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लोकगीत का अर्थ व परिचय क्या है | लोकगीतों का महत्व पर निबंध लोक परम्परा के प्रकार about lok geet in hindi

about lok geet in hindi लोकगीत का अर्थ व परिचय क्या है | लोकगीतों का महत्व पर निबंध लोक परम्परा के प्रकार ?

लोक परम्परा
लोक संगीत को लोगों के संगीत के तौर पर परिभाषित किया जाता है। इसे सरल-सुंदर धुन एवं ताल के तौर पर विशेषित किया जाता है जो साधारणतया प्रकृति, प्रेम, पारिवारिक संबंधों एवं धार्मिक तथा सांस्कृतिक उत्सवों तथा रीति-रिवाजों की थीम से जुड़ा होता है। लोक संगीत सामान्य तौर पर जीवन एवं मृत्यु, दिन और रात तथा ऋतुओं के चक्र का प्रत्युगार है। लोक संगीत में लोगों की सहभागिता बेहद ऊंची होती है। यह आमतौर पर देखा जाता है कि लोक संगीत में प्रयोग होने वाले वाद्य यंत्रों को उपलब्ध पदार्थों पशुओं की खाल, बांस, नारियल खपरों एवं घड़ों इत्यादि से बनाया जाता है।
भारतीय लोक संगीत देश की समृद्ध सांस्कृतिक विविधता के कारण अपनी वैविध्यता के लिए जागा जाता है। अधिकतर लोक संगीत नृत्य आधारित है और आम लोगों द्वारा त्यौहारों के दौरान गीत गाना, वाद्य यंत्र बजागा एवं नृत्य किए जाते हैं।
उत्तर भारत में, कश्मीर के लोक संगीत में सूफी गीत, गजल एवं कारेल संगीत शामिल है। बनावुन विवाह समारोहों के दौरान बजाया एवं गाया जाता है।
भंगड़ापंजाब का नृत्य आधारित लोक संगीत है। उत्तराखंडी लोग संगीत का केंद्रीय विषय प्रकृति से जुड़ा रहता है। उत्तराखंड में लोक संगीत प्रमुखतः पर्वों, त्यौहारों, धार्मिक परम्पराओं, लोक कहानियों एवं लोगों की सरल जीवन से जुड़ा होता है। यहां पर ढोल, दमोन, तुरी, रणसिंग, ढोलकी, ढोंर, थाली, भखोड़ा एवं मुसकबाजा जैसे वाद्य यंत्र प्रयोग होते हैं। कुमांऊनी एवं गढ़वाली में गीत गाए जाते हैं।
छत्तीसगढ़ में, भरतारी ज्ञान राजा भृतहरि की कहानी प्रस्तुत करता है। इसका वर्णन मालव शैली में किया जाता है। पंडवानी, महाभारत के भागों पर आधारित होती है जिसमें ज्ञान एवं वादन शामिल होते हैं। पंडवानी का गायन मूलतः गोंड जगजाति की एक उपजाति द्वारा गाया जाता था। बन गायक द्वारा बजाया जाता है। पद्मश्री एवं पद्मभूषण से विभूषित लोक कलाकार तीजनबाई, पंडवानी गायन से सम्बद्ध है।
मध्य प्रदेश के लोक संगीत में आल्हा, विभिन्न शैलियों में गाया जागे वाला एक वीर रस का गीत है जिसमें बुंदेलखंडी, बैंसवाड़ी, बृज, अवधी एवं भोजपुरी शैलियां शामिल हैं।
राजस्थानी, संगीत में एक विविध लोक संगीत परम्परा है जो एक विशेष जातियों जैसे लंगास, सपेरा, मंगनेर, भोपा एवं जोगी से सम्बद्ध है। मांड एक लोकप्रिय राजस्थानी लोक संगीत है जो अतीत में राजदरबारों में विकसित हुआ। यह गीत तेजाजी, मोगाजी एवं रामदेवजी जैसे राजपूत शासकों की शान में गाया जाता है। पनिहारी लोक गीत महिलाओं द्वारा गाया जागे वाला गीत है और इस गीत की थीम जल एवं जल का अभाव है।
डांडिया पश्चिम भारत का, विशेष रूप से गुजरातएक नृत्य आधारित लोकप्रिय संगीत है, और इसे नवरात्र के दौरान किया जाता है। इस संगीत ने फिल्म संगीत एवं इंडिपाॅप संगीत को अत्यधिक सीमा तक प्रभावित किया है।
महाराष्ट्र में, आबेी महिलाओं द्वारा घर के काम करते समय और खाली समय में गाया जाता है। इसमें कविता की चार छोटी पंक्तियां होती हैं। लावणी महाराष्ट्र का एक लोकप्रिय लोक नृत्य एवं गीत है। परम्परागत तौर पर, यह महिला कलाकारों द्वारा गाया जाता है, लेकिन विशेष अवसरों पर पुरुष कलाकारों द्वारा भी गाया जाता है। लावणी से जुड़ा नृत्य तमाशा है।
गोवा के लोक संगीत में सुवेरी, मुसोल एवं धाल ो शामिल हैं। विवाह के दौरान महिलाओं द्वारा ओवी गाया जाता है और इसकी थीम नव विवाहित जोड़े के लिए सुखी जीवन की कामना होती है। मांडो विवाह समारोहों में गाया जाता है। यह कहा गया है कि इसका उद्भव पश्चिमी बाॅलरूम नृत्य रूप से हुआ है।
भगावती का अर्थ ‘भावनात्मक गीत’ होता है। यह कर्नाटक एवं महाराष्ट्र में लोकप्रिय संगीत रूप है। इसका उद्भव राज्यों की प्रादेशिक काव्यात्मकता से हुआ है। यह प्रकृति, प्रेम, दर्शन जैसे विषयों से जुड़ा है।
नातूपुरा पातू एक तमिल लोक संगीत है। इसमें ग्रामथिसाई (ग्रामीण लोक संगीत) एवं गाना (शहरी लोक संगीत) शामिल है। बिहार में कई प्रकार के लोक संगीत हैं। इसके लोक गीतों में सोहर, बच्चे के जन्म के समय गाया जागे वाला गीत( थूमर, सुमंगल, विवाह से सम्बद्ध गीत; कटनी-गीत धान की फसल की कटाई के दौरान गाया जागे वाला गीत; बिरहा, कजरी, रोपनी-गीत धान की फसल की बुआई के दौरान गाया जाता है और बीर कुंवर, युद्ध गीत की परम्परा है, इत्यादि शामिल हैं।
असम के लोक संगीत में जिकिर शामिल है जिसमें इस्लाम की शिक्षा,ं दी जाती हैं और जारी कर्बला के दुखद भागों पर आधारित है। अन्य गीतों में बिहू गीत, हुसारी, बिहुना, बोरगीत, निशुकोनी गीत एवं गोरोखिया नाम शामिल हैं।
अरुणाचल प्रदेश के लोक गीतों में जा-जीन्जाशामिल है जिसे विवाह एवं अन्य सामाजिक अवसरों पर गाया जाता है। बरई, इतिहास, धार्मिक एवं लोगों की विश्वास का वर्णन करने के लिए गाया जाता है। नियोगा, का गायन विवाह समारोह के अंत में किया जाता है।
इंडि-पोप
इंडि-पोप एक पारस्परिक रूप से संगीत की एक जननोन्मुख शैली है जिसमें विविध एवं एकल संगीतमयी प्रभावों का योग है। भारत में पाॅप संगीत की लोकप्रियता पाकिस्तान की नाजिया हसन एवं उनके भाई जोहेब हसन की सफलता से शुरू हुई। उसी समय, भारत में गैर-फिल्मी गायक ऊषा उथ्थुप, रेमो फर्नांनडीज और शरन प्रभाकर भी थे। 1990 में ‘मेड इन इंडिया’ के साथ आलिशा चिनाॅय ने धूम मचा दी। आलिशा चिनाॅय का सुचित्रा कृष्णमूर्ति, श्वेता शेट्टी, अनैदा, एवं महनाज ने भी अनुसरण किया। दलेर मेंहदी ने इस क्षेत्र में जबरदस्त कामयाबी हासिल की।
एक दशक से भी कम समय में 1990 के अंत तक पाॅप संगीत की संस्कृति भारत के युवाओं की एक अच्छी-खासी संख्या तक फैल चुका था। भारतीय संगीत बाजार में भारतीय पाॅप उद्योग ने 10 प्रतिशत की हिस्सेदारी काबिज कर ली थी। इंडीपाॅप ने अमिताभ बच्चन, आशा भोंसले, अल्का याज्ञनिक एवं ए. आररहमान जैसे धुंरधरों के इसमें आने से एक नया सम्मान एवं ऊंचाई प्राप्त की। आशा भोंसले के रीमिक्स एलबम ने उन्हें एक नई बुलंदी प्रदान की। उनकी दो रीमिक्स एलबम राहुल एंड आई और आशा वन्स मोर को लोगों ने हाथों-हाथ लिया। ए.आर. रहमान ने ‘वंदे मातरम्’ गाने को संगीतबद्ध कर एक नई प्रकार की धुन ईजाद की।
संगीत उद्योग के अनुभवों एवं प्रयोगों की इच्छा के साथ, कब्वाली उस्तादों ने भी इस क्षेत्र में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। पाकिस्तान के मशहूर गायक नुसरत फतेह अली खान का, गीतकार जावेद अख्तर के गीत ‘आफरीन आफरीन’, एलबम सरगम जबरदस्त लोकप्रिय हुआ।
शुभा मुगदल ने अब के सावन नाम का एक एलबम बनाया, जो अपनी गायकी, गहराई, एवं अंतस संवेदना के चलते बेहद लोकप्रिय हुआ। शंकर महादेवन एक गजब के हुनरमंद पाॅप गायक हैं जिन्होंने कर्नाटक संगीत, हिंदुस्तानी संगीत, जैज एवं फ्यूजन में गजब की जुगलबंदी की है। उनकी एलबम ब्रीथलैस 1999 के अंत में अत्यंत लोकप्रिय हुआ।
1990 से वे गायक जिन्होंने इंडि-पोप में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई, हैं बाबा सहगल, शांतनु मुखर्जी (शान), सुनाली राठौड़, पलाश सेन, के.केसागरिका, हरिहरन, लेस्ली लेविस, लक्की अली, सोनू निगम, एवं हंस राज हंस। इनके अतिरिक्त लोकप्रिय इंडि-पोप गायकों में, जुबीन गग्र, राघव सच्चर, रागेश्वरी, देविका चावला, बांबे ग्रुप वाईकिंग, सुनिधि चैहान, फालगुनी पाठक, बांबे राकर्स, अनु मलिक, जेजी बी, मल्कित सिंह, जे. सीन, जग्गी डी, ऋषि रिच, शैला चंद्रा, बैली सागू, पंजाबी ,मसी, भांगड़ा नाइट्स, मेहनाज, एवं सनोबर
भी शामिल हैं।
इंडीपाॅप का वैश्वीकरण
इंडीपाॅप का वैश्वीकरण 1990 के उत्तरार्द्ध से एक चलन बन गया। हरिहरण और लेसली लेविस ने फ्यूजन म्यूजिक में नया प्रयोग अपने एलबम काॅलोनियल कजन (1994) के साथ किया। उनके संगीत ने प्राथमिक रूप से उत्तरी अमेरिका में गैर-निवासी भारतीयों को अभिभूत किया।
1999 के अंत तक, इंडी.पाॅप ने पश्चिमी संसार में अपनी घुसपैठ कर दी।
सुप्रसिद्ध इंडी.पाॅप गायक
अलीशा चिनाॅय मगधेहन वारिस
बाबा सहगल मिका
बेली सागू पंजाबी बाई नेचर
बाॅम्बे वाइकिंग पंजाबी एमसी
काॅलोनियल कजन रागेश्वरी
दलेर मेंहदी रेमो फर्नांडीज
इयूफोरिया (पलाश सेन) सागारिका
गुरदास मान शान
हंस राज हंस शेरों प्रभाकर
हरभजन मान सुचित्रा कृष्णामूर्ति
हीरा सुखबीर सिंह
जेजीबी ऊषा उथ्थुप
लक्की अली वीवा
मलकित सिंह

संगीत के महान व्यक्तित्व ए.आर. रहमान ने माइकल जैक्सन के साथ एकम् सत्यम नामक एलबम बनाई और एंड्रयू लायड वेबर के साथ एक अन्य एलबम बाॅम्बे ड्रीम्स में संगीतबद्ध जुगलबंदी की। पश्चिम में इंडी.पाॅप की बढ़ती लोकप्रियता इससे जाहिर होती है कि वेस्टर्न कम्पोजर्स ने भारतीय नोट्स एवं धुनों को अपने काम में शामिल किया। स्टेनले क्यूबरिक ने आईज वाइल्ड शट में भारतीय नोट्स
को शामिल किया।
भारतीय पाॅप व्यापक रूप से टेलिविजन के माध्यम से विकसित हुआ और पाॅप स्टार्स, यद्यपि ये शहरी भारतीयों में लोकप्रिय हुए, जनता के बीच लोकप्रियता हासिल नहीं कर सके। इंडी.पाॅप को लेकर यह भावना व्याप्त है कि इसे भारत में अधिक व्यापारिक क्षमता हासिल नहीं है। यही कारण है कि यह कलाकार के वैयक्तिक हुनर एवं वाणिज्यिक क्षमता पर निर्भर करता है। आजकल, म्यूजिक एलबम के सफल होने की अधिक संभावना होती है यदि दृश्य एवं प्रिंट मीडिया में गायक को एक आइकन के तौर पर सफलतापूर्वक प्रस्तुत किया जाता है।

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