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दण्ड चुम्बक एवं धारावाही परिनालिका के व्यवहार की तुलना bar magnet and current solenoid
Behavioral comparison of a bar magnet and current solenoid दण्ड चुम्बक एवं धारावाही परिनालिका के व्यवहार की तुलना : जब किसी धारावाही परिनालिका को धागे से लटकाया जाता है तो यह परिनालिका (सोलेनोइड) एक दंड चुम्बक की तरह व्यवहार करता है।
अर्थात जब धारावाही परिनालिका को धागे से स्वतंत्रता पूर्वक लटकाया जाए तो यह उत्तर दक्षिण दिशा में ठहरती है।
जब किसी परिनालिका में प्रवाहित धारा की दिशा को बदल दिया जाए तो इसके सिरों पर धुव्रता बदल जाती है अर्थात इसके सिरों के ठहरने की दिशा बदल जाती है।
हम पढ़ चुके है की परिनालिका में विद्युत धारा प्रवाहित करने पर यह चुम्बक की तरह व्यवहार करती है अतः जब किसी अन्य परिनालिका को इसके पास लाया जाए तो समान ध्रुवित सिरे एक दूसरे को प्रतिकर्षित करते है तथा विपरीत ध्रुवित सिरे एक दूसरे को आकर्षित करते है जैसा चुम्बक में होता है।
चुम्बक की भाँति जब इसके पास लौह चुम्बकीय पदार्थ लेकर जाते है तो इनको परिनालिका आकर्षित करती है , इसी प्रकार जब किसी चुंबक को तोडा जाता है तथा प्रत्येक टुकड़ा एक चुम्बक की तरह व्यवहार करता है उसी प्रकार परिनालिका में प्रत्येक लूप चुंबक की तरह ही व्यवहार करता है।
इन सब को देखते हुए हम यह बात स्पष्ट रूप से कह सकते है की धारावाही परिनालिका एक दण्ड चुम्बक की तरह व्यवहार करती है।
धारावाही परिनालिका में चुम्बकीय रेखाएँ समांतर होती है लेकिन दण्ड चुम्बक में चुम्बकीय रेखाऐं वक्र होती है।
किसी भी धारावाही परिनालिका या सोलेनॉइड के बाहर चुम्बकीय क्षेत्र शून्य माना जाता है लेकिन दंड चुम्बक के बाहर स्थित बिन्दुओ पर कुछ चुम्बकीय क्षेत्र माना जाता है अर्थात शून्य नहीं माना जाता।
हम पढ़ चुके है की परिनालिका में विद्युत धारा प्रवाहित करने पर यह चुम्बक की तरह व्यवहार करती है अतः जब किसी अन्य परिनालिका को इसके पास लाया जाए तो समान ध्रुवित सिरे एक दूसरे को प्रतिकर्षित करते है तथा विपरीत ध्रुवित सिरे एक दूसरे को आकर्षित करते है जैसा चुम्बक में होता है।
चुम्बक की भाँति जब इसके पास लौह चुम्बकीय पदार्थ लेकर जाते है तो इनको परिनालिका आकर्षित करती है , इसी प्रकार जब किसी चुंबक को तोडा जाता है तथा प्रत्येक टुकड़ा एक चुम्बक की तरह व्यवहार करता है उसी प्रकार परिनालिका में प्रत्येक लूप चुंबक की तरह ही व्यवहार करता है।
इन सब को देखते हुए हम यह बात स्पष्ट रूप से कह सकते है की धारावाही परिनालिका एक दण्ड चुम्बक की तरह व्यवहार करती है।
धारावाही परिनालिका में चुम्बकीय रेखाएँ समांतर होती है लेकिन दण्ड चुम्बक में चुम्बकीय रेखाऐं वक्र होती है।
किसी भी धारावाही परिनालिका या सोलेनॉइड के बाहर चुम्बकीय क्षेत्र शून्य माना जाता है लेकिन दंड चुम्बक के बाहर स्थित बिन्दुओ पर कुछ चुम्बकीय क्षेत्र माना जाता है अर्थात शून्य नहीं माना जाता।
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