JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now

हिंदी माध्यम नोट्स

Categories: history

हल्दीघाटी युद्ध के उपनाम क्या है | हल्दीघाटी के युद्ध को खमनोर का युद्ध किसने कहा जेम्स टॉड battle of haldighati

the battle of haldighati was fought between mughals and in hindi हल्दीघाटी युद्ध के उपनाम क्या है | हल्दीघाटी के युद्ध को खमनोर का युद्ध किसने कहा जेम्स टॉड ?

प्रश्न : हल्दीघाटी युद्ध के बारे में जानकारी दीजिये। 

उत्तर : यह युद्ध राणा प्रताप और अकबर के मध्य 18 जून 1576 ईस्वी को हल्दीघाटी नामक तंग दर्रे (राजसमंद) में लड़ा गया जो अनिर्णायक रहा। अबुल फजल ने इसे खमनौर का युद्ध , बदायूंनी ने गोगून्दा का युद्ध और कर्नल टॉड ने इसे मेवाड़ की थर्मोपाइले कहा है। अकबर की तरफ से सेना नायक कुँवर मानसिंह कछवाहा और राणा प्रताप की तरफ से हाकिम खां सूर थे। दोनों की सेना का अनुपात 4 : 1 (80000 : 20000) था। राजपूत सेना की अपूर्व वीरता के कारण हल्दीघाटी युद्ध स्थल स्वाधीनता प्रेमियों के लिए तीर्थ स्थल बन गया है।
प्रश्न : जयमल तथा फत्ता कौन थे ?
उत्तर : अकबर के चित्तोड़ अभियान (1567 ईस्वी) के समय राणा उदयसिंह के दो बहादुर और साहसी सेनानायक जयमल तथा फत्ता जो अदम्य शौर्य के साथ लड़ते हुए वीर गति को प्राप्त हुए। अकबर ने इनके सम्मानार्थ आगरा किले के द्वार पर इनकी पाषाण गजारूढ़ मूर्तियाँ बनवाई।
प्रश्न : भामाशाह के बारे में जानकारी दीजिये ?
उत्तर : महाराणा प्रताप को विपत्ति काल में उनके मंत्री पाली के भामाशाह ने चूलिया ग्राम में 1578 ईस्वी में अपनी निजी सम्पति से आर्थिक मदद की जिससे 25 हजार सेना का 12 वर्ष तक निर्वाह हुआ। इन्हें दानवीर तथा मेवाड़ का उद्धारक और रक्षक कहा जाता है।
प्रश्न : बनवीर का इतिहास बताइए ?
उत्तर : राणा सांगा के बड़े भाई पृथ्वीराज का औरस पुत्र बनवीर जो उदयसिंह को मारकर मेवाड़ का शासक बनना चाहता था। उदयसिंह ने 1540 ईस्वी में बनवीर की हत्या कर मेवाड़ पुनः प्राप्त किया।
प्रश्न : चावण्ड की जानकारी बताइए ?
उत्तर : जयसिंह गहडवाल के पौत्र राव सीहा ने पाली के पास 13 वीं सदी में राठौड़ (राष्ट्रकूट) वंश की स्थापना की। जो बाद में जोधपुर , बीकानेर , किशनगढ़ , नागौर आदि राठौड़ शाखाओं में विभक्त हो गया जिन्होंने राजस्थान के इतिहास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
प्रश्न : मतीरे की राड़ ?
उत्तर : अमरसिंह राठौड़ तथा बीकानेर के महाराजा कर्णसिंह के मध्य खिलवा तथा नागौर के सम्बन्ध में 1644 ईस्वी में लड़ा गया युद्ध “मतीरे की राड़” कहलाता है। अमरसिंह राठौड़ अपने साहस तथा वीरता के लिए प्रसिद्ध है।
प्रश्न : बीकानेर का इतिहास ?
उत्तर : राजस्थान के उत्तरी भाग का एक बहुत बड़ा हिस्सा जांगल प्रदेश जनपद में राव जोधा के पुत्र बीका ने स्थानीय जाट नेता नरा के सहयोग से 1465 ईस्वी में बीकानेर राज्य की स्थापना की। उसने 1488 ईस्वी में बीकानेर शहर बसाकर उसे अपनी राजधानी बनाया।
प्रश्न : चहमान के बारे में जानकारी दीजिये ?
उत्तर : पृथ्वीराज विजय में चहमान शब्द का अर्थ इस प्रकार बताया है ‘च’ – चाप , ‘ह’ – हरि , ‘मा’ – मान तथा ‘न’ से नय होता है। जो प्रारम्भिक प्रतिभा के द्योतक है और चहमान नाम के किसी आदि पुरुष ने अपने बाहुबल से चहमान राज्य की स्थापना की। इनकी उत्पत्ति आबू के अग्निकुण्ड से हुई।
प्रश्न : सपादलक्ष का इतिहास क्या है ?
उत्तर : बिजौलिया शिलालेख के अनुसार सांभर का प्राचीन नाम सपादलक्ष था। जहाँ 551 ईस्वी में वासुदेव चहमान ने चौहान राज्य की स्थापना की। उसने अहिच्छत्रपुर (नागौर) को राजधानी बनाया और सांभर झील का निर्माण करवाया।
प्रश्न : शाकम्भरी किसे कहते है ?
उत्तर : चौहानों की इष्ट देवी को शाकम्भरी कहा जाता है। चौहानों की इष्टदेवी “शाकंभरी” जो सांभर झील के बीचों बीच क्वार्ट्जाइट की चट्टान पर स्थित है। वह शाक (वनस्पति) तथा अम्बरी (देवी) अर्थात वनस्पति की देवी के नाम से सम्बन्धित क्षेत्र भी है , जो चौहानों का प्रारंभिक राज्य था।
प्रश्न : अहिच्छत्रपुर क्या है ?
उत्तर : बिजौलिया शिलालेख के अनुसार नागौर का प्राचीन नाम अहिच्छत्रपुर था। जिसे 551 ईस्वी में चौहान राज्य के संस्थापक वासुदेव चहमान ने शाकम्भरी की राजधानी बनाया।
प्रश्न : चौहान वंश के इतिहास के बारे में जानकारी दीजिये।
उत्तर : बिजौलिया शिलालेख , हमीर महाकाव्य आदि के अनुसार वासुदेव चहमान ने 551 ईस्वी में सपादलक्ष (शाकम्भरी) में चौहान वंश की स्थापना की। बाद में इस वंश की अनेक शाखाएँ फैली जिनमें अजमेर , रणथम्भौर , नाडौल , हाडौती आदि के चौहान बड़े प्रसिद्ध हुए।
प्रश्न : चन्द्रावती का इतिहास क्या है ?
उत्तर : सिरोही में देवड़ा शाखा के लुम्बा ने 1311 ईस्वी में चौहान राज्य की स्थापना की और चन्द्रावती को अपनी राजधानी बनाया। यहाँ का वशिष्ठ ऋषि का मंदिर प्रसिद्ध है। चन्द्रावती के मंदिरों के समूह की छतों की नक्काशी और नारी सुंदर अंकन अन्यत्र कही नहीं मिलता है।
प्रश्न : ढूंढाड़ की जानकारी लिखिए ?
उत्तर : जयपुर और उसका हाड़ौती तक दक्षिणी पूर्वी भाग ढूँढाड़ नाम से प्रसिद्ध रहा है। यहाँ प्रारंभ से बडगुर्जरों तत्पश्चात कछवाहों का शासन रहा। यहाँ की बोली ढूँढाडी कहलाती है।
प्रश्न : कछवाहा वंश की जानकारी बताइए ?
उत्तर : मान्यतानुसार राम के बड़े पुत्र कुश के वंशधर नरवर के दुलहराय ने 12 वीं सदी में ढूँढाड़ में कछवाहा वंश की स्थापना की। यही से आम्बेर , जयपुर , शेखावाटी , अलवर आदि स्थानों पर कछवाहों की शाखाएँ फैली।
प्रश्न : शेखावाटी ?
उत्तर : आमेर के कोकिलदेव कछवाहा के वंशज शेखा ने झुंझुनू , चुरू और सीकर क्षेत्र में कछवाहा राजवंश की एक शाखा स्थापित की जो शेखावाटी कहलाया। यहाँ की बोली शेखावाटी है जो मारवाड़ी की उपबोली है।
प्रश्न : भारमल कौन थे ?
उत्तर : आम्बेर का कछवाहा शासक और राजपूताना का पहला शासक जिसने अपनी पुत्री हरकाबाई का विवाह 1562 ईस्वी में मुग़ल सम्राट अकबर से कर मुग़ल राजपूत वैवाहिक सम्बन्धों की नींव डाली।
प्रश्न : ब्रह्मगुप्त ?
उत्तर : महाकवि और प्रसिद्ध ज्योतिष ब्रह्मगुप्त भीनमाल के निवासी थे जो काव्य और ज्योतिष शास्त्र के प्रकाण्ड विद्वान थे। इन्होने ज्योतिष पर ब्रह्मस्फुट सिद्धान्त नामक ग्रन्थ लिखा जो इनकी महान देन है।
प्रश्न : नगरी अभिलेख के बारे में जानकारी लिखिए।
उत्तर : इसकी भाषा संस्कृत और लिपि ब्राह्मी है। इसमें विष्णु की पूजा और उसके निमित्त मंदिर की चार दिवारी बनवाए जाने का उल्लेख है।
प्रश्न : श्रृंगी ऋषि का शिलालेख ?
उत्तर : यह लेख 1428 ईस्वी का है जो एकलिंगजी के निकट श्रृंगी ऋषि नामक स्थान से खण्डित दशा में प्राप्त हुआ है। इस लेख की रचना कविराज वाणी विलास योगेश्वर ने की थी। इस लेख से ज्ञात होता है कि हमीर ने भीलों से सफलतापूर्वक युद्ध किया तथा अपने शत्रु राजा जैत्र को पराजित किया। इस लेख में लक्ष्मणसिंह और क्षेत्रसिंह की काशी , प्रयाग तथा गया की यात्रा का उल्लेख है जहाँ उन्होंने दान में विलुप्त धनराशि दी थी।
प्रश्न : घटियाला शिलालेख ?
उत्तर : इस अभिलेख को कक्कुक प्रतिहार ने उत्कीर्ण करवाया था। इन लेखों में ‘मग’ जाति के ब्राह्मणों का वर्णन है। इस जाति के लोग मारवाड़ में शाकद्वीपीय ब्राह्मण के नाम से भी जाने जाते है जो ओसवालों के आश्रित रह कर जीवन निर्वाह करते है। जैन मंदिरों में सेवा पूजा के कार्य करने से इन्हें सेवक भी कहा जाता है। इन लेखों से तत्कालीन वर्ण व्यवस्था पर प्रकाश पड़ता है।
प्रश्न : रणकपुर प्रशस्ति के बारे में जानकारी बताइए ?
उत्तर : यह लेख 1439 ईस्वी का है जो कि रणकपुर के जैन चौमुख मंदिर में लगा हुआ है। इस लेख से प्रतीत होता है कि रणकपुर का निर्माता दीपा था। इस लेख में बापा से लेकर कुम्भा तक के मेवाड़ नरेशों का उल्लेख मिलता है। इस अभिलेख में महाराणा कुम्भा की प्रारंभिक विजयों बूंदी , गागरीन , सारंगपुर , नागौर , चाकसू , अजमेर , मंडोर , मांडलगढ़ आदि का भी वर्णन है। इस लेख से तत्कालीन धार्मिक , सामाजिक और आर्थिक स्थिति पर भी अच्छा प्रकाश पड़ता है।
प्रश्न : ब्रोच गुर्जर ताम्रपत्र का इतिहास क्या है ?
उत्तर : यह 1978 ईस्वी का गुर्जर शासकों का ताम्रपत्र है। इसमें गुर्जर कबीला का सप्तसेंधव भारत से गंगा कावेरी तक के अभियान का वर्णन है। इसी ताम्रपत्र के आधार पर कनिंघम ने राजपूतों को कुषाणों यू-ए-ची जाति का माना है।
Sbistudy

Recent Posts

मालकाना का युद्ध malkhana ka yudh kab hua tha in hindi

malkhana ka yudh kab hua tha in hindi मालकाना का युद्ध ? मालकाना के युद्ध…

4 weeks ago

कान्हड़देव तथा अलाउद्दीन खिलजी के संबंधों पर प्रकाश डालिए

राणा रतन सिंह चित्तौड़ ( 1302 ई. - 1303 ) राजस्थान के इतिहास में गुहिलवंशी…

4 weeks ago

हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ? hammir dev chauhan history in hindi explained

hammir dev chauhan history in hindi explained हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ?…

4 weeks ago

तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच हुआ द्वितीय युद्ध Tarain battle in hindi first and second

Tarain battle in hindi first and second तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच…

4 weeks ago

चौहानों की उत्पत्ति कैसे हुई थी ? chahamana dynasty ki utpatti kahan se hui in hindi

chahamana dynasty ki utpatti kahan se hui in hindi चौहानों की उत्पत्ति कैसे हुई थी…

1 month ago

भारत पर पहला तुर्क आक्रमण किसने किया कब हुआ first turk invaders who attacked india in hindi

first turk invaders who attacked india in hindi भारत पर पहला तुर्क आक्रमण किसने किया…

1 month ago
All Rights ReservedView Non-AMP Version
X

Headline

You can control the ways in which we improve and personalize your experience. Please choose whether you wish to allow the following:

Privacy Settings
JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now