WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now

फ्रेंकलिन का प्रयोग , पदार्थ का वर्गीकरण (classification of matter) , आवेशन (charging in hindi)

विद्युत आवेश : विद्युत आवेश किसी वस्तु का वह अभिलाक्षणिक गुण होता है जो हल्की वस्तुओ को अपनी और आकर्षित करता है।
विद्युत आवेश का यह गुण वस्तुओ में घर्षण के कारण उत्पन्न होता है।
फ्रेंकलिन का प्रयोग : फ्रेंकलिन नामक वैज्ञानिक ने आवेश की प्रकृति का पता लगाने के लिए एक प्रयोग किया।
जिसमे दो काँच की छड़ो को रेशम के कपडे से रगड़कर स्वतंत्रतापूर्वक धागों से लटकाने पर एक-दुसरे को दूर हटाती है अर्थात प्रतिकर्षण करती है। उसके पश्चात एबोनाइट की छड़ो को बिल्ली की खाल से रगड कर स्वतंत्रता पूर्वक धागों से लटकाने पर यह दोनों छड़े एक-दुसरे से दूर जाती है अर्थात प्रतिकर्षित करती है जबकि एबोनाइट की छड व कांच की छड को पास लाने पर यह एक दुसरे को आकर्षित करती है।
उपरोक्त प्रयोगों से यह निष्कर्ष निकलता है कि समान प्रकृति के आवेश (सजातीय आवेश) सदैव एक दुसरे को प्रतिकर्षित करती है तथा असमान आवेश सदैव एक दुसरे को आकर्षित करते है इसे ही आवेशो का मूलभूत सिद्धांत कहते है।
उपरोक्त प्रयोगों के आधार पर यह निष्कर्ष निकलता है कि आवेश मुख्यतः दो प्रकार के होते है।
1. धनात्मक आवेश : काँच की छड में उपस्थित आवेश को धनात्मक आवेश कहते है।
2. ऋणात्मक आवेश : ऐबोनाइट की छड में उपस्थित आवेश को ऋणात्मक आवेश कहते है।

पदार्थ का वर्गीकरण (classification of matter)

यह मुख्यतः तीन प्रकार के होते है।
1. चालक पदार्थ : वे पदार्थ जो अपने में से आसानी से आवेश का प्रवाह होने देते है , चालक पदार्थ कहलाते है।
उदाहरण : सोना , चाँदी , जलीय विलयन , गीली लकड़ी , धातुएँ , ग्रेफाईट आदि।
2. कुचालक पदार्थ : वे पदार्थ जो अपने में से आसानी से आवेश का प्रवाह नहीं होने देते है। कुचालक पदार्थ कहलाते है।
उदाहरण : प्लास्टिक , रबर ,CaCO3, सुखी लकड़ी।
3. परावैद्युत पदार्थ : वे कुचालक पदार्थ जो बाह्य विद्युत क्षेत्र की उपस्थिति में विद्युत प्रभाव की प्रदर्शित करते है।
उदाहरण : आसुत जल
आवेशन (charging) : किसी वस्तु या पदार्थ को आवेशित करने की विधियाँ या प्रक्रिया को आवेशन कहते है।
आवेशन तीन प्रकार के होते है –
1. घर्षण द्वारा आवेशन : जब किन्ही दो अनावेशित वस्तुओ को आपस में रगड़ते है तो उष्मीय प्रभाव के कारण एक वस्तु के इलेक्ट्रॉन निकलकर दूसरी वस्तु में स्थानांतरित हो जाते है जिससे एक वस्तु में इलेक्ट्रोन की कमी होने के कारण वह विद्युत रूप से धनावेशित हो जाते है तथा दूसरी वस्तु में इलेक्ट्रोन की वृद्धि के कारण वह विद्युत रूप से ऋण आवेशित हो जाती है। इस प्रकार घर्षण द्वारा दो अनावेशित वस्तुओ को आवेशित कर लिया जाता है।
इसे घर्षण विधुतिकी भी कहते है।
2. सम्पर्क / चालन / स्पर्श द्वारा आवेशन : किसी अनावेशित चालक वस्तु पर आवेशित चालक वस्तु द्वारा स्पर्श कराकर समान प्रकृति का आवेश उत्पन्न करने की प्रक्रिया को सम्पर्क द्वारा आवेशन कहते है।

3. प्रेक्षण द्वारा आवेशन : वह प्रक्रिया जिसमे अनावेशित चालक वस्तु पर आवेशित चालक वस्तु द्वारा बिना स्पर्श किये विपरीत प्रकृति का आवेश उत्पन्न कर दिया जाए तो इसे प्रेक्षण द्वारा आवेशन कहते है।

प्रश्न 1 : क्या कोई अनावेशित वस्तु आवेशित वस्तु द्वारा आकर्षित हो सकती है ? कारण स्पष्ट कीजिये।
उत्तर : अनावेशित वस्तु आवेशित वस्तु द्वारा आकर्षित होती है क्योंकि जब किसी अनावेशित वस्तु को आवेशित वस्तु के पास लाते है तो प्रेरण प्रभाव के कारण अनावेशित वस्तु की पास वाली सतह पर विपरीत प्रकृति का आवेश तथा दूर वाली सतह पर समान प्रकृति का आवेश उत्पन्न हो जाता है जिसके कारण प्रतिकर्षण बल की तुलना में आकर्षण बल अधिक हो जाता है इसलिए अनावेशित वस्तु आवेशित वस्तु द्वारा सदैव आकर्षित होती है।
जब किसी वस्तु को धनावेशित करते है तो वस्तु के द्रव्यमान में कमी होती है क्योंकि वस्तु से इलेक्ट्रॉन बाहर निकलते है तथा जब किसी वस्तु को ऋणावेशित करते है तो उसके द्रव्यमान में वृद्धि होती है क्योंकि वस्तु इलेक्ट्रोन ग्रहण करती है।
प्रश्न 2 : प्रतिकर्षणात्मक गुण के द्वारा ही किसी वस्तु के आवेशित या अनावेशित होने का पता लगाया जा सकता है जबकि आकर्षणात्मक गुण से नहीं क्यों ?
उत्तर : प्रतिकर्षणात्मक गुण द्वारा किसी वस्तु के आवेशित या अनावेशित होने का पता लगाया जा सकता है क्यूंकि आवेशित या अनावेशित दोनों ही वस्तु आकर्षित हो सकती है परन्तु केवल आवेशित वस्तु ही प्रतिकर्षित हो सकती है , अनावेशित वस्तु नहीं।