JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now

हिंदी माध्यम नोट्स

Categories: sociology

अष्टवर्ण किसे कहते है | वीरशैववाद में अष्ट वर्ण की परिभाषा क्या है नाम लिस्ट Astavarna in hindi meaning

what are Astavarna in hindi meaning definition अष्टवर्ण किसे कहते है | वीरशैववाद में अष्ट वर्ण की परिभाषा क्या है नाम लिस्ट ? 

शतस्थल, अष्टवर्ण एवं पंचाचारि (Shatsthala, Astavarna and Panchachara)
अब तक, वीरशैववाद के आवश्यक लक्षणों की व्याख्या करते समय हमने मुख्यतः ब्राह्मणवादी हिन्दू धर्म के उन पहलुओं पर ध्यान केन्द्रित किया, जिनकी वीरशैववादियों ने आलोचना की तथा जिनका सुधार किया। अब, आइये हम व्यक्ति के नजरिये से इसकी विश्वास प्रणाली के कुछ महत्वपूर्ण अवयवों पर गौर करें।

इनमें तीन सबसे महत्वपूर्ण थे शतस्थल, अष्ठवर्ण तथा पंचाचारि।

शतस्थल ऐसे छह चरणों से मिलकर बना था जिन्हें भगवान शिव के साथ स्वयं को एकाकार कर देने के उद्देश्य के लिये व्यक्ति को उठाना पड़ता था।

अष्ठवर्ण होने वाले खतरों से उसकी सुरक्षा करते हैं।

ये आठ कवच थे प) लिंग–सर्वोच्च देवता अर्थात शिव का प्रतीक जो कि न केवल पूजा की वस्तु थी बल्कि भक्त के शरीर में सदैव निवास करने वाली भी थीय पप) गुरु-आध्यात्मिक बोधक जो कि शुरू में नव आगन्तुकों को वीरशैववाद के आध्यात्मिक ज्ञान की दीक्षा देता था। लिंगायत पुरुष, स्त्री व बच्चे गुरु की पहल के जरिये ही लिंग को धारण करते थे। यह आध्यात्मिक समारोह जिसमें कि व्यक्ति का गुरु के हाथों एक आध्यात्मिक जन्म होता था, इस मायने में काफी महत्व रखता था कि इससे व्यक्ति जाति के बंधन से मुक्त होकर एक ऐसे समाज में प्रवेश करता था जहाँ वह सभी के बराबर का दर्जा रखता था और किसी से निम्न न था, पपप) जंगम – समर्पित व्यक्ति जो अद्भुत ज्ञान से समृद्ध था और वह जगह-जगह घूमकर वीरशैववाद के सिद्धान्तों पर व्याख्यान देता था। जंगम आध्यात्मिक गतिविधियों में अनुयायी का मार्गदर्शन करता था, पअ) पाडोडका-इसके मायने थे श्तीर्थ अथवा पवित्र जन्म जो कि अनुयायी तथा बोधक को एकाकार करने का करता था। पवित्र जल इसके अनुयायी को शुद्ध करता था, अ) प्रसाद- अथवा बदले में मिली भेंट यह प्रदर्शित करती थी कि पूजा के दौरान ईश्वर को चढ़ाई गई वस्तुएँ पवित्र बन गई हैं। पाडोडका तथा प्रसाद को उसी स्थान पर विभिन्न सामाजिक पृष्ठभूमियों से आने वाले भक्तों द्वारा बड़ी श्रद्धा के साथ ग्रहण किया जाता था । जाति, लिंग, वर्ण अथवा रंग के भेद मिट जाते थे तथा मठ के सभी सहयोगी अनुयायियों के बीच भाइचारे की भावना को बढ़ावा मिलता था, अप) विभूति-वह पवित्र राख थी जिसे भक्तों के माथे पर लगाया जाता था, अपप) रुद्राक्ष-वीरशैववादियों द्वारा गले में पहने जाने वाली पवित्र माला थी, तथा, अपपप) मंत्र – नमःशिवः के मंत्र उच्चारण से भगवान शिव की अराधना करना।

बॉक्स 25.04
पंचाचारि पाँच तरह के धार्मिक उद्धधारण अथवा आसन थे जिन्हें प्रत्येक वीरशैववादी द्वारा अपने विश्वास की क्षति से बचाव के लिए करना होता था। पाँच अवस्थाएं थीं लिंगाचार, सदाचार, शिवाचार, गनाचार तथा व्रताचार। लिंगाचार सभी लिंगधारकों की संपूर्ण समानता की स्वीकृति थी। सदाचार जीवन के मार्गदर्शक सिद्धांत के तौर पर कायका (कर्तव्य, समर्पण तथा सेवा की भावना से कष्ट उठाना) को अपनाए जाना था। शिवाचार, वीरशैववाद के सिद्धांतों का पवित्र हृदय से पालन करता था, जब कि गणचार धार्मिक समुदाय की अखंडता पर आने वाले किसी भी खतरे का मुकाबला करने के लिए लड़ाकू तेवर अपनाता था । व्रताचार धार्मिक समुदाय को चलाने के लिए दासोहा का क्रियान्वयन करना था। दासोहा व्यक्ति के श्रम का समुदाय के साथ साझा हुआ करता था अर्थात कोई व्यक्ति अपने स्रोतों से अपने समुदाय के लिए खुले दिल से दान देकर उसकी सेवा करता था। अन्य लोगों की सेवा अंशतः उसकी मेहनत की कमाई पर आधारित थी।

इन तीनों घटकों ने पूजा तथा अमरत्व की समानता के सिद्धांतों को प्रतिबिम्बित किया जिन्हें वीरशैववाद प्रोत्साहित करने का प्रयास कर रहा था।

ये विश्वास एवं प्रचलन लिंग धारण करने वाले सभी पुरुषों, स्त्रियों व बच्चों पर लागू थे और हैं । वीरशैववाद ने सभी तरह के मानसिक एवं शारीरिक श्रम की पवित्रता पर जोर दिया और समाज में सभी को अपने ध्येय की प्राप्ति के लिए समान अवसर दिए जाने पर बल दिया। ऐसा समाज की भलाई को ध्यान में रखते हुए किया गया । कायक या कष्ट सहने पर जोर दिए जाने में भी पूजा और अमरत्व की समानता के विश्वास को देखा गया।

बोध प्रश्न 2
1) वीरशैववाद के अनिवार्य लक्षणों को सूचीबद्ध कीजिये।
2) सही उत्तर का चयन कीजिये। निजी लिंगम किनके द्वारा धारण किया जाता था?
क) केवल पुरुषों द्वारा
ख) केवल महिलाओं द्वारा
ग) केवल पुजारियों द्वारा
घ) पुरुषों, स्त्रियों व बच्चों द्वारा
3) सही उत्तर का चयन कीजिये । सभी लिंगधारक निम्न से उत्पन्न प्रदूषण से मुक्त थे।
क) जन्म, मृत्यु, तथा मासिक धर्म
ख) जन्म, मृत्यु, मासिक धर्म, थूक तथा जाति-संपर्क
ग) जन्म व मृत्यु
घ) निम्न जातियों के साथ अन्योन्यक्रिया
4) लिंगायत धार्मिक विचारधारात्मक संरचना के तीन सर्वाधिक महत्वपूर्ण घटक क्या हैं? लगभग पाँच पंक्तियों में उत्तर दीजिये।

बोध प्रश्न 2 उत्तर
1) आवश्यक विशेषताएं:
क) अनेक देवी-देवताओं की पूजा को अस्वीकार करना तथा लिंग की पूजा करना।
ख) कर्मकाण्डों का विरोध
ग) प्रदूषण का विरोध करने वाली विचारधारा
घ) शतस्थल, अष्ठवर्ण तथा पंचाचारि
च) कायका
2) घ)
3) ख)
4) लिंगायत विचारधारा का सर्वाधिक महत्वपूर्ण घटक शतस्थला, अष्ठवर्ण तथा पंचारि थे।

Sbistudy

Recent Posts

सती रासो किसकी रचना है , sati raso ke rachnakar kaun hai in hindi , सती रासो के लेखक कौन है

सती रासो के लेखक कौन है सती रासो किसकी रचना है , sati raso ke…

23 hours ago

मारवाड़ रा परगना री विगत किसकी रचना है , marwar ra pargana ri vigat ke lekhak kaun the

marwar ra pargana ri vigat ke lekhak kaun the मारवाड़ रा परगना री विगत किसकी…

23 hours ago

राजस्थान के इतिहास के पुरातात्विक स्रोतों की विवेचना कीजिए sources of rajasthan history in hindi

sources of rajasthan history in hindi राजस्थान के इतिहास के पुरातात्विक स्रोतों की विवेचना कीजिए…

3 days ago

गुर्जरात्रा प्रदेश राजस्थान कौनसा है , किसे कहते है ? gurjaratra pradesh in rajasthan in hindi

gurjaratra pradesh in rajasthan in hindi गुर्जरात्रा प्रदेश राजस्थान कौनसा है , किसे कहते है…

3 days ago

Weston Standard Cell in hindi वेस्टन मानक सेल क्या है इससे सेल विभव (वि.वा.बल) का मापन

वेस्टन मानक सेल क्या है इससे सेल विभव (वि.वा.बल) का मापन Weston Standard Cell in…

3 months ago

polity notes pdf in hindi for upsc prelims and mains exam , SSC , RAS political science hindi medium handwritten

get all types and chapters polity notes pdf in hindi for upsc , SSC ,…

3 months ago
All Rights ReservedView Non-AMP Version
X

Headline

You can control the ways in which we improve and personalize your experience. Please choose whether you wish to allow the following:

Privacy Settings
JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now