पुष्पी पादपों का शरीर notes class 11 अध्याय 6 anatomy of flowering plants hindi शरीर notes
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पुष्पी पादपों का शरीर
पुष्पी पादपों का शरीर (अंगरचना) निम्नलिखित होता है:
1. मूल (Roots): मूल पौधे के भूमि में स्थित होते हैं और पानी और पोषक तत्वों को अवशोषित करते हैं। मूल प्रायः भूमि के अंदर फैलते हैं और पौधे को स्थिरता प्रदान करते हैं।
2. डंका (Stem): डंका पौधे की मुख्य और मजबूत ऊर्ध्वीय संरचना होता है जो मूल से ऊपर की ओर बढ़ता है। यह पौधे को समर्थन देता है और पानी और पोषक तत्वों को ऊपरी भागों तक पहुंचाता है।
3. पत्तियाँ (Leaves): पत्तियाँ पौधे की प्रमुख पर्णसंरचना होती हैं जो डंके से उठती हैं। ये पर्ण संरचनाएँ सौर प्रकाश को संवेदनशील करती हैं और फ़ोटोसिंथेसिस के लिए क्लोरोफिल धारण करती हैं। पत्तियाँ ऑक्सीजन उत्पन्न करती हैं और कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करती हैं।
4. फूल (Flowers): फूल पौधे की जननांग होते हैं जो वृक्ष, गुच्छा, या झाड़ी के शीर्ष पर उगते हैं। ये जननांग पौधे के जलन और बीज के उत्पादन के लिए जिम्मेदार होते हैं। फूल विभिन्न आकार, आकृति, और रंग में पाए जा सकते हैं। ये भी विभिन्न भागों से मिलकर बने होते हैं, जैसे कि पंखीय और अंडकोषीय अंग।
5. बीज (Seeds): बीज पौधे के जीवनचक्र का महत्वपूर्ण हिस्सा होते हैं। ये प्रकोपन और जीवाश्म आवरण धारण करते हैं और नए पौधों का उत्पादन करते हैं। बीज में उच्चाकरण के लिए पोषक और उर्जा संचयन के लिए भंडारण क्षेत्र होता है।
ये अंगरचनाएँ पुष्पी पादपों की मुख्य और महत्वपूर्ण अंगरचनाएँ हैं, जो उन्हें विशेषता देती हैं और उनकी विभिन्न कार्यों में सहायता करती हैं।
Meristematic Tissue in hindi
मेरिस्टेमेटिक ऊतक पौधों में उभरते हैं और उनकी विकासशीलता के लिए महत्वपूर्ण होते हैं। ये ऊतक विशेषतः विकासशीलता और वृद्धि के लिए जिम्मेदार होते हैं। मेरिस्टेमेटिक ऊतक मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं:
1. आपेक्षिक मेरिस्टेम (Apical Meristem): ये मेरिस्टेमेटिक ऊतक पौधे के शीर्षिका या सिरी में पाए जाते हैं। इनमें संरचनात्मक विकास होता है जिससे पौधा ऊँचा और लंबा होता है। इन ऊतकों की गतिविधि से पंखीय, फूलीय और फलीय अंगों का निर्माण होता है।
2. आँतरिक मेरिस्टेम (Lateral Meristem): ये मेरिस्टेमेटिक ऊतक पौधे के सामंग्रीय ऊर्ध्वीय विकास के लिए जिम्मेदार होते हैं। इनमें संचारी विकास होता है जिससे पौधे की गाहकता बढ़ती है और पौधा अपनी गाहक दक्षता के संदर्भ में मजबूत होता है। ये ऊतक वृक्ष की लकड़ी का विकास करते हैं और उसे गाठित करने में मदद करते हैं।
मेरिस्टेमेटिक ऊतक अपरिमित विकास शक्ति रखते हैं और पौधे को नए कोशिकाओं की उत्पत्ति और वृद्धि के लिए आवश्यकता अनुमति देते हैं। ये ऊतक निरंतर विभाजन के माध्यम से नये कोशिकाओं को उत्पन्न करते हैं और पौधे के विकास को सुनिश्चित करते हैं।
Classification of Meristematic Tissue in hindi
मेरिस्टेमेटिक ऊतक को निम्नलिखित तरीके से वर्गीकृत किया जाता है:
1. पुष्पमेरिस्टेम (Apical Meristem): यह मेरिस्टेमेटिक ऊतक पौधे की शीर्षिका या सिरी में पाया जाता है। इसकी मुख्य उपस्थिति संरचनात्मक विकास के लिए जिम्मेदार होती है और यह पौधे की ऊँचाई और लंबाई का नियमित विकास करती है।
2. द्वितीयक मेरिस्टेम (Secondary Meristem): यह मेरिस्टेमेटिक ऊतक पौधे की द्वितीयक वृद्धि के लिए जिम्मेदार होता है। इसमें वृद्धि के लिए नयी कोशिकाएँ उत्पन्न होती हैं और ऊतक की वृद्धि के साथ-साथ पौधे की गाहकता भी बढ़ती है। यह मुख्य रूप से लकड़ी के विकास में शामिल होता है।
3. इंटरकैलरी मेरिस्टेम (Intercalary Meristem): यह मेरिस्टेमेटिक ऊतक पौधे की अंतरविलम्बित वृद्धि के लिए जिम्मेदार होता है। इसे डंके या टने के बीच में पाया जाता है और यह अद्यतित उत्पादन और वृद्धि को संभव बनाता है। यह प्रमुखतः घास के पौधों में पाया जाता है।
ये विभिन्न प्रकार के मेरिस्टेमेटिक ऊतक हैं जो पौधों के विकास के विभिन्न पहलुओं में योगदान देते हैं।
Ground Meristem in hindi
ग्राउंड मेरिस्टेम हिंदी में “मृदा मेरिस्टेम” के रूप में जाना जाता है। यह मेरिस्टेमेटिक ऊतक पौधे के शरीर के गहनांशों, जैसे की रेट्रो चलम, इंटर्नोड्स और पेठ (पटल) में पाया जाता है। मृदा मेरिस्टेम प्रथम विसंगति को उत्पन्न करता है, जो शाखाओं, पत्तियों और प्रजातियों के विकास के लिए महत्वपूर्ण है। इसका मुख्य कार्य पादप ऊतकों की विकासशीलता, तंत्रिका उत्पादन और ऊतकों की वृद्धि के लिए संरचनात्मक संचय को उत्पन्न करना है।
Xylem Parenchyma in hindi
जाइलेम पैरेंकाइमा को हिंदी में “साइलेम पैरेंकाइमा” भी कहा जाता है। यह पौधों के जाइलेम टिश्यू का एक उपकोशिका ऊतक है जो जाइलेम बंदली के अंदर पाया जाता है। साइलेम पैरेंकाइमा कोशिकाएँ जाइलेम को आपूर्ति और पृष्ठता प्रदान करने के लिए जिम्मेदार होती हैं। इनमें सजीव उपस्थिति होती है और इंट्रक्शनल टैंकेड शक्ति को संचयित करती हैं। साइलेम पैरेंकाइमा ऊतक का कार्य सजीव ऊतकों के माध्यम से नीरवता व खनिज पदार्थों को भंडारित करना होता है। यह ऊतक पानी और खनिजों के वितरण में मदद करता है और पौधे की संरचनात्मक स्थिरता को सुनिश्चित करता है।
Glandular Tissue in hindi
ग्लैंड्युलर ऊतक हिंदी में “ग्रंथिय ऊतक” के रूप में जाना जाता है। यह ऊतक पौधे में ग्रंथियों की उत्पत्ति, विकास और कार्य के लिए जिम्मेदार होता है। ग्रंथिय ऊतक में ग्रंथियां होती हैं जो तत्वों या तत्व समूहों को उत्पन्न करती हैं और उन्हें पौधे के अन्दर संग्रहीत करती हैं। ये ग्रंथियां विभिन्न प्रकार के रस, तेल, लातू, विटामिन, पिगमेंट, फेरोमोन, उत्सर्जन और अन्य पदार्थों को उत्पन्न कर सकती हैं। ग्रंथिय ऊतक प्रमुखतः पत्तियों, फूलों, बीजों, फलों और तने में पाए जाते हैं। ये ऊतक पौधे के रक्त संचार को नियंत्रित करते हैं और पौधे की संरचनात्मक और रसायनिक कार्यों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
Conjuctive Tissue in hindi
कन्जंक्टिव ऊतक हिंदी में “संयोजक ऊतक” के रूप में जाना जाता है। यह पौधों के अवयवों को जोड़ने और संरक्षित करने के लिए जिम्मेदार होता है। संयोजक ऊतक पौधे के अवयवों के बीच संचार करता है, उन्हें समर्पित करता है और संचार को सुनिश्चित करता है। यह ऊतक प्रमुखतः रेतिना (पतली परत) में पाया जाता है और पौधे के अंगों, जैसे की पत्तियों, शाखाओं, फूलों, फलों, बीजों, संकुचकों और तने में पाया जा सकता है। संयोजक ऊतक में संरचनात्मक और रक्तीय पदार्थों की वितरण और परिवहन करने वाली संरचनाओं की मौजूदगी होती है। इसके अलावा, यह पौधे को स्थिरता, संरक्षण और विकास के लिए आवश्यकता पूरी करने में मदद करता है।
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