दण्ड का बंकन या मोड़ या झुकाव मोड़न (bending of beam in hindi) , उदासीन परत , बंकन तल , आघूर्ण

(bending of beam in hindi) दण्ड का बंकन या मोड़ या झुकाव मोड़न : जब किसी दंड (बीम) को मोड़ा जाता है तो इसका आकार बदल जाता है और साथ ही इसके अन्दर आंतरिक बल उत्पन्न हो जाते है। यहाँ हम एक दंड लेते है और फिर इसके द्वारा इससे सम्बंधित विभिन्न प्रकार की परिभाषाओं तथा सूत्रों का अध्ययन करते है। सिविल वैज्ञानिको तथा इंजिनियर को इसका पूर्ण ज्ञात होना आवश्यक है की कोई भी दंड कितना झुक सकता है और कितने झुकाव पर कितना बल लगेगा या झुकाव से सम्बन्धित किस चीज को क्या बोला जाता है और इसे किस प्रकार से परिभाषित किया जाता है , आइये हम कुछ परिभाषाओं का अध्ययन करते है।

उदासीन परत (neutral surface) : जब किसी दण्ड अथवा छड को मोड़ा जाता है तो मोड़ने से उस दंड की बाहरी सतहों में वृद्धि होती है तथा दंड की अन्दर की सतह संकुचित हो जाती है लेकिन दण्ड के भीतर एक परत ऐसी होती है जिसमे न तो वृद्धि होती है और न ही संकुचित होती है अर्थात इस परत की लम्बाई अपरिवर्तित रहती है , दण्ड की इस परत को जो बंकन से अपरिवर्तित रहती है उस सतह को उदासीन परत कहते है।
बंकन तल (plane of bending) : दण्ड का वह तल जो उदासीन पृष्ठ या परत के लम्बवत होता है और जिसमे दंड में बंकन उत्पन्न होता है अर्थात दण्ड मुड़ता है उस तल को बंकन तल कहते है।
उदासीन कक्ष (neutral axis) : उदासीन परत व बंकन तल को काटने वाली रेखा अर्थात परिच्छेद रेखा को उस दण्ड का उदासीन कक्ष कहा जाता है।
बंकन आघूर्ण (bending moment) : किसी दण्ड को मोड़ने के लिए आवश्यक बल आघूर्ण के मान को उस दंड का बंकन आघूर्ण कहते है , इसे G से प्रदर्शित किया जाता है।
बंकन आघूर्ण का सूत्र –
G = Y.I/R
यहाँ Y = दण्ड जिस पदार्थ की बनी है उस पदार्थ का यंग गुणांक
I = दंड के अनुप्रस्थ काट का ज्यामितीय जडत्व आघूर्ण
R = बंकित दण्ड की वक्रता त्रिज्या का मान