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Categories: chemistry

Applications of Colloids in hindi कोलॉइडों के अनुप्रयोग क्या है , कोलाइडो के उपयोग किसे कहते हैं

कोलॉइडों के अनुप्रयोग क्या है , कोलाइडो के उपयोग किसे कहते हैं

सूक्ष्म जीव विज्ञान (Micro biology) के अध्ययन में इन जेलों का अत्यधिक महत्व होता है, विशेष रूप से सूक्ष्मजीवों (micro-organisms) के कल्चर में ऐगार और जिलेटिन का एक ठोस माध्यम के रूप में व्यापक उपयोग होता है। कोलॉइडों के अनुप्रयोग (Applications of Colloids)  कई कोलॉइडों का हमारे जीवन में अत्यन्त महत्वपूर्ण उपयोग है, इनमें से कुछ प्रमुख कोलॉइडों का। विवरण निम्न प्रकार है

(1) कोलॉइडी सिल्वर (Colloidal silver) – इसका व्यापारिक नाम प्रोटैगॉल (Protagol) है और इसका उपयोग आंखों की पलकों की बीमारी के उपचार में किया जाता है।।

(2) कोलॉइडी गोल्ड (Colloidal gold) कोलॉइडी गोल्ड, मैंगनीज व कैल्सियम को तपैदिक (T. B.) व रिकेट के उपचार में टॉनिक के रूप में प्रयुक्त किया जाता है।

(3) कोलॉइडी गन्धक (Colloidal sulphur) इसका उपयोग कीटनाशी के रूप में किया जाता है। (4) कोलॉइडी ऐण्टीमनी (Colloidal antimoney)– इसका उपयोग ‘कालाजार’ (Kalazar) नामक । रोग के उपचार में किया जाता है।

(5) मिट्टी (Soils)-जन्तुओं तथा वनस्पतियों के सड़े-गले अवशेषों से मिट्टी में एक रक्षी कोलॉइडी तह । बन जाती है, जो मिट्टी से नमी व अन्य पोषक तत्वों के उड़ जाने को रोकती है।

(6) रबड़ कोटिंग (Rubber coating)- रबड, एक ऋणावेशित रबड़ अणुओं का जल में निलम्बन होता है। किसी वस्तु पर इसकी कोटिंग करने के लिए उस वस्तु को ऐनोड रूप में एक विद्युत अपघटनी सेल में । रखते है। विद्युत्-धारा प्रवाहित होने पर ऋणावेशित रबड़ के अण ऐनोड पर एकत्रित होते हैं और उस वस्तु । पर रबड़ कोटिंग हो जाती हैं।

(7) फोटोग्राफिक फिल्में (Photographic films)-फोटोग्राफिक फिल्में भी कोलॉइडों का ही अनुप्रयोग हैं। इन्हें बनाने के लिए इन पर जिलैटिन से रक्षित सिल्वर आयोडाइड निलम्बन की सतह चढ़ाई जाती है।

(8) जल का शोधन (Purification of water) सामान्यतया घरों में फिटकरी द्वारा जल को शुद्ध । किया जाता है। यह कोलॉइडी कणों के स्कंदन का परिणाम है। जल में विद्यमान गन्दगी के कोलॉइडी कण । फिटकरी के उच्च आवेशित आयनों से स्कंदित होकर पेंदे में एकत्रित हो जाते हैं और जल शुद्ध हो जाता है। .

(9) चर्म शोधन (Tanning) चमड़े में प्रोटीन कोलॉइडी कणों के रूप में होता है। जब चमड़े को टैनिन में । भिगोया जाता है तो चमड़े के धनावेशित कोलॉइडी कण टैनिन के ऋणावेशित कोलॉइडी कणों के साथ स्कंदित हो जाते हैं जिससे चमड़ा कठोर व उपयोगी हो जाता है। इस प्रक्रिया को टैनिंग या चर्मशोधन कहा जाता है।

(10) कृत्रिम वर्षा (Artificial rain) वायुमण्डल में कृत्रिम रूप से धूल के धनावेशित कोलॉइडी कणों । का छिड़काव करने से विपरीत आवेशित बादलों से जल के कोलॉइडी कण स्कंदित होकर वर्षा की बूंदों के रूप में गिरने लगते हैं और इस प्रकार कई स्थानों पर कृत्रिम वर्षा करवायी जाती है।

(11) रक्त का थक्का (Blood clotting)- रक्त एक कोलॉइडी विलयन है। चोट लगने पर शरीर के । किसी भाग से बहते हुए रक्त पर यदि FeClz अथवा फिटकरी के ताजे बने हुए विलयन को डाला जाए तो उच्च आवेशित आयनों के साथ रक्त के कोलॉइडी कण स्कंदित हो जाते हैं और रक्त का थक्का बनना शुरू हो जाता है जिससे रक्त बहना रुक जाता है।

(12) नीला आकाश (Blue sky) दिन के समय दिखने वाला सुन्दर नीला आकाश भी कोलॉइडों के । प्रकाश प्रकीर्णन का परिणाम है। वायुमण्डल में विद्यमान जल व धूल के कोलॉइडी कण सूर्य से आती हुई प्रकाश की किरणों से नीला रंग प्रकीर्णित कर देते हैं, इस कारण हमें आकाश नीला दिखाई देता है।

(13) डेल्टा का बनना (Formation of delta)- जिस स्थान पर नदियां समुद्र में गिरती हैं वहां पर । कठोर चट्टान जैसा भाग बन जाता है जिसे डेल्टा कहा जाता है। नदी व समुद्र के संगम स्थल पर डेल्टा का बनाना कोलॉइडी स्कंदन का ही परिणाम है।। नदी बहते हए अपने साथ रेत व अन्य कई पदार्थो के कोलॉइडी कणों को लेकर आती है। समद्र के जल में हम जानते ही है कि कई प्रकार के लवण होते हैं। जब ये दोनों जल एक-दसरे के सम्पर्क में आते हैं।

तो नदी के जल के कोलॉइडी कण समुद्री जल के लवणों द्वारा स्कंदित होकर वहां एकत्रित हो जाते हैं और धीरे-धीरे करके वहां डेल्टा बन जाता है। इसे संलग्न चित्र 6.16 द्वारा प्रदर्शित किया जा सकता है।

(14) कारखानों से निकलने वाले धुएं व धूल से वायमण्डल को स्कदित रेत प्रदूषित होने से बचाने में वैद्युत कण संचलन का उपयोग किया जाता । (डेल्टा ) है। फैक्टरी की चिमनी को कॉट्रेल अवक्षेपक (cottrell precipitator) में से गुजारते हैं जिसमें उच्च विद्युत विभव युक्त इलेक्ट्रोड लगे रहते हैं। विद्युत् के प्रभाव से धुएं धुए व धूल व धूल के आवेशित मुक्त गैस कोलॉइडी कण निरावेशित होकर अवक्षेपित हो जाते हैं और धुएं व धूल से मुक्त गैसें ऊपर से निकलकर वायुमण्डल में मिल जाती हैं। धन कण संचलन की सहायता से गटर व नालों के गन्दे पानी का भी सिंचाई आदि में उपयोग किया जा सकता पूल है। गन्दगी के कोलॉइडी कणों युक्त जल को यदि विद्युत् वकाबेन युक्त गैसें क्षेत्र से गुजारा जाए तो धनावेशित कोलॉइडी कण कैथोड की ओर एकत्रित होते जाते हैं जिन्हें बाद में खुरचकर खाद के रूप में प्रयुक्त किया जाता है और इन गन्दगी के कणों के पृथक् होने के बाद शेष शुद्ध जल का प्रयोग सिंचाई आदि में किया जा सकता है।

(15) धन कण संचलन की सहायता से गटर व नालों के गन्दे पानी का भी सिंचाई आदि में उपयोग किया जा सकता है। गन्दगी के कोलॉइडी कणों युक्त जल को यदि विद्युत् क्षेत्र से गुजारा जाए तो धनावेशित ‘कोलॉइडी कण कैथोड की ओर एकत्रित होते जाते हैं जिन्हें बाद में खुरचकर खाद के रूप में प्रयुक्त किया जाता है और इन गन्दगी के कणों के पृथक् होने के बाद शेष शुद्ध जल का प्रयोग सिंचाई आदि में किया जा सकता है।

(16) अपमार्जन क्रिया (Cleansing action)_साबुन अथवा डिटरजेन्ट की अपमार्जन क्रिया भी कोलॉइडी विलयन के माध्यम से ही सम्पन्न होती है। जैसा कि हम ऊपर पढ़ चुके हैं कि साबुन अथवा अपमार्जक के अणु जल में घुलकर एक कोलॉइडी कण बनाते हैं जो गन्दगी युक्त चिकनाई द्वारा अधिशोषित हो जाते हैं और कपड़े या शरीर की सतह से पानी के प्रवाह के साथ निकल जाते हैं और सतह साफ हो। जाती है।

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