JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now

हिंदी माध्यम नोट्स

Categories: 12th geography

कृषि , agriculture in hindi , कृषि के प्रकार , मिश्रित कृषि , प्रारंभिक स्थायी कृषि व स्थानान्तरण , agriculture types

कृषि : प्राथमिक व्यवसाय है , यह कृषि का सम्बन्ध फसल उत्पादन से है , कृषि क्षेत्र को भौतिक विशेषताएं , फसलो व कृषि उत्पादन में प्रयुक्त सघनो के जाघार पर कई भागो में बाँटा है।

कृषि के प्रकार :-

  1. स्थानान्तरण कृषि
  2. प्रारंभिक स्थायी कृषि
  3. जीवन निर्वहन कृषि
  4. विरतुत वाणिज्य अनाज कृषि
  5. बागाती / बागानी / नगदी /कृषि
  6. मिश्रित कृषि
  7. दुग्ध कृषि
  8. ट्रक फार्मिक कृषि
  9. फलोद्यान कृषि
प्रश्न 1 : प्रारंभिक स्थायी कृषि व स्थानान्तरण कृषि में 5 अंतर कीजिये।
उत्तर : स्थानान्तरण कृषि : इसका शाब्दिक अर्थ होता है स्थान बदलना।  यह कृषि का सबसे प्राचीन रूप है , यह कृषि ऊष्ण कटिबन्धीय वनों में की जाती है।  यहाँ वनों को जला दिया जाता है भूमि को साफ़ करके इस पर कृषि की जाती है।  यह कृषि आदि जनजाति के द्वारा की जाती है।
विशेषताएँ :
1. इस कृषि से ये लोग भोजन की पूर्ती कर पाते है।
2. कृषि पुराने औजारों जैसे : लकड़ी , कुदाली , फावड़े आदि से की जाती है।
3. पूंजी की आवश्यकता कम होती है।
4. मानव श्रम अधिक व तकनिकी निम्न
5. ये लोग चमड़े व पत्तो के कपडे पहनते है।
6. प्रति हेक्टेयर व प्रति भक्ति उत्पादन कम होता है।
7. ये पशुओ की सहायता नहीं लेते है।
प्रारंभिक स्थायी कृषि : यह कृषि स्थानांतरित कृषि के सहारे की जाती है।  इसमें पशुओ से सहायता भी ली जाती है।  यह एक स्थान पर रहकर ही कृषि की जाती है।  खेतो में पशुओ के अवशिष्ट भी डाले जाते है।
विशेषताएं :
1. उपलब्ध जल का प्रयोग सिंचाई के लिए किया जाता है।
2. उत्पादन में वृद्धि होने के कारण अन्य व्यवसाय भी पनप जाते है।
3. पशुओ का प्रयोग खेतो की जुताई व परिवहन में किया जाता है।
4. कृषि के साथ पशुपालन भी किया जाता है।
5. यह पशुओ के अवशिष्टो को खाद के रूप में काम में ली जाती है इससे उर्वकता लम्बे समय तक बनी रहती है। 6. इसमें पूंजी कम चाहिए और तकनीके निम्न है।
7. श्रम अधिक चाहिए।
प्रश्न 2 : बागाती कृषि विकसित देश द्वारा विकसित हुई स्पष्ट कीजिये।
उत्तर : बागाती / नगदी / बागानी कृषि : इस प्रकार की वाणिज्यक कृषि का विकास ऊष्ण कटिबन्धीय क्षेत्रो में उपनिवेश काल ये यूरोपीय लोगो के द्वारा किया गया था।  ये बागान ‘फेजेंडा’ के नाम से जाने जाते है , उपनिवेशवाद की समाप्ति के बाद वर्तमान में अधिकतर बागानों का स्वायित्व स्थानीय देशो की सरकार अथवा नागरिको के नियंत्रण में है।
विशेषताएँ :
1. इसमें भारी पूँजी निवेश उच्च प्रबंध एवं तकनिकी आधार एवं वैज्ञानिक विधियों का प्रयोग किया जाता है।
2. इसमें बहुत बड़ी संख्या में श्रमिको की आवश्यकता होती है।
3. यह एक फसली कृषि है।
4. इनसे उद्योगों को कच्चा माल मिलता है।
5. इलायची , काली मिर्च , गन्ना , रबर , चाय , कहवा , नारियल , केला प्रमुख बागाती फसले है।
जीवन , गहन निर्वाहन कृषि : ऐसी कृषि जिसके द्वारा हम अपनी मुलभुत आवश्यकताओ की पूर्ती करते है उसे ही जीवन , गहन निर्वहन कृषि कहते है।
इसके दो रूप है –
(i) चावल प्रधान : तटीय क्षेत्रो में जहाँ नदियाँ डेल्टा बनाती है।  दक्षिणी पूर्वी एशियाई क्षेत्र में , दक्षिणी भारतीय तटीय क्षेत्र में।
(ii) गेंहू प्रधान : तटीय क्षेत्रों के आंतरिक भागो में , भारत का उत्तरी व पश्चिमी मैदानी क्षेत्र।
विशेषताएँ :
1. अत्यधिक जनसंख्या का दबाव
2. खेतो का आकार छोटा
3. अत्यधिक मानव श्रम की आवश्यकता
4. पर्याप्त पूंजी की आवश्कयता।
5. फसल का विवोधिकरण अधिक होता है।
6. यहाँ पर इतना ही अधिशेष उत्पाद हो जाता है कि ये उस अधिशेष उत्पाद को बेचकर अपनी आवश्यकता की वस्तु खरीदते है।
विस्तृत वाणिज्य अनाज कृषि : जब कृषि उत्पादन आपरिक दृष्टि से किया जाने लगा तो जीवन निर्वाह कृषि ने विस्तृत वाणिज्य अनाज का रूप ले लिया। यह कृषि विकसित अर्थव्यवस्थाओ में संपन्न होती है।  जहाँ भूमि का अनुपात जनसंख्या की तुलना में अधिक है।
विशेषताएँ :
1. यह कृषि बड़े भू जोतो में की जाती है , इनका क्षेत्रफल 240-1600 तक होता है।
2. सम्पूर्ण कृषि सम्बन्धी क्रियाएं मशीनों द्वारा संपन्न होती है।
3. इसमें मानवीय श्रम कम होता है।
4. इस कृषि में प्रतिव्यक्ति उत्पादन अधिक और प्रति हेड उत्पादन कम होता है।
5. खाद्यानो को सुरक्षित रखने के लिए गोदान बनाते जाते है।
6. यहाँ पर कृषि पुरुषो के द्वारा की जाती है।
7. यहाँ का विशिष्टीकरण होता है।
8. यहाँ पर एक ही फसल की 1 जुताई होती है।
9. शीतोष्ण कटिबंधीय घास के मैदानों में यह कृषि की जाती है।
10. पूंजी अधिक लगती है।
मिश्रित कृषि : इस कृषि में फसले उगाने तथा पशुओ को पालने का कार्य एक साथ किया जाता है।  इस प्रकार की कृषि विश्व के अत्यधिक विकसित भागो में की जाती है।
विशेषताएँ :
1. फसल उत्पाद एवं पशुपालन दोनों को इसमें समान महत्व दिया जाता है।
2. इस कृषि में खेतो का आकार मध्यम होता है।
3. इसमें प्रमुख फसले : गेहूं , जौ , राई , मक्का , सोयाबीन।
4. फसलो के साथ पशुओ जैसे :- भेड़-बकरी , सूअर , मक्खी , मुर्गी।
5. शस्यावर्तन एवं अंत: फसली कृषि मृदा की उर्वरता को बनाये रखती है।
6. इस प्रकार की कृषि में भारी पूँजी निवेश होता है।
7. कुशल व योग्य कृषक इस प्रकार की खेती को करते है।
8. यदि कृषि महानगरो के समीप की जाती है।
9. उत्तम कृषि विधियाँ , उत्तम परिवहन व विश्वसनीय वर्षा से इस कृषि को बड़ी सहायक मिलती है।
दुग्ध कृषि : इनमे दूध देने वाले पशुओ के प्रजनन पशुचारण और नस्ल सुधारने पर विशेष ध्यान दिया जाता है।  इनमे पशुओ की देखभाल वैज्ञानिक तरीके से की जाती है।  डेयरी कृषि का कार्य नगरीय व आद्योगिक केन्द्रों के समीप किया जाता है क्योंकि ये क्षेत्र दुग्ध व अन्य डेयरी उत्पादों के अच्छे बाजार होते है।
ट्रक कृषि : जिसमे साग-सब्जियों की कृषि को जाती है।  इन वस्तुओ को प्रतिदिन ट्रको में भरकर निकटवर्ती नगरीय बाजारों में ले जाकर बेचा जाता है।  बाजार के कृषि क्षेत्र की दूरी इस बात पर निर्भर करती है कि ट्रक द्वारा रातभर चलने में कितनी दूरी तय होती है।
फलिद्यान कृषि : जिसमे ट्रक फार्मिंग की तरह साग-सब्जियों की जगह फल एवं फूलो की कृषि की जाती है।  फलो व फूलो की माँग नगरो होती है।
विभिन्न भागो में विभिन्न प्रकार के फल जाते है –
उष्णकटिबंधीय : केला , आम , नारियल
शीतोष्ण कटिबंधीय : सेब , नाशपाती
भूमध्य सागरीय : निम्बू , नारंगी , संतरा , अंगूर।

खनन :

1. खनन क्रिया

2. खनन के कारण

3. खनन पदार्थो का वर्गीकरण

खनन क्रिया : भूगर्भ से खनिजो का दोहन करना।

वर्तमान में सम्पूर्ण कार्य मशीनों से किया जाता है।  हेलीकॉप्टर व दूर संवेदन द्वारा खनिज पदार्थो की खोज।  ड्रिलिंग मशीन व मानव श्रम द्वारा।

2. खनन के कारण : बहु उपयोगी होने के कारण उद्योग कृषि व अन्य सेक्टर में काम आते है।

3. खनन पदार्थो का वर्गीकरण : इसे मुख्य रूप से तीन भागो में वर्गीकृत किया गया है –

i. धात्विक

ii. अधात्विक

iii. ऊर्जा युक्त

i. धात्विक : इसमें आघातावर्धता व तन्यता ही होती है।

इसे आगे दो प्रकार से विभक्त किया गया है –

(a) लोहा : उदाहरण : लौहा , मैग्नीज , निकल

(b) अलोहा : उदाहरण : सीसा , जस्ता , ताम्बा , टंग्स्टन , सोना-चांदी , एल्युमिनियम आदि।

ii. अधात्विक : भंगुरता , चुना-पत्थर , डोलोकाइल , अभ्रक , संगमरमर

iii. ऊर्जा युक्त : कोयला , खनिज तेल , युरेनियम (आणविक खनिज)

खनिज उत्पादन करने वाले देश :

1. USA – 34.10%

2. रूस – 10.50%

3. इंगलैंड – 10.50

4. जर्मनी – 5.22

5. भारत – 1.03

Sbistudy

Recent Posts

मालकाना का युद्ध malkhana ka yudh kab hua tha in hindi

malkhana ka yudh kab hua tha in hindi मालकाना का युद्ध ? मालकाना के युद्ध…

4 weeks ago

कान्हड़देव तथा अलाउद्दीन खिलजी के संबंधों पर प्रकाश डालिए

राणा रतन सिंह चित्तौड़ ( 1302 ई. - 1303 ) राजस्थान के इतिहास में गुहिलवंशी…

4 weeks ago

हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ? hammir dev chauhan history in hindi explained

hammir dev chauhan history in hindi explained हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ?…

4 weeks ago

तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच हुआ द्वितीय युद्ध Tarain battle in hindi first and second

Tarain battle in hindi first and second तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच…

4 weeks ago

चौहानों की उत्पत्ति कैसे हुई थी ? chahamana dynasty ki utpatti kahan se hui in hindi

chahamana dynasty ki utpatti kahan se hui in hindi चौहानों की उत्पत्ति कैसे हुई थी…

1 month ago

भारत पर पहला तुर्क आक्रमण किसने किया कब हुआ first turk invaders who attacked india in hindi

first turk invaders who attacked india in hindi भारत पर पहला तुर्क आक्रमण किसने किया…

1 month ago
All Rights ReservedView Non-AMP Version
X

Headline

You can control the ways in which we improve and personalize your experience. Please choose whether you wish to allow the following:

Privacy Settings
JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now