धारिता किसे कहते है (capacitance in hindi) विद्युत धारिता की परिभाषा , इकाई , मात्रक , विमीय सूत्र

capacitance in hindi , धारिता किसे कहते है , धारिता की परिभाषा , इकाई , मात्रक , सूत्र , चालक की धारिता को प्रभावित करने वाले कारक , धारिता की सबसे छोटी इकाई क्या है ? (factors affecting capacitance of a conductor) :-

धारिता :

चालक एवं कुचालक पदार्थ : चालकता के आधार पर पदार्थो को दो भागो में विभाजित किया गया है –

(i) चालक

(ii) कुचालक

(i) चालक : वे पदार्थ जिनमे विद्युत धारा का प्रवाह सुगमता से होता है , चालक कहलाते है।

उदाहरण : सभी धातु विद्युत की चालक होती है , इनके साथ साथ कुछ पदार्थ जैसे – मानव शरीर , ग्रेफाईट , सेल के विद्युत अपघट्य का विलयन भी चालक होते है।  इनमे मुक्त इलेक्ट्रॉन के प्रवाह के कारण धारा प्रवाहित होती है।

मुक्त इलेक्ट्रॉन वे होते है जो किसी परमाणु के बाह्यतम कक्षा में उपस्थित होते है।

इन इलेक्ट्रॉन पर नाभिक के द्वारा आरोपित विद्युत बल कम लगता है , जिसके फलस्वरूप यह लगभग मुक्त अवस्था में होते है।

(ii) कुचालक / विद्युत रोधी : वे पदार्थ जिनमे विद्युत धारा का प्रवाह सुगमता से नहीं होता है , कुचालक कहलाते है। इनमे मुक्त इलेक्ट्रॉन की संख्या चालको की तुलना में नगण्य होती है।

इन पदार्थो का प्रतिरोध अधिक होने से धारा का प्रवाह सुगमता से नहीं होता है।

उदाहरण : काँच , प्लास्टिक , रबर , लकड़ी आदि।

परावैद्युत पदार्थ : पराविद्युत पदार्थ वे पदार्थ होते है जो सामान्यतया कुचालक होते है जैसे मोम , अभ्रक , कागज , तेल आदि।

परावैधुत पदार्थ में से होकर कोई धारा प्रवाहित नहीं होती है लेकिन यदि किसी परावैधुत पदार्थ को बाह्य विद्युत क्षेत्र में रखते है तो परावैद्युत माध्यम के अणु ध्रुवित हो जाते है , फलस्वरूप बाह्य विद्युत क्षेत्र की उपस्थिति में यह विद्युत प्रभाव को प्रदर्शित करते है।

पराविद्युत पदार्थ दो प्रकार के होते है।

(a) ध्रुवीय परावैद्युत पदार्थ

(b) अध्रुवीय परावैद्युत पदार्थ

(a) ध्रुवीय परावैद्युत पदार्थ : ऐसे पदार्थ जिनके अणुओं में धनावेश व ऋणावेश के वितरण केंद्र अल्प दूरी पर विस्थापित रहते है।  ध्रुवीय परावैद्युत पदार्थ कहलाते है।

जैसे NaCl , HCl , H2O आदि।

बाह्य विद्युत क्षेत्र की अनुपस्थिति में ध्रुवीय परावैद्युत पदार्थ के प्रत्येक अणु का परिमित द्विध्रुव आघूर्ण होता है। इन पदार्थो में अणु तापीय विक्षोभ के कारण भिन्न भिन्न दिशाओ में अभिविन्यासित रहते है।  फलस्वरूप पदार्थ का कुल द्विध्रुव आघूर्ण शून्य होता है। जब इन पदार्थो को बाह्य विद्युत क्षेत्र में रखते है तो प्रत्येक अणु पर कार्यरत बलाघूर्ण के प्रभाव से यह विद्युत क्षेत्र की दिशा में संरेखित हो जाते है , फलस्वरूप पदार्थ का परिमित द्विध्रुव आघूर्ण प्राप्त होता है।

(b) अध्रुवीय परावैद्युत पदार्थ : ऐसे पदार्थ जिनके परमाणुओं में धनावेश व ऋणावेश के वितरण केंद्र एक ही बिंदु पर सम्पाती होते है , अध्रुवीय परावैधुत पदार्थ कहलाते है। इन पदार्थो के प्रत्येक अणु का द्विध्रुव आघूर्ण शून्य होता है , फलस्वरूप पदार्थ का कुल द्विध्रुव आघूर्ण भी शून्य होता है।

उदाहरण : CO2 , CH4 , N2 , O2 आदि।

जब अध्रुवीय परावैद्युत पदार्थ को बाह्य विद्युत क्षेत्र में रखते है तो धनावेश व ऋणावेश के वितरण केन्द्र बाह्य विद्युत क्षेत्र के प्रभाव में अल्प दूरी पर विस्थापित हो जाते है , इस प्रक्रिया को ध्रुवण कहते है , ध्रुवण की इस प्रक्रिया में पराविद्युत माध्यम के अन्दर उत्पन्न विद्युत क्षेत्र की तीव्रता E , आरोपित बाह्य विद्युत क्षेत्र E को कम करने का प्रयास करता है।

ध्रुवणता (P)

एकांक आयतन की उपस्थिति में परावैद्युत पदार्थ का कुल विद्युत द्विध्रुव आघूर्ण ध्रुवणता के बराबर होता है –

P = p/V

ध्रुवणता (P) आरोपित होने वाले विद्युत क्षेत्र E के समानुपाती होती है।

धारिता : किसी चालक में आवेश को धारण करने की क्षमता को चालक की धारिता कहते है।

किसी चालक को दिए गए आवेश में वृद्धि करने पर उसके विभव के मान में भी वृद्धि होती है।

चालक को दिया गया आवेश q उसके विभव V में होने वाली वृद्धि के समानुपाती होता है –

अत: q समानुपाती V

q = CV

C = q/V

यहाँ C = चालक की धारिता

q = चालक को दिया आवेश

V = चालक के विभव में होने वाली वृद्धि

किसी चालक को दिया गया आवेश q व उसके विभव में होने वाली वृद्धि V दोनों का अनुपात चालक की धारिता के बराबर होता है।

धारिता एक अदिश राशि है।

इसका मात्रक कुलाम/वोल्ट या फैरड है।

1 फैरड = 96500 कूलाम

फैरड एक बड़ा मात्रक है इसके छोटे मात्रक pF , mF , uF , nF होते है।

1 mF = 10-3F

1uF = 10-6F

1nF = 10-9F

1pF = 10-12F

किसी चालक की धारिता इसके आकार या आकृति एवं माध्यम पर निर्भर करती है।

C = q/V

चुंकि V = w/q

V =  q2/W

धारिता की अभिधारणा (concept of capacitance)

धारिता शब्द का अर्थ है “धारण करने की क्षमता” , अत: किसी चालक की विद्युत धारिता का अर्थ है उसके द्वारा वैद्युत आवेश धारण करने की क्षमता से है। एक निश्चित सीमा के पश्चात् यदि हम किसी बर्तन में कोई द्रव भरते है तो वह फैलने लगता है। इसी तरह से जब एक निश्चित सीमा के बाद किसी चालक को आवेश दिया जाता है तो उसका विसर्जन वातावरण में होने लगता है। जिस प्रकार किसी बर्तन में डाला गया द्रव उसके गुरुत्वीय तल को बढाता है , ठीक उसी तरह किसी चालक को दिया गया आवेश उसके वैद्युत तल अर्थात विद्युत विभव बढाता है। किसी चालक को जितना अधिक आवेश दिया जाता है , उसका विभव भी उतना ही अधिक बढ़ता है अर्थात किसी चालक पर उपस्थित आवेश उसके विभव के अनुक्रमानुपाती होता है।

q ∝ V

या

q = CV

यहाँ C एक नियतांक है , जिसे चालक की वैद्युत धारिता कहते है।

इस प्रकार चालक की विद्युत धारिता एक नियतांक होती है। इसका मान चालक की आकृति , क्षेत्रफल , चारो ओर के माध्यम और पास में रखे अन्य चालकों की उपस्थिति पर निर्भर करता है।

C = q/V

अर्थात किसी चालक की धारिता चालक को दिए गए आवेश और उससे होने वाली विभव वृद्धि के अनुपात के बराबर होती है।

पुन: C = q/V से

यदि विभव V = 1 वोल्ट तो C = q

अर्थात किसी चालक की धारिता उस आवेश के तुल्य है जो उसके विभव में एक वोल्ट का परिवर्तन कर दे।

धारिता का मात्रक :-

चूँकि C = q/V

C का मात्रक = कूलाम/वोल्ट = फैरड

या 1 फैरड = 1 कूलाम/वोल्ट

धारिता का मात्रक “फैरड ” एक बड़ा मात्रक है , अत: प्रचलन में इससे छोटे मात्रक “माइक्रो फैरड ” और “पिको फैरड ” प्रयोग में लाये जाते है।

फैरड से इनका सम्बन्ध निम्नलिखित है –

1 uF = 10-6और 1pF = 10-12F

धारिता के मात्रक “फैरड” की परिभाषा निम्न प्रकार की जा सकती है –

C = q/V

यदि आवेश q = 1 कुलाम तथा विभव V = 1 वोल्ट तो C = 1F

अर्थात यदि किसी चालक को एक कुलाम आवेश देने पर उसके विभव में एक वोल्ट की वृद्धि हो जाती है। तो चालक की धारिता एक फैरड होगी।

धारिता का विमीय सूत्र :

चूँकि धारिता C = q/V

धारिता C की विमा = [M-1L-2T4A2]

चालक की धारिता को प्रभावित करने वाले कारक (factors affecting capacitance of a conductor)

किसी चालक की धारिता को निम्नलिखित कारकों पर निर्भर करती है –
  1. चालक का क्षेत्रफल : चालक का क्षेत्रफल बढाने पर आवेश का पृष्ठ घनत्व (σ = q/A) कम हो जाता है इसलिए चालक के पृष्ठ पर विद्युत विभव कम हो जायेगा। फलस्वरूप चालक की धारिता बढ़ जाएगी।
  2. आवेशित चालक के पास अन्य चालक की उपस्थिति पर : किसी आवेशित चालक के पास यदि कोई अन्य आवेश रहित चालक रखा जाता है तो आवेशित चालक का विभव कम हो जाता है जिसके फलस्वरूप चालक की धारिता बढ़ जाती है।
  3. चालक के चारों ओर के माध्यम पर : चालक की सतह पर यदि वायु में विभव V है तो K परावैधयुतांक वाला माध्यम चालक के चारो तरफ रखने पर उसका विभव V/K रह जायेगा अत: धारिता K गुनी हो जाएगी।