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ऑक्सी श्वसन की क्रियाविधि , aerobic respiration process in hindi , Glycolysis / EMP pathway
ऑक्सी श्वसन की क्रियाविधि : पादपों में संपन्न होने वाले श्वसन की ऐसी विधि जो ऑक्सीजन की उपस्थिति में हो ऑक्सी श्वसन कहलाती है।
इस प्रकार का श्वसन क्रियाधार के रूप में मुख्यतः कार्बोहाइड्रेट का उपयोग करता है , परन्तु इसकी अनुपस्थिति में प्रोटीन तथा वसा का भी उपयोग किया जाता है।
इस क्रिया के दौरान सर्वप्रथम ग्लूकोज का कोशिका द्रव्य में रूपांतरण होता है जिसके फलस्वरूप ऑक्सीजन अणु Pyruvic acid (अकार्बन वाला यौगिक) का निर्माण होता है।
Pyruvic acid के निर्मित होने पर इसे माइटोकॉण्ड्रिया में स्थानांतरित कर दिया जाता है , जहाँ पर Acetyl CO-A का निर्माण होता है जो एक विशिष्ट चक्र Creb चक्र के द्वारा पूर्णत: अपघटित हो जाता है और अंततः कार्बन डाइ ऑक्साइड तथा जल का निर्माण होता है तथा अत्यधिक मात्रा में ऊर्जा का उत्सर्जन होता है।
नोट : Pyruvic acid का निर्माण ग्लाइकोलाइसिस नामक क्रिया से संपन्न होता है तथा यह क्रिया ऑक्सी तथा अन ऑक्सी श्वसन में सामान रूप से संपन्न होती है।
ओक्सी श्वसन के अन्तर्गत एक ग्लूकोज के अणु का पूर्ण अपघटन निम्न तीन चरणों में संपन्न होता है –
(I) Glycolysis / EMP pathway
(II) TCA Cycle / Krebs cycle
(III) ETC [electron transport chain]
(I) Glycolysis / EMP pathway
पादपो में संपन्न होने वाले ऑक्सी श्वसन का प्रथम चरण ग्लाइकोलाइसिस या EMP pathway कहलाता है।
उपरोक्त चरण की खोज सर्वप्रथम सन 1930 में तीन जर्मन वैज्ञानिक Embeden , Mayerhoff तथा Parnas के द्वारा किया गया।
उपरोक्त वैज्ञानिको के द्वारा इस पद के खोजित किये जाने पर इसे EMP Pathway के नाम से जाना जाता है।
ग्लाइकोलाइसिस एक ग्रीक शब्द है जिसका सामान्य अर्थ शर्करा का विघटन होता है।
ग्लाइकोलाइसिस की क्रिया दस क्रमबद्ध चरणों में संपन्न होती है जिसके फलस्वरूप एक ग्लूकोस के अणु से अंततः दो अणु Pyruvic acid के निर्मित होते है।
ग्लाइकोलाइसिस को एक अन्य प्रकार से परिभाषित किया जा सकता है जो निम्न है –
फ्रुक्टोस-5-डाइ फॉस्फेट के एक अणु से Puruvic acid के दो अणुओं के निर्माण की क्रिया Glucolysis कहलाती है।
Glucolysis ऑक्सी तथा अनऑक्सी दोनों प्रकार से श्वसनो में संपन्न होती है अर्थात सभी जीवित जीवों की कोशिका द्रव्य में समान रूप से पायी जाती है।
ग्लाइकोलाइसिस में संपन्न होने वाले दस क्रमबद्ध चरण निम्न तीन उपअवस्थाओं में विभाजित किये गए , जो निम्न है –
1. ग्लूकोस का फास्फोरिलीकरण : ग्लाइकोलाइसिस की इस उप अवस्था में सर्वप्रथम ग्लूकोज का एक अणु ATP के उपयोग से तथा Hexopinase नामक एंजाइम की सहायता से व एक सहायक कारक Mg2+ की सहायता से ग्लूकोज-6-फॉस्फेट का निर्माण करता है।
2. इस उपचरण की दूसरी क्रिया के अंतर्गत Isomerase नामक एंजाइम की सहायता से ग्लूकोज-6-फॉस्फेट को फ्रुक्टोस-6-फॉस्फेट में परिवर्तित किया जाता है।
3. फ्रुक्टोस-6-फॉस्फेट के निर्मित होने के पश्चात् phosphofructokinase नामक एन्जाइम की सहायता से ATP के उपयोग से Mg2+ की सहायता से फ्रुक्टोस-1,6-डाइ फॉस्फेट का निर्माण कर लिया जाता है।
उपचरण 2nd :
1. फ्रुक्टोस 1,6-डाइ फॉस्फेट से PGAL के अणुओं का निर्माण :
इस उपचरण के अंतर्गत Aldolase enzyme की उपस्थिति में एक अणु 3-PGAL तथा एक अणु DHAP का निर्माण होता है।
निर्मित DHAP , PGAL का isomer होता है।
ग्लाइकोलाइसिस की अग्रणी क्रिया में PGAL का ऑक्सीकरण होता है तथा PGAL का ऑक्सीकृत होते है , DHAP , PGAL में बदल जाता है जिसके कारण निर्मित PGAL का भी ऑक्सीकरण हो जाता है।
उपचरण 3rd :
पायरुविक अम्ल के दो अणुओं का निर्माण : इस उपचरण के अन्तर्गत सर्वप्रथम 3-PGAL H3PO4 की उपस्थिति में Di Hydrogenase एंजाइम से क्रिया कर 1,3 Di PGAL का निर्माण कर लेते है।
1,3 Di PGAL के निर्मित होने से dehydrogenase एन्जाइम की उपस्थिति में 1,3 Di PGA का निर्माण होता है तथा H3PO4 से मुक्त होने वाले H+ आयन के द्वारा NAD को NADH2 में परिवर्तित कर दिया जाता है।
नोट : उपरोक्त उपचरण में 2-2 अणु PGAL के उपयोग किये जा रहे है।
दो अणु पायरुविक अम्ल के निर्माण में दो अणु 1,3 Di PGA के निर्माण के पश्चात् एक बिशिष्ट एंजाइम phosphoglucomutase की सहायता से दो अणु PGA के निर्मित किये जाते है तथा इस क्रिया में 2 ATP का निर्माण होता है।
दो अणु 3-PGA के निर्मित होने के बाद enolase एंजाइम की सहायता से दो अणु 2 PGA का निर्माण किया जाता है।
दो अणु PGA निर्मित होने का बाद एक विशिष्ट एंजाइम Puruvic Kinase की सहायता से दो अणु Puruvic acid के निर्मित किये जाते है तथा मध्य उत्पाद के रूप में PEP निर्माण होता है व इस क्रिया के दौरान ATP का निर्माण होता है।
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