12th class chemistry chapter अल्कोहल, फेनोल और ईथर नोट्स पीडीएफ (Alcohols, Phenols and Ethers) notes in hindi topic wise complete unit with examples and question answers pdf solutions .
एल्कोहल, फिनॉल एवं ईथर pdf download
एल्कोहल समावयवता , अल्कोहल का वर्गीकरण , समावयवता Classification of Alcohol
अल्कोहल और फिनोल बनाने की विधियां Methods of making alcohol and phenols
एल्कोहल के भौतिक गुण Physical Properties of Alcohol in hindi
एल्कोहल के रासायनिक गुण Chemical properties of alcohol in hindi
एस्टरीकरण , PCl5, PX3 , SOCl2 से क्रिया , अल्कोहल का निर्जलीकरण , विहाइड्रोजनीकरण
फ़िनॉल का अभिक्रिया , नाइट्रीकरण , ब्रोमोनीकरण , राइमरटीमान , कोल्बे
ईथर का नामकरण , बनाने की विधियाँ , भौतिक गुण , रासायनिक गुण
एल्कोहॉल समावयवता (Alcohol Compatibility) शब्द अलग-अलग पदार्थों या उत्पादों के एल्कोहॉल के साथ कितनी संगतता होती है, उसका मतलब है। यह जांचने के लिए उपयोग होता है कि किस प्रकार का एल्कोहॉल उपयुक्त और संगत उत्पाद हो सकता है और किस प्रकार का एल्कोहॉल निषेधित या असंगत हो सकता है।
एल्कोहॉल समावयवता आवश्यक होती है विभिन्न क्षेत्रों में, जैसे खाद्य पदार्थ उद्योग, औषधीय उत्पादों का निर्माण, रंग और कॉस्मेटिक्स उत्पादों का निर्माण, और इत्यादि। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि एल्कोहॉल का उपयोग उत्पाद की गुणवत्ता, स्थिरता, और सुरक्षा पर किसी भी नकारात्मक प्रभाव का कारण नहीं बनता है।
एक उत्पाद की एल्कोहॉल समावयवता प्रभावित करने में विभिन्न कारक शामिल हो सकते हैं, जैसे उत्पाद का संरचना, रसायनिक गुण, तापमान, अमिश्रितता, और अन्य फिजिकल या केमिकल गुण। यह प्रभाव उत्पाद और एल्कोहॉल के संयोजन के परिणामस्वरूप रंग, गंध, द्रवता, विलयनशीलता, और उपयोगिता में परिवर्तन ला सकता है।
एल्कोहॉल समावयवता के आधार पर निर्माता उत्पादों के निर्माण में एल्कोहॉल के सही प्रकार का चयन करते हैं ताकि उत्पाद की गुणवत्ता और स्थिरता सुनिश्चित की जा सके। इसके अलावा, उपभोक्ता भी उत्पाद की एल्कोहॉल समावयवता की जांच करते हैं ताकि वे उत्पाद का सुरक्षित और सही रूप से उपयोग कर सकें।
एल्कोहॉल समावयवता का अध्ययन वैज्ञानिक तथ्यों, परीक्षण और विश्लेषण के माध्यम से किया जाता है, और यह उत्पाद निर्माण और उपभोग के लिए मानकों और निर्देशिकाओं का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
फिनॉल (Phenol) एक केमिकल समाधान है जो एक विशेष रासायनिक संरचना का प्रतिनिधित्व करता है। फिनॉल को एक आयन और अचानक अभिक्रिया करने वाला पदार्थ माना जाता है। इसका अभिक्रिया प्रमुखतः उसके हाइड्रॉक्सील ग्रुप (-OH) के कारण होता है, जो फिनॉल के मोलेक्यूल में मौजूद होता है।
फिनॉल का प्रमुख अभिक्रिया उसकी अधिष्ठानिक प्राकृतिकता के कारण होता है, जो उसे एक प्रभावशील बेस (base) बनाता है। यह अभिक्रिया अलग-अलग प्रकार की रेखिक और अवरोधक रेखिक (oxidizing and reducing reactions), एल्कीलेशन (alkylation), एस्टेरीकरण (esterification), नाइट्रोजनाइशन (nitration), अक्सीजनेशन (oxygenation), और उपागमन (substitution) शामिल कर सकती है।
इन अभिक्रियाओं के फलस्वरूप, फिनॉल कई प्रकार के औषधीय और औद्योगिक उत्पादों के निर्माण में उपयोग होता है। इसका उपयोग विषैले पदार्थों को नष्ट करने, कीटाणुनाशकों के निर्माण में, प्लास्टिक्स, रंग, रासायनिक उत्पादों, औषधीय उत्पादों, और अन्य उत्पादों के निर्माण में किया जाता है।
यह जरूरी है कि फिनॉल और इसकी अभिक्रियाओं का उपयोग उचित तरीके से और सुरक्षितता के नियमों का पालन करके किया जाए। फिनॉल अभिक्रिया को समझने के लिए उपयोगकर्ता को उचित प्रशिक्षण और निर्देशों की सावधानी से पालन करनी चाहिए।
एल्कोहॉल रासायनिक रूप से हाइड्रोक्सील ग्रुप (-OH) को समावेश करने वाले ऑर्गेनिक कम्पाउंड्स होते हैं। इसके रासायनिक गुणों में निम्नलिखित प्रमुख विशेषताएं शामिल होती हैं:
1. योजन: एल्कोहॉल में हाइड्रोक्सील ग्रुप के स्थान पर अभिक्रिया करने के कारण इसे अल्कील, आराइल, या विभिन्न फंक्शनल ग्रुप के साथ जोड़कर योजन करना संभव होता है। इससे नई रासायनिक यौगिक बनाए जा सकते हैं जो विभिन्न उद्योगों में उपयोगी होते हैं।
2. उत्पादन: एल्कोहॉल रेखिक और अवरोधक रेखिक अभिक्रियाओं के माध्यम से विभिन्न उत्पादों के निर्माण में उपयोगी होता है। इसका उपयोग रंग, इंक, प्लास्टिक, औद्योगिक रसायन, दवाओं, सौंदर्य उत्पादों, तेलों, पर्फ्यूम, आदि में किया जाता है।
3. उच्च साथीत्व: एल्कोहॉल अपनी उच्च साथीत्व के कारण विभिन्न विलयनशील और अविलयनशील द्रव्यों के साथ मिश्रण करने में सक्षम होता है। इसके कारण यह उच्च प्रभावशील औषधीय उत्पादों में वातावरण में संपर्क करने के दौरान उपयोगी होता है।
4. आग बुझाने की क्षमता: एल्कोहॉल उच्च द्रव्यमान या ब्रेनडी बिंग प्वाइंट के कारण आग को बुझाने की क्षमता रखता है। इसलिए, यह आग पर नियंत्रण करने वाले उत्पादों में उपयोगी होता है, जैसे कि अग्निशामक द्रव्य, आग निरोधक द्रव्य, और आगबंदी उपकरणों में।
ये रासायनिक गुण एल्कोहॉल को व्यापक उपयोगिता और महत्वपूर्णता प्रदान करते हैं, और इसलिए इसे विभिन्न क्षेत्रों में उपयोग किया जाता है।
एल्कोहॉल, जैसे कि इथानॉल (जो मुख्य रूप से पाया जाने वाला एल्कोहॉल है), भौतिक रूप से द्रव्यमानिक और भौतिक गुणों का माध्यम है। निम्नलिखित भौतिक गुण इसकी महत्वपूर्ण विशेषताएं हैं:
1. स्थिरता: एल्कोहॉल शुद्ध रूप में शुष्क होने पर द्रव्यमानिक रूप से स्थिर होता है। यह मानवीय संपर्क के दौरान तरलता या वाष्पीकरण की आवश्यकता कम करता है।
2. ब्रेनडी बिंग प्वाइंट: एल्कोहॉल का ब्रेनडी बिंग प्वाइंट (जिसे इथानॉल के लिए -114.14 डिग्री सेल्सियस या -173.45 डिग्री फ़ैरेनहाइट के आसपास होता है) बहुत निम्न होता है। इसका मतलब है कि एल्कोहॉल कम तापमान पर भी तरल अवस्था में रहता है और आसानी से वाष्पीकरण होता है।
3. गतिविधि: एल्कोहॉल, जैसे कि इथानॉल, उच्च गतिविधि दिखाता है, यानी इसकी अणुओं की तेज़ गति होती है। इससे यह अनुमानित रूप से अन्य डिज़ॉल्वेंट से तेज़ी से मिश्रित हो सकता है और विभिन्न प्रक्रियाओं में उपयोगी हो सकता है।
ये भौतिक गुण एल्कोहॉल के अनुसार इसकी विशेषताओं को प्रभावित करते हैं और उसे विभिन्न उपयोगों के लिए उपयुक्त बनाते हैं।
अल्कोहॉल और फिनोल दोनों के निर्माण के लिए विभिन्न विधियाँ मौजूद हैं। यहां निम्नलिखित विधियाँ हैं:
अल्कोहॉल बनाने की विधियाँ:
1. फर्मेंटेशन: यह सबसे प्रमुख और प्रचलित विधि है जिसमें यदि माध्यम में उपलब्ध ग्लूकोज को जीवाणुओं द्वारा बैक्टीरिया या यिस्ट के माध्यम से उचित शर्तों में आराम से गर्मित किया जाए, तो यह उचित बैक्टीरिया और यिस्ट द्वारा शराब या अन्य एल्कोहॉलिक पदार्थों में बदल जाता है। इथानॉल अल्कोहॉल का प्रमुख उदाहरण है जिसे फर्मेंटेशन विधि से बनाया जा सकता है।
2. हाइड्रेशन: यह विधि अल्कीन के संयोजन के माध्यम से अल्कोहॉल बनाने के लिए उपयोगी है। इसमें, अल्कीन को उचित शर्तों में हाइड्रेशन (हाइड्रोजन यौगिक के साथ रिएक्शन) करके अल्कोहॉल मिलता है।
फिनोल बनाने की विधियाँ:
1. क्रेसोल ट्रिनिट्रेशन: यह विधि फेनोल के नाइट्रेशन के माध्यम से फिनोल बनाने के लिए उपयोगी है। इसमें, फेनोल को नाइट्रिक एसिड के साथ रिएक्शन कराके उसे नाइट्रोफेनोल में परिवर्तित किया जाता है, और फिर नाइट्रोफेनोल को विलियमसन-ग्राफ रिएक्शन के माध्यम से विनियल क्लोराइड के साथ रिएक्शन करके फिनोल मिलता है।
2. बेंजीन सल्फोनेशन: यह विधि बेंजीन के साथ सल्फ्यूरिक एसिड के साथ रिएक्शन करके फिनोल का निर्माण करने के लिए उपयोगी है। इसमें, बेंजीन को सल्फ्यूरिक एसिड के साथ रिएक्शन कराके उसे बेंजीन सल्फोनेट में परिवर्तित किया जाता है, और फिर बेंजीन सल्फोनेट को पानी के साथ रिएक्शन करके फिनोल मिलता है।
ये विधियाँ अल्कोहॉल और फिनोल के निर्माण के लिए उपयोगी हैं। परंतु कृपया ध्यान दें कि इन विधियों का उपयोग सुरक्षित तरीके से और उचित प्रक्रिया के साथ किया जाना चाहिए, जिसमें उचित प्रयोग परियोजना, संरक्षण और उचित विपणन शामिल होता है।
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