हिंदी माध्यम नोट्स
Categories: chemistry
ऐक्टिनाइड श्रेणी या तत्व क्या है , नाम , एक्टिनाइड तत्वों का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास , एक्टिनॉइड संकुचन (actinide elements in hindi)
(actinide elements in hindi) ऐक्टिनाइड श्रेणी या तत्व क्या है , नाम , एक्टिनाइड तत्वों का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास , एक्टिनॉइड संकुचन : जैसा कि हम जानते है कि f ब्लॉक के तत्वों को दो श्रेणियों के रूप में विभक्त किया जाता है , पहले लेन्थेनाइड और दूसरा एक्टिनाइड।
हम यहाँ एक्टिनाइड श्रेणी के तत्वों का विस्तार से अध्ययन करेंगे।
वे तत्व जिनका अंतिम इलेक्ट्रॉन 5f कक्षक में प्रवेश करता है उन्हें एक्टिनाइड श्रेणी के तत्व कहते है , ये कुल 14 तत्व होते है जिनका परमाणु क्रमांक 90 से लेकर 103 तक होता है।
इन तत्वों का सामान्य इलेक्ट्रॉनिक विन्यास [Rn]5f1–146d0–17s2 होता है।
इन तत्वों का सामान्य इलेक्ट्रॉनिक विन्यास [Rn]5f1–146d0–17s2 होता है।
इन ऐक्टिनाइड श्रेणी के 14 तत्वों के नाम निम्न है –
एक्टिनियम , थोरियम , प्रोटेक्टिनियम , यूरेनियम , नैप्टुनियम , प्लूटोनियम , अमेरेसियम , क्यूरियम , बर्कीलियम , कलिफ़ोरनियम , आइन्सटीनियम , फर्मियम , मेंडिलीवियम , नोबीलियम , लोरेंशियम , ये 14 तत्व है जो ऐक्टिनाइड तत्व कहलाते है या ऐक्टिनाइड श्रेणी में आते है।
चूँकि इस श्रेणी के तत्व एक्टिनियम के बाद आते है यही कारण है कि इन तत्वों को ऐक्टिनाइड तत्व कहते है , इन तत्वों को अंत: संक्रमण तत्व भी कहा जाता है।
इनमे से युरेनियम के बाद वाले सभी तत्व कृत्रिम होते है और सभी अस्थायी होते है , ये सभी तत्व प्रकृति में नहीं पाए जाते है इन तत्वों को परायूरेनियम तत्व कहते है।
सभी ऐक्टिनाइड तत्व रेडियोएक्टिव होते है , शुरू में आने वाले तत्वों की अर्द्ध आयु तुलनात्मक रूप से अधिक होती है जबकि बाद में आने वाले तत्वों की अर्द्धआयु कम होती है और यही कारण है कि बाद में आने वाले तत्वों का अध्ययन आसानी से नहीं किया जा सकता है।
इन तत्वों की सबसे महत्वपूर्ण ऑक्सीकरण अवस्था +3 होती है अर्थात अधिकतर तत्व +3 ऑक्सीकरण अवस्था प्रदर्शित करते है लेकिन कुछ एक्टिनाइड तत्व होते है जैसे U , Pu , Am तथा Np तत्व +6 ऑक्सीकरण अवस्था प्रदर्शित करते है।
एक्टिनाइड श्रेणी में बायें से दाए जाने पर तत्वों का आकार क्रमशः घटता जाता है जिसे एक्टिनाइड संकुचन कहते है यह भी ठीक उसी तरह होता है जैसे लेंथेनाइड संकुचन होता है।
एक्टिनाइड के सभी तत्व चांदी की तरह श्वेत रंग के होते है अर्थात कुछ चमकीले होते है , इन तत्वों का गलनांक और क्वथनांक अधिक होता है।
एक्टिनाइड बहुत ही अधिक सक्रीय धातु होती है , जब इन तत्वों को पानी के साथ गर्म किया जाता है तो ये तत्व समबन्धित ऑक्साइड और हाइड्रोक्साइड बना लेते है।
एक्टिनाइड संकुचन : इस श्रेणी के तत्वों मे भी लेंथेनाइड की तरह संकुचन होता है अर्थात इस श्रेणी में बाए से दाएं जाने पर तत्वों का आकार घटता जाता है जिसे एक्टिनाइड संकुचन कहते है , यह 5f इलेक्ट्रॉन के नाभिकीय आवेश के दुर्बल परिरक्षण प्रभाव के कारण होता है।
चूँकि इस श्रेणी के तत्व एक्टिनियम के बाद आते है यही कारण है कि इन तत्वों को ऐक्टिनाइड तत्व कहते है , इन तत्वों को अंत: संक्रमण तत्व भी कहा जाता है।
इनमे से युरेनियम के बाद वाले सभी तत्व कृत्रिम होते है और सभी अस्थायी होते है , ये सभी तत्व प्रकृति में नहीं पाए जाते है इन तत्वों को परायूरेनियम तत्व कहते है।
सभी ऐक्टिनाइड तत्व रेडियोएक्टिव होते है , शुरू में आने वाले तत्वों की अर्द्ध आयु तुलनात्मक रूप से अधिक होती है जबकि बाद में आने वाले तत्वों की अर्द्धआयु कम होती है और यही कारण है कि बाद में आने वाले तत्वों का अध्ययन आसानी से नहीं किया जा सकता है।
इन तत्वों की सबसे महत्वपूर्ण ऑक्सीकरण अवस्था +3 होती है अर्थात अधिकतर तत्व +3 ऑक्सीकरण अवस्था प्रदर्शित करते है लेकिन कुछ एक्टिनाइड तत्व होते है जैसे U , Pu , Am तथा Np तत्व +6 ऑक्सीकरण अवस्था प्रदर्शित करते है।
एक्टिनाइड श्रेणी में बायें से दाए जाने पर तत्वों का आकार क्रमशः घटता जाता है जिसे एक्टिनाइड संकुचन कहते है यह भी ठीक उसी तरह होता है जैसे लेंथेनाइड संकुचन होता है।
एक्टिनाइड के सभी तत्व चांदी की तरह श्वेत रंग के होते है अर्थात कुछ चमकीले होते है , इन तत्वों का गलनांक और क्वथनांक अधिक होता है।
एक्टिनाइड बहुत ही अधिक सक्रीय धातु होती है , जब इन तत्वों को पानी के साथ गर्म किया जाता है तो ये तत्व समबन्धित ऑक्साइड और हाइड्रोक्साइड बना लेते है।
एक्टिनाइड संकुचन : इस श्रेणी के तत्वों मे भी लेंथेनाइड की तरह संकुचन होता है अर्थात इस श्रेणी में बाए से दाएं जाने पर तत्वों का आकार घटता जाता है जिसे एक्टिनाइड संकुचन कहते है , यह 5f इलेक्ट्रॉन के नाभिकीय आवेश के दुर्बल परिरक्षण प्रभाव के कारण होता है।
एक्टिनाइड के उपयोग
- प्लूटोनियम एक उच्च शुद्धता वाला नाभिकीय इंधन है जिसका उपयोग नाभिकीय रियक्टर में काम में लिया जाता है इसके अलावा इसका उपयोग परमाण्विक हथियार बनाने के लिए किया जाता है।
- युरेनियम का भी परमाण्विक रियक्टर में नाभिकीय इंधन के रूप में किया जाता है और इसका उपयोग औषधि के रूप में भी किया जाता है।
- थोरियम ऑक्साइड का उपयोग चमकने वाली गैस मेंटल के निर्माण के लिए किया जाता है , तथा थोरियम का भी उपयोग नाभिकीय रियक्टर में इंधन के रूप में भी किया जाता है।
Recent Posts
सती रासो किसकी रचना है , sati raso ke rachnakar kaun hai in hindi , सती रासो के लेखक कौन है
सती रासो के लेखक कौन है सती रासो किसकी रचना है , sati raso ke…
11 hours ago
मारवाड़ रा परगना री विगत किसकी रचना है , marwar ra pargana ri vigat ke lekhak kaun the
marwar ra pargana ri vigat ke lekhak kaun the मारवाड़ रा परगना री विगत किसकी…
11 hours ago
राजस्थान के इतिहास के पुरातात्विक स्रोतों की विवेचना कीजिए sources of rajasthan history in hindi
sources of rajasthan history in hindi राजस्थान के इतिहास के पुरातात्विक स्रोतों की विवेचना कीजिए…
2 days ago
गुर्जरात्रा प्रदेश राजस्थान कौनसा है , किसे कहते है ? gurjaratra pradesh in rajasthan in hindi
gurjaratra pradesh in rajasthan in hindi गुर्जरात्रा प्रदेश राजस्थान कौनसा है , किसे कहते है…
2 days ago
Weston Standard Cell in hindi वेस्टन मानक सेल क्या है इससे सेल विभव (वि.वा.बल) का मापन
वेस्टन मानक सेल क्या है इससे सेल विभव (वि.वा.बल) का मापन Weston Standard Cell in…
3 months ago
polity notes pdf in hindi for upsc prelims and mains exam , SSC , RAS political science hindi medium handwritten
get all types and chapters polity notes pdf in hindi for upsc , SSC ,…
3 months ago