ऊष्मामिति या कैलोरीमिति की परिभाषा , ऊष्मामिति या कैलोरीमिति क्या है , सिद्धांत , Calorimetry in hindi

Calorimetry in hindi , ऊष्मामिति या कैलोरीमिति की परिभाषा , ऊष्मामिति या कैलोरीमिति क्या है , सिद्धांत , बम कैलोरीमीटर को मापने के लिए प्रयोग किया जाता है , उपयोग  :-

ऊष्मामिति  या कैलोरीमिति : वे निकाय जो अपने चारों ओर के परिवेश से उष्मीय रूप से विलगित रहते है अर्थात अपने चारों ओर के परिवेश से न तो ऊष्मा अवशोषित करते है और न ही ऊष्मा का उत्सर्जन करते है , ऐसे निकाय वियुक्त निकाय (विलगिक निकाय) (विलगित निकाय) कहलाते है।

उष्मामिती से तात्पर्य है कि किसी ऊष्मा निकाय की ऊष्मा मापने से है। ऊष्मा मापने के लिए ऊष्मामापी का उपयोग किया जाता है। उष्मामापी में धातु का एक पात्र होता है जो कि ताम्बा या एल्युमिनियम का बना होता है तथा इसमें तांबा या धातु का विलोडक लगा रहता है तथा इसमें एक छिद्र होता है। जिसमे तापमापी लगी होती है , जिसकी सहायता से तापमान ज्ञात किया जाता है और यह उपकरण लकड़ी में होता है।

न्यूटन का शीतलन का नियम

न्यूटन ने बताया कि ऊष्मा हास कि दर तापान्तर के समानुपाती होती है।

ऊष्मा हास की दर ∝ तापान्तर

-dθ/dt ∝ ΔT

-dθ/dt = T2 – T1   समीकरण-1

चूँकि dθ = ms ΔT

dt का भाग देने पर

dθ/dt = ms ΔT/dt समीकरण-1

समीकरण-1 और समीकरण-2 से

ms ΔT/dt = T2 – T1

ΔT/(T2 – T1) = dt/ ms

ऊष्मा हास की दर पृष्ठ की प्रकृति पर निर्भर करती है। ऊष्मा हास की दर परिवेश में खुले क्षेत्रफल पर भी निर्भर करती है।

अवस्था परिवर्तन

सामान्यतया पदार्थ की तीन अवस्थाएँ होती है , ठोस , द्रव और गैस।

पदार्थ की ठोस अवस्था को बदलने की प्रक्रिया गलन कहलाती है।

वह तापमान जिस पर पदार्थ की ठोस अवस्था द्रव अवस्था में परिवर्तित हो जाती है , गलनांक कहलाता है।

वायुमण्डलीय दाब की उपस्थित में गलनांक को प्रसामान्य गलनांक कहते है।

पदार्थ की द्रव अवस्था का गैस अवस्था में परिवर्तित होने की प्रक्रिया वाष्पन कहलाती है।

वह ताप जिस पर पदार्थ की द्रव अवस्था गैस अवस्था में बदल जाती है , क्वथनांक कहलाता है।

पानी के लिए गलनांक 100 डिग्री सेल्सियस होता है।

वायुमंडलीय दाब पर क्वथनांक को प्रसामान्य क्वथनांक कहते है।

दाब का मान बढ़ाने पर क्वथनांक का मान बढ़ जाता है। पहाड़ी क्षेत्र पर या अधिक ऊंचाई पर वायुमंडलीय दाब का मान कम होने के कारण क्वथनांक का मान कम हो जाता है। जिसके कारण भोजन बनाने में अधिक समय लगता है।

जबकि प्रेशर कुकर में दाब का मान अधिक होने के कारण क्वथनांक का मान अधिक हो जाता है। जिसके कारण दाल आदि पक जाती है।

कुछ पदार्थ ऐसे होते है जिन्हें ऊष्मा देने पर ठोस अवस्था से सीधे ही गैस अवस्था में परिवर्तन हो जाते है। पदार्थ के इस गुण को उर्ध्वपातन कहते है। जैसे : कपूर , नौसादर (NH4Cl)

गुप्त ऊष्मा : किसी पदार्थ की अवस्था में परिवर्तन के लिए आवश्यक ऊर्जा को गुप्त ऊष्मा कहते है।

जब पदार्थ की ठोस अवस्था का संक्रमण द्रव अवस्था में होता है तो आवश्यक ऊष्मा की मात्रा को गलन की गुप्त ऊष्मा कहते है।

जब पदार्थ की द्रव अवस्था को गैस अवस्था में परिवर्तन किया जाता है तो आवश्यक ऊष्मा की मात्रा वाष्पन की गुप्त ऊष्मा कहलाती है।

जब 0 डिग्री सेल्सियस की बर्फ को ऊष्मा दी जाती है तो दी गयी सम्पूर्ण ऊष्मा अवस्था परिवर्तन में काम आती है अर्थात 0 डिग्री सेल्सियस वाली बर्फ से 0 डिग्री सेल्सियस ताप वाले द्रव का निर्माण होता है , 0 डिग्री सेल्सियस ताप वाले द्रव को और अधिक ऊष्मा देने पर उसका तापमान बढ़ता है , जब द्रव तापमान क्वथनांक बिंदु तक पहुँच जाता है तो द्रव उबलने लगता है अर्थात क्वथनांक बिंदु पर द्रव अवस्था का वाष्प अवस्था में परिवर्तन होता है। क्वथनांक बिंदु पर दी गयी सम्पूर्ण ऊष्मा अवस्था परिवर्तन में काम आती है।

जब 100 डिग्री सेल्सियस वाली वाष्प को ऊष्मा दी जाती है तो उसके ताप में वृद्धि होती है।