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मापन में शुद्धता तथा त्रुटियाँ , त्रुटि के प्रकार accuracy and errors in measurement in hindi
(accuracy and errors in measurement in hindi ) मापन में शुद्धता तथा त्रुटियाँ : जब हम किसी भी चीज का मापन करते है तो यह आवश्यक है की वह मापन सही हो , लेकिन हमारे द्वारा मापा गया मान शुद्ध है या नहीं अथवा इसमें कितनी त्रुटि है इस बात का कैसे पता चलेगा अथवा इस त्रुटि को कम या खत्म करने के लिए हमें क्या करना पड़ेगा ? इन सबके बारे मे हम यहाँ अध्ययन करेंगे।
शुद्धता क्या है और इसकी आवश्यकता
मान लीजिये मुझे मेरे कमरे में फर्श पर गलीचे बिछाने है , मैंने अपने कमरे की लम्बाई तथा चौड़ाई नाप ली और इसकी नाप का गलीचा ले आया लेकिन जब मैंने इसे कमरे में बिछाया तो देखा यह तो फिट नहीं आ रहा। यह बड़ा आ गया। ऐसा क्यों हुआ ? ऐसा इसलिए हुआ क्यूँकि शायद मैंने ठीक से नाप नही लिया था या दूसरे शब्दों में कहे तो मेरी नाप लेने में कुछ त्रुटि थी। अगर मेरा नाप सही (शुद्ध) होता तो यह कमरे में फिट आ जाता और मेरा समय और पैसे दोनों ख़राब नहीं होते।
शुद्धता की परिभाषा : किसी भी वस्तु के मापन में इसके वास्तविक मान के लगभग बराबर या बिल्कुल बराबर मान प्राप्त करना ही शुद्धता कहलाता है।
जैसे किसी तार की लम्बाई यदि 5 मीटर है और हम जब इसे मापते है तो हमारे मापन में 4.98 या 4.99 अथवा 5 आती है तो हम इसे शुद्ध मान कह सकते है लेकिन इसमें भी कुछ त्रुटि है।
त्रुटि की परिभाषा : किसी चीज के वास्तविक और मापे गए मान में अंतर को ही त्रुटि कहते है।
जैसे तार की वास्तविक लम्बाई 5 मीटर है और मापी गयी लम्बाई 4.98 मीटर है तो परिभाषा के अनुसार
त्रुटि = 5 – 4.98 = 0.02 मीटर
% त्रुटि = (वास्तविक मान – मापा गया मान )/ वास्तविक मान
प्रतिशत त्रुटि = (5 – 4.98)(100)/5 = (0.02 x 100 )/5 = 0.4%
त्रुटि के प्रकार (types of errors)
त्रुटि प्रमुखत: तीन प्रकार की होती है –
1. क्रमबद्ध त्रुटि (systematic errors)
2. यादृच्छिक त्रुटि (random errors)
3. स्थूल त्रुटि (gross errors)
अब इन सभी त्रुटियों के बारे में विस्तार से पढ़ते है।
1. क्रमबद्ध त्रुटि (systematic errors)
इस प्रकार की त्रुटि को आसानी से खोजा जा सकता है या इनके कारण का पता लगाकर आसानी से इनमे कमी लायी जा सकती है।
ये त्रुटियां विभिन्न कारणों से होती है इनके प्रमुख कारण या प्रकार निम्न है –
- यन्त्र के कारण त्रुटि : इस प्रकार की त्रुटि , काम में लिए जाने वाले यंत्रो के कारण उत्पन्न होती है जैसे यन्त्र की बनावट में त्रुटि आदि। यदि किसी यन्त्र एक से अधिक पैमाने लगे है तो इनके शुन्यांको का मिलान होना आवश्यक है अन्यथा इस यन्त्र में शून्यांक त्रुटि उत्पन्न हो जाती है। इस त्रुटि को दूर करने के लिए हमें अच्छे गुणवत्ता वाले यन्त्र काम में लेने चाहिए।
- व्यक्तिगत त्रुटि : जब किसी व्यक्ति को कोई यन्त्र चलाने या काम में लेने का अनुभव न हो तो उसके अनुभव की कमी के कारण इस प्रकार की त्रुटि उत्पन्न हो सकती है। जैसे यदि किसी को वर्नियर कैलीपर्स पैमाना इस्तेमाल करना नहीं आता है तो वह माप में त्रुटि करता है जिसे हम व्यक्तिगत त्रुटि कहेंगे। इस प्रकार की त्रुटि को दूर करने के लिए सर्वप्रथम व्यक्ति को उपकरण का सही ज्ञान होना आवश्यक है।
- पूर्णस्थथा की कमी से त्रुटि : इस प्रकार की त्रुटियों का कारण हमारे सामने होता है अर्थात ज्ञात होता है फिर भी इनको दूर नहीं किया जा सकता है। जैसे ऊष्मा का मापन यदि विकरण हानि के बाद किया जाए तो मापन त्रुटि युक्त प्राप्त होता है।
- नियत त्रुटि : जब एक ही चीज का मापन बार बार किया जाए और यदि त्रुटि का मान सभी मापन में समान हो तो इस प्रकार की त्रुटि को नियत त्रुटि कहते है।
- बाह्य कारको के कारण त्रुटि (वातावरण के कारण त्रुटि) : इस प्रकार की त्रुटि बाह्य कारकों अर्थात वातावरण के कारण उत्पन्न होती है जैसे ताप व दाब में परिवर्तन आदि। इस प्रकार की त्रुटि को दूर करने के लिए प्रेक्षण ऐसी जगह करने चाहिए जो बाह्य वातावरण से कम प्रभावित रहे।
2. यादृच्छिक त्रुटि (random errors)
जब किसी एक ही चीज का मापन बार बार किया जाता है और हर बार प्रेक्षण में कुछ त्रुटि आती है , इस स्थिति में यह कह पाना मुश्किल होता है की कोनसा पाठ्यांक सही है।
इस स्थिति में सभी पाठ्यांको का माध्य लिया जाता है और इस माध्य को वस्तु का सही मापन माना जाता है।
3. स्थूल त्रुटियाँ (gross errors)
जब किसी वस्तु के मापन में व्यक्ति द्वारा असावधानी बरती जाती है तो इस असावधानी के कारण जो त्रुटि उत्पन्न होती है उसे स्थूल त्रुटि कहते है।
स्थूल त्रुटि उत्पन्न होने के कारण निम्न है –
- व्यक्ति द्वारा गलत तरीके से मापन
- मापन लिखने में गलती
- गणना करते समय कुछ मान गलत लिख देना
- उपकरणों का समायोजन किये बिना ही पाठ्यांक ले लेना।
परम त्रुटि , आपेक्षिक त्रुटि और प्रतिशत त्रुटि (absolute error , relative error and percentage error)
1. परम त्रुटि (absolute error) : किसी भी राशि के वास्तविक मान और मापे गए मान में अंतर को परम त्रुटि कहते है। माना किसी राशि का वास्तविक मान x है तथा इसका प्रेक्षित मान (मापा गया मान) x0 है तो परम त्रुटि की परिभाषा के अनुसार इनके अंतर को परम त्रुटि कहते है।
परम त्रुटि (absolute error) = Δx = x0 – x
माना किसी वस्तु (चीनी) का वास्तविक वजन 1 kg है और जब हम इसे तौलते है तो किसी कारणवश हमारे पास 1 kg का बाट नहीं है , 100 gm का बाट है , अत: हम चीनी को 100 gm करके तौलते है तो अन्त में हमें एहसास होता है की इस प्रकार तौल में यह 950 gm प्राप्त होती है , इसका कारण यह हो सकता है की जब हम 100 gm तौल रहे थे तो हम कुछ ज्यादा दाल रहे थे , खैर कारण कोई भी लेकिन हमें त्रुटि प्राप्त हुई है।
परम त्रुटि = वास्तविक मान – प्राप्त मान
परम त्रुटि = 1000 – 950 = 50 gm
2. आपेक्षिक त्रुटि (relative error) : आपेक्षिक त्रुटि का मान परम त्रुटि की तुलना करने से प्राप्त होता है जैसे मान लीजिये किसी चीज की लम्बाई 5 cm है और हमें 1 cm की त्रुटि प्राप्त हो रही है तो तो यहाँ आपेक्षिक त्रुटि का मान अधिक माना जाता है लेकिन जब 100 cm की लम्बाई मापने में 1 cm की त्रुटि प्राप्त होती है तो इस आपेक्षिक त्रुटि को बहुत छोटा माना जाता है , इस छोटी त्रुटि को परम त्रुटि की श्रेणी में मान सकते है।
अत: हम कह सकते है की वह परम त्रुटि को वस्तु के आकार पर निर्भर करती है उसे आपेक्षिक त्रुटि कहलाती है।
3. प्रतिशत त्रुटि (percentage error) : किसी भी चीज के मापन में उसके वास्तविक माप से कितने प्रतिशत त्रुटि हुई है इसे ही प्रतिशत त्रुटि कहते है।
प्रतिशत त्रुटि = | मापा गया मान – वास्तविक मान | x 100 / वास्तविक मान
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