 ईस्वी में जयनिवास के महल आमेर से दक्षिणी भाग के चौरस मैदान में बनवाये। इसी के आसपास 18 नवम्बर 1727 ईस्वी से जयनगर की बस्ती को भी बसाना आरम्भ किया। इसकी नींव पंडित सम्राट जगन्नाथ ने रखी और उसका नक्शा ब्राह्मण तांत्रिक विद्याधर भट्टाचार्य ने बनाया। विद्याधर ने नगर नियोजन और वास्तु के लिए प्राचीन संस्कृत ग्रन्थ “शिल्प सूत्र” का अध्ययन किया। जयपुर शहर 9 चौकडियों का शहर है जिसमें चीन के कैन्टन नगर और ईराक के बगदाद नगर का संयोजन किया गया है।
जयपुर शहर का वास्तविक नाम जयनगर (संस्कृत में) था , जिसे “सिटी ऑफ़ विक्ट्री” कहा गया। 20 वीं सदी के प्रारंभ में ब्रिटिश ने इसका नाम “पिंक सिटी” दिया। जयपुर शहर का परकोटा सात किलोमीटर है जो बहुत ही ऊँचा है। इसके सात दरवाजे है। पूर्वी दरवाजा सूरजपोल (sun गेट) , पश्चिमी दरवाजा चाँदपोल और उत्तरी दरवाजा ध्रुव पोल जो जोरावरसिंह गेट के नाम से प्रसिद्ध है। दक्षिण की तथा चार दरवाजे है जो पूर्व से पश्चिमी की तथा क्रमशः घाट गेट , सांगानेरी गेट , न्यू गेट और अजमेरी गेट के नाम से जाने जाते है। सामान्यतया सभी शासकों के शाही आवास शहर से बाहर अथवा अन्य तरफ होते है परन्तु सवाई जयसिंह ने अपना शाही महल जयपुर शहर के मध्य बनवाया था इसलिए वह सिटी पैलेस के नाम से प्रसिद्ध है। जबकि उसका वास्तविक नाम “चन्द्रमहल” पैलेस है। सिटी पैलेस : राजसी खण्डों (सात) को भी इमारतों में चन्द्रमहल सबसे भव्य है। महल की सबसे नीची मंजिल “प्रीतम निवास” शरद ऋतु में काम आती थी। दूसरी मंजिल “शोभा निवास” , तीसरी मंजिल “सुख निवास” , चौथी मंजिल छवि निवास तथा पाँचवी मंजिल “शीशमहल” है। सबसे ऊपर मुकुट है। इस महल में दीवान ए आम , दीवान ए ख़ास , सिलहखाना (शस्त्रागार) , रथखाना आदि का निर्माण करवाया। बाद में माधोसिंह द्वितीय ने इसी अहाते में मुबारक महल (वैलकम पैलेस) बनवाया जो हिन्दू , मुस्लिम और इसाई शैलियों का बेहतरीन नमूना है। यहाँ पर जयपुर राजघराने के शाही मेहमानों का स्वागत किया जाता था।
प्रश्न : सवाई जयसिंह एक समाज सुधारक के रूप में हमेशा अग्रणी शासकों की पंक्ति में खड़ा रहेगा। विवेचना कीजिये।
उत्तर : वह पहला राजपूत हिन्दू शासक था जिसने सती प्रथा को समाप्त करने की कोशिश की। वह पहला हिन्दू राजपूत राजा था जिसने विधवा पुनर्विवाह को वैधता प्रदान करने हेतु नियम बनाये और उन्हें लागू करने का प्रयास किया। सवाई जयसिंह पहला शासक था जिसने अन्तर्जातीय विवाह प्रारंभ करने का प्रयास किया। उसने विवाह के अवसर पर अधिक खर्च करने तथा विशेष रूप से राजपूतों में विवाह के समय अपव्यय करने की प्रथा पर रोक लगवायी। जनहित कल्याणकारी संस्थाओं को बनाकर जिनमें कुएँ , धर्मशाला , अनाथालय , सदाव्रत आदि मुख्य थे , उसने समाज के हित की रक्षा की।
  1. सवाई जयसिंह ने यह नियम बना दिया कि भविष्य में वैरागी , स्वामी और सन्यासी अस्त्र शस्त्र नहीं रखेंगे , सम्पति जमा नहीं करेंगे तथा अपने घरों में स्त्रियाँ नहीं रखेंगे। वैरागियों और साधुओं को गृहस्थ जीवन की तरफ प्रेरित किया ताकि कुछ वर्गों में बढ़ते व्यभिचार पर रोक लगे। उसने मथुरा में उनके लिए “वैराग्यपुरा” नाम की एक बस्ती भी बसाई।
  2. उसने ब्राह्मणों की अनेक उपजातियों में भोजन व्यवहार का अंतर कम करने का प्रयास किया। उसके कहने पर छ: उपजातियों में बंटे ब्राह्मणों ने साथ बैठकर भोजन करना स्वीकार किया। ये ब्राह्मण “छन्यात” कहलाये।
  3. उसने संस्कृत भाषा के ज्ञान के प्रचार प्रसार के लिए व्यापक कार्य किये।
  4. सामाजिक सुधार के नाम पर कुछ प्रयत्न सवाई जयसिंह के समय में मिलते है।
  5. सवाई जयसिंह और महाराजा रायमल ने विधवा के अधिकार तथा पालन पोषण सम्बन्धी समस्या को हल करने का प्रयत्न किया। सवाई जयसिंह ने तो विधवाओं के पुनर्विवाह के सम्बन्ध में नियम भी बनाये। कोटा और जयपुर के अभिलेखों में विधवाओं को सहायतार्थ शुल्क देने का भी उल्लेख मिलता है।
Sbistudy

Recent Posts

सती रासो किसकी रचना है , sati raso ke rachnakar kaun hai in hindi , सती रासो के लेखक कौन है

सती रासो के लेखक कौन है सती रासो किसकी रचना है , sati raso ke…

17 hours ago

मारवाड़ रा परगना री विगत किसकी रचना है , marwar ra pargana ri vigat ke lekhak kaun the

marwar ra pargana ri vigat ke lekhak kaun the मारवाड़ रा परगना री विगत किसकी…

17 hours ago

राजस्थान के इतिहास के पुरातात्विक स्रोतों की विवेचना कीजिए sources of rajasthan history in hindi

sources of rajasthan history in hindi राजस्थान के इतिहास के पुरातात्विक स्रोतों की विवेचना कीजिए…

2 days ago

गुर्जरात्रा प्रदेश राजस्थान कौनसा है , किसे कहते है ? gurjaratra pradesh in rajasthan in hindi

gurjaratra pradesh in rajasthan in hindi गुर्जरात्रा प्रदेश राजस्थान कौनसा है , किसे कहते है…

2 days ago

Weston Standard Cell in hindi वेस्टन मानक सेल क्या है इससे सेल विभव (वि.वा.बल) का मापन

वेस्टन मानक सेल क्या है इससे सेल विभव (वि.वा.बल) का मापन Weston Standard Cell in…

3 months ago

polity notes pdf in hindi for upsc prelims and mains exam , SSC , RAS political science hindi medium handwritten

get all types and chapters polity notes pdf in hindi for upsc , SSC ,…

3 months ago
All Rights ReservedView Non-AMP Version
X

Headline

You can control the ways in which we improve and personalize your experience. Please choose whether you wish to allow the following:

Privacy Settings
JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now