JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now

हिंदी माध्यम नोट्स

Categories: Physics

अल्फा बीटा गामा किरण अंतर , α, β , γ किरणों की खोज किसने की , किरणें उपयोग (alpha beta gamma rays in hindi)

(alpha beta gamma rays in hindi) α, β , γ rays अल्फा बीटा गामा किरण अंतर , अल्फा बीटा गामा किरणों की खोज किसने की , किरणें उपयोग , एल्फा , गामा , बीटा किरणें किसे कहते है , सूत्र क्या होता है ?

प्रस्थावाना : यहाँ हम बारी बारी से इन तीनों प्रकार की किरणों के बारे में अध्ययन करेंगे और देखेंगे की तीनों किरणें क्या गुण रखती है और उन गुणों के आधार पर हम इनमें अन्तर में बता सकेंगे।

अल्फा किरणें (α rays) : इन किरणों के गुण निम्न है –

  • अल्फा किरणें अल्फा कणों से मिलकर बनी होती है , हीलियम परमाणु के नाभिक को अल्फा कण कहा जाता है अत: अल्फा किरणें हीलियम परमाणु के नाभिक से बनी होती है।
  • अल्फा किरणों का द्रव्यमान प्रोटॉन के द्रव्यमान का चार गुना होता है।
  • इन किरणों पर दो इकाई का धनावेश होता है।
  • ये किरणें चुम्बकीय क्षेत्र तथा विद्युत क्षेत्र के द्वारा विक्षेपित हो जाती है।
  • इन किरणों की भेदन क्षमता बहुत कम होती है , ये किरणें केवल 0.1 मिली मीटर मोटी एल्युमिनियम की चादर को भी आसानी से भेदने में असमर्थ होती है।
  • जब अल्फा किरणों को जिंक सल्फाइड के परदे पर डाला जाता है तब ये प्रतिदीप्ती उत्पन्न करती है।
  • ये किरणें उष्मीय प्रभाव उत्पन्न करती है।
  • जब अल्फा किरणों को किसी गैस से गुजारा जाता है तो ये उस गैस का आयनीकरण कर देते है।
  • ये किरणें लगभग प्रकाश के वेग के 1/10 वेग से गति करती है।
  • जब किसी रेडियोसक्रीय पदार्थ से अल्फा किरणों का क्षय होता है तो पदार्थ के परमाणु के नाभिक का आकार कम हो जाता है।

बीटा किरणें (β rays) : इन किरणों के गुण

  • ये किरणें बहुत ही तेज गति से चलने वाले इलेक्ट्रॉन होते है अर्थात वे इलेक्ट्रॉन जो बहुत तीव्र गति से गति करते है उन्हें बीटा किरणें कहते है।
  • इन किरणों पर एक इकाई का ऋणावेश होता है।
  • बीटा किरणें , चुम्बकीय क्षेत्र तथा विद्युत क्षेत्र दोनों के द्वारा विक्षेपित हो जाती है।
  • इन किरणों की चाल लगभग प्रकाश के वेग से बराबर होती है , अर्थात ये उसी वेग से गति करती है जिस वेग से प्रकाश निर्वात में गति करता है।
  • जब बीटा किरणों को किसी गैस से होकर गुजारा जाता है तो ये उस गैस का आयनीकरण कर देती है लेकिन इनकी आयनीकरण की क्षमता अल्फा किरणों की तुलना में 1/100 गुना होता है।
  • इन किरणों की भेदन क्षमता , अल्फा किरणों से अधिक होती है , बीटा किरणों की भेदन क्षमता , अल्फा किरणों से 100 गुना ज्यादा होती है।
  • जब इन किरणों को जिंक सल्फाइड और बेरियम प्लोटिनोसाइड के परदे पर डाला जाता है तो ये किरणें प्रतिदीप्ति उत्पन्न करती है।
  • ये किरणें फोटोग्राफी फिल्म को प्रभावित कर देती है।
  • बीटा किरण कृत्रिम रेडियोएक्टिवता उत्पन्न कर सकती है।

गामा किरणें : γ rays (किरणों) के गुण

  • इन किरणों को द्रव्यमान रहित किरणें कहते है अर्थात इन किरणों का कोई द्रव्यमान नहीं होता है।
  • गामा किरणों पर किसी प्रकार का कोई आवेश नहीं होता है , अत: गामा किरणें आवेश रहित और द्रव्यमान रहित किरणें होती है।
  • गामा किरणें चुम्बकीय क्षेत्र तथा विद्युत क्षेत्र दोनों से ही विक्षेपित नहीं होती है , अर्थात ये किरणें विद्युत और चुम्बकीय क्षेत्र द्वारा अप्रभावित रहती है।
  • इन किरणों की आयनीकरण की क्षमता , अल्फा और गामा किरणों से बहुत कम होती है , अत: जब गामा किरणों को किसी गैस से गुजारा जाता है तो ये बहुत कम आयनीकरण कर पाएंगी।
  • इन किरणों की भेदन क्षमता बहुत अधिक होती है , इनकी भेदन क्षमता अल्फा और गामा किरणों से अधिक होती है , ये लगभग 30 सेंटीमीटर मोती लोहे की चादर को भी आसानी से भेद सकती है।
  • इन किरणों को फोटोग्राफी फिल्म को प्रभावित कर देती है।
  • जब ये किरणें किसी सतह पर गिरती है तो उसमे ऊष्मीय प्रभाव उत्पन्न होता है।
  • गामा किरणें जिस किसी सतह पर गिरती है तो उस सतह से इलेक्ट्रान उत्सर्जित हो जाता है।

रेडियोसक्रियता

 प्रकृति में पाए जानेवाले वे तत्व जो स्वयं विखंडित होकर कुछ अदृश्य किरणों का उत्सर्जन करते हैं, रेडियोधर्मी या रेडियोसक्रिय तत्व कहलाते हैं।

 सर्वप्रथम रेडियोसक्रियता का पता फ्रांसीसी वैज्ञानिक हेनरी बेकुरल ने 1896 में लगाया। बेकुरल ने प्रयोग करते हुए पाया कि यूरेनियम के निकट काले कागज में लिपटी फोटोग्राफी प्लेट काली पड़ गयी। इससे उन्होंने निष्कर्ष निकाला कि यूरेनियम से एक्स किरणों जैसी अदृश्य किरणें निकलती रहती हैं, जिन पर ताप एवं दाब का प्रभाव नहीं पड़ता है। इन्हीं के नाम पर प्रारम्भ में इन किरणों को बैकुरल किरणें कहा जाने लगा।

 मैडम क्यूरी व श्मिट ने स्वतः विघटन का गुण थोरियम में भी पाया। मैडम क्यूरी व पेयरे क्यूरी ने पिचब्लैण्ड से यूरेनियम से 30 लाख गुने अधिक रेडियोएक्टिव तत्व रेडियम की खोज की। इसके पश्चात् मैडम क्यूरी ने पोलोनियम नामक रेडियोएक्टिव तत्व की खोज की। 1898 में क्यूरी ने इन किरणों को रेडियोएक्टिव कहा।

 रदरफोर्ड ने 1902 में यह पाया कि रेडियम धातु से एक विशेष प्रकार की किरणें निकलती हैं जिन्हें चुम्बकीय क्षेत्र में रखने पर तीन प्रकार की किरणों में खण्डित हो जाती हैं और इन्हें अल्फा (ं) बीटा (ठ) गामा (1) नाम से व्यक्त किया

गया।

अल्फा किरण

 ये धनावेशित होती हैं। इन पर दो इकाई धन आवेश होता है। ये हीलियम नाभिक ही होते हैं। इनका द्रव्यमान हाइड्रोजन परमाणु द्रव्यमान का चार गुना होता है।

 ये विद्युत चुम्बकीय क्षेत्र में ऋणावेशित प्लेट की ओर मुड़ जाती हैं। इनका वेग 2.3 ग 109 सेमी/सेकण्ड (प्रकाश के वेग का 1/10) होता है।

 द्रव्यमान अधिक होने के कारण गतिज ऊर्जा अधिक होती है। इनकी भेदन क्षमता, गामा एवं बीटा किरणों की अपेक्षा कम होती है। अतरू 1 मिमी मोटी एल्युमिनियम चादर को भेद नहीं पाती है।

 फोटोग्राफी प्लेट को अत्यधिक प्रभावित करती है।

 अल्फा किरणें कुछ पदार्थों से टकराकर स्फुरदीप्ति उत्पन्न करती है।

 गैसों को आयनीकृत करने की प्रबल क्षमता होती है। ये बीटा किरणों की अपेक्षा 100 गुना व गामा की तुलना में 10,000 गुना आयनन क्षमता रखती है।

बीटा किरण

 ये तीव्र वेग से चलने वाली इलेक्ट्रॉन पुंज होती है। इन पर ऋणावेश होता है।

 फोटोग्राफी प्लेट पर अल्फा किरणों की अपेक्षा अधिक प्रभाव डालती है।

 इनकी भेदन क्षमता अल्फा किरणों से 100 गुना अधिक होती है।

 इनका वेग 79 ग 1010 सेमीध्सेकेण्ड (लगभग प्रकाश के वेग के बराबर) होता है।

 गैसों को आयनित करने का गुण होता है।

 कुछ पदार्थों से टकराने पर अल्फा किरणों से कम स्फुरदीप्ति उत्पन्न करती है।

गामा किरण

 गामा किरणें विद्युत चुम्बकीय तरंगें होती हैं। इनकी तरंगदैर्ध्य सबसे कम होती है।

 ये आवेश रहित होने के कारण विद्युत क्षेत्र एवं चुम्बकीय क्षेत्र में विक्षेपित नहीं होती हैं।

 ये फोटोग्राफी प्लेट पर अल्फा एवं बीटा किरणों की अपेक्षा अधिक प्रभाव डालती है।

 इनकी भेदन क्षमता अधिक होती है, ये 100 सेमी मोटी एल्युमिनियम चादर को भी भेद सकती हैं।

 इनका वेग, प्रकाश के वेग के बराबर होता है।

कृत्रिम रेडियोएक्टिवता

 कृत्रिम विधियों द्वारा स्थायी तत्वों को रेडियोएक्टिव तत्वों में परिवर्तित करना, कृत्रिम रेडियोएक्टिव कहलाता है। सर्वप्रथम 1934 ई. में आइरीन क्यूरी (मैडम क्यूरी की पुत्री) व उनके पति एफ. जोलियोट ने कृत्रिम रेडियोक्टिवता की खोज की थी।

वर्ग या समूह विस्थापन नियम

 जब रेडियोएक्टिव तत्व के परमाणु में से एक अल्फा (ं) कण निकलता हैं तो नये परमाणु का परमाणु भार, पहले परमाणु से 4 इकाई कम हो जाता है तथा इसका परमाणु क्रमांक, पहले से 2 इकाई कम हो जाता हैं। ऐसे निर्मित तत्व का आवर्त सारणी में स्थान, पूर्व की अपेक्षा दो स्थान बायीं ओर चला जाता है।

 जब रेडियोऐक्टिव तत्व के परमाणु में से एक बीटा कण निकलता है तो नये परमाणु के आवेश (परमाणु क्रमांक) में एक इकाई की वृद्धि हो जाती है। बीटा कण का भार नगण्य होता है, अतः नये परमाणु भार में कोई परिवर्तन नहीं होता है। आवर्त सारणी में नया परमाणु एक स्थान दायीं ओर चला जाता है।

रेडियोसक्रियता की अर्ध-आयु

 किसी रेडियो सक्रिय तत्व का द्रव्यमान जितने समय में आधा रह जाता है, उसे तत्व का अर्ध-आयु कहते हैं।

 रेडियो सक्रिय पदार्थ की अर्ध-आयु कुछ सेकण्डों से लेकर लाखों वर्षों तक हो सकती है, जैसे – पोलोनियम के एक समस्थानिक की अर्ध-आयु 104 सेकण्ड होती है जबकि यूरेनियम के समस्थानिक की अर्ध-आयु 4.5 ग 109 वर्ष होती है।

 रेडियो सक्रिय पदार्थ की अर्ध-आयु किसी भी परिवर्तन द्वारा बदली नहीं जा सकती, वह सदैव एक समान होती है।

 किसी रेडियो सक्रियता पदार्थ की अर्ध-आयु केवल उसके विघटन स्थिरांक पर निर्भर करती है। पदार्थ की मात्रा व अन्य कारणों पर नहीं।

 रेडियो सक्रियता की इकाई को क्यूरी कहते हैं, इसे प्रति सेकण्ड होने वाली विघटन की मात्रा से प्रदर्शित किया जाता है।

 एक क्यूरी = 3.705 ग 100 विखंडन प्रति सेकण्ड होता है।

रेडियोसक्रिय समस्थानिकों की अर्ध-आयु और उनका उपयोग

रेडियोएक्टिव समस्थानिक अर्ध-आयु उपयोग

14.8 घंटेरूधिर परिसंचरण-तंत्र की खराबी ज्ञात करने में

14.3 दिनरूधिर की खराबी से उत्पन्न परिसंचरण-तंत्र की खराबी से त्पन्न रोगों, कैंसर, ल्यूकीमिया के उपचार में

8 दिनथॉयराइड ग्रन्थि की खराबी ज्ञात करने, थॉयराइड कैंसर 1 उपचार करने तथा ब्रेन ट्यूमर ज्ञात करने में

44 दिनएनिमिया का रोग ज्ञात करने में

5.2 वर्षकेंसर के उपचार में

5570 वर्षअजीवी कार्बनिक वस्तुओं की आयु निर्धारित करने तथा काश-संश्लेषण के अध्ययन में

Sbistudy

Recent Posts

मालकाना का युद्ध malkhana ka yudh kab hua tha in hindi

malkhana ka yudh kab hua tha in hindi मालकाना का युद्ध ? मालकाना के युद्ध…

4 weeks ago

कान्हड़देव तथा अलाउद्दीन खिलजी के संबंधों पर प्रकाश डालिए

राणा रतन सिंह चित्तौड़ ( 1302 ई. - 1303 ) राजस्थान के इतिहास में गुहिलवंशी…

4 weeks ago

हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ? hammir dev chauhan history in hindi explained

hammir dev chauhan history in hindi explained हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ?…

4 weeks ago

तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच हुआ द्वितीय युद्ध Tarain battle in hindi first and second

Tarain battle in hindi first and second तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच…

4 weeks ago

चौहानों की उत्पत्ति कैसे हुई थी ? chahamana dynasty ki utpatti kahan se hui in hindi

chahamana dynasty ki utpatti kahan se hui in hindi चौहानों की उत्पत्ति कैसे हुई थी…

1 month ago

भारत पर पहला तुर्क आक्रमण किसने किया कब हुआ first turk invaders who attacked india in hindi

first turk invaders who attacked india in hindi भारत पर पहला तुर्क आक्रमण किसने किया…

1 month ago
All Rights ReservedView Non-AMP Version
X

Headline

You can control the ways in which we improve and personalize your experience. Please choose whether you wish to allow the following:

Privacy Settings
JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now