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एम्पियर का परिपथीय नियम , एंपीयर का परिपथ नियम बताइए क्या है , ampere circuital law in hindi
ampere circuital law in hindi , एम्पियर का परिपथीय नियम , एंपीयर का परिपथ नियम बताइए क्या है :-
प्रत्यावर्ती धारा :- उस धारा को कहते है जिसका आधा भाग धनात्मक तथा आधा भाग ऋणात्मक होता है अर्थात 0 से 2π धनात्मक तथा 2π से 4π तक ऋणात्मक होता है।
साइक्लोट्रोन में विद्युत क्षेत्र व चुम्बकीय क्षेत्र दोनों एक साथ इस प्रकार लगाये जाते है कि ये परस्पर लम्बवत है यहाँ चुम्बकीय क्षेत्र पर धनावेश को वृत्तीय गति प्रदान करता है जबकि विद्युत बल एक निश्चित अंतराल के बाद धनावेश को ऊर्जा प्रदान करता है।
इसमें D के आकार के दो चालक D1 व D2 होते है जिनके व्यास परस्पर समान्तर होते है इन्हें डिज कहते है , इन डिस्क का सम्बन्ध प्रत्यावर्ती धारा स्रोत से कर दिया जाता है , इन दोनों डिस्क को दो शक्तिशाली चुम्बको के मध्य इस प्रकार रखा जाता है कि विद्युत क्षेत्र व चुम्बकीय क्षेत्र परस्पर लम्बवत रहे।
चूँकि डिज भीतर से खोखली है अत: डिज के भीतर विद्युत क्षेत्र शून्य होगा अत: विद्युत क्षेत्र केवल डिज के मध्य रिक्त स्थान में ही होता है।
जिस धन आवेश को उच्च ऊर्जा तक त्वरित करना होता है उसे दोनों डिज के मध्य रिक्त स्थान में रख दिया जाता है। माना प्रारम्भ में D1 डी ऋण विभव पर तथा D2 डी धन विभव पर है। अत: धनावेश D1 डी में प्रवेश कर जाता है।
चुम्बकीय बल इस आवेश को वृतीय गति प्रदान करता है अत: धनावेश अर्द्ध चक्र पूर्ण कर डिज के मध्य रिक्त स्थान में आकर qV ऊर्जा प्राप्त करता , ठीक इसी समय डिज की ध्रुवता बदल जाती है अत: D1 डी धन विभव पर तथा D2 डी ऋण विभव पर आ जाती है अत: धनावेश D2 डी में प्रवेश करता है तथा अर्द्धचक्र पूर्ण कर वापस दोनों डिज के मध्य रिक्त स्थान में आकार qV ऊर्जा प्राप्त करता है , इस प्रकार धनावेश एक पूर्ण चक्र में दो बार ऊर्जा प्राप्त करता है अत: धनावेश द्वारा एक पूर्ण चक्र में प्राप्त ऊर्जा 2qv होगी। यही क्रम चलता रहता है जब धनावेश कि ऊर्जा पर्याप्त हो जाती है तो इसे बाहर निकाल लिया जाता है तथा इसे लक्ष्य नाभिक पर टकरा दिया जाता है।
गणितीय विवेचना : धनावेशित कण को वृतीय गति कराने के लिए आवश्यक अभिकेन्द्रीय बल mv2/r चुम्बकीय बल qvB से प्राप्त होता है।
mv2/r = qvB
mv = qBr
V = qBr/m समीकरण-1
कोणीय आवृति –
w = V/r
w का मान –
w = qBr/mr
w = qB/m
चूँकि w = 2πv
यहाँ v = आवृति
V = w/2π
w का मान –
v = qB/2πm
आवर्तकाल –
T = 1/v
T = 2πm/qB
गतिज ऊर्जा = mv2/2
v का मान –
v = m[qBr/m]2/2
v = q2B2r2/2m
mv2/2 = q2B2r2/2m
साइक्लोट्रोन का उपयोग :-
- साइक्लोट्रोन का उपयोग कर धनावेशित कणों को उच्च ऊर्जा तक त्वरित किया जाता है। इसके पश्चात् इन धनावेशित कणों का उपयोग नाभिकीय विखण्डन में किया जाता है।
- ठोसों के आयनों में डोपित करने में इनके गुणों में सुधार तथा नए पदार्थ के उत्पादन में किया जाता है।
- साइक्लोट्रोन का उपयोग कर रेडियोएक्टिव पदार्थ उत्पन्न किये जाते है , इन पदार्थो का उपयोग अस्पतालों में रोगों के उपचार तथा निदान में किया जाता है।
चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा
दाहिने हाथ के अंगूठे का नियम : यदि दाहिने हाथ की अंगुलियों को इस प्रकार मोड़ा जाए कि मुड़ी हुई अंगुलियाँ धारा की दिशा में तो अंगूठा चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा को व्यक्त करता है।
चुम्बकीय क्षेत्र का रेखा समाकलन : चुम्बकीय क्षेत्र में कोई अल्पांश dl है तथा इस अल्पांश पर चुम्बकीय क्षेत्र B है तो B व dl के अदिश गुणनफल के समाकलन को चुम्बकीय क्षेत्र का रेखा समाकलन कहते है।
अर्थात
चुंबकीय क्षेत्र का रेखा समाकलन = ∫B.dl
बंद पथ पर चुम्बकीय क्षेत्र का रेखा समाकलन : यदि चुम्बकीय क्षेत्र में एक बंद पथ की कल्पना की जिस पर कोई अल्पांश dl है तथा अल्पांश पर चुम्बकीय क्षेत्र B है।
अत: बंद पथ पर चुम्बकीय क्षेत्र का रेखा समाकलन = ∫B.dl
एम्पियर का परिपथीय नियम : किसी बंद पथ पर चुम्बकीय क्षेत्र का रेखा समाकलन उस पथ द्वारा परिबद्ध क्षेत्र से गुजरने वाली समस्त धाराओं के बीजगणितीय योग तथा u0 के गुणनफल के बराबर होता है।
∫B.dl = u0εi
u0 = निर्वात या वायु की चुम्बकशीलता
u0 = 4π x 10-7
चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा या दाहिने हाथ के अंगूठे का नियम : यदि दाहिने हाथ के हथेली को वृत्ताकार पाश के चारों इस प्रकार मोड़े की मुड़ी हुई अंगुलियाँ धारा की दिशा को व्यक्त करे तो तना हुआ अंगूठा चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा को व्यक्त करेगा।
या
यदि किसी धारावाही सीधे तार को दाहिने हाथ से इस प्रकार पकडे की तना हुआ अंगूठा विद्युत धारा की दिशा में हो तो मुड़ी हुई अंगुलियाँ चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा को व्यक्त करेगी।
विद्युत धारा अवयव के कारण चुम्बकीय क्षेत्र :-
बायो सावर्ट नियम : –
माना एक चालक तार में i प्रवाहित धारा हो रही है। इस पर कोई अल्पांश dl है। अल्पांश से r दूरी पर स्थित बिंदु P पर उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र dB है तथा अल्पांश एवं अल्पांश को बिंदु P से मिलाने वाली रेखा के बीच कोण θ है।
बिंदु P पर चुम्बकीय क्षेत्र |dB| = (μ0 / 4π) × (Idl sinθ / r2)
विद्युत धारावाही वृत्ताकार पाश (लूप) के अक्ष पर चुम्बकीय क्षेत्र (magnetic field on axis of circular loop) :
माना कुण्डली की त्रिज्या R है तथा इसका केन्द्र O है। O से वृत्ताकार पाश की अक्ष पर x दूरी पर स्थित बिन्दु P पर चुम्बकीय क्षेत्र का मान ज्ञात करना है।
अत: पाश पर कोई अल्पांश dl लिया , इस अल्पांश से बिंदु P की दूरी r है।
बिंदु P पर चुम्बकीय क्षेत्र –
dB = u0idl/4πr2 समीकरण-1
dB को घटकों में वियोजित करने पर dBcosθ जुड़ जाए , जबकि dBsinθ निरस्त हो जायेगा अत: बिंदु P पर परिणामी चुम्बकीय क्षेत्र –
B = u0iR2/2r3 समीकरण-2
या
B = u0iR2/2(R2+x2)3
केन्द्र पर चुम्बकीय क्षेत्र –
केंद्र पर x = 0
अत: चुम्बकीय क्षेत्र B = u0i/2R3
अन्नत लम्बाई के लम्बे सीधे धारावाही चालक तार के कारण उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र :- माना अनंत लम्बाई के लम्बे सीधे चालक तार में i धारा प्रवाहित हो रही है। इस तार से r दूरी पर स्थित बिंदु P पर चुम्बकीय क्षेत्र का मान ज्ञात करना है अत: बिंदु P एवं r त्रिज्या के वृत्ताकार पथ की कल्पना की। जिस पर कोई अल्पांश dl है व इस अल्पांश पर चुम्बकीय क्षेत्र B है।
चुम्बकीय क्षेत्र B = u0i/2πr
ऐम्पियर का परिपथीय नियम (ampere circuital law in hindi) :
(b) किसी स्वेच्छग्रहित पथ के लिए
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