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abrupt junction in hindi सहसा परिवर्तन युक्त संधि किसे कहते हैं ? रैखिकतः प्रवणित संधि (Linearly Graded Junction)
रैखिकतः प्रवणित संधि (Linearly Graded Junction) abrupt junction in hindi सहसा परिवर्तन युक्त संधि किसे कहते हैं ?
P-N सन्धि डायोड का धारिता प्रभाव (CAPACITANCE EFFECT OF P-N JUNCTION DIODE)
पिछले खण्ड (2.15 ) में यह ज्ञात हुआ था कि डायोड के सन्धि स्थल पर एक अवक्षय परत (depletion (9) layer) बनती है जिसके दोनों ओर विपरीत प्रकृति के अधिसंख्य रूप से मुक्त आवेश संग्रहित होते हैं और अवक्षय परत 10 इन दोनों प्रभागों को पृथक् करती है। यह P-N सन्धि डायोड एक साधारण संधारित्र के समान माना जा सकता है जिसमें मुक्त आवेश युक्त P व N प्रभाग संधारित्र की प्लेटों के समान तथा अवक्षय परत परावैद्युत माध्यम के समान माना जाता है। इस प्रकार P–N सन्धि डायोड विद्युत परिपथ में एक वास्तविक संधारित्र के समान भी कार्य करता है जिसकी धारिता सन्धि धारिता (junction capacitance) कहलाती है। संधि धारिता अवक्षय परत की मोटाई के व्युत्क्रमानुपाती होती है। P-N संधि पर अवक्षय परत की मोटाई आरोपित वोल्टता पर निर्भर होती है। अग्रदिशिक वोल्टता लगाने पर अवक्षय परत की मोटाई कम हो जाती है तथा पश्च दिशिक वोल्टता से यह बढ़ जाती है। इस प्रकार परिणामी धारिता आरोपित वोल्टता का फलन होती है। इसके अतिरिक्त संधि धारिता इस बात पर भी निर्भर होती है कि संधि के निकट आवेश वितरण किस प्रकार हैं जो कि संधि की रचना की प्रक्रिया पर निर्भर होता है।
(i) रैखिकतः प्रवणित संधि (Linearly Graded Junction)—–
यहाँ सर्वप्रथम एक रैखिकतः प्रवणित संधि (linearly graded junction) का अध्ययन करेंगे। इस प्रकार की संधि के लिए अपद्रव्य घनत्व, विभव व आवेश घनत्व का अपक्षय परत में परिवर्तन चित्र (2.16- 1) में प्रदर्शित किया गया है।
आवेश घनत्व का परिवर्तन सरल रैखिक माना गया है, अर्थात्
आवेश घनत्व p = ax ………………………………(1)
उपरोक्त सम्बन्ध के लिये यह कल्पना की गई है कि दाता एवं ग्राही अशुद्धियाँ पूर्णतः सक्रियित (active) हैं। अवक्षय परत में किसी बिन्दु पर एक विमीय समीकरण (Poission equation) से ( परत क्षेत्रफल अधिक होने से क्षेत्र परिवर्तन केवल x दिशा में ही माना जा सकता है )
जहाँ Vx उस बिन्दु पर विभव है तथा ६ माध्यम की निरपेक्ष विद्युत-शीलता ( absolute permittivity) है। अवक्षय परत के बाहर P व N पदार्थों की चालकता यथेष्ट होने से इन प्रभागों में विभव परिवर्तन नगण्य माना गया है। समी. (1) व (2) से
समी. (3) का समाकलन करने पर
पुनः समाकलन से
संधि पर कुल विभवान्तर ( V – VB) है जहां V बाह्य आरोपित विभवान्तर है, अर्थात्
इस प्रकार अवक्षय परत की मोटाई की विभवान्तर पर निर्भरता निम्न होगी
संधि के एक ओर x = d/2 अधिकतम आवेश घनत्व Pm = ax = a d/2 जिससे इस ओर कुल आवेश Q का मान Pm ऊँचाई तथा d /2 आधार वाले त्रिभुज का क्षेत्रफल होगा (काट क्षेत्र एकांक मान कर )
इसी प्रकार संधि के दूसरी ओर इसी परिमाण का परन्तु विपरीत आवेश होगा। संधि की धारिता नियत नहीं है वरन् विभव का फलन है अतः संधि के लिये वार्धिक धारिता (incremental capacitance) प्रत्यावर्ती संकेतों के लिये अधिक महत्वपूर्ण होती है ।
समी. (7) से d का मान रखने पर प्रति एकांक काट क्षेत्र अवक्षय प्रभाग या संधि की धरिता
यदि संधि का क्षेत्रफल A हो तो कुल धारिता
सामान्य अल्प वोल्टताओं के लिये C का मान 10 से 50 पिको फेरेड (pF) की कोटि का होता है। V का मान ऋणात्मक प्रयुक्त किया जाता है।
(ii) सहसा परिवर्तन युक्त संधि (Abrupt Junction )
विसरण (diffusion) या धातु मिश्रण (alloying) तकनीकों के द्वारा अशुद्धियों का सहसा परिवर्तन ( abrupt change) प्राप्त करना भी संभव है। यदि N जरमेनियम के आधार वेफर (wafer) पर इंडियम (indium), जो P – पदार्थ की रचना करने वाली अशुद्धि है, का मिश्रण किया जाय तो कुछ इंडियम जरमेनियम के प्रभाग में विसरित होकर उस भाग को P -अर्धचालक बना देगा। इस भाग की मोटाई अत्यल्प होती है। विसरण प्रभाग तक N – भाग में दाता घनत्व नियत बना रहता है और एक अत्यल्प दूरी से अशुद्धि P- प्रकार का अर्धचालक बना देती है। इस P – प्रभाग में ग्राही अशुद्धि घनत्व NA, N – प्रभाग में दाता घनत्व से बहुत अधिक होता है, अर्थात् NA >> ND | सहसा परिवर्तन युक्त संधि के लिये अशुद्धि वितरण, आवेश व विभव परिवर्तन चित्र (2.16–2) में प्रदर्शित है।
इस प्रकार की संधि के लिए अवक्षय परत लगभग पूर्णत: N – प्रभाग x = 0 से x = d तक स्थित होती है व उसमें आवेश घनत्व नियत होता है। अतः
p= eNp …………………………….(12)
प्वासों समीकरण से
जिसके दो बार समाकलन व सीमान्त बंधन x = 0 पर
से
कुल विभवान्तर का परिमाण
जिससे अवक्षय परत की मोटाई
तथा एकांक काट क्षेत्र की सधि के एक ओर कुल आवेश
अतः वार्धिक धारिता
A क्षेत्रफल की संधि के लिये
P-N संधि की धारिता की आरोपित विभवान्तर पर निर्भरता का उपयोग इस प्रकार की संधि का वोल्टता नियंत्रित धारिता के रूप में किया जाता है। परिवर्तनशील प्रतिघात की युक्ति होने से इसे (variable reactor) या संक्षेप में वैरेक्टर (varactor) कहा जाता है। ऐसी युक्ति सूक्ष्म तरंग इलेक्ट्रॉनिकी (Microwave Electronics) में बहुत उपयोगी होती है।
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