अशुद्धि दोष : यौगिकों , पदार्थों , ठोसों क्रिस्टल में अशुद्धि दोष क्या है (impurity defect in hindi)

(impurity defect in hindi) अशुद्धि दोष : यौगिकों , पदार्थों , ठोसों क्रिस्टल में अशुद्धि दोष क्या है : जब किसी पदार्थ या ठोस या आयनिक क्रिस्टल के गुणों में परिवर्तन करना होता है तो हम बाह्य कुछ पदार्थ मिश्रित कर देते है जिससे आयनिक पदार्थ आदि के गुण हमारी आवश्यकता अनुसार बदल जाते है।
जैसे यदि किसी आयनिक क्रिस्टल की चालकता कम है और यदि हमें इस आयनिक यौगिक की चालकता को बढ़ाने के लिए बाहर से कुछ पदार्थ इस आयनिक यौगिक में मिश्रित करना पड़ेगा , जो पदार्थ मिश्रित किया जाता है उसे अशुद्धि कहते है और इस प्रक्रिया को डोपिंग कहते है।
डोपिंग करने के बाद अर्थात आयनिक यौगिक में बाह्य पदार्थ मिश्रित करने के बाद इसकी चालकता बढ़ जाती है।
इस प्रकार आयनिक यौगिकों में बाह्य अशुद्धि मिलाने पर उसमें जो दोष उत्पन्न होता है अर्थात अवयवी कणों की स्थिति आदि में जो दोष उत्पन्न होता है उसे अशुद्धि दोष कहते है।
“जब किसी क्रिस्टल में अवयवी कणों के स्थान पर बाह्य पदार्थ के कण आ जाते है तो इस प्रकार के दोष को अशुद्धि दोष कहते है। “
उदाहरण : जब NaCl में बाह्य पदार्थ के रूप में SrCl2 मिलाया जाता है तो Naआयन के स्थान पर अशुद्धि का अर्थात बाह्य पदार्थ का Sr2+ आयन आ जाता है , यह दो Naआयन को हटाकर एक स्थान पर Sr2+ आयन आ जाता है जिससे विद्युत उदासीनता बनी रहती है लेकिन चूँकि यह दो आयनों को हटाता है और केवल एक का स्थान ले लेता है जिससे एक Naआयन की जगह खाली रह जाती है जो एक होल की तरह कार्य करती है जिससे यौगिक या मिश्रण की चालकता बढ़ है तथा चूँकि Naआयन के स्थान पर Sr2+ आयन आ जाता है जिससे इसमें दोष भी उत्पन्न हो जाता है इस प्रकार के दोष को अशुद्धि दोष कहते है।
अशुद्धि दोष को निम्न चित्र द्वारा समझा जा सकता है –