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सक्रियण ऊर्जा की परिभाषा क्या है , सक्रियण ऊर्जा किसे कहते है (activation energy in hindi)

(activation energy in hindi) सक्रियण ऊर्जा की परिभाषा क्या है , सक्रियण ऊर्जा किसे कहते है : वह न्यूनतम ऊर्जा जो क्रियाकारक को उत्पाद में परिवर्तित होने के लिए आवश्यक होती है , उसे सक्रियण ऊर्जा कहते है।
या
वह न्यूनतम ऊर्जा जो किसी अभिक्रिया को प्रारंभ या शुरू होने के लिए आवश्यक होती है।
जब क्रियाकारकों की ऊर्जा इस सक्रियण ऊर्जा से कम होती है तो अभिक्रिया शुरू नहीं होती है अर्थात क्रियाकारक के अणु , क्रियाफल (उत्पाद) में बदलना शुरू नहीं होते है , लेकिन जब क्रियाकारक के कणों की ऊर्जा सक्रियण ऊर्जा के बराबर या उससे अधिक होती है तो क्रियाकारक के अणु क्रियाफल में बदलना शुरू हो जाते है अर्थात अभिक्रिया संपन्न होने लगती है।
सक्रियण ऊर्जा के बारे में सबसे पहले स्वीडिश वैज्ञानिक स्वेन्ते अरहेनियस (आर्रेनियस) ने सन 1889 में बताया था , इनके अनुसार ऊर्जा की वह न्यूनतम मात्रा जो क्रियाकारक के पास होने से वह अभिक्रिया में भाग (हिस्सा) लेता है और क्रियाकारक के अणु क्रियाफल में बदलना शुरू हो जाते है या वह न्यूनतम ऊर्जा जो किसी रासायनिक अभिक्रिया को शुरू होने के लिए आवश्यक होते है।
सक्रियण ऊर्जा को E0 द्वारा व्यक्त किया जाता है , इसे kJ/mol में मापते है यह सक्रियण ऊर्जा की इकाई भी कहलाती है।
अत: प्रत्येक कण किसी अभिक्रिया में भाग लेने के लिए न्यूनतम ऊर्जा रखना आवश्यक है , यह ऊर्जा गतिज या स्थितिज ऊर्जा के रूप में हो सकती है , आर्रेनियस के अनुसार किसी रासायनिक अभिक्रिया में सभी अणु या कण भाग नहीं लेते है , केवल वे ही कण भाग लेते है जिनकी ऊर्जा सक्रियण ऊर्जा के बराबर या उससे अधिक होती है।

यह ठीक उसी प्रकार है जैसा चित्र में दिखाया गया है , यदि पहाड़ की ऊंचाई को सक्रियण ऊर्जा मान ले , पत्थर को अभिक्रिया का अणु और आपकी ताकत को अणु की ऊर्जा।
यदि आप में इतनी ताकत या ऊर्जा है कि आप इस पत्थर को इसकी चौटाई पर लेजाकर दूसरी तरफ धकेल दे तो इसका तात्पर्य है कि अणु की ऊर्जा सक्रियण ऊर्जा के बराबर या उससे अधिक ऊर्जा है अर्थात अणु क्रियाकारक से उत्पाद में बदल गया अर्थात दूसरी तरफ पहुच गया।
लेकिन यदि आपकी ताकत इतनी नहीं है कि आप इस पत्थर को पहाड़ की चोटी पर न पंहुचा सके तो यह अणु या पत्थर दूसरी तरफ नहीं जा सकता है अर्थात अभिकारक उत्पाद में नही बदल सकता है।
किसी भी क्रिया में क्रियाकारक के अणु आपस में टकराते है या संघट्ट करते है , संघट्ट के बाद जिन अणुओं की ऊर्जा सक्रियण ऊर्जा के बराबर हो जाती है वे सक्रियण ऊर्जा की बाधा को पार कर जाते है और क्रियाफल में बदल जाते है।

अलग अभिक्रियाओं में सक्रियण ऊर्जा का मान अलग हो सकता है।
सक्रियण ऊर्जा का मान ताप या उत्प्रेरक द्वारा प्रभावित हो सकता है।

Sbistudy

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