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फोटो डायोड , प्रकाश डायोड क्या है , सिद्धांत , कार्य , उपयोग , अभिलक्षण (photodiode in hindi)

(photodiode in hindi) फोटो डायोड , प्रकाश डायोड क्या है , सिद्धांत , कार्य , उपयोग , अभिलक्षण : फोटोडायोड प्रकाश विद्युत प्रभाव के सिद्धांत पर आधारित एक अर्धचालक युक्ति है जिसमें की प्रकाश आपतित होने पर धारा का प्रवाह होता है।

हम आपको याद दिला दे कि प्रकाश विद्युत प्रभाव के अनुसार जब किसी धातु की सतह पर एक निश्चित तरंग दैर्ध्य का प्रकाश आपतित किया जाता है तो इस धातु से सतह से इलेक्ट्रॉन मुक्त होने लगते है या उत्सर्जित होने लगते है इसे ही प्रकाश विद्युत प्रभाव कहते है।
फोटो डायोड प्रकाश विद्युत प्रभाव के सिद्धांत पर आधारित एक युक्ति होता है।
जब एक pn संधि को उत्क्रम अभिनति में जोड़ा जाता है तो उसमें बहने वाली धारा अल्पसंख्यक आवेशों के कारण होती है और यह धारा आरोपित उत्क्रम विभव पर निर्भर नहीं करता है।
इस स्थिति में यदि इस संधि पर एक निश्चित तरंग दैर्ध्य का प्रकाश आपतित किया जाता है तो PN संधि में इलेक्ट्रॉन और कोटर मुक्त होने लगते है (प्रकाश विद्युत सिद्धांत के अनुसार) और इस PN संधि के अवक्षय परत में इलेक्ट्रॉन और कोटर मुक्त होने के कारण उत्क्रम धारा का मान बढ़ जाता है , उत्क्रम धारा का मान आपतित प्रकाश की तीव्रता के समानुपाती होती है अर्थात यदि आपतित प्रकाश की तीव्रता अधिक हो तो मुक्त होने वाले कोटर व इलेक्ट्रॉन की संख्या अधिक होती है और इस स्थिति में उत्क्रम धारा का मान भी अधिक होता है।
अत: फोटो डायोड ऐसी युक्ति है जिसकी सहायता से प्रकाश ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदला जाता है अर्थात प्रकाश को विद्युत धारा के रूप में परिवर्तित किया जाता है।
कभी कभी फोटो डायोड को प्रकाश डिटेक्टर या फोटो डिटेक्टर या फोटो सेंसर भी कहा जाता है।
सोलर सेल , फोटो डायोड का एक बड़ा रूप होता है , क्यूंकि सोलर सेल में भी प्रकाश को विद्युत धारा में परिवर्तित किया जाता है और फोटो डायोड में भी। लेकिन फोटोडायोड में एक छोटे स्केल में ये किया जाता है जबकि सोलर सेल में एक बड़े स्केल पर।

प्रकाश डायोड के अभिलक्षण

जब फोटो डायोड को अग्र अभिनती में रखा जाता है तो यह साधारण pn संधि की तरह व्यवहार करता है इसलिए इसके अग्र अभिनति के व्यवहार के बारे में अध्ययन नहीं करेंगे।
जब फोटो डायोड को पश्च या उत्क्रम अभिनति में जोड़ा जाता है और अलग अलग तीव्रता का प्रकाश इस पर आपतित किया जाता है तो इसकी आपतित तीव्रता के अनुपात में विद्युत धारा प्राप्त होती है अर्थात अधिक तीव्रता का प्रकाश आपतित करने पर विद्युत धारा अधिक होती है , अलग अलग प्रकाश की तीव्रता पर अलग अलग विद्युत धारा का मान प्राप्त होता है जैसा ग्राफ में दिखाया गया है –