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असेम्बली भाषा किसे कहते है , उदाहरण क्या है , परिभाषा अर्थ खोज असेम्बलर का कार्य है आविष्कार Assembly Language in hindi
Assembly Language in hindi असेम्बली भाषा किसे कहते है , उदाहरण क्या है , परिभाषा अर्थ खोज असेम्बलर का कार्य है आविष्कार ?
कम्प्यूटर भाषाएं एवं प्रोग्रामिंग [COMPUTER LANGUAGES AND PROGRAMMING)
दो व्यक्तियों या समूहों के मध्य परस्पर सम्पर्क स्थापित करने के लिए एक माध्यम की आवश्यकता होती है। यह माध्यम दोनों की समझ में आना चाहिए जिससे वे अपने विचारों का आदान-प्रदान ठीक प्रकार। से कर सके। यह माध्यम एक भाषा होती है जैसे-हिन्दी, अंग्रेजी, स्पेनिश, आदि। कम्प्यूटर को अधिक उपयोगी बनाने के लिए मानव का इससे कम्प्यूटर सम्पर्क होना चाहिए। कम्प्यूटर और मानव के मध्य सम्पक स्थापित करने के लिए जिस भाषा का प्रयोग किया जाता है, वह कम्प्यूटर भाषा (Computer Language) कहलाती है। कम्प्यूटर भाषा को मानव और कम्प्यूटर, दोनों ही समझने में सक्षम होते हैं। हम कम्प्यूटर भाषा में निर्देश देकर कम्प्यूटर से विभिन्न कार्य करवा सकते हैं। कम्प्यूटर भाषाओं के निरन्तर विकास से आज लगभग 200 से अधिक कम्प्यूटर भाषाएं प्रचलन में हैं। प्रत्येक कम्प्यूटर भाषा के निर्देशों को लिखने के अपने नियम हात है। कम्प्यूटर भाषा को प्रोग्रामिंग भाषा (Programming Language) भी कहते हैं। किसा काय को करने के लिए कम्प्यूटर भाषा या प्रोग्रामिंग भाषा में लिखे गए वाक्य या वाक्यांश को निर्देश (Instruction) कहते हैं। प्रोग्रामिंग भाषा में लिखे गए निर्देशों के समूह को प्रोग्राम (Program) कहते है। कम्प्यूटर भाषाओं का निरन्तर विकास हुआ है। अनेक क्षेत्रों के लिए अलग-अलग कम्प्यूटर भाषाएं उपलब्ध हैं। बच्चों के लिए कम्प्यूटर भाषाएं अलग होती हैं, जबकि व्यापारिक कार्यों (Business Purpose) के लिए अलग कम्प्यूटर भाषाएं हैं। इसी प्रकार इंजीनियरिंग (Engineer- ing), इण्टरनेट वेब डिजायनिंग (Internet Web Designing), रोबोटिक्स (ROBOTICS), कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence), आदि क्षेत्र के लिए आज कम्प्यूटर भाषा प्रचलन में है
कम्प्यूटर भाषाओं को दो मुख्य श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है—निम्नस्तरीय भाषा (Low Level Language) और उच्चस्तरीय भाषा (High Level Language)|
निम्नस्तरीय भाषा (LOW LEVEL LANGUAGE)
कम्प्यूटर के आन्तरिक भाग में सभी कार्य इसके विद्युत् परिपथ में विद्युत् के संकेतों (Signals) के संचरण से सम्पन्न होते हैं। कम्प्यूटर प्रत्येक निर्देश को विद्युत संकेत जिन्हें पल्स (Pulse) कहते हैं, में 0 और 1 के। रूप में काम में लेता है। जब 0 और 1 के संकेतों में कम्प्यूटर को निर्देश दिए जाते हैं तो इसे निम्नस्तरीय भाषा कहा जाता है अर्थात कम्प्यूटर के आन्तरिक परिपथ के लिए सीधी समझने योग्य भाषा निम्नस्तरीय भाषा होती है। इसका स्तर कम्प्यूटर की संरचना के स्तर पर होता है जो मानवीय भाषा (जैसे अंग्रेजी) समानता नहीं रखता है।
निम्नस्तरीय भाषा को पुनः दो श्रेणियों में बांटा गया है :
(1) मशीनी भाषा (Machine Language)
(2) असेम्बली भाषा (Assembly Language)
- मशीनी भाषा (Machine Language) : कम्प्यूटर द्वि-अवस्था इलेक्ट्रॉनिक भागो (Two-state electronic components) समलकर बना होता है, जो केवल दो अवस्थाओं पल्स (Pulse) और नो-पल्स (No-pulse) या 1 से 0 को ही समझता है। भाषा इसलिए कम्प्यूटर को दिए जाने वाले निर्देश बाइनरी अंक 1 और 0 में लिखे जाते हैं। 1 और 0 के बाइनरी अंको में लिखी जाने वाली कम्यटर भाषा मशीनी भाषा कहलाती है। कम्प्यूटर मानवीय भाषा (हिन्दी, अंग्रेजी या अन्य भाषा) नहीं समझता है। इसका आन्तरिक परिपथ केवल मशीनी भाषा ही समझता है। प्रत्येक कम्प्यूटर की स्वयं की एक मशीनी भाषा होती है यद्यपि 1 और 0 के संकेत सभी कम्प्यूटरों के लिए समान होते हैं। यह मशीनी भाषा सीखने और उपयोग करने में जटिल होती है। डाटा और निर्देशों को 1 और 0 में अनुवादित करके याद रखना कठिन होता है। इसके अतिरिक्त प्रोग्रामरों (Programmers) को डाटा और निर्देशों की संग्रह स्थितियां (Storage Locations) भी याद रखनी पड़ती हैं। एक प्रोग्राम को लिखने में महीनों (Months) लग जाते हैं। इसके बाद इनमें त्रुटियों का पता लगाना और बाद में इसमें परिवर्तन करना भी कठिन हो जाता है। अतः मशीनी भाषा में प्रोग्राम (Program) लिखना और उसको क्रियान्वित करना कठिन हो जाता है।
प्रत्येक कम्प्यूटर की स्वयं की मशीनी भाषा होती है जिससे एक प्रोग्रामर अनेक कम्प्यूटर में आसानी से प्रोग्राम नहीं लिख सकता है. क्योंकि इसके लिए प्रत्येक कम्प्यूटर की मशीनी भाषा का उसे ज्ञान होना चाहिए तभी वह एक से अधिक कम्प्यटरों पर मशीनी भाषा में प्रोग्राम लिख सकता है। मशीनी भाषा में लिखे गए निर्देश का उदाहरण निम्नलिखित है : 010110010111011011101101
मशीनी भाषा का उपयोग कम्प्यूटर की प्रथम पीढी के दौरान होता था, अतः मशीनी भाषा को प्रथम पीढ़ी भाषा (First Generation Language IGL) भी कहते हैं।
[नोट मशीनी भाषा (Machine Language) में प्रोग्रामिंग करने वाले प्रोग्रामर (Programmer) को कम्प्यूटर की आन्तरिक संरचना का ज्ञान होना आवश्यक है, क्योंकि यह भाषा मशीन पर आधारित है। मशीनी भाषा के लाभ (Advantages of Machine Language)
(1) इसमें लिखे हुए प्रोग्राम के क्रियान्वित (Execute) होने की गति सर्वाधिक होती है, क्योंकि प्रोग्राम के निर्देशों का अनुवाद नहीं होता है।
(2) कम्प्यूटर की सम्पूर्ण गति और मेमोरी का उपयोग होता है।
मशीनी भाषा की हानियां (Disadvantages of Machine Language)
(1) निर्देशों में जटिलता होती है जिससे उनका समुचित उपयोग नहीं होता है।
(2) इसमें प्रोग्राम लिखने के लिए कम्प्यूटर के आन्तरिक परिपथ, मेमोरी स्थिति, आदि का प्रोग्रामर को अच्छा ज्ञान होना आवश्यक है।
(3) निर्देशों को याद रख पाना कठिन है।
(4) प्रत्येक कम्प्यूटर की स्वयं की एक मशीनी भाषा होती है अतः एक कम्प्यूटर पर तैयार किया गया प्रोग्राम अन्य कम्प्यूटर पर नहीं चलाया जा सकता है।
(5) मशीनी भाषा में लिखे गए प्रोग्राम में कोई त्रुटि आने पर उसे ढूंढ़ना बहुत कठिन कार्य है।
- असेम्बली भाषा (Assembly Language) : मशीनी भाषा की जटिलता प्रोग्रामरों (Programmers) के लिए एक परेशानी थी। प्रोग्रामिंग की इस जटिलता को दूर करने के लिए सन् 1950 में कम्प्यूटर की क्रियाओं को शाब्दिक रूप दिया गया। अंकीय भाषा (0 और 1) के क्रियात्मक संकेतों को न्यूमोनिक कोड (Mnemonic Code) में व्यक्त किया जाने लगा।
विभिन्न क्रियाओं के शाब्दिक संकेत (न्यूमोनिक कोड) में लिखे निर्देशों वाली भाषा तैयार की गई जिसे ‘असेम्बली भाषा (Assembly Language) कहते है। उदाहरणार्थ, ADD एक न्यूमोनिक संकेत हैं जो जोड़ को व्यक्त करता है। मेमोरी में डाटा को संग्रह करने के लिए उन्हें असेम्बली भाषा में नाम दिया जा सकता है जैसे TOTAL MARKS, TIME, आदि। इस प्रकार मेमोरी में संग्रह स्थिति (Location) की संख्या रावने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि अब उस स्थिति को नाम दिया जाने लगा है। उदाहरण के लिए, किसी वस्तु के विक्रय मूल्य की मेमोरी में स्थिति संख्या (Location Number) रोगामर ने इसे SP नाम दिया है। इसी प्रकार क्रय मूल्य (Cost Price) की मेमोरी में स्थिति कम्प्यूटर 117 संख्या (Location Number) 2047 है जिसका नाम CP दिया गया है। अब प्रोग्रामर इन दोनों डाटा को SP और CP से ही व्यक्त करके गणना कर सकता है। । हम जानते है कि कम्प्यूटर केवल मशीनी भाषा ही समझता है. इसलिए असेम्बली भाषा में लिखे निर्देश क्रियान्वित होने से पूर्व मशीनी भाषा में अनुवादित होने चाहिए। अनुवाद (Translation) का यह कार्य एक अन्य प्रोग्राम ‘असेम्बलर’ (Assembler) करता है। उदाहरण के लिए, असेम्बली भाषा में लिखे निर्देश SUB, sp CP को असेम्बलर निम्न प्रकार मशीनी भाषा में अनुवादित करेगा :
असेम्बलर (Assembler) : मशीनी भाषा में अनुवाद करने के लिए असेम्बली भाषा में तैयार किए प्रोग्राम को इनपुट (Input) करता है। असेम्बली भाषा में तैयार किया गया यह प्रोग्राम, स्रोत प्रोग्राम (Source Program) कहलाता है। यह अनुवादित (Translate) होने के बाद मशीनी भाषा में प्राप्त होता है जिसे ऑब्जेक्ट प्रोग्राम (Object Program) कहते है। असम्बलर एक सिस्टम प्रोग्राम (System Program) होता है जिसे कम्प्यूटर निर्माता तैयार करके देता है। यह सिस्टम प्रोग्रामरों (System Programmers) द्वारा बड़ी सावधानी से लिखा जाता
असेम्बली भाषा के लाभ (Advantages of Assembly Language)
(1) यह प्रोग्रामर (Programmer) के समय की बचत करता है।
(2) निर्देशों में त्रुटियां कम होती हैं।
(3) त्रुटियां शीघ्र जांची जा सकती हैं।
(4) मशीनी भाषा की अपेक्षा असेम्बली भाषा के निर्देशों में बदलाव या नवीनीकरण (Modification) शीघ्रता से किया जा सकता है।
(5) प्रोग्रामर को डाटा के मेमोरी में संग्रह स्थान (Memory Location) की संख्या याद रखने की। आवश्यकता नहीं पड़ती है।
नोट..असेम्बली भाषा की मशीनी भाषा के समान मशीन पर आधारित होती है. अतः इस भाषा में प्रोग्रामिंग करते समय प्रोग्रामर को कम्प्यूटर की आन्तरिक संरचना का ज्ञान होना चाहिए। असेम्बली भाषा की हानियां (Disadvantages of Assembly Language)
(1) यद्यपि यह भाषा मशीनी भाषा से सरल है, लेकिन प्रोग्रामिंग में समय अधिक लगता है और प्रोग्राम समझने में अधिक सरल भी नहीं होते हैं।
कमाण्ड उदाहरण विवरण
LR LR 7,4 रजिस्टर 4 के अवयवों को रजिस्टर 7 में संगृहीत करता है
L L,8,x वेरियेवल X के मान को मेमोरी से रजिस्टर 8 में संगृहीत करता A A 5 ,X मेमोरी के X वेरियेबल में रजिस्टर 5 के अवयवों को जोड़ कर रजिस्टर 5 मेंसंगृहीत करता है।
(2) असेम्बली भाषा भी मशीन भाषा पर आधारित है, अतः प्रत्येक कम्प्यूटर की स्वयं की। असेम्बली भाषा होती है जिससे प्रत्येक कम्प्यूटर के लिए अलग-अलग प्रोग्राम तैयार करने पडते का (3) असेम्बली भाषा में तैयार प्रोग्राम में त्रुटियां को ढूंढ़ना कठिन होता है।
(4) इसमें प्रोग्राम तैयार करते समय कम्प्यूटर की आन्तरिक संरचना और मेमोरी स्थितियों Locations) की अच्छी जानकारी होना आवश्यक है।
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