अंतरा परमाण्विक बल (interatomic forces in hindi) , अन्तरा परमाण्विक बल क्या है , परिभाषा

(interatomic forces in hindi)  अंतरा परमाण्विक बल : जैसा की हम जानते है की किसी परमाणु में दो प्रकार के विद्युत आवेश उपस्थित होते है अर्थात नाभिक धनावेशित होता है तथा इलेक्ट्रान जो नाभिक के चारो ओर एक निश्चित कक्षाओं में चक्कर लगाते है उन पर ऋणावेश उपस्थित रहता है , अत: स्वभाविक है कि इन वैद्युत आवेशों के कारण आस पास के परमाणुओं या स्वम् पर एक बल कार्य कर सकता है इसे अंतरा परमाण्विक बल कहते है।

अन्तरा परमाणविक बल की परिभाषा :  परमाणु में उपस्थित आवेशों के कारण इन आवेशों के मध्य परस्पर स्थिर वैद्युत अंत: क्रिया के कारण बल लगता है , इस लगने वाले बल को अंतरा परमाण्विक बल कहते है। यह बल परमाणुओं के मध्य की दूरी पर निर्भर करता है तथा परमाणु के आकार पर भी निर्भर करता है अर्थात इस बल का मान इस बात पर निर्भर करता है कि परमाणु एक दुसरे से कितनी दूर उपस्थित है तथा उनका आकार कितना बड़ा या छोटा है।

ये बल 10-10 मीटर कोटि के होते है अर्थात जब दूरी का मान या परमाणु का आकार 10-10 मीटर की कोटि का हो तो ही ये बल कार्य करते है।

ये बल विद्युत प्रकृति के होते है। हालांकि की किसी परमाणु में धनावेश या ऋणावेश का मान समान होता है तथा हर परमाणु सामान्य अवस्था में विद्युत उदासीन रहता है , अर्थात किसी परमाणु में नाभिक पर जितना धनावेश उपस्थित रहता है उतना ही आवेश इलेक्ट्रान पर ऋणावेश उपस्थित रहता है और इस प्रकार परमाणु वैद्युत उदासीन रहता है।

लेकिन जब दो परमाणु एक दुसरे के बहुत समीप उपस्थित रहते है अर्थात उन दोनों परमाणुओं के मध्य की दूरी 10-10 मीटर की कोटि की हो तो एक परमाणु का नाभिक दुसरे परमाणु के इलेक्ट्रॉन से प्रभावित रहता है अर्थात हल्का सा एक दुसरे को आकर्षित करते है , इसी प्रकार इसके इलेक्ट्रान भी दूसरे परमाणु के नाभिक से विद्युत बल द्वारा प्रभावित हो जाते है।

इस तरह से परमाणुओं के धनात्मक नाभिक और इलेक्ट्रान अभ्र के मध्य अव्यवस्था उत्पन्न हो जाती है और इस तरह से इनके मध्य अन्तरा परमाणविक बल कार्य करना शुरू कर देते है।

यदि दो परमाणुओं के मध्य की दूरी बहुत अधिक हो तो इस प्रकार की कोई क्रिया नहीं होती है और न ही उनके मध्य कोई अंतरा परमाण्विक बल कार्य करता है।